कमजोर हो रही पकड़
18-Feb-2020 12:00 AM 427

विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद मप्र भाजपा की परफॉर्मेंस से संघ संतुष्ट नहीं है। देश के सबसे बड़े प्रदेश में भाजपा की कमजोर होती पकड़ को मजबूत करने के लिए भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ ही अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक भी मैदान में उतरेंगे। स्वयंसेवक घर-घर जाकर राष्ट्रवाद का अलख जगाएंगे। इस काम में किसी तरह की कोताही न हो, इसके लिए समन्वयकों की भी तैनाती की जा रही है। इसके लिए संघ ने पहले इंदौर, फिर गुना उसके बाद भोपाल में रणनीति बनाई। मप्र में 2018 का विधानसभा चुनाव हारने के बाद भाजपा की मैदानी पकड़ कमजोर पड़ती जा रही है। अपने गढ़ में भाजपा की कमजोर होती ताकत को मजबूत करने के लिए संघ ने अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। इसी कड़ी में पहले इंदौर फिर गुना, उसके बाद राजधानी भोपाल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अहम बैठकें हुईं। इस दौरान संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मप्र और छत्तीसगढ़ के भाजपा और संघ के आनुषांगिक संगठनों के पदाधिकारियों से चर्चा की। राजधानी में तीन दिवसीय बैठक में देश की वर्तमान स्थिति के साथ ही मप्र में भाजपा नेताओं पर छाई निष्क्रियता पर भी चिंता जताई गई। इस दौरान भागवत ने संगठन के पदाधिकारियों से संवाद भी किया। संघ प्रमुख ने आनुषांगिक संगठनों और भाजपा नेताओं से संगठन को मजबूत करने और आपसी तालमेल बनाकर काम करने की बात कही।

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भाजपा और आनुषांगिक संगठनों के बीते एक साल के कामकाज की भी समीक्षा की। साथ ही पिछली बैठक में दिए गए कार्यक्रमों की स्टेटस रिपोर्ट ली गई। बता दें कि, बैठक के तीसरे दिन आनुषांगिक संगठनों की बैठक में मध्य के सभी 34 आनुषांगिक संगठन के पदाधिकारी शामिल हुए। साथ ही, बैठक में मध्य प्रदेश भाजपा के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह, संगठन महामंत्री सुहास भगत, केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा, राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा, नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव समेत कई बड़े और छोटे नेता शामिल हुए। जबकि छत्तीसगढ़ से भाजपा के रामविचार नेताम, सरोज पांडेय समेत कई बड़े नेता शामिल हुए। छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम रमन सिंह भी एक बैठक में शामिल हुए। हालांकि, मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान दिल्ली चुनाव में व्यस्त होने के कारण बैठक में शामिल नहीं हो सके।

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने एमपी और छत्तीसगढ़ के जिला और विभाग प्रचारकों के साथ मंथन किया। इसमें सीएए, राम मंदिर और गौसेवा समेत कई और अहम मुद्दों पर चर्चा की गई। संघ की ओर से मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में सीएए के समर्थन अभियान को चलाने के बाद सामने आए नतीजों की रिपोर्ट तलब की। रिपोर्ट पेश करते हुए भाजपा समेत आनुषांगिक संगठनों ने बताया कि जिलास्तर पर उनकी ओर से सीएए का समर्थन जुटाने के लिए क्या-क्या कार्यक्रम चलाए गए। इस दौरान उन विवादों पर भी चर्चा की गई, जो सीएए का समर्थन जुटाने के दौरान कुछ जिलों में हुए। सूत्रों के मुताबिक, संघ मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में सीएए के पक्ष में माहौल बनाने के काम करेगा। संघ प्रचारकों द्वारा सीएए पर जनसमर्थन जुटाने के लिए सभाएं और गांव स्तर तक संपर्क अभियान चलाने की भी बात कही।

सूत्रों के मुताबिक बैठक में संघ प्रमुख मोहन भागवत की आनुषांगिक संगठनों के कामकाज के साथ ज्वलंत मुद्दों जैसे जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने, तीन तलाक और सीएए के बाद प्रमुख संगठनों की क्या और कैसी भूमिका होनी चाहिए, इस पर चर्चा हुई। समाज में सामाजिक समरसता बनी रहे, परिवार को जोड़कर रहने के लिए प्रेरित किया जाए, गौवंश की रक्षा और स्वच्छता अभियान पर काम किया जाए, इस विषय पर सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने युवाओं और महिलाओं पर विशेष फोकस करने का निर्देश दिया।

