मप्र में नियमों को ताक पर रखकर शराब बनाने वाले समूह सोम डिस्टलरीज प्राइवेट लिमिटेड के द्वारा बिना अनुमति बनाए गए स्प्रिट टैंकों के मामले में अब लीपापोती की तैयारी हो रही है। एक तो सोम ने बिना अनुमति अपने परिसर में 19 स्प्रिट टैंक बनवा लिए और उनके निर्माण में नियमों को भी ताक पर रख दिया गया। हैरानी की बात तो यह है कि नियम विरूद्ध बने इन टैंकों की जांच विगत दिनों आबकारी विभाग की एक समिति से कराई गई। समिति ने अपनी जांच में बताया कि रिसीवर रूम के चारों ओर 30 फीट ऊंची दीवार बना दी गई है। स्थल निरीक्षण पर सबकुछ सही पाया गया है। सवाल उठता है कि जिन टैंकों का निर्माण बिना अनुमति के किया गया है, विभाग उनकी सुरक्षा की जांच क्यों करवा रहा है?
मामला सोम के उन 19 टैंकों से जुड़ा हुआ है, जो सेहतगंज में स्थित सोम डिस्टलरीज के कैंपस में असुरक्षित तरीके से संचालित किए जा रहे थे। ये टैंक नियमों की अवहेलना कर बनाए गए थे। जिनके आसपास सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं मिले। इसके चलते आबकारी विभाग ने इसी साल 22 जनवरी को ये सभी टैंक सील कर दिए थे। मामले को लेकर आबकारी विभाग के आयुक्त राजीव दुबे ने गत दिनों सोम के प्रबंधन का पक्ष सुना था। सोम का पक्ष सुनने के पहले ही विभाग के सामने यह स्पष्ट हो गया था कि सोम ने अपने नए प्लांट के लिए सरकार को अनुमति का कोई आवेदन ही नहीं दिया था। नए प्लांट को आबकारी विभाग ने ऐसी ही एक विभागीय समिति की रिपोर्ट पर एक लाख रुपए का जुर्माना कर अनुमति दे दी थी। बाद में इन विवादित टैंकों के मामले में भी यही किस्सा सामने आया कि नए प्लांट के नक्शे में इन टैंकों का कहीं जिक्र ही नहीं था।
अब जरा मामले से जुड़ा एक बहुत महत्वपूर्ण घटनाक्रम देखें। राज्य विधानसभा में इसी फरवरी में यह मामला उठा। सरकार ने रिकॉर्ड पर जानकारी दी कि सोम द्वारा सेहतगंज में खुले में स्थापित स्प्रिट रिसीवर टैंक और स्टोरेज टैंक के लिए आबकारी विभाग से कोई अनुमति नहीं ली गई है। सनसनीखेज बात यह भी कि विधानसभा में सरकार ने यह भी स्वीकारा कि उसे इस बात की भनक ही नहीं लगी कि ये रिसीवर टैंक और स्टोरेज टैंक कब बना लिए गए थे। जाहिर है कि विधानसभा में भी यह साफ हो गया था कि इन टैंकों के संबंध में सोम ने नियमों को ताक पर रखकर काम किया है। हालांकि इसके बावजूद सोम के खिलाफ कोई कार्रवाई होने की एक बार फिर कोई संभावना नहीं रह गई है। क्योंकि तमाम सचों के बावजूद सोम के मामले की जांच आबकारी विभाग की एक समिति बनाकर मामले को रफा-दफा करने का बंदोबस्त कर दिया गया है।
