मप्र की राजधानी के विकास की रूपरेखा बिना मास्टर प्लान ही तैयार हो रही है। 28 साल बाद भी मास्टर प्लान जमीन पर नहीं उतर पाया है। हालांकि दावा किया जा रहा है कि इस बार करीब 9 साल से बन रहा भोपाल का मास्टर प्लान जनवरी 2022 से लागू हो जाएगा। प्रस्तावित मास्टर प्लान 2031 के ड्राफ्ट में अब कोई बदलाव नहीं होगा। लेकिन इसकी संभावना कम है। क्योंकि इस बार भी मास्टर प्लान में कई ऐसी विसंगतियां हैं जिन्हें धरातल पर उतारना नामुमकिन है। भोपाल में पिछले 16 साल से मास्टर प्लान नहीं बना है। साल 2005 में जो मास्टर प्लान बना था, उसके अनुसार ही 2021 तक शहर का विकास हुआ।
पिछले साल नगर तथा ग्राम निवेश संचालनालय ने वर्ष 2031 के हिसाब से ड्राफ्ट बनाकर सरकार को भेजा था। इसमें डेढ़ साल में दो बार बदलाव हुए। इस बीच केंद्र ने अमृत योजना में शामिल सभी शहरों के मास्टर प्लान वर्ष 2035 के हिसाब से बनाने की गाइडलाइन दी। इस कारण एक बार फिर भोपाल के प्रस्तावित मास्टर प्लान को लागू करने की प्रक्रिया शुरू हुई। हाल ही में राज्य सरकार ने भोपाल को छोड़कर अन्य शहरों में वर्ष 2035 के हिसाब से मास्टर प्लान बनाने का फैसला लिया, जबकि भोपाल में प्रस्तावित 2031 के ड्राफ्ट को ही लागू करने का मन बना लिया है।
केंद्र की गाइडलाइन के बाद नगर तथा ग्राम निवेश विभाग (टीएंडसीपी) ने 28 शहरों के मास्टर प्लान के ड्राफ्ट लागू करने के बाद प्रकाशन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। पहली बार अगले 14 साल तक सुनियोजित विकास के हिसाब से लागू होने जा रहे मास्टर प्लान में केवल लैंड यूज नहीं, बल्कि पाइपलाइन, सीवरेज, टेलीफोन लाइन और बैंक-एटीएम जैसी सुविधाओं का जिक्र रहेगा। अभी तक एक जैसे मास्टर प्लान लागू नहीं थे। केंद्र की गाइडलाइन के अनुसार आबादी व क्षेत्र के हिसाब से सुविधाओं का मानक निर्धारित होगा। इस बार सारे नए प्लान में अस्पताल, स्कूल, खेल मैदान, कॉलेज, पुलिस, थाना पार्किंग, सीवरेज, ड्रेनेज, पेयजल, टेलीफोन, सड़क के लिए मानक तय होंगे। गाइडलाइन भविष्य के शहरों का मास्टर प्लान जनगणना के हिसाब से तैयार करने की है। वर्ष 2031 में जनगणना होगी, इसलिए 2035 के हिसाब से मास्टर प्लान तैयार हो रहे हैं। नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह का कहना है कि भोपाल के मास्टर प्लान का ड्राफ्ट प्रकाशित हो चुका है, इसलिए अब इसमें कोई संशोधन नहीं करेंगे। जनवरी तक मास्टर प्लान लागू कर देंगे। केंद्र की गाइडलाइन के हिसाब से अमृत योजना में शामिल अन्य बड़े-छोटे शहरों के मास्टर प्लान वर्ष 2035 के हिसाब से लागू किए जाएंगे।
