31 गौण खनिज की ई-नीलामी
07-Jan-2021 12:00 AM 836

 

रेत की तर्ज पर अब प्रदेश में सुलेमानी पत्थर (अगेट), चूना कंकड़, अभ्रक, ऑकर, चाक, चीनी मिट्टी, बालू (अन्य) शेल, स्लेट और स्टोटाइट सहित 31 गौण खनिज की भी ई-नीलामी होगी। मप्र सरकार ने गौण खनिज अधिनियम 1996 में संशोधन करते हुए 31 गौण खनिजों को इसमें शामिल कर लिया है। अब ऑनलाइन आवेदन पर खनन का पट्टा मिलेगा। पत्थर से रेत बनाने का काम भी अधिनियम में शामिल किया गया। पट्टाधारी गौण खदानों में काम करने वाले 75 प्रतिशत लोग मप्र के ही हैं।

मंत्रिपरिषद् ने मप्र गौण खनिज नियम 1996 में संशोधन करने का निर्णय लिया है। इसमें अनुसूची 5 के 31 गौण खनिजों के उत्खनन पट्टा आवेदन/ई-निविदा से आवंटन करने के प्रावधान किए गए हैं। संशोधन अनुसार निजी भूमि पर भूमि-स्वामी/सहमति धारक को रायल्टी के अलावा 15 प्रतिशत अतिरिक्त राशि भुगतान की शर्त पर 30 वर्ष की अवधि के लिए आवेदन के आधार पर उत्खनन पट्टा स्वीकृत करने के प्रावधान किए गए हैं। संचालक उत्खनन पट्टा विभागीय मंत्री के पूर्व अनुमोदन से स्वीकृत कर सकेंगे। शासकीय व निजी भूमि पर 250 हेक्टेयर क्षेत्र पर ई-निविदा के माध्यम से 30 वर्ष की अवधि के लिए अनुसूची 5 के उत्खनन पट्टा आवंटन करने के प्रावधान किए गए हैं। उच्चतम निविदाकार को देय रॉयल्टी के अलावा स्वीकृत ई-निविदा दर से वन टाइम बिट के आधार पर अतिरिक्त राशि का भुगतान करना होगा। संचालक शासकीय भूमि पर तथा शासकीय एवं निजी भूमि के संयुक्त क्षेत्र पर राज्य सरकार से तथा निजी भूमि पर विभागीय मंत्री का पूर्व अनुमोदन प्राप्त करने के बाद स्वीकृत कर सकेंगे।

निजी भूमि अथवा ई-निविदा से अनुसूची 5 के स्वीकृत उत्खनन पट्टों में 25 करोड़ रुपए तथा उससे अधिक निवेश कर उद्योग स्थापित करने पर उत्खनन पट्टे का 10-10 वर्ष के लिए दो बार नवीनीकरण किया जा सकेगा। अनुसूची 1 और 2 के खनिजों के 4 हेक्टेयर तक के क्षेत्र के उत्खनन पट्टे कलेक्टर द्वारा जिला स्तर पर स्वीकृत किए जा सकेंगे। इसमें 4 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र स्वीकृत करने के अधिकार संचालक को दिए जा रहे हैं। अनुसूची एक के खनिजों के मामलों में स्वीकृति से पहले संचालक द्वारा विभागीय मंत्री से पूर्व अनुमोदन प्राप्त किया जाएगा। अनुसूची एक में पत्थर से निर्मित रेत (यांत्रिक क्रिया द्वारा) को शामिल किया जा रहा है। इससे अब पत्थर से रेत बनाने के उत्खनन पट्टे भी स्वीकृत हो सकेंगे। गौण खनिज रेत बजरी की रॉयल्टी दर 125 रुपए प्रति घन मीटर निर्धारित की गई। यह भी प्रावधान किया गया है कि बाहर के राज्यों से परिवहित होकर आने वाले गौण खनिज पर 25 रुपए प्रति घन मीटर की दर से विनियमन शुल्क लिया जाएगा।

