मप्र में कमलनाथ सरकार ने किसानों के साथ कर्जमाफी के नाम पर फर्जीवाड़ा किया है। इससे किसान आहत हैं। लेकिन अब प्रदेश में किसान पुत्र शिवराज सिंह चौहान की सरकार है। यह सरकार किसानों की हर समस्या का समाधान करेगी।
मप्र में इस बार गेहूं का रिकार्डतोड़ उपार्जन हुआ है। 31 मई तक प्रदेश में एक करोड़ 22 लाख 28 हजार 379 मीट्रिक टन गेहूं का उपार्जन किया गया। किसानों को समर्थन मूल्य के रूप में 17 हजार 430 करोड़ 51 लाख 78 हजार 323 रुपए का भुगतान किया गया है। ये आंकड़ें दर्शाते हैं कि मप्र की शिवराज सिंह चौहान सरकार कितनी किसान हितैषी है। मुख्यमंत्री ने तो पदभार संभालते ही घोषणा कर दी थी कि किसानों का एक-एक दाना सरकार खरीदेगी और ऐसा करके हम दिखा रहे हैं। यह कहना है प्रदेश के किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री कमल पटेल का।
राष्ट्रीय पाक्षिक अक्स से चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि पिछले साल कमलनाथ सरकार ने प्रदेश में बंपर उत्पादन के बावजूद किसानों से 63 लाख मीट्रिक टन ही गेहूं खरीदा था। यही नहीं कमलनाथ सरकार ने कर्जमाफी के नाम पर किसानों के साथ ठगी की है। किसानों ने इस मामले में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। जल्द ही सरकार इस मामले की जांच कराकर हकीकत को उजागर करेगी। पटेल ने कहा कि कमलनाथ सरकार के समय प्रदेश में माफिया, अफसर और वेयर हाउस संचालकों का ऐसा गठजोड़ बना था, जिससे किसानों का खूब शोषण किया गया। उन्होंने कहा कि हमारे शासनकाल में एक शिकायत आने पर हम जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करवा रहे हैं।
प्रदेश में 31 मई तक 882 खरीदी केंद्रों पर 1 लाख 83 हजार 913 किसानों से 3 लाख 82 हजार 410 मीट्रिक टन चना, मसूर एवं सरसों की समर्थन मूल्य पर खरीदी की गई। पटेल ने बताया कि सरकार ने चना और सरसों की खरीदी की सीमा प्रति हेक्टेयर 20 क्विंटल करने का निर्णय लिया है। इससे प्रदेश के पंजीकृत पांच लाख 30 हजार किसानों को फायदा मिलेगा। चने के विक्रय से लगभग 325 करोड़ रुपए और सरसों के विक्रय से लगभग 146 करोड़ रुपए का अतिरिक्त लाभ किसानों को होगा।
कमल पटेल ने बताया है कि प्रदेश में किसान उन्नत तकनीक का इस्तेमाल कर फल-सब्जियों का गुणवत्तापूर्ण उत्पादन कर रहे हैं। तकनीक के इस्तेमाल से उत्पादन में वृद्धि हुई है। किसानों के उत्पाद प्रदेश के अतिरिक्त देश के विभिन्न हिस्सों में बेचे जा रहे हैं। पटेल ने बताया कि कृषि एवं प्र-संस्करण खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण के माध्यम से महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश सहित अन्य प्रदेशों के 10 से अधिक निर्यातकों ने मध्यप्रदेश के कृषि उत्पादों में रूचि दर्शाई है। पटेल ने कहा कि किसानों को उनकी उपज का फायदा पहुंचाने के लिए प्रदेश में सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है। कोल्ड स्टोरेज, ग्रेडिंग, निर्यात के लिए तय मापदंडों से अवगत कराने विशेषज्ञ समूह आदि सुविधाएं उपलब्ध कराने जा रहे हैं।
पटेल ने बताया कि कोरोना महामारी के संकटकाल ने मध्यप्रदेश में किसानों को एक ऐसी सौगात दे दी है, सामान्य दिनों में जिसका वे लंबे समय से इंतजार कर रहे थे। कोरोना संकट के दौर में किसानों को आर्थिक परेशानियों से बचाने के लिए मुख्यमंत्री ने एक ही झटके में मंडी अधिनियम में संशोधन करके किसानों को एक तरह से ग्लोबल मार्केटिंग से जोड़ने का करिश्मा कर दिखाया। आढ़त का काम कर रहे व्यापारियों को अगर लाइसेंस राज से मुक्ति मिली है तो किसानों के लिए भी यह एक तरह से आर्थिक रूप से अपने को मजबूत बनाने का मौका कहा जा सकता है। उन्होंने बताया कि सरकार ने ई-टेंडरिंग का भी इंतजाम किया है। इसके तहत पूरे देश की मंडियों के दाम किसान को मिल जाएंगे। वो देश की किसी भी मंडी में, जहां उसे दाम ज्यादा मिल रहे हों, अपनी फसल का सौदा कर सकेगा।
अब जुर्माना देकर नहीं छूट पाएंगे रेत माफिया
प्रदेश में अवैध खनन करने वाले रेत माफिया अब सिर्फ जुर्माना देकर नहीं छूट सकेंगे, बल्कि उनके खिलाफ चोरी और चोरी का सामान छिपाने की धाराओं में केस दर्ज किया जाएगा। गौरतलब है कि प्रदेश में अवैध खनन बड़ी समस्या है। सरकार ने नर्मदा सहित प्रदेश की सभी नदियों में रेत के अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए कई कठोर कदम उठाए हैं, लेकिन माफिया पर अंकुश नहीं लग पाया है। दरअसल कृषि मंत्री कमल पटेल ने जबलपुर और नर्मदापुरम संभाग के सभी कलेक्टर और एसपी को पत्र लिखकर निर्देश जारी किया है कि अवैध रेत उत्खनन करने वालों को केवल जुर्माना लगाने की कार्रवाई के बाद ना छोड़ा जाए, ऐसे लोगों के खिलाफ चोरी और चोरी का सामान छिपाने की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जाए। इतना ही नहीं, यह भी निर्देश जारी किए गए हैं कि अगर कोई गाड़ी अवैध रेत खनन करते हुए पकड़ी जाती है तो फिर गाड़ी चालक पर एफआईआर करने के साथ-साथ गाड़ी मालिक के खिलाफ भी इन्हीं चोरी की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जाए। मंत्री कमल पटेल की ओर से अधिकारियों को हिदायत दी गई है कि अगर ऐसी शिकायतें मिलती हैं कि अधिकारी जुर्माना देकर गाड़ियां छोड़ रहे हैं तो फिर खनिज अधिकारी से लेकर बाकी सभी संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
- लोकेश शर्मा