करीब 16 वर्षों की मशक्कत के बाद पिछली कमलनाथ सरकार के दौरान 5 मार्च को मास्टर प्लान का ड्राफ्ट जारी हुआ था लेकिन सरकार बदलने और फिर कोरोना संक्रमण के चलते प्लान पर दावे-आपत्ति में देरी हुई। इसके चलते जुलाई में नए सिरे से अधिसूचना जारी की गई, जिसमें 1731 आपत्तियां आईं। सुनवाई के आधार पर टीएंडसीपी ने अपनी रिपोर्ट के साथ ड्राफ्ट शासन को भेज दिया। बताया जा रहा है कि अब राज्य सरकार दावे-आपत्तियां बुलाएगी। इसके बाद ही अंतिम रूप दिया जाएगा। इस मामले को लेकर सिटीजन फोरम के पूर्व डीजी अरुण गुर्टू हाईकोर्ट भी गए हैं। इसे लेकर सुनवाई होना बाकी है। उनके मुताबिक बिना मास्टर प्लान के जरिए जिस तरह से विकास हो रहा है, उसकी वजह से भोपाल धीरे-धीरे स्लम की तरह विकसित हो रहा है। भोपाल में वीआईपी बहुत ज्यादा है, इसकी वजह से धीरे-धीरे लैंड यूज बदल रहा है। कांग्रेस प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा ने कहा कि भाजपा सरकार मास्टर प्लान लाना ही नहीं चाहती है। यही वजह है कि इतने वर्षों में मास्टर प्लान नहीं लाया जा सका। पिछली कमलनाथ सरकार मास्टर प्लान का ड्राफ्ट लेकर आई थी लेकिन सत्ता बदलते ही फिर इस पर अड़ंगा लग गया। सरकार मास्टर प्लान के नाम पर लोगों को फूल बना रही है।
केंद्र के हिसाब से नए प्लान में हॉस्पिटल, स्कूल, स्पोर्ट्स, ग्राउंड, कॉलेज, पुलिस थाना, पार्किंग, सीवरेज, पेयजल, सड़क के लिए स्टैंडर्ड और योजना शामिल होना चाहिए। लेकिन भोपाल अभागा है जिसका अगले 10 साल का प्लान पुराने ढर्रे पर बना होगा। मास्टर प्लान को लेकर सरकारें कितनी संजीदा रही हैं इसका अंदाजा इस बात से लगता है कि 1995 में भोपाल के मास्टर प्लान में 241 किमी सड़कें प्रस्तावित की गई थीं, लेकिन इनमें से सिर्फ 52 किलोमीटर सड़कें ही बन पाईं। नए मास्टर प्लान में 795 किलोमीटर सड़कें प्रस्तावित की गई हैं जिन्हें बनने में शायद एक सदी लग जाए। एक तरफ भोपाल में सीपीए को बंद करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है, दूसरी तरफ नया मास्टर प्लान लागू हो रहा है। विकास की रफ्तार इतनी धीमी है कि इस साल बजट में घोषित 264 करोड़ के चार आरओबी और एक फ्लाईओवर का काम शुरू नहीं हो सका है। होशंगाबाद रोड के समानांतर रेलवे ट्रैक के दूसरी ओर बावड़िया कला के तरफ एक रोड बनाई जानी थी। यह सड़क पिछले एक दशक से प्रस्तावित है लेकिन आज तक इस सड़क का काम नहीं हो सका। आशिमा मॉल के सामने प्रस्तावित रेलवे ओवरब्रिज भी कई साल से अपने निर्माण की राह देख रहा है।
पिछले मास्टर प्लान की 26 सड़कें नहीं बन पाईं
प्रदेश की राजधानी भोपाल का आखिरी मास्टर प्लान 2005 में आया था। इस मास्टर प्लान में तय की गई करीब 26 सड़कें आज तक नहीं बन पाईं। इन मास्टर प्लान की सड़कें अतिक्रमण और भू-अर्जन की वजह से अटकी हुई हैं। हालांकि इसे लेकर कई बैठकें हो चुकी हैं लेकिन ज्यादातर काम नहीं हो सका। बरखेड़ा से अवधपुरी को जोड़ने वाली एक सड़क पर एक स्कूल बाधा बना हुआ है। मास्टर प्लान में बावड़िया कला रेलवे क्रॉसिंग का आरओबी बन गया है। इसके अलावा अभी एक और आरओबी प्रस्तावित है। वहीं मिसरोद फेज-2 तक की तीन सड़कें नहीं बन पाईं। सिंगारचोरी रेलवे क्रॉसिंग से बैरसिया रोड 4-47 किलोमीटर तक की सड़क पर अवैध कॉलोनियां कट चुकी हैं। आशिमा मॉल से पारस एम्पायर तक एक किलोमीटर की सड़क नहीं बन सकी। औरा मॉल से शाहपुरा सी-सेक्टर की 1-56 किमी तक की सड़क पर प्लॉटिंग हो गई है। इसके अलावा कुछ निर्माण और भी हो चुके हैं।
- सिद्धार्थ पांडे