युवाओं के लिए केंद्र सरकार ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए राष्ट्रीय भर्ती नीति (एआईआर) को मंजूरी दे दी है जिससे देश के करोड़ों युवाओं को फायदा मिलेगा। राष्ट्रीय भर्ती संस्था कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट लेगी जिसका करोड़ों युवाओं को फायदा मिलेगा। रेलवे, बैंकिंग और एसएससी की प्राथमिक परीक्षा के लिए अलग-अलग परीक्षा देने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इन तीनों के लिए एक एजेंसी बनाई जाएगी। एक ही आवेदन, एक ही शुल्क, एक ही परीक्षा होगी। इस परीक्षा का स्कोर तीन साल के लिए मान्य होगा। अभी तक केवल दो भाषाओं में ही परीक्षा देने की इजाजत थी, लेकिन इसके जरिए परीक्षार्थी 12 भाषाओं में परीक्षा दे सकते हैं। अभी नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी केवल तीन संस्थाओं के लिए परीक्षा लेगी, लेकिन भविष्य में सभी केंद्रीय संस्थाओं की परीक्षा यही एजेंसी लेगी। इन तीन संस्थाओं में लगभग ढाई करोड़ विद्यार्थी भाग लेते हैं।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने बताया कि एनआरए साल में दो बार ही सीईटी (कॉमन एलजिबिलिटी टेस्ट) का आयोजन करेगी। अभी रेलभर्ती बोर्ड, इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकिंग पर्सनल सिलेक्शन तथा कर्मचारी चयन आयोग द्वारा आयोजित की जाने वाली आरंभिक परीक्षाओं को भी इसी में मर्ज किया जाएगा। इन सभी परीक्षाओं में ग्रुप-बी और सी के 1.25 लाख पदों के लिए करीब ढाई करोड़ उम्मीदवार बैठते हैं। लेकिन अभी उन्हें हर परीक्षा के लिए प्रारंभिक परीक्षा भी अलग-अलग देनी पड़ती है। कार्मिक राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि नए फैसले के मुताबिक सीईटी में सफल उम्मीदवारों की एक मेरिट लिस्ट तैयार होगी। जो कि तीन साल तक मान्य रहेगी। हालांकि जो भी उम्मीदवार अपना स्कोर बेहतर करना चाहेंगे वे लोग फिर से परीक्षा में बैठ सकते हैं, ये विद्यार्थियों के लिए बड़ा ऐलान होगा, लेकिन अभी उन्हें हर परीक्षा के लिए प्रारंभिक परीक्षा भी अलग-अलग देनी पड़ती है। सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने बताया कि देश में सरकारी नौकरियों के लिए 20 से अधिक भर्ती एजेंसियां हैं। सरकारी नौकरी के लिए युवाओं को बहुत सी परीक्षा देनी होती थी। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इसे समाप्त करने के लिए एक ऐतिहासिक फैसला लिया है।
नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी के गठन के बाद नौकरी के लिए उम्मीदवारों को अलग-अलग आरंभिक परीक्षाओं से मुक्ति मिलेगी, साथ ही परीक्षाओं की तारीखें एकसाथ आ जाने से एक परीक्षा छोड़नी पड़ती थी, जो अब नहीं होगी। परीक्षा केंद्र अलग-अलग शहरों में पड़ते थे लेकिन अब यह समस्या भी खत्म हो जाएगी। परीक्षाओं के लिए अब जिला मुख्यालय पर एक केंद्र होगा, साथ ही आपको दूर नहीं जाना होगा। विद्यार्थियों को एक ही परीक्षा के लिए फीस भरनी होगी। जिससे विद्यार्थियों द्वारा की जाने