प्रदेश शासन के महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट मेट्रो रेल के लिए भोपाल और इंदौर में काम किया जा रहा है। इंदौर में मेट्रो के पहले चरण के लिए कई भारी मशीनरी का उपयोग किया जा रहा है। प्रारंभिक हिस्से में पिलर निमार्ण के साथ अब गर्डर लांचिग का काम तेजी से किया जाएगा। वहीं भोपाल में एम्स से सुभाष नगर रेलवे ब्रिज के आगे तक करीब 6 किमी मेट्रो ट्रैक में अभी 30 पिलर, 15 सेगमेंट और रेलवे ब्रिज का काम होना बाकी है। वीर सावरकर सेतु से गणेश मंदिर की ओर रेलवे लाइन पर ट्रैक बिछेगा। इसका काम प्रक्रियाओं में है। हालांकि आजाद नगर समेत जमीन से जुड़ी दिक्कतें फिलहाल दूर कर ली गई हैं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल में अगले साल 15 अगस्त तक मेट्रो शुरू करने का टारगेट फिक्स किया है, पर जिस गति से काम चल रहा है, उस हिसाब से तब तक न तो स्टेशन तैयार हो पाएंगे, न डिपो और न ट्रेन आ सकेगी। नवंबर 2018 में शुरू हुए 6.22 किमी के सिविल वर्क की बाधाएं दूर करने में भी प्रशासन को दो साल का वक्त लग गया। डिपो व मेट्रो ट्रेन, सिग्नलिंग व ट्रेन कंट्रोल कम्युनिकेशन के लिए अभी टेंडर मंजूर नहीं हुआ है। यदि पूरी रफ्तार से काम चले तो इस साल के अंत तक प्रॉयोरिटी रूट का सिविल वर्क पूरा हो जाएगा। स्टेशन नवंबर 2023 तक पूरे हो पाएंगे। डिपो का काम शुरू होने के बाद पूरा होने में कम से कम दो साल लगेंगे और मेट्रो ट्रेन, सिग्नलिंग व ट्रेन कंट्रोल कम्युनिकेशन को केवल ट्रायल तक चलाने के लिए भी 2 साल का वक्त चाहिए, जबकि इस काम को शत-प्रतिशत पूरा होने में कम से कम 4 साल का वक्त लगेगा।
2023 में आमजन के लिए 6 किमी के शुरुआती हिस्से में मेट्रो शुरू करना है और इसके लिए काम में तेजी लाना होगी। सेगमेंट बिछने के बाद रेलवे ट्रैक ओर फिर सिग्नलिंग का काम करना है। एम्स से सुभाष नगर ब्रिज के आगे तक मेट्रो के 8 स्टेशन बनना है, जिसमें से 4 का जमीनी काम शुरू हो चुका है। हाल में मेट्रो रेल कारपोरेशन की एमडी छवि भारद्वाज ने स्टड फार्म पर डिपो व स्टेशन के काम का मुआयना किया था। एमपी नगर से लेकर साकेत नगर, एम्स की ओर स्टेशन के लिए खुदाई की जा रही है।
गणेश मंदिर से सावरकर ब्रिज की ओर से पिलर व सेगमेंट का काम चल रहा है तो बोर्ड ऑफिस के पास भी दो पिलर का काम किया जा रहा है। मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट से जुड़े इंजीनियरों-अफसरों का कहना है कि एक साथ कई स्तरों पर काम किया जा रहा है, ताकि तय समय पर मेट्रो शुरू की जा सके। अभी मेट्रो के कोच, इंजन के साथ ही अन्य उपकरणों का काम भी शुरू कर दिया गया है। जल्द ही ये भी सबके सामने आएगी। भोपाल में रोहित एसोसिएट्स ने मेट्रो ट्रेन डीपीआर तैयार की थी, जिसके आधार पर यूरोपियन बैंक से लोन लिया गया है। पूरे शहर में 107 किमी लंबा मेट्रो ट्रैक प्रस्तावित किया गया है। इसके लिए 6 कॉरिडोर तय किए हैं। हालांकि फिलहाल पहले कॉरिडोर की पहली लाइन पर ही काम किया जा रहा है।
