प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी आयुष्मान भारत योजना में प्रदेश के निजी अस्पताल मरीजों की जेब पर डाका डाल रहे हैं। 2018 में शुरू हुई इस योजना में अब तक 67 अस्पतालों ने शासन से तय पैकेज के अलावा मरीजों से भी 50 लाख रुपए से ज्यादा वसूल लिए। कुछ अस्पतालों ने तो आईसीयू में भर्ती मरीजों से 3 लाख रुपए से भी ज्यादा ले लिया। मरीजों की शिकायत, फीडबैक से मिली जानकारी और ऑडिट के बाद इसका पर्दाफाश हुआ। इस पर आयुष्मान भारत मिशन मप्र ने इन अस्पतालों से दंड के साथ वसूली की। अस्पतालों ने मरीजों से जितनी राशि ली थी, दंड के साथ इससे तीन गुना ज्यादा राशि इन अस्पतालों से ली गई। बड़ी बात यह है कि इन 67 अस्पतालों में से 29 भोपाल के हैं। इंदौर के 4, ग्वालियर के 9 और जबलपुर के 10 अस्पताल शामिल हैं।
बता दें कि इस योजना में चिन्हित परिवार के लोगों का हर साल 5 लाख रुपए तक का इलाज निशुल्क किया जाता है। लेकिन अस्पताल ऐसे मरीजों को भर्ती करने के बाद तरह-तरह के बहाने करते हैं। मरीजों को कहते हैं कि उन्हें दूसरी बीमारियां भी हैं, जो योजना के पैकेज में शामिल नहीं है। कुछ अस्पताल कहते हैं कि शासन से पैसा देरी से आता है, इस कारण ज्यादा राशि देनी होगी। बता दें कि इस योजना में प्रदेश के करीब 1 करोड़ 40 लाख परिवार शामिल हैं। प्रदेश में जिन अस्पतालों ने आयुष्मान धारियों से पैसा वसूला हैं उनमें ग्वालियर के एसएसआईएमएस, कैलाश सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल, आरजेएन अपोलो स्पेट्रा हॉस्पिटल, बीआईएमआर हॉस्पिटल, नवजीवन हॉस्पिटल, माहेश्वरी नर्सिंग होम, कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट, शांता नर्सिंग होम, रीवा के सिंगरौली हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर सिंगरौली, वंदना हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर रीवा, एमपी बिरला हॉस्पिटल सतना, अमृता हॉस्पिटल, इंदौर के मेडिस्क्वॉर, ऑल इज वैल मल्टी स्पेशिलियटी हॉस्पिटल, ग्रेटर कैलाश हॉस्पिटल प्रालि, एसएनजी हॉस्पिटल, सागर के सागरश्री हॉस्पिटल एंड रिसर्च इस्टीट्यूट प्रालि, मिशन हॉस्पिटल दमोह, सिटी हॉस्पिटल दमोह, उज्जैन के प्राइम हॉस्पिटल देवास, अजय हॉस्पिटल, गुप्ता नर्सिंग होम, उज्जैन चैरिटेबल, अमलतास इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, पाटीदार सेंटर एंड मल्टीस्पेशिलियटी मंदसौर, गीता हॉस्पिटल, आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज एंड सीआर गार्डी हॉस्पिटल, जबलपुर के सिटी हॉस्पिटल, मेट्रो हॉस्पिटल एंड कैंसर रिसर्च सेंटर, सेठ मुन्नुलाल जगन्नाथ दास ट्रस्ट हॉस्पिटल, जबलपुर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, धर्मलोक हॉस्पिटल प्रालि, शैल्बी हॉस्पिटल, एमजीएम हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर कटनी, गैलेक्सी सुपर स्पेशिलियटी हॉस्पिटल, लाइफ मेडिसिटी हॉस्पिटल, मोहनलाल हरगोविंद पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट हॉस्पिटल आदि शामिल हैं।
