मप्र के सभी शासकीय कार्यालयों में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जाएंगै। यह प्रीपेड मोबाइल की तरह ही होगा। उपभोक्ता उतनी ही यूनिट बिजली का उपभोग कर पाएंगे, जितने का रीचार्ज कराएंगे। यह लगातार अपडेट करता रहेगा कि कितनी बिजली की खपत कर रहे हैं। महीने का बिल तैयार करने के लिए विभाग के मीटर की रीडिंग नहीं लेनी पड़ेगी। बिल उपभोक्ताओं के ई-मेल या वाट्सएप नंबर पर भेजा जाएगा। ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव संजय दुबे ने सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव व सचिव को पत्र लिखकर कहा कि भारत सरकार द्वारा 26 मई 2022 के राजपत्र में प्रकाशित अधिसूचना के द्वारा विद्युत मंत्रालय भारत सरकार द्वारा विद्युत अधिनियम के अंतर्गत बनाए गए केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (मीटर का अधिष्ठापन और प्रचालन) संशोधन 2019 के प्रावधानों के अनुसार में मौजूदा मीटरों की पूर्व भुगतान करने प्रीपेड स्मार्ट मीटरों से बदलने की समयसीमा निर्धारित की गई है। इस अधिसूचना के अनुसार दिसंबर 2023 तक पूर्ण भुगतान (प्रीपेड) स्मार्ट मीटरों से मीटरीकृत किया जाना है।
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार द्वारा उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण एवं विश्वसनीय विद्युत आपूर्ति के उद्देश्य से रिवेम्पड़ डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (आरडीएसएस) जारी की गई है। योजना अंतर्गत स्मार्ट मीटरों की स्थापना तथा वितरण कंपनियों की हानियों में कभी वितरण प्रणाली सुदृढ़ीकरण एवं आधुनिकीकरण के कार्य किए जाने हैं। इस हेतु केंद्र सरकार द्वारा 15 फीसदी तथा 60 फीसदी अनुदान प्रदान किया जा रहा है। योजनांतर्गत केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित पूर्व आर्हताओं में यह प्रावधान भी है कि सभी सरकारी कार्यालयों, स्थानीय निकायों, संबंधी कार्यालयों, स्वशासी संस्थाओं में प्रतिबद्धता के अनुसार प्रीपेड स्मार्ट मीटर स्थापित किए जाएं। स्वीकृत शर्तों की पूर्ति नहीं होने पर केंद्र सरकार द्वारा अनुदान राशि को ऋण में परिवर्तन कर दिया जाएगा। इससे वितरण कंपनियों के अधोसंरचना, उन्नयन इत्यादि के कार्य प्रभावित होंगे। साथ ही वाणिज्यिक साध्यता भी प्रभावित होगी। अत: यह आवश्यक है कि वितरण कंपनियों द्वारा सभी शासकीय कार्यालयों स्थानीय निकायों, संबंधित कार्यालयों स्वशासी संस्थाओं में निर्धारित समयसीमा अंतर्गत दिसंबर 2023 तक मौजूदा मीटरों को पूर्व भुगतान वाले स्मार्ट मीटरों में बदला जाए। इसके लिए पर्याप्त बजट की व्यवस्था करने को भी कहा गया है।
गौरतलब है कि जून के मध्य में बिजली कंपनियों के कर्मियों के आत्मनिरीक्षण पर केंद्रीय मंथन-2022 कार्यशाला में बिजली हानि कम करने और डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों की आर्थिक सेहत सुधारने की दो योजना पर अगले कुछ महीने में अमल करने की घोषणा की गई थी। पहला सबसे अधिक हानि वाले क्षेत्रों में सबसे पहले एबी केबलिंग या भूमिगत केबलिंग के कार्य कराए जाएं। दूसरा सरकारी भवनों में प्रीपेड मीटर लगाया जाए। इससे उधारी बंद होगी और नकदी की समस्या दूर होगी। मंथन-2022 में ऑनलाइन जुड़े केंद्रीय विद्युत सचिव आलोक कुमार ने कहा था कि मप्र के तीनों पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों को हानि वाले क्षेत्रों में सबसे पहले एबी केबलिंग और अंडरग्राउंड केबलिंग का कार्य करना चाहिए। इसके समानांतर स्मार्ट व प्रीपेड मीटरिंग का कार्य भी करें। मप्र की बिजली वितरण कंपनियों को सूचना प्रौद्योगिकी का अधिक से अधिक उपयोग करें, जिससे उपभोक्ताओं को बेहतर और त्वरित सेवाएं मिल सकें।