वाली यात्रा के खर्च में भी कमी आएगी। रेलवे भर्ती बोर्ड, कर्मचारी चयन आयोग और आईबीपीएस के प्रतिनिधि संचालक मंडल में शामिल होंगे, इसके साथ ही अभी परीक्षा के आवेदन से लेकर रिजल्ट आने में 12-18 महीने लगते हैं, जो कि अब सीईटी से यह समय घटेगा। जो भी विद्यार्थी ग्रुप बी और सी की जॉब के लिए तैयारी करते हैं उनको लाभ होगा। आपको बता दें कि आरंभिक परीक्षा की अहर्ताएं एक जैसी ही होती हैं, लेकिन हर बोर्ड का अलग-अलग पैटर्न होने से उम्मीदवारों को अलग-अलग प्रकार से परीक्षा की तैयारी करनी पड़ती है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। एक ही परीक्षा के होने से एक ही किस्म की तैयारी अब करनी होगी। पहले केंद्र सरकार ने एमबीबीएस में एडमिशन के लिए भी एक टेस्ट किया जो कि सफल रहा। आपको बता दें कि पहले हर राज्य अपनी-अपनी परीक्षा करवाता था। लेकिन बाद में प्रतियोगी परीक्षाओं के आयोजन के लिए एक एजेंसी एनटीए का गठन किया गया, इससे पहले यह काम सीबीएसई या अन्य एजेंसियों को करना पड़ता था।
एनआरए वर्ष में दो बार ऑनलाइन माध्यम से सीईटी आयोजित करेगा। प्रतिभागियों का पंजीकरण, रोल नंबर, एडमिट कार्ड, अंक पत्र, मेधा सूची आदि ऑनलाइन माध्यम से संचालित होंगी। सीईटी अनेक भाषाओं में उपलब्ध होगी। यह देश के विभिन्न हिस्सों से लोगों को परीक्षा में बैठने और चयनित होने के समान अवसर प्राप्त करना सुविधाजनक बनाएगी। सीईटी बहुविकल्प प्रश्नों पर आधारित परीक्षा होगी और इसका स्कोर कार्ड 3 वर्षों तक मान्य होगा। इसके लिए देश के प्रत्येक जिले में एक परीक्षा केंद्र स्थापित किया जाएगा। इसमें 117 आकांक्षी जिले शामिल हैं। प्रारंभिक योजना देशभर में 1000 परीक्षा केंद्र स्थापित करने की है। इससे गरीब पृष्ठभूमि के उम्मीदवारों को राहत मिलेगी। वर्तमान में, उम्मीदवारों को बहु-एजेंसियों द्वारा संचालित की जा रही विभिन्न परीक्षाओं में भाग लेना होता है। परीक्षा शुल्क के अतिरिक्त उम्मीदवारों को यात्रा, रहने-ठहरने और अन्य पर अतिरिक्त व्यय करना पड़ता है। सीईटी जैसी एकल परीक्षा से काफी हद तक उम्मीदवारों पर वित्तीय बोझ कम होगा।
भर्ती शुल्कों से भी मिलेगी राहत
उम्मीदवारों को भिन्न-भिन्न भर्ती एजेंसियों को शुल्क का भुगतान करना पड़ता है और इन परीक्षाओं में भाग लेने के लिए लंबी दूरियां तय करनी पड़ती हैं। इन अलग-अलग भर्ती परीक्षाओं से उम्मीदवारों के साथ-साथ संबंधित भर्ती एजेंसियों पर भी बोझ पड़ता हैं। इसमें बार-बार होने वाले खर्च, कानून और व्यवस्था-सुरक्षा संबंधी मुद्दे और परीक्षा केंद्रों संबंधी समस्याएं शामिल हैं। औसतन, इन परीक्षाओं में अलग से 2.5 करोड़ से 3 करोड़ उम्मीदवार शामिल होते हैं। साझी पात्रता परीक्षा (सीईटी) उम्मीदवार एक सामान्य योग्यता परीक्षा में केवल एक बार शामिल होंगे तथा उच्च स्तर की परीक्षा के लिए किसी या इन सभी भर्ती एजेंसियों में आवेदन कर पाएंगे। एनआरए के तहत एक परीक्षा में शामिल होने से उम्मीदवारों को कई पदों के लिए प्रतिस्पर्धा करने का अवसर मिलेगा।
- प्रवीण कुमार