इंदौर में मेट्रो प्रोजेक्ट का काम सुपर कॉरिडोर, एमआर-10 से लेकर रिंग रोड तक तेज गति से चल रहा है। 600 से अधिक जो सेगमेंट प्री-कॉस्ट तैयार किए गए हैं, उन्हें गर्डर लॉन्चिंग क्रेन के जरिए लगाया जाएगा और उसके बाद पटरियों को बिछाने का काम भी शुरू होगा। गर्डर चढ़ाने के लिए दूसरी विशाल क्रेन भी इंदौर पहुंच गई है। वर्तमान में जारी कार्य में 31.55 किलोमीटर का पहला चरण पूरा किया जाएगा, जिसमें 29 स्टेशन बनेंगे। जिनमें 23 जमीन के ऊपर एलिवेटेड और आधा दर्जन अंडरग्राउंड स्टेशन रहेंगे। जानकारी के अनुसार अभी एमआर-10 से लेकर रिंग रोड तक चूंकि यातायात का अत्यधिक दबाव रहता है और इससे यातायात अवरुद्ध भी हो रहा है, जिसके चलते रात 2 बजे से लेकर सुबह 6 बजे तक तेजी से कार्य किया जा रहा है। वहीं 75 एकड़ जमीन पर मेट्रो डिपो का काम भी शुरू हो गया है।
वहीं गांधी नगर फुट ओवरब्रिज के समीप बनने वाले मेट्रो स्टेशन का भी काम शुरू हो चुका है। अगले साल अगस्त तक एक लाइन में मेट्रो चलाने का लक्ष्य भी रखा गया है। मप्र मेट्रो रेल कार्पोरेशन द्वारा इंदौर-भोपाल में मेट्रो के पहले चरण का काम कराया जा रहा है। एयरपोर्ट से सुपर कॉरिडोर, वहां से एमआर-10 होते हुए रिंग रोड, शहीद पार्क और उसके आगे रोबोट चौराहा तक इन दिनों काम चल रहा है। गर्डर लॉन्चिंग के लिए पिछले दिनों लोड टेस्टिंग भी सफलतापूर्वक हो गई और एमआर-10 टोल नाके से शहीद पार्क तक 181 पिलर का निर्माण भी तेजी से पूरा किया जा रहा है। भोपाल और इंदौर में मेट्रो ट्रेन पटरी में प्रवाहित विद्युत से चलेगी। दोनों जगहों पर मेट्रो चलाने के लिए थर्ड रेल डीसी ट्रैक्शन सिस्टम का उपयोग किया जाएगा। इस तकनीक में खास बात यह है कि ट्रेन रुकने के दौरान ब्रेक लगाने से जो ऊर्जा बेकार हो जाती थी, अब उसे वापस सिस्टम में भेज दिया जाएगा।
परिवहन के साथ होगा जल संरक्षण
भोपाल और इंदौर में मेट्रो रेल के साथ हर साल 20 लाख लीटर बरसात के पानी की बचत होगी। इसके लिए एलीवेटेड ट्रैक के नीचे रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए जा रहे हैं। गर्डर पर बारिश का जितना पानी आएगा वह पाइप के जरिए भूगर्भ में जाएगा। बता दें कि पहले चरण में एम्स से सुभाष नगर तक प्रायोरिटी कॉरिडोर में वाटर हार्वेस्टिंग तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। 7 किलोमीटर के ट्रैक के साथ इनके बीच बनने वाले 8 स्टेशनों में बरसात के पानी को सीधे भू्गर्भ में पहुंचाने के लिए पाइप लाइन डाली जा रही है। मप्र मेट्रो रेल के अधिकारियों ने बताया कि प्रायोरिटी कॉरिडोर में 226 पिलर बनना है। इनके बीच की दूरी 31 से 34 मीटर के बीच है। एक पिलर को छोड़कर यानी कि 65 से 70 मीटर की दूरी पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए पाइप डाली जाएगी। इन पाइपों के सहारे पानी नीचे उतरकर ढाई मीटर की मिडियन में जाएगा। यहां कॉरिडोर के नीचे पानी के लिए रिर्चाज वेल होगा, जो पानी को साफ कर ग्राउंड लेवल में पहुंचाएगा। मेट्रो स्टेशनों और डिपो में बनने वाले पिट आयताकार होंगे जबकि एलीवेटेड रूट के नीचे बनने वाले पिट गोलाकार होंगे।
-कुमार विनोद