महागठबंधन का मुद्दा भी मकसद भी!
16-Jun-2022 12:00 AM 649

 

जम्मू-कश्मीर से तमिलनाडु तक प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी लगातार सियासी दलों के नेताओं पर कार्रवाईयां कर रही है। जिससे इस बात की संभावना जगने लगी है कि मोदी-विरोधी गठबंधन शायद न बने लेकिन ईडी पीड़ितों का एक गठबंधन बन सकता है।

नेशनल हेराल्ड मामले में ही प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने एक बार फिर से कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व यानी गांधी परिवार से पूछताछ करने का फैसला लिया है। राहुल गांधी से 3 दिनों में 30 घंटे तक पूछताछ हो चुकी है। इसी नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके बेटे राहुल गांधी को जमानत तक करवानी पड़ी थी। खैर, इस मामले की पूछताछ का क्या नतीजा निकलेगा, ये तो वक्त ही बताएगा। लेकिन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा पर सरकारी एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाने वाले सभी सियासी दलों के बीच अभी भी किसी तरह का ताल-मेल नजर नहीं आता है। मोदी-विरोधी गठबंधन को लेकर की जा रही तमाम कोशिशें अभी तक हवा-हवाई ही साबित हुई हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा लगातार दो लोकसभा चुनावों में सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरे हैं। जिसकी वजह से 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर हर सियासी दल अभी से जोर-आजमाइश में लगा हुआ है। कांग्रेस ने हाल ही में चिंतन शिविर के जरिए मोदी-विरोधी गठबंधन तैयार करने के लिए कमर कसी है। तो, पंजाब जीतने के बाद सातवें आसमान पर पहुंचे अरविंद केजरीवाल अपने अखिल भारतीय चुनावी अभियान पर अकेले ही निकल चुके हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तो कांग्रेस को ही किनारे लगाने की कोशिश में जुटी हैं। वहीं, तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर भी एक अलग तीसरे मोर्चा बनाने की कवायद में जुटे हैं। आसान शब्दों में कहा जाए, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के खिलाफ फिलहाल कई दल अलग-अलग विकल्पों की तलाश कर रहे हैं।

इन तमाम कोशिशों को देखते हुए ऐसा लग नहीं रहा है कि मोदी-विरोधी गठबंधन कभी मूर्त रूप ले सकेगा। लेकिन, हाल ही में हुई ईडी कार्रवाईयों को देखकर एक उम्मीद जगती है कि मोदी या भाजपा के विरोध में न सही, तमाम सियासी दल ईडी की कार्रवाई को देखते हुए शायद महागठबंधन बना लें। जम्मू-कश्मीर से लेकर तमिलनाडु तक के सियासी दलों और उनके नेताओं पर हो रही ईडी की कार्रवाई इस संभावना को और बल देती है कि मोदी-विरोधी न सही, ईडी-विरोधी महागठबंधन ही बन जाए। विपक्षी दलों के नेताओं पर ईडी की कार्रवाईयों से नेताओं के बीच खलबली तो मची ही हुई है। आइए जानते हैं कि उत्तर से दक्षिण तक प्रवर्तन निदेशालय ने किन राज्यों के किन सियासी दलों के नेताओं पर कार्रवाई की है।

जम्मू-कश्मीर: नेशनल कॉन्फे्रंस के चीफ और लोकसभा सांसद फारूक अब्दुल्ला से भी ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में पूछताछ की है। जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन में हुई वित्तीय गड़बड़ियों के मामले में फारूख अब्दुल्ला ईडी के रडार पर हैं। इसी साल नेशनल कॉन्फे्रंस के नेता उमर अब्दुल्ला से भी ईडी ने पूछताछ की थी। दरअसल, उमर अब्दुल्ला से उनके मुख्यमंत्री रहने के दौरान जम्मू-कश्मीर बैंक से एक इमारत खरीदने के मामले में यह पूछताछ की गई थी। पीडीपी नेता महमूबा मुफ्ती से भी बीते साल ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में पूछताछ की थी।

पंजाब: कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के भांजे के खिलाफ पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले हुई प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई काफी चर्चा में रही थी। अवैध रेत खनन के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में चन्नी के भांजे को गिरफ्तार भी किया गया था।