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भाजपा और अन्य संगठनों से जुड़े लोगों के बीच चाल, चरित्र और चेहरे पर उठ रहे सवालों पर चिंता जताई है। साथ ही हिदायत दी है कि वे अपने आचरण पर भी गौर करें। सूत्रों का कहना है कि पिछले दिनों हनीट्रैप मामले के सामने आने और कई अन्य मामलों में भाजपा नेताओं और प्रचारकों के जुड़े होने की तरफ इशारों-इशारों में उन्होंने यह बात कही। सूत्रों के अनुसार, भागवत ने संगठनों से जुड़े प्रतिनिधियों को संघ की साख याद दिलाई। साथ ही कहा, समाज उनकी तरफ देखता है, अगर उनके आचरण में गिरावट आएगी, तो यह स्वीकार्य नहीं होगा। लिहाजा, सभी को अपने आचरण में बदलाव लाना होगा, अनुशासित रहना होगा।

संघ प्रमुख ने भाजपा नेताओं और अन्य संगठनों से जुड़े लोगों को संघ की सामाजिक प्रतिष्ठा याद दिलाई। साथ ही उन्हें अपने अतीत से सीख लेने पर जोर दिया। इतना ही नहीं, नेताओं की कार्यशैली और उन पर उठे सवालों पर सीधे तौर पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि संघ समाज के बीच जाकर समस्याओं और राष्ट्र की चुनौतियों के लिए लोगों को तैयार करता है, मगर राज्य के कई नेताओं के सवालों में घेरने से पूरे संगठन की छवि पर असर पड़ता है, इसे रोकने के प्रयास होने चाहिए।

सूत्रों के अनुसार, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में डेढ़ दशक तक भाजपा सत्ता में रही और बीते एक साल से सत्ता से बाहर है। इस एक वर्ष की अवधि में संगठनों ने क्या काम किया, इसका भी ब्यौरा संघ प्रमुख ने लिया। सर संघचालक भागवत ने प्रांत व जिले में काम कर रहे विभाग, जिला एवं प्रांत प्रचारकों से चर्चा करते हुए कहा कि धर्म संस्कृति एवं समाज के विकास को पूर्ण करने का दायित्व हमारा है। इसमें सभी स्वयंसेवकों को जुटना होगा। समस्याओं के समाधान के लिए ऐसे सामथ्र्यवान स्वयंसेवक खड़े करने हैं जो परिस्थिति के साथ स्वयं की भूमिका को तय करने के लिए तैयार रहें। भागवत ने ग्राम विकास के कार्यों पर चर्चा की एवं वर्तमान कार्यों की समीक्षा के साथ आगामी वर्ष के कार्यक्रमों को सामने रखा।

मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ भाजपा व संघ और अन्य संगठन के नेताओं से भागवत ने कहा कि वैचारिक एवं सामाजिक नेतृत्व तैयार करने के लिए सभी अपने संगठनों में अनुशासित, धैर्यवान, सक्षम एवं स्वावलंबी कार्यकर्ताओं को जोड़ें। अपने कार्यों का विस्तार ग्रामीण स्तर तक करें, ताकि आने वाले समय में हम सामाजिक चुनौतियों एवं कुरीतियों का सामना करने में सक्षम और स्वावलंबी बन सकें। सभी संगठनों के कार्यकर्ता एक-दूसरे के पूरक बनकर स्वयंसेवक भाव से अपने कार्यों का विस्तार करें एवं संगठन को मजबूत बनाएं। उन्होंने कहा कि हमारे कार्य के प्रति समाज में विश्वास एवं स्वीकार्यता बढ़ी है। उल्लेखनीय है कि इस दो दिवसीय समन्वय बैठक में विविध संगठनों के मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के प्रमुख कार्यकर्ता शामिल हुए।

ग्राम विकास के लिए चयनित गांवों को संघ ने दो भागों में विभाजित किया है। प्रभात ग्राम जिसमें सेवा कार्यों के बाद परिवर्तन दिखाई देने लगा है। उदय ग्राम, जहां काम अभी शुरू हुआ है। मालवा प्रांत में 193 उदय ग्राम एवं 120 प्रभात ग्राम हैं। इसी प्रकार मध्य भारत, महाकौशल प्रांत एवं छत्तीसगढ़ में भी उदय ग्रामों एवं प्रभात ग्रामों की संख्या क्रमश: 21 एवं 8, 54 एवं 12 और 27 एवं 14 है।

सूत्रों के अनुसार अगामी नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में पार्टी का जनाधार मजबूत करने के लिए संघ मोर्चा संभालेगा। बैठक में निर्णय लिया गया कि प्रदेश में भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ ही अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक भी मैदान में उतरेंगे। इस दौरान गोष्ठी के साथ ही स्वयंसेवक घर-घर जाकर राष्ट्रवाद का अलख जगाएंगे। इस काम में किसी तरह की कोताही न हो, इसके लिए समन्वयकों की भी तैनाती की जा रही है।

