मप्र को सुशासित राज्य बनाने के लिए शिवराज सिंह चौहान इस समय पूरी तरह एक्शन में हैं। मामा के एक्शन को देखकर अफसरान सकते में हैं। वजह यह है कि अफसरों की तनिक भी नाफरमानी बर्दाश्त नहीं की जा रही है। पहले छोटी-छोटी गलतियों को नजरअंदाज कर देने वाले मुख्यमंत्री अब किसी को बख्शने के मूड में नहीं हैं। अफसरों को गलती की सजा तत्काल मिल रही है। इसलिए मंत्रालय से लेकर मैदानी स्तर तक अफसर पूरी तरह सजग और सतर्क हैं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के शासन का मूलमंत्र है- जनता ही सर्वोपरि है। ऐसे में जब भी मुख्यमंत्री के सामने जनता की उपेक्षा, योजनाओं के क्रियान्वयन में लापरवाही-भ्रष्टाचार के मामले आते हैं, वे आगबबूला हो जाते हैं। उसके बाद भी भर्राशाही और लापरवाही के मामले सामने आते रहे हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री ने अब रोजाना जिलों की समीक्षा शुरू कर दी है। वे रोजाना दो जिलों की समीक्षा कर रहे हैं और अफसरों को दिशा-निर्देश दे रहे हैं। यानी अब मुख्यमंत्री फुल फार्म में हैं। वे खुद कहते हैं- अब मामा एक्शन में है। इसके तेवर इन दिनों अलसुबह की सामूहिक वर्चुअल बैठकों से दिखने लगे हैं। सुबह 6:30 बजे होने वाली समीक्षा बैठक ने अफसरों की नींद उड़ा दी है। जिस तरह सवाल-जवाब हो रहे हैं, उससे दूसरे जिले भी सकते में आ गए हैं। साहब, कब-क्या पूछ लें... इसका अंदाजा लगाना भी बहुत ही मुश्किल। जानकार कह रहे हैं कि प्रशासन और पुलिस की सर्जरी से पहले ये कड़वी गोलियां और इंजेक्शन दिए जा रहे हैं। जिसने झेल लिया, वही लंबी रेस में दौड़ पाएगा। मुख्यमंत्री कह ही रहे हैं कि जिसमें दम हो, वही रहे फील्ड में। मुख्यमंत्री के इस बदले रूप ने जंग लगे अफसरों को भी फुर्तीला बना दिया है। अब अफसर रोजाना विभाग के कार्यों का हिसाब-किताब तैयार करके अपने साथ ले जाते हैं। कई अफसर तो होमवर्क भी करने लगे हैं।
चौथी पारी में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का रॉबिन हुड अंदाज लोगों को खूब भा रहा है। वहीं उनके इस अंदाज का ही परिणाम है कि माफिया, अपराधियों के खिलाफ लगातार कार्रवाई हो रही है। प्रदेश सरकार ने पिछले 15 महीने में लगभग 12 हजार करोड़ रुपए की जमीन भू-माफियाओं, गुंडों और आदतन अपराधियों से मुक्त कराई है। इसके तहत 15 हजार एकड़ से ज्यादा की जमीन अवैध कब्जे से छुड़ाई गई है। छुड़ाई गई जमीनें राजस्व, नगरीय निकाय और वन विभाग की हैं। बीते मार्च में माफिया को चेतावनी देते हुए कहा था कि मप्र में मामा (शिवराज सिंह चौहान) का राज है। गुंडे और बदमाश यह न समझ लें कि कांग्रेस और कमलनाथ की सरकार है। मामा का बुलडोजर चला है। उन्होंने यह भी कहा कि मप्र में जितने भी गुंडे और अपराधी हैं, वे सुन ले कि अगर किसी गरीब और कमजोर की तरफ हाथ उठाया तो मैं मकान खोदकर मैदान बना दूंगा। उसके बाद से लगातार माफिया के खिलाफ कार्रवाई हो रही है। वहीं अब मुख्यमंत्री ने अफसरों पर भी नकेल कसनी शुरू कर दी है।
प्रदेश में कानून व्यवस्था को लेकर मुख्यमंत्री किस कदर संवेदनशील हैं, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्होंने अफसरों से साफ-साफ शब्दों में कह दिया है कि जिसमें दम हो वही फील्ड में रहे। दरअसल, गुना में पुलिसकर्मियों के बलिदान की घटना के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एक्शन मोड में हैं। उन्होंने कलेक्टर-आयुक्त, पुलिस अधीक्षक-पुलिस महानिरीक्षक आदि से साफ कहा है कि अपराधियों को नहीं छोड़ने का संकल्प है मेरा। कलेक्टर और आयुक्त को इसमें पुलिस का साथ देना है। शिकार कोई एक दिन नहीं होता, शिकारी-गोकशी करने वालों, जुआ-सट्टा चलाने वालों, ड्रग्स का धंधा करने वालों और अवैध शराब बेचने वालों को बर्बाद कर दें। सीईओ जिला पंचायत विशेष रूप से ये ध्यान रखें कि जनकल्याण के कार्यों और योजनाओं में किसी तरह की गड़बड़ी नहीं होनी चाहिए। ये उनकी ड्यूटी है। लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मुख्यमंत्री ने डीजीपी से कहा एक बार फील्ड के अधिकारियों से बात कर लें, जो फील्ड में कुछ करके दिखा सके, वही रहेगा। