मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश में सुशासन स्थापित करने के लिए रात-दिन एक किए हुए हैं, लेकिन अफसर मुख्यमंत्री के दिशा-निर्देशों का सही से क्रियान्वयन नहीं करा पा रहे हैं। दरअसल, प्रदेश में अफसरशाही की कार्यप्रणाली की मॉनीटरिंग का कोई फुलप्रूफ सिस्टम नहीं है। इस कारण अफसरों की मनमानी से शिवराज के सुशासन का सपना चकनाचूर हो रहा है। इससे मुख्यमंत्री चिंतित हैं और उनकी चिंता गत दिनों प्रदेश की कानून व्यवस्था की समीक्षा के दौरान सामने भी आई। इस दौरान मुख्यमंत्री के तेवर काफी तीखे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि एक ही स्थान पर पुलिस कर्मियों को ज्यादा समय तक नहीं रखा जाए। देखना है कि मुख्यमंत्री के यह निर्देश इच्छाधारी पुलिसकर्मियों पर लागू होते हैं या नहीं।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कानून-व्यवस्था को लेकर अफसरों की बड़ी बैठक ली। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कड़े शब्दों में कह दिया कि अफसरों के यहां जो पुलिसकर्मी, सरकारी कर्मचारी लगे हैं, उन्हें कम करें। उनका जनहित में उपयोग किया जाए, जो नियमानुसार पात्रता है बस उतने ही कर्मचारी अफसरों के यहां काम करें। मैंने मंत्रियों की सलामी बंद कराई है, तो अफसरों के घरों में गुलामी भी नहीं चलेगी। यही नहीं पुलिस विभाग में एक नई प्रथा बन गई है कि अधिकारी जब किसी दूसरे जिले जाता है तो कुछ पुलिस कर्मियों को अपने साथ लेकर जाता है। यही पुलिस कर्मी साहेब की आड़ में जिलों में मनमानी करते हैं। इसकी भी जांच होना चाहिए कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में किसी भी कीमत पर शांति भंग नहीं होनी चाहिए। मप्र में दंगा बर्दाश्त नहीं करूंगा। अब मप्र में मुझे किसी कीमत पर दंगा नहीं चाहिए- नॉट एट ऑल। शरारती तत्वों की जो लोग मदद करते हैं उन पर भी कार्रवाई करें। बीट सिस्टम को मजबूत करें। साधन-संसाधन, योग्य व्यक्ति, जो भी लगाने हो लगाएं, लेकिन इंटेलिजेंस सिस्टम को मजबूत करें। मुख्यमंत्री ने एडीजी इंटेलीजेंस से यह भी पूछा कि आप इंटेलिजेंस को मजबूत करने का प्लान मुझे कब तक दे देंगे? आपकी ड्यूटी है, प्रदेश में शांति बनी रहे। दंगाइयों पर कार्रवाई जारी रखें।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को पूरे प्रदेश में चाक-चौबंद व्यवस्था रखने के निर्देश दिए। पुलिसकर्मियों को दंगा रोकने की ट्रेनिंग दें। भारत सरकार या अन्य राज्यों के ऐसे कोई मॉडल है तो उनका अध्ययन करें, नई तकनीकी का प्रयोग करें। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि आप लोग भी सीसीटीवी सिस्टम को और मजबूत करें। लगातार सीसीटीवी के माध्यमों से भी असामाजिक तत्वों एवं अन्य गतिविधियों पर नजर बनाए रखें। धार्मिक स्थलों पर सीसीटीवी लगाने की जो बात आई है हमें उसका स्वागत करना चाहिए। सीसीटीवी लग जाने से हम अपराध पर नियंत्रण कर सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि आप लोगों ने हनुमान जयंती के कार्यक्रमों, जुलूस को अच्छे तरीके से हैंडल किया है, ये प्रशंसनीय है। आगे भी आने वाले त्यौहार, परशुराम जयंती और ईद निर्विघ्न संपन्न हो, इसके लिए मैदान में डटे रहें। पब्लिक कनेक्ट बनाकर रखें। जिलों में दौरे जरूर करें। वहीं मुख्यमंत्री ने कहा कि जो अधिकारी फील्ड पर नहीं जा रहे हैं, उनकी सूची बनाकर मुझे दें। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस दंगाई या माफिया ने शासन की जमीन पर कब्जा करके रखा है उसे मुक्त कराएं। जिला प्रशासन के साथ मिलकर काम करें। दबंगों से ली गई जमीन, गरीबों को दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने भोपाल में अवैध कब्जा हटाने को लेकर प्रशासनिक कार्रवाई की तारीफ भी की।
'कमीशनखोरी के नेटवर्क को ध्वस्त करें’
मुख्यमंत्री ने कहा कि कमीशन के नेटवर्क को ध्वस्त करें। जो चल रहा है चलने दो, अगर ये सोचकर आप बैठे हैं तो आप अपने धर्म का पालन नहीं कर रहे हैं। आप पवित्र संकल्प लेकर मैदान में काम करें। बता दें कि बैठक में मुख्य सचिव, डीजीपी, एडीजी इंटेलिजेंस, ओएसडी योगेश चौधरी समेत पुलिस और गृह विभाग के अधिकारी मौजूद थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में किसी भी कीमत पर शांति भंग नहीं होनी चाहिए। मप्र में दंगा बर्दाश्त नहीं करूंगा। अब मप्र में मुझे किसी कीमत पर दंगा नहीं चाहिए-नॉट एट ऑल। वास्तव में यदि कानून-व्यवस्था की स्थिति चुस्त-दुरूस्त करना है तो नेता, पुलिस माफिया का गठबंधन तोड़ना होगा। इसके साथ ही पुलिस कर्मियों के मन में फैली इस धारण को भी खत्म करना होगा कि हम जहां व जैसा चाहेंगे वैसी ही नौकरी करेंगे। लंबे समय तक एक स्थान में पदस्थ पुलिसकर्मी नौकरी नहीं हर गोरखधंधे में पार्टनर हो जाते हैं। अवैध रेत उत्खनन, अवैध शराब व ड्रग माफियाओं से पुलिस के इतने गहरे संबंध हो जाते हैं कि कोई कार्रवाई ही नहीं होती। हां यदि पुलिस अफसरों को मनमाफिक सुविधाएं नहीं मिलती तो कार्रवाई जरूर शुरू हो जाती है। जानकारी के अनुसार कानून व्यवस्था की समीक्षा में मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को आईना दिखाया। साथ ही यह भी कहा कि अफसरों को फील्ड में जाना होगा और एक स्थान पर लंबे समय तक किसी को पदस्थ नहीं किया जाए। मुख्यमंत्री के निर्देश का पालन तभी होगा, जब डीजीपी को पदस्थापना और कार्रवाई में फ्री हैंड दिया जाए। कहा जरूर जाता है कि अधिकारियों को फ्री हैंड है, लेकिन क्या वास्तव में कोई एसपी क्षेत्रीय विधायक या सत्ताधारी नेता की अनुमति के बिना किसी टीआई या अन्य पुलिसकर्मी की पदस्थापना कर सकता है। कई ऐसे टीआई व डीएसपी हैं जो क्षेत्रीय विधायकों व नेताओं के इतने करीब हो जाते हैं कि एसपी की पदस्थापना कराने व हटवाने की बातें खुलेआम करते हैं। इसलिए सरकार को पुलिस प्रशासन को राजनीति से मुक्त रखना होगा।
- राकेश ग्रोवर