केजरीवाल का बड़ा दुश्मन कौन है?
03-Mar-2022 12:00 AM 756

 

ये तो पंजाब विधानसभा का चुनाव है जो अरविंद केजरीवाल एक साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस के निशाने पर हैं, लेकिन सवाल ये भी है कि आम आदमी पार्टी के नेता अपना सबसे बड़ा दुश्मन किसे मानते हैं- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह को या फिर कांग्रेस नेता राहुल गांधी को? बड़े दिनों बाद प्रधानमंत्री मोदी के लिए केजरीवाल के मुंह से झूठा सुनने को मिला था, जब कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन के दौरान दिल्ली में देखी गई बदइंतजामियों के लिए वो टारगेट किए गए, लेकिन शायद ही कभी राहुल गांधी के लिए कायर या मनोरोगी जैसे शब्द का इस्तेमाल केजरीवाल ने किया हो। कहने को तो मुख्यमंत्री बनने से पहले अरविंद केजरीवाल जनता की तरफ से चुनकर भेजे गए प्रतिनिधियों के लिए भी कह चुके हैं कि संसद के अंदर डकैत, हत्यारे और बलात्कारी बैठे हुए हैं- और ये तभी की बात है जब देश में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए की सरकार थी।

कुमार विश्वास के आरोपों पर राहुल गांधी तो केजरीवाल से हां या ना में सवाल पूछ ही रहे हैं, पंजाब चुनाव में कांग्रेस के कैंपेन के दौरान पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी ने भी अभी-अभी कहा है कि हमारी सरकारों के खिलाफ आंदोलन किया और केजरीवाल को भी प्रधानमंत्री मोदी की ही तरह आरएसएस से आया हुआ बताया है। कुमार विश्वास के बयानों की मिसाल देते हुए ही प्रधानमंत्री मोदी ने भी अरविंद केजरीवाल को फिर से खरी खोटी सुनाई है और पंजाब में राहुल गांधी की ही तरह खालिस्तानियों से संबंध होने का शक जाहिर किया है। अब तो केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के एक्शन लेने को लेकर प्रधानमंत्री से की गई अपील पर आश्वासन भी दे दिया है। वैसे अरविंद केजरीवाल ने तो एक अफसर के हवाले से यहां तक बोल दिया है कि उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर एनआईए की तरफ से जांच शुरू की जा सकती है। मुद्दे का सबसे दिलचस्प पहलू ये है कि चुनावी माहौल को देखते हुए अरविंद केजरीवाल में भी रॉबर्ट वाड्रा का अक्स नजर आने लगा है। 2019 के आम चुनाव के वक्त ऐसा लग रहा था कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा की गिरफ्तारी कभी भी हो सकती है। मुमकिन है, पंजाब में वोटिंग के बाद अरविंद केजरीवाल भी रॉबर्ट वाड्रा की तरह थोड़े सुकून की जिंदगी जीने लगें। कम से कम अभी जो कुछ केजरीवाल के खिलाफ हो रहा है उसे लेकर तो ऐसा ही अनुमान है।

पंजाब में चुनाव आयोग की तरफ से अरविंद केजरीवाल के खिलाफ आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन को लेकर एफआईआर दर्ज कराई गई है। अकाली दल की तरफ से चुनाव आयोग से की गई शिकायत में आरोप लगाया गया था कि अरविंद केजरीवाल दूसरे राजनीतिक दलों के खिलाफ बिना किसी आधार के झूठे आरोप लगा रहे हैं। अकाली दल को आपत्ति आप की तरफ से जारी वीडियो को लेकर रही जिसमें राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाया जा रहा है और अकाली दल का मानना है कि वीडियो की वजह से लोगों में गलत संदेश जा रहा है। गौर करने वाली बात, इस बीच, ये भी है कि पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखी चिट्ठी का जवाब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की तरफ से कार्रवाई के आश्वासन के साथ मिल गया है। देखा जाए तो इस मामले में अरविंद केजरीवाल के खिलाफ देश की सुरक्षा के नाम पर भाजपा और कांग्रेस की सरकार ने हाथ मिला लिया है, जबकि राष्ट्रवाद की राजनीति में दोनों एक-दूसरे के मुकाबले आमने-सामने देखे जाते रहे हैं।