वहीं राजधानी भोपाल के अस्पताल भी इस मामले में किसी से पीछे नहीं हैं। प्रदेश में सबसे अधिक भोपाल के अस्पताल हैं, जिन्होंने महत्वाकांक्षी आयुष्मान भारत योजना में मरीजों से वसूली की है। इनमें जेके हॉस्पिटल एंड एलएन हॉस्पिटल, एबीएम हॉस्पिटल, तृप्ति मल्टी स्पेशिलियटी एंड ट्रॉमा सेंटर, श्री सांई हॉस्पिटल, बंसल हॉस्पिटल, एके हॉस्पिटल, उवंतू हॉस्पिटल, सेंट्रल हॉस्पिटल, गुरु आशीष हॉस्पिटल, नर्मदा ट्रॉमा सेंटर, नागपुर हॉस्पिटल, आरकेडीएफ मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, पीपुल्स जनरल हॉस्पिटल प्रालि, मिराकल्स हॉस्पिटल, अपेक्स हॉस्पिटल, मल्टी केयर हॉस्पिटल, निरायम हॉस्पिटल, पालीवार हॉस्पिटल, आराधना मेटरनिटी एंड किडनी हॉस्पिटल, रोशन हॉस्पिटल, एलबीएस हॉस्पिटल, अरेरा ट्रॉमा एंड क्रिटिकल केयर, बालाजी चिल्ड्रन हॉस्पिटल, चिरायु हॉस्पिटल, महावीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेंस, जवाहरलाल नेहरू कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, आयुष्मान हॉस्पिटल, मोना हॉस्पिटल, अक्षय हॉस्पिटल आदि शामिल हैं।
मरीजों की शिकायत पर आयुष्मान भारत ने प्रदेश के नामी अस्पतालों से इलाज के नाम पर ली गई राशि को वापस कराया। साथ ही जुर्माना भी ठोका। भोपाल के चिरायु अस्पताल से चार मरीजों को 8 लाख 79 हजार वापस कराए। अपेक्स अस्पताल भोपाल से 3.68 लाख, आरजेएन अपोलो हॉस्पिटल ग्वालियर से 2.33 लाख, ग्वालियर के ही एसएसआईएमएस से 2.80 लाख, सागर के सागरश्री अस्पताल से 4 मरीजों के 6 लाख, उज्जैन के अमलताल हॉस्पिटल से 1.32 लाख, भोपाल के पीपुल्स हॉस्पिटल से 2.10 लाख, एबीएम हॉस्पिटल से 3.52 लाख, मिराकल हॉस्पिटल से 2.31 लाख, निरायम हॉस्पिटल से 1.99 लाख, एबीएस हॉस्पिटल से 2.73 लाख, अपेक्स हॉस्पिटल 3.68 लाख, महावीर मेडिकल कॉलेज से 2 लाख, बंसल हॉस्पिटल से मरीज मुनीष रघुवंशी को 24,473 रुपए वापस कराए जा चुके हैं।
अस्पतालों से खत्म क्यों नहीं किया जा रहा अनुबंध?
इन अस्पतालों पर अर्थंदंड तो लगा दिया गया है, लेकिन इस तरह से अवैध वसूली के बाद भी इनका अनुबंध समाप्त नहीं किया जा रहा है। इस कारण अस्पताल संचालकों को डर नहीं है। इस संबंध में आयुष्मान भारत योजना के अधिकारियों का तर्क है कि अस्पतालों से अनुबंध खत्म करने से मरीजों को नुकसान होगा। इलाज के लिए अस्पताल कम पड़ जाएंगे। हां, इलाज में गड़बड़ी करने पर जरूर कुछ अस्पतालों का अनुबंध खत्म किया गया है। मुख्य कार्यपालन अधिकारी आयुष्मान भारत मप्र अनुराग चौधरी का कहना है कि 67 अस्पतालों ने मरीजों से ज्यादा राशि ली थी। इन पर तीन गुना जुर्माना लगाकर 1 करोड़ 57 लाख रुपए वसूले गए हैं। मरीज से जितनी अतिरिक्त राशि की वसूली की गई थी, वह उनके खाते में ट्रांसफर कर दी गई है। शिकायतों के निराकरण में मप्र देश में पहले नंबर पर है।
- विकास दुबे