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टालरेंस चाहिए। एक्शन में देर नहीं होनी चाहिए। ऐसी परिस्थिति पैदा करें कि अपराध हो ही नहीं। मुख्यमंत्री का कहना है कि कानून व्यवस्था मेरी सर्वोच्च प्राथमिकता है। पुलिस का काम जनता के लिए शांति स्थापित करना है। वहीं मुख्यमंत्री का एक्शन कई अफसरों पर भारी पड़ने लगा है। इसकी वजह यह है कि शिवराज योजनाओं में गड़बड़ी करने वाले अफसरों पर पैनी नजर रखने के साथ उन पर कार्रवाई करने से भी नहीं चूक रहे हैं। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ने पिछले कुछ दिनों से सुबह 6:30 बजे ही बजे अफसरों की क्लास लेना शुरू कर दिया है। वे हर रोज दो जिलों के सरकारी अफसरों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संवाद करते हैं और उन्हें सख्त हिदायत तो देते ही हैं। साथ में गड़बड़ी करने वालों पर कार्रवाई भी करते नजर आ रहे हैं। मुख्यमंत्री से जुड़े लोगों का कहना है कि मुख्यमंत्री ने अपने स्तर पर जमीनी स्तर पर योजनाओं की जानकारियां जुटाना शुरू कर दिया है, इतना ही नहीं मुख्यमंत्री आवास से हर जिले में योजनाओं के लाभार्थियों से सीधे संवाद किया जा रहा है और इस दौरान कई ऐसी जानकारियां उनके पास आ रही हैं जो आसानी से सुलभ नहीं होती, क्योंकि अधिकारी गड़बड़ियों पर पर्दा डालने की कोशिश करते हैं। कुल मिलाकर मुख्यमंत्री ने अपना एक अलग से खुफिया तंत्र विकसित कर लिया है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि एक जिले के कलेक्टर से संवाद करते हुए मुख्यमंत्री ने उस इलाके के भ्रष्ट अफसरों की सूची तक उन तक पहुंचा दी और कार्रवाई के निर्देश भी दिए। ज्यादातर शिकायतें आवास निर्माण से लेकर राशन वितरण और पानी व बिजली से जुड़ी आ रही हैं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कलेक्टरों को भी निर्देश दिए हैं कि वे अपना इंटेलिजेंस नेटवर्क विकसित करें और भ्रष्ट अधिकारियों पर तत्काल कार्रवाई भी करें। उन्होंने समीक्षा के दौरान राजगढ़ जिले में राशन वितरण में गड़बड़ी पाए जाने पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए। बैठक में बताया गया कि 12 लोगों पर एफआईआर दर्ज की जा चुकी है। इसके साथ ही आवास योजना में गड़बड़ी होने पर सात कर्मचारियों की सेवाएं भी समाप्त की गई हैं। मुख्यमंत्री हर बैठक में साफ कह रहे हैं कि वे भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टॉलरेंस की नीति पर अमल चाहते हैं। मुख्यमंत्री द्वारा एक कलेक्टर को भ्रष्ट अधिकारियों की सूची सौंपे जाने के मामले पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने तंज कसा है और सवाल किया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खंडवा के भ्रष्ट अधिकारी की सूची कार्रवाई के लिए कलेक्टर को सौंपी, क्या मुख्यमंत्री उन पर कार्रवाई के लिए अक्षम है, जिस कलेक्टर के मातहत इतने भ्रष्ट अधिकारी भ्रष्टाचार कर रहे हैं, उन्हें पद पर रहने का क्या अधिकार है, क्या वह डीएम इन की निष्पक्ष जांच कर पाएंगे और जब मुख्यमंत्री को इनके भ्रष्टाचार की जानकारी है तो यह अधिकारी अभी तक बचे कैसे हैं। यह कैसी जीरो टॉलरेंस नीति है।