पंजाब में कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार चरणजीत सिंह चन्नी ने प्रधानमंत्री मोदी से बतौर पंजाब के मुख्यमंत्री अनुरोध किया था कि अरविंद केजरीवाल के खिलाफ, राजनीति से ऊपर उठकर, कुमार विश्वास के आरोपों की निष्पक्ष जांच कराई जाए। चूंकि पंजाब के लोगों ने अलगाववाद से लड़ते हुए भारी कीमत चुकाई है, लिहाजा प्रधानमंत्री को हर पंजाबी की चिंता दूर करने की जरूरत है। चन्नी के पत्र के जवाब में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री चन्नी को लिखा है, एक राजनीतिक पार्टी का देश विरोधी, अलगाववादी और प्रतिबंधित संस्था से संपर्क रखना और चुनाव में सहयोग प्राप्त करना देश की अखंडता के दृष्टिकोण से अत्यंत गंभीर है। इस प्रकार के तत्वों का एजेंडा देश के दुश्मनों के एजेंडे से अलग नहीं है। ये अत्यंत निंदनीय है कि सत्ता पाने के लिए ऐसे लोग अलगाववादियों से हाथ मिलाने से लेकर पंजाब और देश को तोड़ने की सीमा तक जा सकते हैं। अमित शाह आगे लिखते हैं, मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि देश की एकता और अखंडता से खिलवाड़ करने की इजाजत किसी को नहीं दी जाएगी। भारत सरकार ने इसे अत्यंत गंभीरता से लिया है और मैं स्वयं इस मामले को गहराई से दिखावाऊंगा।

केजरीवाल की पॉलिटिक्स में ठहराव ज्यादा है या भटकाव?

आखिर अरविंद केजरीवाल आंख मूंद एक ही दिशा में बढ़े चले जा रहे हैं या फिर दाएं-बाएं देखकर चल रहे हैं। अभी तक अरविंद केजरीवाल कांग्रेस को ही जितना भी हो सका है, डैमेज कर पाए हैं और उसी लाइन पर आगे बढ़ते हुए दिल्ली की तरह पंजाब में भी रिप्लेस करने की कोशिश कर रहे है। दिल्ली के अलावा भाजपा से भिड़ने के लिए खूंटा गाड़ कर बैठ क्यों नहीं पाते? अरविंद केजरीवाल के ट्विटर प्रोफाइल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्लोगन 'सबका साथ...Ó की छाप देखी जा सकती है- सब इंसान बराबर हैं - और अब तो जय श्रीराम भी बोलने लगे हैं, लेकिन स्पष्ट दूरी बना कर चलते हैं जैसे भाजपा कोई पावर ब्रेक हो। केजरीवाल ने कांग्रेस की दो सरकारों के खिलाफ एक साथ आंदोलन किया - मनमोहन सिंह की केंद्र सरकार और शीला दीक्षित की दिल्ली सरकार। फिर कांग्रेस की ही मदद से पहली बार सरकार भी बनाई और खुद मुख्यमंत्री। आम चुनाव में भी कांग्रेस के साथ गठबंधन की बात कर रहे थे, लेकिन ऐसा कभी भाजपा के साथ नहीं किया। क्या भाजपा के साथ दिखावे का विरोध है, जबकि केजरीवाल भी तो अब हिंदुत्व की राजनीतिक राह पकड़ ही चुके हैं या फिर इसलिए क्योंकि भाजपा केजरीवाल को भाव नहीं देती? 

- राकेश ग्रोवर

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