बिजली कंपनियों की कार्यप्रणाली का भी जवाब नहीं। डिफाल्टरों से करोड़ों रुपए की वसूली नहीं करने वाली प्रदेश की तीनों कंपनियां अब इसकी भरपाई ईमानदार उपभोक्ताओं से करने की तैयारी में है। इसके लिए उनके पास एक ही हथकंडा बिजली की दर बढ़ाने का है। कंपनी ने डिफाल्टरों की 3,212 करोड़ रुपए की राशि माफ कर उसे बट्टे खाते में डाल दिया। अब नियामक आयोग से इसकी भरपाई के लिए याचिका लगाई है। प्रदेश के कई आम उपभोक्ताओं ने इस पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई है। 5 जनवरी को नियामक आयोग मामले की सुनवाई करेगा।
बिजली की दरों में दो प्रतिशत की बढ़ोतरी कर चुकी कंपनियां आम उपभोक्ताओं को एक बार फिर झटका देने की तैयारी में हैं। पावर मैनेजमेंट कंपनियों की ओर से मप्र विद्युत नियामक आयोग में सत्यापन याचिका दायर की गई है। वर्ष 2018-19 की इस राशि की भरपाई अब करने के लिए गुहार लगाई है कि बिजली की दरों में बढ़ोतरी कर इसकी भरपाई कराई जाए। पावर मैनेजमेंट की ओर से पेश की जाने वाली टैरिफ याचिका में डूबत खातों का विवरण दिया जाता है।
यह ऐसे उपभोक्ता होते हैं, जिससे बिजली बिल का बकाया वसूल कर पाने में कंपनियां हाथ खड़े कर देती हैं। वसूली नहीं कर पाने की स्थित में इसे डूबत खाते में डाल दिया जाता है। सूत्रों की मानें तो यह प्रदेश का एक बड़ा स्कैंडल है। इसमें बड़े उद्योगपतियों के बिल माफ करने का खेल किया जाता है। इसकी मलाई में सभी बंदरबांट करते हैं। सूची सार्वजनिक न होने से ऐसे चेहरे अभी तक बेनकाब नहीं हो पाए। जानकारी के अनुसार पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी जबलपुर ने 771.35 करोड़ डिफाल्टरों के माफ किए। इसी तरह पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी इंदौर ने 762.68 करोड़ और मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी भोपाल ने 1678.07 करोड़ रुपए डिफाल्टरों के माफ किए हैं।
विद्युत नियामक आयोग ने 2018-19 की टैरिफ याचिका के समय 6 करोड़ रुपए पहले ही डिफाल्टरों की माफ कर चुकी है। तब याचिका में डिफाल्टरों की कुल 326 करोड़ रुपए माफ करने की मांग की गई थी। आयोग ने तीनों कंपनियों से इसका डिटेल मांगा, जो वे पेश नहीं कर पाई। इसके बाद आयोग ने तीनों कंपनियों को दो-दो करोड़ रुपए का टोकन देते हुए सत्यापन याचिका पेश करने का निर्देश दिया था। अब जाकर सत्यापन याचिका पेश की गई है और आयोग से 3206 करोड़ रुपए माफ करते हुए इसकी भरपाई कराने का आग्रह किया गया है।
टैरिफ रेग्युलेशन 2015 के मुताबिक कुल प्राप्त राजस्व का अधिकतम एक प्रतिशत ही माफ किया जा सकता है। वह भी पूरा डिटेल देने के बाद ही आयोग ऐसा कर सकता है। इसमें कंपनी को बताना पड़ता है कि वसूली के लिए क्या प्रयास किए। इलेक्ट्रिसिटी डेफ्थ रिकवरी एक्ट का पालन किया गया की नहीं। इस एक्ट में कुर्की का प्रावधान है। किसानों से बकाया वसूलने के लिए इसी एक्ट के तहत उनके वाहन और कृषि संबंधी उपकरण उठा लाती हैं। वर्ष 2018-19 में कुल राजस्व 30 हजार करोड़ की थी। ऐसे में 3212 करोड़ की राशि 10 प्रतिशत से अधिक बन रहा है। नियामक आयोग भी इस राशि को माफ नहीं कर सकता है।
