कांग्रेस पर उपेक्षा कर आरोप लगाते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा में शामिल हो गए हैं और अभी तक उन्होंने जैसा चाहा है भाजपा ने उन्हें वैसा दिया है। लेकिन अभी भी सिंधिया को उस तोहफे का इंतजार है, जिसके वे पात्र हैं। यानी केंद्रीय मंत्रिमंडल में मंत्री बनने का।
जन्मदिन पर उपहार मिले तो हर किसी को अच्छा लगता है। बच्चे हैं तो खिलौने, चॉकलेट, कपड़े। युवा हैं तो बाइक, कार, घड़ी, चश्में। महिला हैं तो गहने, साड़ियां। बुजुर्गों को बच्चों की अटेंशन की चाहत होती है। अगर आप राजनेता हैं तो समर्थकों का हुजूम, शुभकामनाओं के होर्डिंग्स और बैनर से पटा शहर आपकी लोकप्रियता का ग्राफ दर्शाता है। एक जनवरी को महाराज यानी ज्योतिरादित्य सिंधिया का 50वां जन्मदिन है। उनके पास बाकी तो सभी चीजे हैं। इंतजार है तो दिल्ली दरबार से मिलने वाले उपहार का। इस उपहार को पाने के लिए उन्होंने नए दल की सभी अहर्ताएं पूरी कर ली हैं। सूबे में सरकार पलटकर न सिर्फ शिवराज को गद्दी पर बिठा दिया बल्कि उपचुनाव में अच्छी सीटें जितवाकर सरकार को स्थायित्व भी दिला दिया। अब जिम्मेदारी सरकार की है वह महाराज को स्वर्णिम जन्मदिन पर मनवांछित उपहार दे।
माना जा रहा है कि नए साल में सिंधिया को उनकी मंशानुसार तोहफा मिल सकता है। लेकिन उससे पहले सिंधिया जिस तरह अपने समर्थक विधायकों को शिवराज सरकार में मंत्री बनवाने के प्रयास में जुटे हुए हैं, उससे तो एक बात साफ है कि वे किसी पर भरोसा करने की स्थिति में नहीं हैं। इसलिए उनकी कोशिश है कि अपने समर्थक विधायकों को जल्द से जल्द मंत्री बनवा दें। कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हुए ग्वालियर के युवा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की 4 कोशिशों के बावजूद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मंत्रिमंडल का विस्तार करने के लिए तैयार नहीं हैं। सीहोर में भाजपा जिला अध्यक्षों के ट्रेनिंग कैंप में शामिल होने गए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंत्रिमंडल के विस्तार के सवाल पर जवाब दिया कि अभी तो माफियाओं को निपटा रहा हूं।
खास बात यह है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया की टीम से बिना चुनाव लड़े मंत्री बनाए गए नेताओं में से दो विधायक (तुलसीराम सिलावट एवं गोविंद सिंह राजपूत) मतदान से पहले कार्यकाल खत्म हो जाने के कारण इस्तीफा दे चुके हैं और चुनाव हार जाने के कारण इमरती देवी, एदल सिंह कंसाना और गिर्राज दंडोतिया के 6 महीने का कार्यकाल दिसंबर के साथ खत्म होने जा रहा है। यही कारण है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया लगातार दिल्ली में केंद्रीय नेताओं से और भोपाल में शिवराज सिंह चौहान से बार-बार मिल रहे हैं। प्रदेश भाजपा की नई टीम नए साल में आ सकती है। साथ ही मंत्रिमंडल विस्तार को भी भाजपा संगठन ने अपनी ओर से हरी झंडी दे दी है। राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की इन दोनों मुद्दों पर गाइडलाइन प्रदेश में सत्ता और संगठन को प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव दे गए हैं। इसके तहत सत्ता और संगठन के नए चेहरे नए साल में साफ हो जाएंगे। संभावना है कि पहले हफ्ते में ही टीम आ जाए।
राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बीते दिनों प्रदेश भाजपा के जिला अध्यक्ष प्रशिक्षण में पूरे दिन शिरकत की थी। सिंधिया ने प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा से मंत्रिमंडल विस्तार पर चर्चा की। सूत्र बताते हैं कि प्रदेश भाजपा की नई टीम को लेकर भी इन नेताओं के बीच चर्चा हुई। इसके बाद मुरलीधर ने राष्ट्रीय अध्यक्ष की गाइडलाइन को साफ कर दिया है। इसके तहत प्रदेश भाजपा की नई टीम का ऐलान जनवरी में हो सकता है।
सूत्रों का कहना है कि मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर भी सिंधिया की बात मानी जाना तय हो गया है। कम से कम गोविंद सिंह राजपूत, तुलसी सिलावट की शपथ को जल्द कराया जाएगा। बाकी 4 पदों को लेकर सिंधिया और शिवराज के समन्वय से तय होगा। हारे हुए तीन मंत्रियों के पुनर्वास को लेकर भी सिंधिया की बात को महत्व दिया जाएगा। प्रदेश भाजपा की नई टीम में भी ज्योतिरादित्य सिंधिया का असर दिखेगा। संभावना है सबसे पहले नई टीम आएगी। इसमें सिंधिया समर्थकों को समायोजित करने की लाइन भी पार्टी ने दी है। वीडी शर्मा, शिवराज सिंह और सिंधिया के सबसे ज्यादा समर्थक नई टीम में रहेंगे। पार्टी युवाओं को नई टीम में मौका देना चाहती है। इससे सिंधिया समर्थकों की एंट्री आसानी से होने का रास्ता खुल गया है। ज्योतिरादित्य सिंधिया बीते एक महीने में तीन बार मप्र का दौरा कर चुके हैं। सिंधिया के दौरे को देखते हुए मप्र में मंत्रिमंडल विस्तार और वीडी शर्मा की टीम के विस्तार की अटकलें तेज हो गई हैं। बीते एक महीने में ज्योतिरादित्य सिंधिया, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से कई बार मुलाकात कर चुके हैं।
सिंधिया की प्रतिष्ठा दांव पर लगी
ज्योतिरादित्य सिंधिया के सामने कई चीजें चुनौतियां बनकर खड़ी हो गई है। केंद्र में उनका अपना मंत्री पद और मप्र की सत्ता एवं संगठन में अपने समर्थकों का प्लेसमेंट ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए प्रतिष्ठा का विषय है। यदि वह चूक गए तो कांग्रेस पार्टी में उनके नाम से काफी किरकिरी होगी। फिलहाल उनका नाम लेकर लोग कांग्रेस हाईकमान की पॉलिसी को गलत बताते हैं, यदि ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा में सफल नहीं हो पाए तो गांधी परिवार से जुड़े कांग्रेस के नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की असफलता का वर्षों तक उदाहरण देंगे। इसलिए सिंधिया की हर पल यही कोशिश है कि वे अपने समर्थकों को सरकार और संगठन में महत्वपूर्ण पद दिलाने के साथ ही अपने आपको भी केंद्रीय सरकार में स्थापित करें।
- लोकेंद्र शर्मा