मप्र में 4076 सिपाही कर रहे बंगला ड्यूटी
02-Jun-2022 12:00 AM 717

 

प्रदेश में सरकार की तमाम कोशिश के बाद भी कानून व्यवस्था की स्थिति चिंताजनक है। इसके पीछे की वजह प्रदेश में पुलिस बल की कमी को बताया जा रहा है। वाकई प्रदेश में पुलिस बल की कमी है। बावजूद इसके प्रदेश में 4076 सिपाही साहबों के बंगले पर चाकरी कर रहे हैं। चाकरी कर रहे ये पुलिसकर्मी अब मुखर हो गए हैं और गृहमंत्री तक शिकायत कर चुके हैं कि उन्हें जीडी में लगाया जाए। 

मप्र में आईपीएस अफसरों की लंबी फौज सिपाहियों के हक पर डाका डाले बैठी है। वो ट्रेंड आरक्षकों को मैदानी ड्यूटी पर न भेजकर अपने सरकारी बंगले पर चाकरी करवा रही है। आरक्षकों से झाड़ू पोंछा और घर के लिए सब्जी-भाजी तक खरिदवायी जा रही है। ऐसे एक या दो नहीं बल्कि चार हजार से ज्यादा आरक्षक हैं जो अफसरों के बंगलों पर मेम साहब की ड्यूटी बजा रहे हैं।

मप्र में आईपीएस अफसर आरक्षकों को मैदानी ड्यूटी पर नहीं जाने दे रहे हैं। वजह ये है कि उन सिपाहियों से अपने बंगले पर ड्यूटी करवा रहे हैं। एएसआई रैंक के कर्मचारी ये सिपाही साहब के बंगले पर कपड़ा-बर्तन धोने से लेकर झाड़ू-पोंछा तक कर रहे हैं। ऐसे 4076 सिपाही हैं जिन्हें बंगला ड्यूटी पर लगा रखा है। इन्हें पीएचक्यू में मर्ज किया जाना है। लेकिन फाइल 2 महीने से अटकी पड़ी है। आईपीएस लॉबी ऐसा होने ही नहीं दे रही क्योंकि फिर आरक्षक उनके हाथ से निकल जाएंगे। उन्हें बंगला ड्यूटी से हटाकर पीएचक्यू भेजना पड़ेगा।

मप्र के ये चार हजार से ज्यादा ट्रेड आरक्षक प्रदेश के गृहमंत्री, डीजीपी, एडीजी, आईजी, डीआईजी, एसपी, एएसपी, सीएसपी से लेकर आरआई तक के बंगले पर झाड़ू-पोंछा, बर्तन, कपड़े, माली, गाय सेवक, गेट कर्मी, कुक, स्वीपर, ड्राइवर, साफ-सफाई करने समेत दूसरे दीगर काम कर रहे हैं। इन आरक्षकों को 5 साल की सेवा के बाद आरक्षक जीडी के पद पर संविलियन से किया जाना था। संबंधित प्रक्रिया जीओपी 57/53 को साल 2013 में तत्काल डीजीपी नंदन दुबे ने बंद कर दिया था, जबकि ट्रेड आरक्षक प्रमोशन पाकर असिस्टेंट सब इंस्पेकर बन गए हैं। लेकिन संविलियन नहीं होने के कारण आज भी वे झाड़ू-पोछे का काम आईपीएस अफसरों के बंगले पर कर रहे हैं। तत्कालीन डीजीपी विवेक जौहरी ने ट्रेड आरक्षक के संविलियन के संबंध में एक कमेटी का गठन किया था, लेकिन यह सब खानापूर्ति ही साबित हुआ।

मप्र में ट्रेड आरक्षकों की संख्या 4076 है। इनमें 150 एएसआई, 300 हेड कांस्टेबल और 3350 कांस्टेबल हैं। एडीजी, आईजी, डीआईजी को 8 ट्रेंड आरक्षक रखने की पात्रता है। एसपी 4 ट्रेंड आरक्षक रख सकता है। एएसपी को 1 ट्रेंड आरक्षक रखने की पात्रता है। वर्तमान में एक आईपीएस अफसर के बंगले पर 25 से 35 तक ट्रेंड आरक्षक चाकरी कर रहे हैं। आरआई को पात्रता नहीं, फिर भी ट्रेड आरक्षक को सरकारी घर पर तैनात किया गया है।

ट्रेंड आरक्षकों की मांग पर 24 मार्च को गृहमंत्री के कार्यालय से एक पत्र जारी कर राजेश राजौरा एसीएस गृह विभाग को भेजा गया है। गृह विभाग ने 28 मार्च को एक पत्र संविलियन के संबंध में पुलिस मुख्यालय को भेजा। इस पत्र का 2 महीने के बाद भी मुख्यालय ने जवाब नहीं दिया। मुख्यालय में बैठे डीजीपी सुधीर सक्सेना ने पत्र को मंजूरी नहीं दी। यदि वो पत्र पास कर देते हैं तो संविलियन की प्रक्रिया आगे बढ़ जाएगी।

पुलिस मुख्यालय ने जीओपी क्रमांक 57/93  23 अक्टूबर 1993 जारी कर विभाग में तैनात आरक्षक ट्रेंडमैन श्रेणी दो में 5 साल की सर्विस करने के बाद आरक्षक का जीडी में मर्ज करने का प्रावधान था। इसे पुलिस मुख्यालय के आदेश पर साल 2013 में बंद कर दिया गया। विधानसभा में विधायक सत्यपाल सिकरवार के सवाल पर 2017 में तत्कालीन गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह ने जीओपी फिर से शुरू करने आश्वासन दिया था। इसके बावजूद आज तक कुछ नहीं हो पाया।

पुलिस फोर्स की कमी होगी दूर

इस संविलियन की प्रक्रिया से पुलिस विभाग को कोई नुकसान नहीं बल्कि एक बहुत बड़ा मैदानी स्तर में फायदा होगा। लेकिन आईपीएस लॉबी ऐसा नहीं चाहती है। ट्रेंड आरक्षकों का कहना है कि पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में ट्रेड आरक्षक संविलियन की प्रक्रिया चालू है। मप्र में 9 साल से ये प्रक्रिया बंद है। आरक्षक को जीडी आरक्षक के तहत ही वेतन मिलता है। इस संविलियन से शासन पर कोई अतिरिक्त वित्तीय भार भी नहीं आएगा। साथ ही  मैदानी पुलिस बल की कमी भी दूर होगी। नई भर्ती के तहत पुलिस आरक्षक 2 साल के बाद पुलिस विभाग को मिलते हैं लेकिन ट्रेड आरक्षक के संविलियन के तत्काल बाद पुलिस फोर्स में 4076 का इजाफा हो जाएगा। इसके अलावा प्रधान आरक्षक और एसआई स्तर के खाली पदों को भी भरा जा सकता है। दूसरी तरफ होमगार्ड कर्मचारियों को 3 साल के बाद 15 प्रतिशत के हिसाब से आरक्षक जीडी बनाया जाता है।

- राकेश ग्रोवर

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