विद्युत मामलों के जानकार अधिवक्ता राजेंद्र अग्रवाल और राजेश चौधरी ने बताया कि कंपनियां हर बार मनमानी करती हैं। पहले नियमों को ताक पर रखकर डिफाल्टर उपभोक्ताओं को कनेक्शन दिया जाता है। इसके बाद इसकी भरपाई नियमित और ईमानदारी से बिजली बिल का भुगतान करने वाले उपभोक्ताओं से की जाती है। उन्होंने आयोग से आग्रह किया है कि ऐसे डिफाल्टरों की सूची सार्वजनिक की जाए। इससे पता चलेगा कि ऐसे कौन लोग हैं। साथ ही इसकी जवाबदारी तय करते हुए अधिकारी-कर्मचारियों से भरपाई करनी चाहिए।
एक तरफ जहां बिजली कंपनियों ने डिफाल्टरों के करोड़ों रुपए माफ किए, वहीं अब आम उपभोक्ताओं पर भार डाल दिया है। बढ़ती महंगाई के बीच अब बिजली भी महंगी हो गई है। नए टैरिफ में 8 पैसे से लेकर 20 पैसे तक दाम बढ़ाए गए हैं। इसमें सबसे अधिक 20 पैसे प्रति यूनिट की वृद्धि 51 से 150 यूनिट की खपत करने वाले घरेलू उपभोक्ता पर की गई है। इसके साथ ही नॉन डोमेस्टिक में फिक्स चार्ज भी 150 रुपए प्रति किलोवॉट से बढ़ाकर 153 रुपए कर दिया है। नए साल में लोगों को बिजली के बिल नए टैरिफ के हिसाब से मिलेंगे। दिसंबर माह के बिल जनरेट हो चुके हैं, ऐसे में जनवरी में बढ़े बिल नहीं मिलेंगे, क्योंकि नई दरें अपडेट होंगी और फरवरी में मिलने वाला बिल नई टैरिफ दर से आएगा।
विद्युत नियामक आयोग ने पिछले साल 17 अगस्त-2019 को वर्ष 2019-20 के लिए टैरिफ जारी किया था। इस साल करीब 4 महीने देरी से 26 दिसंबर 2020 से आगामी आदेश तक के लिए नए टैरिफ अनुसार नई दरें लागू कर दी हैं। हालांकि अधिकारियों के अनुसार दिसंबर माह का बिल तो जनरेट हो चुका है। अब जनवरी से लागू करेंगे। आयोग ने उपभोक्ताओं को मीटर चार्ज में राहत भी दी है। नए टैरिफ में मीटर चार्ज खत्म कर दिया है। अभी तक सिंगल फेस पर 10 रुपए, थ्री फेस पर 25 व 10 किलोवॉट से अधिक के कनेक्शन पर 125 रुपए प्रतिमाह मीटर चार्ज लगता था। अब उपभोक्ताओं को यह नहीं देना होगा।
टैरिफ की ये रहेंगी नई दरें
100 वॉट लोड तक के प्रतिमाह 30 यूनिट खपत करने वाले घरेलू उपभोक्ताओं पर नए टैरिफ में कोई वृद्धि नहीं की गई है। इसके साथ ही निम्न दाब वाले उद्योग, विवाह समारोह, धार्मिक कार्यक्रम के लिए अस्थाई कनेक्शन लेने वालों के लिए टैरिफ में वृद्धि नहीं की गई है। औद्योगिक टैरिफ नहीं बढ़ने से बिजली का व्यावसायिक इस्तेमाल करने वालों पर बिजली बिलों का भार नहीं बढ़ेगा। सरकार द्वारा 100 यूनिट पर 100 रुपए बिल पर फिलहाल असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि इसे लेकर शासन ने नया आदेश नहीं दिया है, इसलिए फिलहाल यथावत ही बिल जाएंगे।
- श्याम सिंह सिकरवार