महाराष्ट्र: महाराष्ट्र में शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के गठबंधन वाली महाविकास अघाड़ी सरकार के भी कई मंत्रियों पर प्रवर्तन निदेशालय की नजर बनी हुई है। एनसीपी की बात की जाए, तो एनसीपी चीफ शरद पवार और उनके भतीजे अजित पवार के खिलाफ भी प्रवर्तन निदेशालय महाराष्ट्र स्टेट कोऑपरेटिव बैंक में 25,000 करोड़ के घोटाले का मामला दर्ज कर चुकी है। महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जांच की थी। जिसके चलते अनिल देशमुख को अपना मंत्री पद भी खोना पड़ा था। महाराष्ट्र सरकार के मंत्री और एनसीपी नेता नवाब मलिक को ईडी ने अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम से संबंधों के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग करने के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। नवाब मलिक अभी भी जेल में हैं। और, ईडी अब नवाब मलिक की पत्नी और दोनों बेटों पर भी शिकंजा कस रही है। एनसीपी के नेता अनिल भोंसले, एकनाथ खड़से का नाम भी इस लिस्ट में शामिल है।

शिवसेना: इसी साल अप्रैल में प्रवर्तन निदेशालय ने पत्रा चाल भूमि घोटाला मामले में शिवसेना नेता संजय राउत की 1,034 करोड़ रुपए की संपत्ति कुर्क की थी। बीते साल ईडी ने संजय राउत की पत्नी वर्षा राउत से लंबी पूछताछ की थी। इसी साल प्रवर्तन निदेशालय ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साले श्रीधर माधव पाटनकर की संपत्तियां भी जब्त की थीं। मनी लॉन्ड्रिंग प्रिवेंशन एक्ट (पीएमएलए) के तहत ये कार्रवाई हुई थी। शिवसेना के नेता और महाराष्ट्र सरकार के मंत्री अनिल परब पर भी ईडी ने अपना शिकंजा कस दिया है। अनिल परब पर अनिल देशमुख से जुड़े मामले में ही जमीन सौदे में हेराफेरी और करोड़ों रुपए रिश्वत लेने का आरोप है। शिवसेना के विधायक प्रताप सरनायक, सांसद आनंदराव अदसुल और सांसद भावना गवाली भी ईडी की रडार पर हैं।

कांग्रेस: पार्टी के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार शिंदे की बेटी प्रीति श्रॉफ और उनके पति पर बैंक फ्रॉड के जरिए 35 करोड़ रुपए की मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है।

राजस्थान: बीते साल प्रवर्तन निदेशालय ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के भाई अग्रसेन गहलोत को 130 करोड़ के एक फर्टिलाइजर एक्सपोर्ट घोटाले में पूछताछ के लिए बुलाया था।

दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय ने हाल ही में दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री और आम आदमी पार्टी के विधायक सत्येंद्र जैन की 5 करोड़ की संपत्ति अटैच की थी। आम आदमी पार्टी के नेता सत्येंद्र जैन को ईडी ने फर्जी कंपनियां बनाकर मनी लॉन्ड्रिंग करने का आरोप लगाया है। ईडी ने सत्येंद्र जैन को जांच में सहयोग न करने की वजह से गिरफ्तार किया है।

उप्र: बसपा सुप्रीमो मायावती और उनके परिवार पर प्रवर्तन निदेशालय लंबे समय से शिकंजा कस रहा है। मायावती और उनके रिश्तेदारों पर कई मुकदमे दर्ज किए गए हैं। वहीं, समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान के खिलाफ भी ईडी ने मामला दर्ज किया था। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के कई करीबियों पर उप्र विधानसभा चुनाव के दौरान इनकम टैक्स की रेड भी पड़ी थी। इसके अलावा माफिया से नेता बने मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद के सहयोगियों पर भी मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों के जरिए शिकंजा कसा जा रहा है।

बिहार: चारा घोटाले में अपराधी घोषित हो चुके आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की मुश्किलें प्रवर्तन निदेशालय लगातार बढ़ा रहा है। ईडी ने चारा घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग के लिए लालू प्रसाद यादव और अन्य आरोपियों पर केस दर्ज किया है।

झारखंड: हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय ने आईएएस पूजा सिंघल को गिरफ्तार किया है। पूजा सिंघल के सीए के घर से 18 करोड़ कैश बरामद हुआ था। खनन विभाग की अधिकारी पूजा सिंघल को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में जेल भेजा जा चुका है। और, फिलहाल ईडी इस मामले के सियासी धागों को खोलने की कोशिश कर रही है। जेएमएम चीफ और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ पहले से ही खनन पट्टा आवंटित किए जाने के मामले की सुनवाई चल रही है।

पश्चिम बंगाल: तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी और उनकी पत्नी के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया है। पश्चिम बंगाल में हुए खनन घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में ईडी ने दो लोगों को गिरफ्तार भी किया है।

