मप्र सरकार ने अपनी रणनीतिक जमावट और सक्रियता के कारण कोरोनावायरस को नियंत्रित कर रखा है। इसी कड़ी में सरकार प्रदेशभर में किल कोरोना अभियान शुरू करने जा रही है। राजधानी भोपाल में 27 और 28 जून को अभियान के तहत 5 लाख से अधिक लोगों की स्कैनिंग हुई है।
म ध्य प्रदेश में कोरोनावायरस को खत्म करने के लिए सरकार ने एक नया अभियान शुरू किया है। इसे किल कोरोना अभियान नाम दिया गया है। प्रदेश के सभी जिलों के प्रशासनिक अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किल कोरोना अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं। यह अभियान पूरे प्रदेश में 1 जुलाई से 15 जुलाई के बीच चलाया जाएगा। इस दौरान सरकार की कोशिश प्रदेश के 10 लाख घरों तक पहुंचने की होगी। 10 लाख घरों में सर्वे के लिए 10 हजार टीमें बनाई जाएंगी। हर टीम कम से कम 100 घरों का सर्वे करेगी। राजधानी में इस अभियान के तहत 27 और 28 जून को सर्वे किया गया।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश के मुताबिक इस अभियान में प्रशासनिक अधिकारियों के साथ-साथ जनप्रतिनिधियों, सामाजिक संगठन और स्वेच्छा के तौर पर काम करने वाले लोगों की मदद ली जाएगी। अभियान के तहत पूरे राज्य में सर्वे होगा। घर-घर जाकर सार्थक ऐप पर जानकारी अपलोड की जाएगी। लक्षण के आधार पर संदिग्ध रोगी देखे जाएंगे। साथ ही सर्दी-खांसी, जुकाम के अलावा डेंगू, मलेरिया और डायरिया की भी जानकारी इकट्ठा की जाएगी। इस अभियान को पूरा करने के लिए सरकार की ओर से स्थानीय स्तर पर कोविड मित्रों की नियुक्ति की जाएगी। ये कोविड मित्र स्वतंत्र रूप से सर्वे का काम करेंगे। इनसे 6 महीने तक काम लिया जाएगा, बदले में इन्हें हर महीने 1500 रुपए मेहनताना मिलेगा। इसके साथ ही सरकार इस अभियान को पूरा करने के लिए वालंटियर्स की भी मदद लेगी, जो सर्वे का काम करेंगे और सार्थक ऐप में जानकारी अपलोड करेंगे।
कॉन्फ्रेंस में जानकारी दी गई कि प्रदेश में मुख्यमंत्री ने 23 मार्च, मुख्यमंत्री का पदभार ग्रहण से लेकर 22 जून तक कुल 210 घंटे बैठकों और वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से प्रदेश में कोरोना नियंत्रण की निरंतर समीक्षा की है। प्रदेश में करीब 3 लाख लोगों को कोविड-19 के दृष्टिगत जांच, उपचार, क्वारेंटाइन, सर्वेलांस, संक्रमित क्षेत्र के लिए आवश्यक सावधानियां बरतने, सोशल डिस्टेंसिंग आदि का प्रशिक्षण दिया गया है। प्रशिक्षित लोगों में चिकित्सक, नर्स, स्वास्थ्य कार्यकर्ता आदि शामिल हैं। कोविड से संबंधित कार्यों की इस ट्रेनिंग में आशा वर्कर्स और वालंटियर्स भी शामिल हैं। बैठक में बताया गया कि मध्यप्रदेश में देश के अन्य राज्यों की तुलना में बेहतर नियंत्रित किया गया है। इस समय 9 हजार की क्षमता हो गई है। प्रतिदिन बढ़ती जांच क्षमता के कारण पॉजीटिव रोगियों के सामने आने और उन्हें उपचार के बाद स्वस्थ करने के कार्य में आसानी हुई है। इसलिए मध्यप्रदेश रिकवरी रेट में काफी आगे है। प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा ने जानकारी दी कि प्रदेश में चिकित्सा महाविद्यालयों के नए उपकरणों के स्थापित होने से शीघ्र ही 16 हजार से अधिक टेस्टिंग की सुविधा विकसित हो जाएगी।