संघ के सूत्रों के अनुसार लोकसभा चुनाव में स्वयंसेवकों ने जनता के बीच हजारों बैठकें की थीं। इस बार बैठकों की संख्या और अधिक करने का लक्ष्य रखा गया है ताकि समाज के सभी वर्गों तक अपनी बात पहुंचाई जा सके। दरअसल, इन दिनों सीएए को लेकर फैलाए जा रहे दुष्प्रचार से संघ भी चिंतित है। संघ का मानना है कि वोट बैंक की राजनीति में भाजपा विरोधी पार्टियां सीएए को लेकर लोगों को गुमराह कर रही हैं। इसे ध्यान में रखकर लोकसभा की तुलना में ज्यादा बैठक करने के साथ ही जनसंपर्क अभियान चलाने का फैसला किया गया है। स्वयंसेवक लोगों से मिलकर उन्हें सीएए की सच्चाई बताएंगे। इसके साथ ही देश को कमजोर करने की चल रही साजिश के बारे में बताएंगे।

संघ की बैठक में स्वयंसेवकों को आदिवासियों को वास्तविकता से परिचित कराने का लक्ष्य दिया गया है। स्वयंसवेक अब आदिवासियों के बीच डेरा डालेंगे। उन्हें वर्तमान परिस्थितियों से रूबरू कराकर भ्रम दूर करेंगे। सीएए के साथ ही अब स्वयंसवेक जनगणना को लेकर भी घर-घर जाएंगे। नागरिकता संशोधन कानून को लेकर देशभर में विरोध देखने को मिला है। संघ का मानना है कि लोगों के बीच भ्रम है। नेताओं के बाद अब संघ के स्वयंसेवक मैदान में उतरेंगे, लोगों के बीच जाकर जनगणना के साथ ही नागरिकता संशोधन कानून की वास्तविकता बताएंगे। संघ ने मप्र-छत्तीसगढ़ के नेताओं से सीएए को लेकर चले जनजागरण अभियान की रिपोर्ट मांगी है। 

संघ के स्वयंसवेक आदिवासियों के बीच डालेंगे डेरा

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का पूरा फोकस अब 2021 में होने वाली जनगणना और सीएए पर है। उसका ध्यान आदिवासियों पर है कि कहीं वो इस अगली जनगणना में अपने नाम के साथ कोई अन्य धर्म ना लिख दें। संघ का मानना है कि पिछली जनगणना में ऐसा हुआ था इसलिए हिन्दू आबादी का प्रतिशत कम हो गया था। आदिवासियों को जागरुक करने के लिए स्वयंसेवकों को उन इलाकों में अभियान चलाने की जिम्मेदारी दी गई है। 2021 में होने जा रही जनगणना अब संघ का सबसे महत्वपूर्ण एजेंडा है। संघ ने भोपाल में हुई बैठक में नागरिकता संशोधन कानून के साथ ही 2021 की जनगणना को अपने एजेंडे में रखा है। बैठक में बताया गया कि ऐसी जानकारी मिल रही है कि आदिवासियों के बीच कुछ ऐसे संगठन काम कर रहे हैं जो जनगणना के समय आदिवासियों से हिन्दू की जगह अन्य जाति या धर्म लिखवाना चाहते हैं। बैठक में बताया गया कि 1991 की जनगणना में हिन्दुओं की संख्या 84 प्रतिशत थी जो 2011 में घटकर 69 प्रतिशत हो गई।

सक्षम कार्यकर्ता होंगे तैनात

सीएए के मुद्दे पर देशभर में मचे बवाल के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपना रोडमैप तैयार कर लिया है। संघ और उससे जुड़े भाजपा सहित 34 संगठन अब सीएए, राम मंदिर, एनआरसी के मुद्दों पर सरकार के पक्ष में माहौल बनाने के लिए गांव-गांव तक ऐसे सक्षम कार्यकर्ताओं की टीम खड़ी करेंगे जो विरोधियों के आरोपों का मुखरता से जवाब दे सके। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मध्यक्षेत्र (मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़) की बैठक के अंतिम दिन प्रश्नोत्तर सत्र के दौरान संघ प्रमुख मोहन भागवत ने एक सवाल के जवाब में साफ कहा कि सीएए जैसे विषयों पर कुछ लोग यदि भ्रम का वातावरण बनाते हैं तो उसे समाप्त करना हमारा काम है। हमें इसके लिए गांव स्तर तक सक्षम कार्यकर्ताओं की टीम खड़ी करना चाहिए। बैठक के दौरान संघ के सभी आनुषांगिक संगठनों से पिछले एक साल में किए गए कार्यों का पूरा रिपोर्ट कार्ड लेने के साथ ही अगले साल की कार्ययोजना पर भी चर्चा हुई। संघ की इस बैठक में प्रभात-उदय ग्राम, परिवार इकाई को सशक्त करने और समाज को संगठित करने के लिए सभी संगठनों को नए कार्यक्रम दिए गए।

- अरूण दीक्षित

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