मप्र में इस बार बिना बोनस के गेहूं की खरीदी हो रही है। ऐसे में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कोरोना संक्रमण को देखते हुए किसानों को कई तरह की सौगातें दी हैं। उन्होंने कृषि ऋण और खाद-बीज के लिए लोन लेने वाले किसानों को 31 मई तक कर्ज चुकाने की छूट दी है, लेकिन गेहूं बेचने जा रहे किसानों से कर्ज की वसूली की जा रही है। इससे किसानों के सामने रोजी-रोटी चलाने की समस्या भी खड़ी हो गई है। मप्र में 15 अप्रैल से गेहूं की खरीदी शुरू हो गई है। लेकिन किसानों को कई तरह की परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सबसे बड़ी परेशानी यह सामने आई है कि पोर्टल पर किसानों के रकबे की गलत जानकारी भरी गई है। जब किसान अपनी उपज लेकर उपार्जन केंद्र पहुंचता है तो उसकी थोड़ी उपज ही खरीदी जाती है। इससे किसानों में रोष है। प्रदेशभर में भोपाल, इंदौर और उज्जैन को छोड़कर सभी जिलों के 4,305 खरीदी केंद्रों पर खरीदी का काम चल रहा है। लॉकडाउन की वजह से खरीदी की प्रक्रिया में कुछ बदलाव लाए गए हैं, जिससे प्रदेश के लगभग हर जिले से किसानों की परेशानियां सामने आ रही हैं। लॉकडाउन की वजह से सरकार ने खरीदी केंद्रों पर भीड़-भाड़ कम रखने का प्रबंध किया है और इसके तहत पहले चुनिंदा छोटे किसानों को एसएमएस के जरिए बुलाया जा रहा है। इन किसानों की गेहूं की खरीदी की सीमा तय की जाती है। हालांकि, रिकॉर्ड में खामी होने की वजह से कई स्थानों पर बड़े किसान अपनी पूरी फसल नहीं बेच पा रहे हैं।
आलम यह है कि एसएमएस मिलने के बाद जब किसान खरीदी केंद्र पहुुंच रहे हैं तो उनकी पूरी उपज नहीं खरीदी जा रही है। ऐसी ही परेशानी आई बीना के धमना ग्राम निवासी किसान राम प्रसाद को। उन्हें समर्थन मूल्य पर खरीदी का मेसेज मिला और वह 20 क्विंटल गेहूं लेकर बिहराना स्थित खरीदी केंद्र पर पहुंचे। वहां उन्हें पता चला कि सिर्फ 25 डिसमिल खेती का उनका रिकॉर्ड है और सिर्फ डेढ़ क्विंटल गेहूं बेच सकते हैं। गेहूं न बिकने की वजह से उसे गांव से केंद्र तक लाने में लगा ढुलाई का पैसा भी डूब गया। राम प्रसाद जैसे कई किसानों को प्रदेशभर में ऐसी परेशानी आ रही है। कई जगह ऐसी भी शिकायतें आई हैं कि किसानों की उपज को गुणवत्ताहीन बताकर वापस लौटा दिया गया। हरदा जिले के ग्राम रिछाड़िया की बुजुर्ग महिला रुक्मिणी पति नर्मदाप्रसाद की उपज को गुणवत्ताहीन बताकर खरीदने से इनकार कर दिया गया। महिला सुबह 10 बजे से लेकर 3 बजे तक केंद्र पर अधिकारियों से गुहार लगाती रही। काफी मशक्कत के बाद अधिकारियों ने गेहूं की सफाई कर दोबारा लाने को कहा। विदिशा जिले के किसान कार्यकर्ता राजकुमार बघेल ने बताया कि उनके जिले में हाल में हुई बेमौसम बारिश ने गेहूं की चमक खत्म कर दी है। दयानंदपुर खरीदी केंद्र में कई किसान अपना अनाज बेचने पहुंचे थे, इनमें से करीब छह किसानों का गेहूं चमक चली जाने के कारण नहीं खरीदा गया और उन्हें अनाज लेकर केंद्र से लौटना पड़ा।