मुख्यमंत्री जहां शासन की योजनाओं की प्रगति के बारे में फीडबैक ले रहे हैं, वहीं माफिया और दबंगों पर नकेल कसने के लिए अफसरों को फ्री हैंड भी दे रहे हैं। डिंडोरी और खंडवा के कलेक्टर व अन्य प्रशासनिक अधिकारियों से वीसी के माध्यम से संवाद के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान रॉबिन हुड अंदाज में दिखे और अफसरों से कहा-करप्शन के मामले में जीरो टॉलरेंस रखें। मेरी तरफ से फ्री हैंड है, अपराधियों को न छोड़ें। मुख्यमंत्री ने दोनों जिलों के प्रभारी मंत्री और अधिकारियों के साथ बैठक में केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं की जानकारी ली और कई निर्देश भी दिए। मुख्यमंत्री ने खंडवा प्रशासन से नवाचार, कुपोषण से मुक्ति के प्रयासों, एडॉप्ट एन आंगनवाड़ी, पेयजल, प्रधानमंत्री आवास, खंडवा शहर में पेयजल स्थिति, राशन वितरण, बिजली बिल माफी शिविर, सीएम हेल्पलाइन की शिकायतों, रोजगार मेला, अमृत सरोवर, मनरेगा के काम, अपराध नियंत्रण, अवैध उत्खनन, माफियाओं के खिलाफ अभियान, अतिक्रमण से मुक्ति अभियान, लाड़ली लक्ष्मी योजना, कैरियर काउंसलिंग, छात्रवृत्ति की स्थिति, केंद्र और राज्य की फ्लैगशिप स्कीम सहित विभिन्न विषयों पर चर्चा की।
मप्र में मंडरा रहा है बड़ा खतरा
मप्र में बड़ा आतंकी खतरा मंडरा रहा है। खुफिया खबर है कि आतंकी संगठन आपस में मिल गए हैं। सिमी, जेएमबी, सूफा समेत कई आतंकी संगठनों ने अपना महागठबंधन बना लिया है और इनकी नजर मप्र पर है। इनके साथ मप्र में सक्रिय पाकिस्तानी आंतकी संगठनों से प्रभावित कई दूसरे आतंकी संगठन भी आ गए हैं। नक्सलियों के बाद अब इन आतंकियों ने मप्र को अपना सुरक्षित ठिकाना बना लिया है। इनकी मप्र के साथ दूसरे राज्यों को दहलाने की साजिश है। ये इनपुट मिलते ही मप्र के साथ केंद्र की खुफिया एजेंसियां अलर्ट पर आ गई हैं। भोपाल में अब थाने के बीट स्तर इंटेलिजेंस इनपुट जुटाया जा रहा है। मप्र में एक बार फिर आतंकी खतरा मंडराने लगा है। सूत्रों के अनुसार मप्र में सक्रिय आतंकी संगठनों ने अपना महागठबंधन बना लिया है। यह संगठन अब आतंकी मूवमेंट और उसके नेटवर्क को पहले से ज्यादा मजबूत कर रहा है। नक्सलियों के बाद आतंकियों ने मप्र को सबसे सुरक्षित ठिकाना माना है।
खाई को पाटने की कोशिश
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान वाकई जादुई व्यक्तित्व के धनी व्यक्ति हैं। वे एक ऐसे राजनेता हैं जो पत्थर को छूकर पारस बना देते हैं। अपने इसी हुनर के सहारे उन्होंने ग्वालियर में सामाजिक समरसता के नए युग का प्रारंभ किया। मुख्यमंत्री ने 2 अप्रैल 2018 को हुई हिंसा के मामले में अहम बैठकें ली। मुख्यमंत्री ने दो अलग-अलग स्थानों पर आयोजित बैठकों में अनुसूचित जाति और सामान्य वर्ग के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा की। मुख्यमंत्री शिवराज ने कहा कि आज सामाजिक समरसता के नए युग का प्रारंभ हो रहा है। इसलिए मिशन-2023 से पहले बड़ा मास्टरस्ट्रोक खेला है। साल 2018 हिंसा की वजह से भाजपा सत्ता से बेदखल हुई थी। अब मुख्यमंत्री शिवराज ने उस खाई को खत्म करने की कोशिश की। 2 अप्रैल 2018 में हुए जातिगत उपद्रव के मुद्दे पर चर्चा की गई। एससी-एसटी वर्ग के लोगों से भाजपा की जो दूरियां बढ़ गई थी। उनको दूर किया गया। भाजपा में आने के बाद से सिंधिया इसे खत्म करने लग गए थे। इसलिए मौका देखते ही मुख्यमंत्री शिवराज और केंद्रीय मंत्री को बुलाकर दोनों समाज के बीच सुलह कराई गई। जिससे इनका वोट बैंक फिर से तैयार हो जाए। क्योंकि इसी चलते भाजपा सत्ता का सुख भोगने से वंचित रह गई थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज मेरे मन में एक संतोष है कि हमारा समाज टूटेगा नहीं, हम मिलकर साथ चलेंगे और इस दिशा में सरकार पूरी गंभीरता से कदम उठाएगी। 2 अप्रैल 2018 को एट्रोसिटी एक्ट में संशोधन के खिलाफ आंदोलन हुआ था।
- सुनील सिंह