तमिलनाडु: प्रवर्तन निदेशालय ने तमिलनाडु की डीएमके सरकार के मंत्री ए राधाकृष्णन पर भी मनी लॉन्ड्रिंग का एक मामला दर्ज किया है। और, इसी साल फरवरी में डीएमके नेता की 6.5 करोड़ की संपत्ति अटैच की थी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम से भी प्रवर्तन निदेशालय की टीम पूछताछ कर चुकी है। शिवगंगा से कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम के खिलाफ आईएनएक्स मीडिया केस में ईडी ने उनकी 50 करोड़ रुपए की संपत्ति अटैच की थी। जिसमें इंग्लैंड के समरसेट का एक बंगला, स्पेन के बार्सिलोना में एक टेनिस क्लब जैसी संपत्तियां शामिल थीं।

छापेमारी का चुनावी कनेक्शन?

अक्सर देखा जाता है कि चुनाव के समय ही जांच एजेंसियां अधिक सक्रिय हो जाती हैं। जिससे ऐसा लगता है कि छापेमारी का चुनावी कनेक्शन है। इस साल उप्र में अखिलेश यादव के करीबी और सपा नेताओं के घरों पर इनकम टैक्स विभाग की टीम ने छापेमारी की। सपा नेताओं के घर पर आयकर विभाग की टीम की रेड ऐसे समय पड़ी जब उप्र में विधानसभा चुनाव को लेकर माहौल गर्म था और सत्तापक्ष से लेकर विपक्ष तक चुनावी अभियान में जुटी थी। दिलचस्प बात यह है कि केंद्रीय जांच एजेंसियां उप्र ही नहीं बल्कि देश के राज्यों में भी चुनाव से ठीक पहले ऐसे ही एक्टिव थी और विपक्षी नेताओं को अपने रडार पर लिया था। पश्चिम बंगाल से लेकर महाराष्ट्र, बिहार, हरियाणा और तमिलनाडु में चुनाव से पहले केंद्रीय जांच एजेंसियों की सक्रियता देखने को मिल चुकी है। इसी साल फरवरी-मार्च में पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से ठीक पहले केंद्रीय जांच एजेंसियों के निशाने पर टीएमसी नेता थे। कोयला घोटाले की जांच के सिलसिले में सीबीआई टीम ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी के घर पहुंचकर उनकी पत्नी रुजिरा बनर्जी को जांच में शामिल होने के लिए समन दिया। इससे जांच एजेंसियों की कार्रवाई संदेह में घिर जाती है।

महाराष्ट्र की राजनीति में ईडी का खौफ

महाराष्ट्र वो राज्य है जहां हाल के सालों में ईडी ने सबसे ज्यादा मामले राजनेताओं के खिलाफ दर्ज किए हैं। अब हम जानेंगे कि किस तरह से ईडी राज्य के राजनीतिक घटनाक्रमों के केंद्र में है। महाराष्ट्र में ईडी के निशाने पर सबसे पहले जो सबसे बड़ा नाम आया वो था एनसीपी के नेता और महाराष्ट्र सरकार में पीडब्ल्यूडी मंत्री रहे छगन भुजबल का। भुजबल पर आरोप लगा कि उन्होंने दिल्ली में महाराष्ट्र सदन के पुनर्निर्माण के ठेकों में घोटाला किया और उससे अर्जित की गई कमाई को विदेश में ठिकाने लगाया। इस मामले में उनके भतीजे समीर भुजबल को भी गिरफ्तार किया गया। करीब 2 साल जेल में रहने के बाद चाचा भतीजा को जमानत मिली। साल 2021 में एक और एनसीपी के दिग्गज नेता और महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख को ईडी ने गिरफ्तार कर लिया। देशमुख पर ट्रांसफर पोस्टिंग से अर्जित कमाई से मनी लॉन्ड्रिंग करने का आरोप है। साल 2022 में ईडी की गिरफ्त में आने वाले सबसे ताजा राजनेता बने एनसीपी के प्रवक्ता और महाराष्ट्र सरकार में अल्पसंख्यक विकास मंत्री नवाब मलिक। उन पर दाऊद गिरोह से संपत्ति की खरीद फरोख्त और मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है। अब तक एनसीपी के तीन मंत्री ईडी के मार्फत जेल की हवा खा चुके हैं, लेकिन ईडी के निशाने पर सिर्फ एनसीपी ही नहीं हैं। महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार का प्रमुख घटक दल शिवसेना भी है। हालांकि अब तक शिवसेना का कोई नेता गिरफ्तार तो नहीं हुआ है लेकिन ईडी की कार्रवाई ने शिवसेना नेताओं की नींद उड़ा रखी है।

- विपिन कंधारी

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