प्रमुख सचिव ऊर्जा संजय दुबे ने कहा था कि मप्र में भारत सरकार की महत्वाकांक्षी आरडीएसएस योजना को लागू किया जा रहा है। इस पर 24 हजार करोड़ रुपए अगले कुछ सालों में खर्च होंगे। इसमें 8700 करोड़ रुपए स्मार्ट एवं प्रीपेड मीटरिंग पर खर्च होने हैं। वहीं 15 हजार 400 करोड़ रुपए अधोसंरचना की मजबूती पर व्यय किए जाएंगे। प्रमुख ऊर्जा सचिव ने कहा कि ब्लॉक स्तर तक लगभग 8 हजार शासकीय कार्यालयों में स्मार्ट व प्रीपेड मीटर प्राथमिकता से लगाए जाएंगे। इससे हर महीने 600 से 700 करोड़ रुपए की उधारी बंद हो जाएगी।
प्रदेश में अधिकतर सरकारी भवनों में या तो मीटर खराब पड़े हैं या फिर औसत बिलिंग की जाती है। सरकारी भवनों पर बकाया होने के बावजूद पावर कट विभाग नहीं कर पाता है। हर महीने करोड़ों का बकाया होने पर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों की आर्थिक हालत गड़बड़ा जाती है। प्रदेश में जबलपुर, भोपाल, इंदौर व ग्वालियर नगर निगम का ही हर महीने का बिल 100 करोड़ रुपए बनता है। इसके अलावा अन्य निकायों का लगभग 250 करोड़ का बिल बनता है। इतना ही बिजली खर्च अन्य सरकारी भवनों का महीनेभर का है। मतलब 600 से 700 करोड़ हर महीने 8 हजार सरकारी भवनों में खर्च होते हैं। प्रीपेड व स्मार्ट मीटर लगाने से ये राशि हर महीने कंपनी को नकद मिलेगी।
सामान्य मीटर से अलग ये स्मार्ट मीटर प्रीपेड मीटर होगा। इसमें मोबाइल की तरह बिजली का रिचार्ज होगा। उपभोक्ता उपयोग के अनुसार बिजली का रिजार्च करवा सकता है। मीटर में हर वक्त बिल की खपत के साथ बकाया यूनिट संबंधी जानकारी प्रदर्शित होगी। उपभोक्ता के मोबाइल पर भी रिचार्ज समाप्ति का मैसेज आएगा और मोबाइल से रिचार्ज कराया जा सकेगा। प्रमुख सचिव ऊर्जा ने सुझाव बिजली वितरण कंपनियों को कहा है कि वे मप्र विद्युत नियामक आयोग में याचिका दाखिल करें, कि रात में प्रीपेड मीटर के कनेक्शन न बंद हों। भले ही उपभोक्ता का रिचार्ज खत्म हो जाए। दोबारा रिचार्ज के लिए कुछ दिन का अतिरिक्त समय दिया जाए। ताकि किसी वजह से उपभोक्ता प्रीपेड मीटर रिचार्ज नहीं करवा पाए, तो उसे दोबारा रिचार्ज करवा सके।
पावर सेक्टर को पेपरलेस की ओर बढ़ना होगा
प्रमुख सचिव ने कहा कि रेलवे व बैंकों की तरह पूरा स्टेट पावर सेक्टर पेपरलेस कार्य करने की मानसिकता बना लें। तकनीक का अधिक से अधिक उपयोग करें। इससे कम मैनपावर में हम अधिक कार्यकुशलता दिखा पाएंगे। पावर मैनेजमेंट कंपनी के एमडी विवेक पोरवाल ने कहा कि भविष्य में प्रदेश में नवकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी लगभग 40 फीसदी हो जाएगी। इसको देखते हुए पावर मैनेजमेंट कंपनी में एक अलग प्लानिंग सेल का गठन होना चाहिए। उपभोक्ताओं को भी सोलर रूफटॉप स्थापित करने के लिए प्रेरित व उत्साहित करना चाहिए। नवीकरणीय ऊर्जा की अधिकता और उपलब्धता से सस्ती बिजली मिल सकेगी। प्रदेश में कृषि क्षेत्र में बढ़ती बिजली की मांग एक चुनौती है। इस ओर विशेष ध्यान देना होगा।
-राकेश ग्रोवर