कॉन्फे्रंस में बताया गया कि प्रदेश की ग्रोथ रेट 1.43 है। यह सभी राज्यों से बेहतर है। वैसे तो प्रदेश में गत 5 सप्ताह से वायरस के नियंत्रण में तेजी आई है, लेकिन निरंतर प्रत्येक स्तर पर किए गए प्रयासों से प्रदेश की स्थिति बेहतर बन सकी है। देश की आबादी में कभी मध्यप्रदेश के 6 प्रतिशत रोगी होते थे जो आज मात्र 1.3 प्रतिशत ही हैं। इंदौर नगर से देश के कुल कोविड रोगियों में 6.3 प्रतिशत शामिल थे, जो अब मात्र 1 प्रतिशत हैं। भोपाल और उज्जैन नगरों में भी नियंत्रण के प्रयास काफी सफल हुए हैं। एक्टिव प्रकरणों में जहां भारत का प्रतिशत 40 है वहीं मध्यप्रदेश में सिर्फ 19 प्रतिशत एक्टिव प्रकरण ही शेष हैं। इसका अर्थ है वायरस की तीव्रता भी कम हो रही है और मध्यप्रदेश संक्रमण का प्रकोप रोकने में अधिक सफल है। प्रदेश के 33 जिलों में 10 से कम एक्टिव केस हैं। कॉन्फ्रेंस में स्वास्थ्य मिशन की प्रबंध संचालक छवि भारद्वाज ने प्रजेंटेंशन में बताया कि सार्थक ऐप की उपयोगिता बढ़ रही है। प्रदेश के लोगों के स्वास्थ्य सर्वे में यह ऐप महत्वपूर्ण सिद्ध होगा। कोविड मित्र की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। समुदाय आधारित प्रयासों से सर्विलेंस आसान होगा। जिला प्रशासन ऐसे स्वैच्छिक कार्यकर्ताओं को शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में कोविड मित्र का दायित्व दे सकता है, जो 45 वर्ष की आयु से कम हों। इस कार्य में स्वैच्छिक संगठन भी जुड़ेंगे।
प्रदेश में किए गए प्रबंध आवश्यकता से अधिक
कोरोना पॉजीटिव रोगियों को कोविड केयर सेंटर में दाखिल करने के लिए प्रदेश में जो उपलब्ध बिस्तर क्षमता है उसका 20 प्रतिशत ही उपयोग किया जा रहा है। कॉन्फ्रेंस में जानकारी देते हुए बताया गया कि प्रदेश में कुल 24 हजार 235 जनरल बेड, 8 हजार 924 ऑक्सीजन बेड और एक हजार 105 आईसीयू बेड उपलब्ध हैं। शासकीय और निजी अस्पतालों में प्रदेश में वायरस के प्रसार की आशंका के कारण यह क्षमता विकसित की गई। इसका एक चौथाई से कम ही उपयोग में आ रहा है। प्रदेश के जिला अस्पतालों में जुलाई माह के अंत तक कुल 956 आईसीयू बेड उपलब्ध रहेंगे। इसी तरह मेडिकल कॉलेज में इनकी संख्या 777 हो जाएगी। जिला और मेडिकल कॉलेज में मिलाकर अगले माह के अंत तक करीब 12 हजार ऑक्सीजन बेड उपलब्ध होंगे। प्रदेश में तीन माह में मिले करीब 12 हजार पॉजीटिव प्रकरणों में कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग का कार्य भी पूर्ण हो गया है। यह इंदौर और ग्वालियर में 99 और 98 प्रतिशत तथा भोपाल, उज्जैन और बुरहानपुर में 100 प्रतिशत है। प्रदेश में 22 जून की स्थिति में 912 फीवर क्लीनिक कार्य कर रही हैं। इन क्लीनिक्स में आए रोगियों में से 77 प्रतिशत रोगियों को घर में आइसोलेट रहने का परामर्श दिया गया। प्रदेश में औसतन प्रति क्लीनिक 3019 रोगी पहुंचे हैं। इनमें सर्वाधिक भोपाल के नागरिक जागरूक हैं, जो प्रति क्लीनिक औसतन 304 की संख्या में जाकर परामर्श प्राप्त कर चुके हैं।
- नवीन रघुवंशी