केंद्र और राज्य सरकारें 2022 में किसानों की आय दोगुना करने के लक्ष्य पर कार्य कर रही हैं, लेकिन मप्र सहित 4 राज्यों में किसानों की आमदनी घटी है। इसका खुलासा 24 मार्च को कृषि, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण पर गठित संसद की स्टैंडिंग कमेटी द्वारा लोकसभा और राज्यसभा में पेश की गई रिपोर्ट में हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार मप्र में प्रति किसान परिवार की मासिक आय में 1,401 रुपए की कमी आई है। वर्ष 2015-16 में एक किसान परिवार की आय 9,740 रुपए महीने थी, जो 2018-19 में घटकर 8,339 रुपए हो गई। विशेषज्ञों का अनुमान है कि ताजा स्थिति में भी सुधार नजर नहीं आता। यह तब है जब केंद्र सरकार किसानों के हित में 20 से ज्यादा योजनाएं चला रही है।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में दो सर्वे के आंकड़े बताए हैं। ये सर्वे 2015-16 और 2018-19 के हैं। इन सर्वे के हवाले से समिति ने बताया है कि 2015-16 में देश के किसानों की महीने की औसत आमदनी 8 हजार 59 रुपए थी, जो 2018-19 तक बढ़कर 10 हजार 218 रुपए हो गई। यानी 4 साल में महज 2 हजार 159 रुपए की बढ़ोतरी हुई है। सबसे ज्यादा कमाई मेघालय के किसानों की है। यहां के किसान की हर महीने की आमदनी 29 हजार 348 रुपए है। दूसरे नंबर पर पंजाब है, जहां के किसान 26 हजार 701 रुपए एक महीने में कमाते हैं। वहीं, तीसरे नंबर पर 22 हजार 841 रुपए की कमाई के साथ हरियाणा के किसान हैं।
देश में 4 राज्य ऐसे हैं जहां किसानों की आमदनी कम हो गई है। इनमें मप्र, झारखंड, ओडिशा और नागालैंड शामिल हैं। झारखंड के किसानों की हर महीने की कमाई 2 हजार 173 रुपए, वहीं नागालैंड में 1 हजार 551 रुपए तो मप्र में 1400 रुपए और ओडिशा में 162 रुपए की आमदनी घट गई है। कमेटी ने सुझाव दिया है कि सरकार को एक स्पेशल टीम बनानी चाहिए जो इन राज्यों में किसानों की घटती आमदनी के कारणों का पता लगाए। साथ ही इन राज्यों में सही कदम उठाने का सुझाव भी दिया है। किसान और प्रांत प्रचार प्रमुख मध्यभारत भारतीय किसान संघ राहुल धूत का कहना है कि कृषि से जुड़ी मशीनरी, खाद-बीज, दवा, डीजल समेत अन्य चीजों के मूल्य पिछले कुछ सालों में दोगुने से ज्यादा बढ़ गए। इस वजह से खेती की लागत बढ़ती जा रही है। इसकी तुलना में किसान की आमदनी नहीं बढ़ रही है।
किसानों की आमदनी बढ़ी है तो खर्च भी बढ़ गया है। बीते साल नवंबर में सरकार ने बताया था कि हर महीने 10,218 रुपए कमाते हैं तो 4,226 रुपए खर्च हो जाते हैं। किसान हर महीने 2 हजार 959 रुपए बुआई और उत्पादन पर तो 1 हजार 267 रुपए पशुपालन पर खर्च करता है। यानी, किसानों के पास हाथ में 6 हजार रुपए भी पूरे नहीं आते। पिछले साल जुलाई में वित्त मंत्रालय ने बताया था कि 31 मार्च 2021 तक किसानों पर 16.80 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज था। उस समय ये भी साफ कर दिया था कि किसानों की कर्ज माफी करने का फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है।
किसानों की आय बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने मप्र को पिछले तीन साल में 3 हजार करोड़ से ज्यादा की राशि दी है। इसके बाद भी अन्नदाता की माली हालत में सुधार नहीं आया। जिन 4 राज्यों में किसान की मासिक आय कम हुई है उसे लेकर संसद की स्थायी समिति ने रिपोर्ट में लिखा है कि इन राज्यों में राज्य का कृषि विभाग केवल मूक दर्शक बना रहा। यानी जो योजनाएं चल रही हैं, उन्हें जमीनी स्तर पर लागू करने के लिए प्रयास या मेहनत नहीं की गई। रिपोर्ट में लिखा कि राज्य सरकार की तरफ से कोई जवाब ही नहीं दिया गया। मप्र में एक करोड़ किसान हैं, जिनमें आधे से ज्यादा सीमांत हैं। प्रदेश में करीब 170 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि है, जिसमें 4 लाख करोड़ का उत्पादन होता है।
5700 करोड़ रुपए के कर्ज में डूबे किसानों को राहत देने के लिए सहकारिता विभाग एकमुश्त समझौता योजना तैयार कर रहा है। इस योजना के तहत कर्ज नहीं चुकाने के कारण डिफाल्टर हुए 14 लाख 57 हजार किसानों को सरकार ब्याज माफी देने जा रही है। इसमें किसानों को मूलधन चुकाने पर लगभग 200 करोड़ रुपए की ब्याज माफी दी जाएगी। गौरतलब है कि वर्ष 2019 में कमलनाथ सरकार ने किसान ऋण माफी योजना लागू की थी लेकिन इसका फायदा किसानों को नहीं मिल पाया। सहकारिता विभाग के अधिकारियों ने बताया कि योजना के कारण किसानों ने समय पर ऋण नहीं चुकाया और डिफाल्टर हो गए। जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणा के बाद सहकारिता विभाग एकमुश्त समझौता योजना तैयार कर रहा है। डिफाल्टर किसानों के ऊपर 5700 करोड़ रुपए का कर्ज है। प्रदेश में प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को ब्याज रहित अल्पावधि ऋण दिया जाता है। प्रतिवर्ष 27-28 लाख किसान खरीफ और रबी फसलों के लिए ऋण लेते हैं और उपज आने पर ऋण चुका देते हैं। यही क्रम चलता रहता है।
तय सीमा में कर्ज चुकाने पर मिलेगा लाभ
गौरतलब है कि डिफाल्टर किसान को ब्याज देना पड़ता है और आगे ऋण भी नहीं मिलता है। इससे परेशान किसानों की मदद करने के लिए मुख्यमंत्री ने ब्याज माफी की घोषणा की है। इसके लिए सहकारिता विभाग एकमुश्त समझौता योजना ला रहा है। इसमें किसान द्वारा निश्चित समय सीमा में मूलधन चुकाने पर ब्याज माफी दी जाएगी। मूलधन दो या तीन किश्तों में अदा किया जा सकेगा। इसके लिए सहकारिता विभाग एकमुश्त समझौता योजना बना रहा है। इसके पहले भी सरकार किसानों को कर्ज के बोझ से मुक्ति दिलाने के लिए एकमुश्त समझौता योजना लागू कर चुकी है। राज्य सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक के एक लाख से ज्यादा किसानों के लिए योजना लागू की गई थी। इसमें भी ब्याज माफ किया गया था। 15 हजार से ज्यादा किसानों ने योजना का फायदा उठाया था। घाटे में चलने के कारण सरकार ने बैंक को बंद करने का निर्णय लिया है और परिसमापन की प्रक्रिया चल रही है। हालांकि, कर्जदार किसानों से ऋण वसूलने का दायित्व जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों को सौंपा जा रहा है क्योंकि किसानों को ऋण नाबार्ड से राशि लेकर दिया गया था।
- जितेंद्र तिवारी