सीमा पर चीन की कायराना हरकत से पूरे देश में रोष है। इस रोष में वे व्यवसायी भी शामिल हैं जिनका धंधा पानी चीन के माल पर चलता है। ऐसे ही व्यवसायियों में मप्र के बुरहानपुर के बुनकर और व्यापारी शामिल हैं। कोरोना महामारी, ढाई माह के लॉकडाउन और पड़ोसी चीन की सीमा पर हरकतों से नाराज बुरहानपुर के बुनकरों और व्यापारियों ने चीनी माल से तौबा करने का मन बना लिया है। उद्योगपति और बुनकरों ने सूत खरीदना तो पहले ही बंद कर दिया है, अब चीनी पावरलूम और मशीनरी भी नहीं खरीदेंगे, भारत में निर्मित पावरलूम पर ही कपड़ा तैयार करेंगे। आत्मनिर्भर भारत अभियान का हिस्सा बन भारत में बने देसी पावरलूम पर कपड़ा बनाकर बेचेंगे। चीनी पावरलूम की खरीदी का नया ऑर्डर भविष्य में नहीं दिया जाएगा।
बुरहानपुर में वर्षों पुराने पावरलूम संचालित हो रहे हैं। इनमें हाथों से संचालित देसी पावरलूम और बिजली से चलने वाले आधुनिक पावरलूम भी शामिल हैं। करीब 70 हजार बुनकर और मजदूर पावरलूम पर काम करते हैं। करीब दो लाख से अधिक लोग प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से इस काम से जुड़े हैं। ऐतिहासिक शहर की अर्थव्यवस्था की रीढ़ ही पावरलूम व्यवसाय है। लॉकडाउन के कारण ठप रहे इस व्यवसाय ने हाल ही में धीमी रफ्तार से फिर चलना शुरू किया है। लेकिन यहां के लोगों ने संकल्प लिया है कि चीनी पावरलूम पर कपड़ा नहीं बनाने के साथ वहां के किसी कलपुर्जे का भी उपयोग उद्योग में नहीं किया जाएगा। चीन से कच्चा माल (कई तरह का सूत) मंगाना तो करीब एक महीने पहले ही बंद कर दिया गया था। अब सूरत, दिल्ली, कोलकाता और मुंबई से सूत और मशीनरी मंगवाई जाएंगी।
देश का पैसा देश में रहने के उद्देश्य से यह निर्णय लिया गया है। बुरहानपुर टेक्सटाइल्स ट्रेडर्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष कृष्ण कन्हैया मित्तल और सचिव गोपाल दरगड़ ने बताया कि चीन की वजह से फैली महामारी, लॉकडाउन और हाल ही में भारतीय सैनिकों पर हमले से उद्योग से जुड़े सभी लोग नाराज हैं। सभी ने निर्णय लिया है कि भविष्य में चीनी मशीनरी का नया ऑर्डर नहीं देंगे। पैंडिंग ऑर्डर भी निरस्त कर दिए जाएंगे। आत्मनिर्भर भारत अभियान से जुड़कर देसी पावरलूम पर ही काम करेंगे। मेड इन इंडिया कपड़ा भारतीय इंडियन पावरलूम पर ही बनाएंगे। यहां के व्यवसायियों का कहना है कि अब स्वदेशी पावरलूम और मशीनरी खरीदेंगे। वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान या लोकल को वोकल बनाने के मिशन में भागीदार बनेंगे।
गौरतलब है कि बुरहानपुर मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा पावरलूम सेंटर है। यहां का सूती कपड़ा उद्योग प्रसिद्ध है। यहां 50 हजार पावरलूम हैं जिस पर बुनकर रोजाना 40 लाख मीटर कपड़ा तैयार किया जाता है। यह कपड़ा पूरे देश के कोने-कोने के साथ-साथ विदेशों में भी निर्यात होता है। इन पावरलूम पर करीब 70 हजार बुनकर और मजदूर अपना रोजगार हासिल करते हैं। वहीं करीब 2 लाख की आबादी प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से इसी पावरलूम उद्योग से जुड़ी है। यानी यह कह सकते हैं कि पावरलूम उद्योग बुरहानपुर की रीढ़ की हड्डी है। कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण इस उद्योग की कमर ही टूट गई। कोरोना लॉकडाउन के बाद अनलॉक 1.0 में धीमी गति से ही सही लेकिन पावरलूम उद्योग रफ्तार पकड़ रहा है। इस बीच पड़ोसी देश चीन की सीमा पर की गई हरकत से बुरहानपुर के टैक्सटाइल व्यवसायी और बुनकर खासे नाराज हैं। वैसे तो यहां बड़ी संख्या में पारंपरिक पावरलूम हैं लेकिन बदलते वक्त के साथ अब धीरे-धीरे आधुनिक पावरलूम भी आ गए हैं।
ये चीन से आयात होते हैं। काम आसान होने के कारण इनकी डिमांड भी तेजी से बढ़ी। लेकिन अब पहले कोरोना और फिर सरहद पर चीन की हरकतों से नाराज टेक्सटाइल कारोबारियों और बुनकरों ने चीन के बहिष्कार का फैसला कर लिया है। इन लोगों ने चीनी पावरलूम और मशीनरी को ना कहने का फैसला किया है। इसके स्थान पर ये देश में ही बने आधुनिक पावरलूम लगाएंगे। स्व. राजीव दीक्षित के स्वदेशी आंदोलन से जुड़े राजेश बजाज ने भी इस फैसले का समर्थन किया है। उन्होंने कहा- राजीव दीक्षित ने छोटे से उत्पाद से लेकर बड़े उत्पादों के लिए यह अभियान चलाया था जो आज सार्थक हो रहा है। उन्होंने कहा देश में बनने वाले पावरलूम और कपड़े काफी महंगे होते थे इसलिए टेक्सटाइल उद्योगपति चीन से पावरलूम और कपड़ा आयात करते हैं। लेकिन अब आयात बंद होगा तो देश में आधुनिक पावरलूम और कपड़े की मांग बढ़ेगी और जब मांग बढ़ेगी तो स्वाभाविक है लागत भी घटेगी और उनका दाम भी कम होगा। इससे देश के लोगों को रोजगार मिलेगा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान को भी सफलता मिलेगी।
देसी पावरलूम पर ही काम करेंगे
आत्मनिर्भर भारत अभियान से जुड़कर देसी पावरलूम पर ही काम करेंगे। मेड इन इंडिया कपड़ा भारतीय इंडियन पावरलूम पर ही बनाएंगे। देसी उत्पाद को बढ़ावा बुरहानपुर टेक्सटाइल्स व प्रोसेस एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश बजाज का कहना है कि देशहित में देश में बनने वाली मशीनरी और सामग्री का इस्तेमाल करेंगे। कपड़ा तैयार कर इसकी ब्रांडिंग के साथ व्यापार करेंगे और देसी उत्पाद को बढ़ावा देंगे। बुरहानपुर पावरलूम बुनकर संघ के अध्यक्ष रियाज अहमद अंसारी के अनुसार शहर के बुनकर अब भारत में बने पावरलूम पर ही कपड़ा तैयार करेंगे। देशी मशीनरी और सामान को बढ़ावा देंगे। बुरहानपुर शहर में वर्षों पुराने देसी पावरलूम पर भी हाथ से कपड़ा आज भी बनाया जाता है। शहर में कई घरों में भी छोटे पावरलूम कारखाने संचालित हैं, जिनमें भारतीय पावरलूम पर कपड़ा बनता है।
- प्रवीण कुमार