वहीं दूसरी तरफ सरकार द्वारा कृषि ऋण की वसूली पर रोक लगाए जाने के बाद भी समर्थन मूल्य पर गेहूं बेच रहे किसानों की आधी राशि काटी जा रही है। ऐसे में किसानों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। 18 मार्च को शुजालपुर के जामनेर में किसान दुर्गादास ने सत्यम वेयरहाउस में बने उपार्जन केंद्र पर 18 बोरी गेहूं बेचा। उनके गेहूं का कुल मूल्य 17325 रुपए हुआ। लेकिन उनके द्वारा लिए गए सोसायटी ऋण के विरुद्ध उनकी उपज की आधी रकम 8862.50 रुपए काट ली गई। ऐसा किसी एक किसान के साथ नहीं बल्कि उन सभी किसानों के साथ हो रहा है जिन्होंने कृषि ऋण ले रखा है। प्रदेश के सभी खरीदी केंद्रों पर इस कारण रोजाना किसानों का आक्रोश देखने को मिल रहा है। किसानों के आक्रोश का कारण यह है कि उनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है।
पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह कहते हैं कि शिवराज जब मुख्यमंत्री नहीं थे तब उन्होंने कहा था कि मैं मुख्यमंत्री होता तो खेत की मिट्टी भी 2100 के भाव बिकवा देता। आज जब वे मुख्यमंत्री हैं तो किसानों का गेहूं 1925 रुपए में खरीद रहे हैं। वहीं बकाया राशि काटकर किसानों के साथ संकट के समय उन्हें दोहरी मार दे रहे हैं। उन्होंने सरकार से मांग की है कि वे तत्काल गेहूं खरीदी के बाद किसानों को पूरा भुगतान करें और फिलहाल बकाया राशि काटने पर आदेश निकालकर रोक लगाएं।
किसानों से तुलावटी नहीं ली जाएगी
कृषक कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री कमल पटेल ने कहा है कि प्रदेश में किसानों को लाभान्वित करने के लिए समन्वित प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि रबी उपार्जन कार्य में किसानों से मण्डियों में हम्माली और तुलावटी की राशि नहीं ली जाएगी। पटेल ने कहा कि वर्तमान में विभिन्न मण्डियों में हम्माली और तुलावटी की पृथक-पृथक दरें निर्धारित हैं। इन्हें एकीकृत करने पर सरकार विचार कर रही है। उन्होंने बताया कि रबी उपार्जन के अंतर्गत मण्डी में सौदा-पत्रक के जरिए भी किसान व्यापारियों को सीधे अपनी उपज बेच सकेंगे। मंत्री पटेल ने कहा कि सरकार किसानों को बीमित राशि का शत-प्रतिशत भुगतान कराएगी। उन्होंने बताया कि पिछली सरकार द्वारा वर्ष 2018 की रबी और खरीफ फसलों की बीमा राशि के राज्यांश का भुगतान नहीं किए जाने से किसानों को बीमा का क्लेम नहीं मिल पाया। पटेल ने कहा कि अब राज्य सरकार ने खरीफ का राज्यांश 1695 करोड़ रुपए और रबी का राज्यांश 486 करोड़ रुपए, कुल राशि 2181 करोड़ रुपए का राज्यांश जमा करा दिया है। मंत्री पटेल ने कहा है कि सरकार शीघ्र ही सूरजधारा योजना और अन्नपूर्णा योजना में किसानों को उन्नत बीज उपलब्ध कराने के लिए तात्कालिक तौर पर 25-25 करोड़ रुपए की राशि का प्रावधान करेगी। उन्होंने बताया कि उक्त योजना के बजट में की गई कटौती की पूर्ति करने पर भी विचार किया जा रहा है ताकि पूर्व में किसानों को उन्नत बीज की उपलब्धता में हुई परेशानी और बीज उत्पादक समितियों को हुए नुकसान की प्रतिपूर्ति के लिए भी सरकार विचार कर रही है।
- श्यामसिंह सिकरवार