समिति जिन बिंदुओं पर जांच करेगी, उनमें से कुछ बेहद रोचक हैं। मसलन, इसे ये पता लगाने को कहा गया है कि जिन टैंकों पर विवाद है, उन्हें बनाने की प्लानिंग का क्या सोम ने सरकार से जिक्र किया था। और ये भी पता लगाने की बात समिति को सौंपी गई है कि क्या इन टैंकों के बनाने या उन्हें एडवांस रूप देने का काम इसके लिए सरकार द्वारा मंजूर किए गए नक्शे के मुताबिक हुआ है या नहीं। समिति को यह भी पता लगाना है कि इन टैंकों के लिए सरकार से आवश्यक अनुमतियां ली भी गई थीं या नहीं। यानी विधानसभा में जिन नियमों और औपचारिकताओं के सरासर उल्लंघन की बात स्वीकारी जा चुकी है, उन्हीं सारे बिंदुओं की जांच के लिए अब समिति बना दी गई है। समिति से कहा गया है कि वह 25 मार्च तक सरकार को रिपोर्ट सौंप दे।
जानकार सूत्र बताते हैं कि अब समिति बहुत से बहुत यह अनुशंसा करेगी कि प्लांट में टैंकों को लेकर हुई गड़बड़ी के लिए सोम पर जुर्माना लगाकर सभी टैंक नियमित कर दिए जाएं। इसके लिए टैंक निर्माण में हुए भारी-भरकम खर्च का हवाला दिया जा सकता है। बता दें कि प्लांट की अनुमति के मामले में सोम को इसी तरह पहले भी बचाया गया था। इन्हीं टैंकों की पूर्व में आबकारी आयुक्त स्तर पर जांच हुई थी। उसके बाद तत्कालीन आयुक्त ने सोम प्रबंधन पर केवल एक लाख रुपए का जुर्माना लगाकर प्लांट को नियमित करवा लिया था। अब एक बार फिर ऐसा ही करने की तैयारी कर ली गई है। इस मामले में राज्य सरकार की कार्यवाही को लेकर सवाल उठना बेमानी नहीं है। टैंक सील किए जाने के बावजूद सोम प्रबंधन ने बीच में जो काम किए, उनके लिए कोई भी कार्यवाही करने की सरकार हिम्मत ही नहीं जुटा पा रही है। जबकि मामला सरकारी अमले की जान-माल की सुरक्षा से सीधा जुड़ा हुआ है। यह घटना तब सामने आई, जब बीते दिनों रायसेन जिले के प्रभारी आबकारी अधिकारी पंकज तिवारी ने संभागीय उड़नदस्ता के उपयुक्त विनोद रघुवंशी को एक खत भेजा। इसमें साफ कहा गया कि विभाग ने जिन टैंकों को सील किया था, सोम के स्टाफ ने उन टैंकों में पाइप डालकर उनसे स्प्रिट निकालने और उसकी मदद से देशी शराब बनाने का काम शुरू कर दिया है। खत में कहा गया कि इस काम को रोकने पर सोम के स्टाफ ने आबकारी विभाग के अमले को डरा-धमकाकर उन्हें गंभीर अंजाम भुगतने की धमकी भी दी है।
बिना अनुमति बने हैं टैंक
सोम डिस्टलरीज ने अपने परिसर में जो 19 टैंक बनवाए हैं, वे नियमों के विरूद्ध है। आबकारी आयुक्त कार्यालय ने भी माना है कि इन टैंकों के निर्माण में कंपनी ने कोई अनुमति नहीं ली है। सहायक आबकारी आयुक्त जिला रायसेन से प्राप्त पत्र क्रमांक/आब/मु.लि./वि.स./2020-21/367 दिनांक 10.02.2021 द्वारा भी अवगत कराया गया है कि खुले में स्थापित स्प्रिट रिसीवर टैंक एवं स्टोरेज टैंक कब कितने टैंक बनाए हैं के संबंध में कोई अभिलेख उपलब्ध नहीं है। इकाई में प्रवर्धन एवं आधुनिकीकरण कार्य की अनुमति के संबंध में आबकारी आयुक्त कार्यालय में संग्रहित अभिलेखों के अवलोकन से भी खुले में स्थापित स्प्रिट रिसीवर टैंक एवं स्टोरेज टैंक बनाने संबंधी कोई अनुमति पत्र उपलब्ध नहीं है। अत: अब इस मामले की जांच के लिए आबकारी विभाग ने तीन सदस्यीय समिति बनाई है। जिसमें अपर आबकारी आयुक्त डॉ. गिरीश कुमार मिश्रा, सहायक आबकारी आयुक्त केसी अग्निहोत्री और सहायक आबकारी आयुक्त हर्षवर्धन राय शामिल किए गए हैं।
- कुमार राजेंद्र