फर्शी पत्थर की वार्षिक डेडरेंट की राशि दो लाख रुपए प्रति हेक्टेयर के स्थान पर रुपए 1.50 लाख प्रति हेक्टेयर निर्धारित की गई है। पट्टाधारी को स्वीकृत खदानों में से 75 प्रतिशत रोजगार मप्र के मूल निवासियों को अनिवार्य रूप से प्रदान करना होगा। सरकारी तालाब, बांध आदि से गाद के साथ निकाली गई रेत का निर्वर्तन मप्र गौण खनिज नियम 1996 एवं राज्य सरकार द्वारा बनाए गए नियमों के तहत किया जाएगा। नियमों अनुसूची 5 (31 गौण खनिज) की रायल्टी व डेडरेंट की दरें पुनरीक्षित की गई हैं। विभिन्न आवेदन शुल्क, न्यायालयीन स्टाम्प शुल्क, प्रतिभू निक्षेप, सुरक्षा राशि, रेखांक शुल्क में भी वृद्धि की गई है। अनुसूची 5 के खनिजों के लिए उत्खनन पट्टे के लिए नए आवेदन शुल्क एवं सुरक्षा राशि भी निर्धारित की गई हैं। नियम में उपरोक्त अनुसार संशोधन करने से न केवल प्रदेश के खनिज राजस्व में भारी वृद्धि संभावित हैं बल्कि गौण खनिज के खदानों में प्रदेश के मूल निवासियों को बड़ी संख्या में रोजगार भी मिलना संभावित है। इसी के साथ प्रदेश में खनिज आधारित निवेश को भी प्रोत्साहन मिलेगा।

सरकार पिछले पांच साल से नियम बना रही थी। नए नियमों के तहत सरकार पत्थर से रेत बनाने के लिए पट्टा भी देगी। इसके साथ ही सरकार ने खनिज के दाम भी तय कर दिए हैं। अब मंत्री के अनुमोदन से संचालक उत्खनन पट्टा दे सकेंगे। वहीं चार हेक्टेयर तक के खनिज पट्टे कलेक्टर जिला स्तर पर मंजूर कर सकेंगे। दूसरे राज्यों से आने वाले गौण खनिज पर 25 रुपए घनमीटर की दर से शुल्क लिया जाएगा। अभी तक पहले आओ-पहले पाओ की तर्ज पर आवेदन करने वालों को खदान आवंटित करने का प्रविधान था। केंद्र सरकार ने वर्ष 2015 में 31 मुख्य खनिजों को गौण खनिज घोषित किया है। राज्य सरकार फरवरी 2018 में इनको गौण खनिजों की सूची में शामिल कर चुकी है, पर नियम न होने के कारण खदानों की नीलामी नहीं हो रही थी। इससे राज्य सरकार को हर साल करीब 500 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा था। कोरोनाकाल में सरकार को खाली खजाना भरने के लिए गौण खनिज की याद आई और अब नियम बनाए गए हैं। उल्लेखनीय है कि इस खनिज के 100 से अधिक आवेदन दो साल से खनिज विभाग में पड़े हैं।

ये होंगे अब गौण खनिज

अगेट, बॉल क्ले, बैराइट्स, कैल्केरियस सैंड, कैल्साइट, चॉक, चीनी मिट्टी, अन्य क्ले, कोरण्डम, डायस्पोर, डोलोमाइट, डयुनाइट अथवा पायरोसेनाइट, फेलसाइट, फेल्सपार, अग्निसह मृत्तिका, फुस्काइट क्वार्टजाइट, जिप्सम, जस्पर, कयोलिन, लेटेराइट, चूना कंकड़, अभ्रक, ऑकर, पाइरोफाइलाइट, क्वार्टज, क्वार्टजाइट, बालू (अन्य) शेल, सिलिका बालू, स्लेट और स्टोटाइट अथवा टैल्क या सोपस्टोन। कैबिनेट ने भू-अर्जन पुनर्व्यवस्थापन योजना को मंजूरी दी है। इसके तहत किसी परिवार के पुनर्वास के लिए ग्रामों में सरकारी भूमि मिल जाती है, तो जिस एजेंसी के लिए भू-अर्जन किया जा रहा है, उससे सिंचित कृषि भूमि के बाजार मूल्य की 1.6 गुना राशि लेकर विकास कार्य कराए जाएंगे। यदि सरकारी भूमि उपलब्ध नहीं है, तो संबंधित एजेंसी से भुगतान कराकर ग्रामों की निजी भूमि पर पुनर्वास कराया जाएगा।

-  सिद्धार्थ पांडे

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