भाजपा शासन में नर्मदा किनारे एक ही दिन में 6 करोड़ पौधे लगाने में बड़े स्तर पर फर्जीवाड़ा किया गया था। वर्तमान सरकार ने इस फर्जीवाड़े की जांच कराकर दोषियों को सजा दिलाने का वादा किया था। लेकिन एक साल से अधिक का अरसा बीत जाने के बाद भी इस मामले में अभी तक सिर्फ जांच पर जांच चल रही है। वनमंत्री उमंग सिंघार का कहना है कि इस मामले में एक और जांच चल रही है। जल्द ही फर्जीवाड़े में शामिल दोषियों के नाम सामने आ जाएंगे।
जानकारी के अनुसार इससे पहले वन विभाग इस फर्जीवाड़े की आधा दर्जन जांच करवा चुका है। दरअसल, वनमंत्री उमंग सिंगार ने इस पूरे मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, तत्कालीन वनमंत्री गौरीशंकर शेजवार सहित वन मुख्यालय के अफसरों को दोषी मानते हुए इस मामले को ईओडब्ल्यू को सौंपने की अनुशंसा की थी। लेकिन विभाग के अपर मुख्य सचिव ने ईओडब्ल्यू से जांच कराने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। उसके बाद पौधरोपण घोटाले में आईएफएस अफसरों को फंसते देख विभाग ने इस मामले की फाइल मुख्यमंत्री कमलनाथ को भेजी थी। उच्च स्तर पर चर्चा के बाद तय हुआ है कि इस मामले की सूक्ष्म स्तर पर जांच कराई जाए। इसमें प्रदेश की सभी नर्सरियों के पौधे तैयार करने की क्षमता की जांच भी कराई जाए जिससे ये पता चल सके कि उन्होंने जितने पौधे बेचना बताए हैं क्या वाकई सही हैं। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने सरकार में आते ही दो जुलाई 2017 को नर्मदा के किनारे रोपे गए पौधों के घोटाले की बात कही थी।
योजना एवं आर्थिक सांख्यिकी विभाग ने वन, कृषि, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, उद्यानिकी विभाग से सात बिंदुओं पर जानकारी मांगी है। विभाग ने पूछा है कि पौधे कहां से खरीदे गए थे। किस मूल्य पर पौधे खरीदे गए। पौधे प्रदाय करने वाले वन विभाग की नर्सरियों की क्षमता तथा उसमें पांच वर्षों तक तैयार किए गए पौधों की जानकारी मांगी है। सांख्यिकी विभाग ने यह भी पूछा है कि जिन क्षेत्रों में पौधे रोपे गए थे उसकी भौगोलिक स्थिति क्या है, उसके खसरा नंबर तथा मैप भी उपलब्ध कराएं। साथ ही वर्तमान में पौधों के जीवितता की जानकारी एक सप्ताह के अंदर बुलाई गई है। विभागों द्वारा उपलब्ध कराई गई रिपोर्ट वित्तमंत्री की अध्यक्षता में पौधरोपण की जांच के लिए मंत्री समूह समिति के समक्ष पेश की जाएगी।
वनमंत्री उमंग सिंघार ने पौधरोपण की जांच ईओडब्ल्यू से कराने की घोषणा 11 अक्टूबर 2019 को की थी। पौधरोपण के दौरान हुई वित्तीय अनियमितताओं के संबंध नोटशीट और कुछ दस्तावेज भी मीडिया और सरकार को दिए थे। उन्होंने तत्कालीन भाजपा सरकार पर ये भी आरोप लगाए थे कि वन विभाग के अधिकारियों के साथ सरकार भी इस घोटाले में शामिल है। हालांकि कमलनाथ सरकार ने पौधरोपण की जांच कराने के संबंध में कोई निर्णय नहीं लिए हैं।
जानकारी के अनुसार इस मामले में वन विभाग के आला अधिकारी लीपापोती की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि घोटाले के केंद्र में वन विभाग के ही अधिकारी हैं। रिपोर्ट कुछ इस तरह से बनाई जा रही है कि 100 पौधे लगाए थे, 20 जीवित हैं। यानी 80 मुरझा गए हैं। जबकि घोटाला का मुद्दा ही यह है कि दस्तावेजों में 100 पौधे दर्ज किए, असल में 20 ही खरीदे, 80 पौधे अफसर खा गए। वन विभाग के सूत्रों के अनुसार जांच में यह बात सामने आई है कि इंदौर में 45 से 50 फीसदी पौधे खराब हो गए। इसी प्रकार सीहोर के एक परिक्षेत्र में 50 फीसदी, जबकि दूसरे परिक्षेत्र में 20 फीसदी। सिवनी, बालाघाट, अनूपपुर, मंडला, जबलपुर वन मंडल में 10 से 33 फीसदी। भोपाल वन मंडल ने एक साल पहले एनजीटी को 80 फीसदी पौधे जीवित होना बताया था, लेकिन रिपोर्ट बदल गई है और नए सर्वे के हिसाब से 70 फीसदी पौधे ही शेष बचे हैं। यानी यहां 30 प्रतिशत का घोटाला जांच की जद में होना चाहिए। वनमंत्री उमंग सिंघार का कहना है कि नर्मदा किनारे पौधरोपण में ढेरों गड़बडिय़ां हुई हैं। पौधों का एक मैदानी सर्वे कराया है। इसकी जांच रिपोर्ट में देखा जा रहा है कि कहां क्या स्थिति है? जल्दी ही इस पर कार्यवाही करेंगे। अब देखना यह है कि भाजपा शासनकाल में हुए इस घोटाले की तह तक सरकार पहुंच पाती है या नहीं।
इस तरह से कराई जांच
इस मामले में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की याचिका पर एनजीटी ने 25 सितम्बर 2017 तक सरकार से रिपोर्ट बुलाई। वन विभाग ने एनजीटी में रिपोर्ट पेश करते हुए बताया कि 95 फीसदी पौधे जीवित हैं। फिर विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा सरकार के आखिरी विधानसभा सत्र के दौरान कांग्रेस ने सवाल उठाया था कि भाजपा सरकार द्वारा वाहवाही लूटने के चक्कर में बिना तैयारी के नर्मदा के किनारे सवा 6 करोड़ पौधे रोपे गए हैं, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। पौधरोपण की जांच कराई जाए। वन विभाग ने विधानसभा को पेश किए गए आंकड़ों में बताया था कि 85 फीसदी पौधे जीवित हैं। उसके बाद कांग्रेस सरकार के आने के बाद कराई गई। इस जांच रिपोर्ट में अधिकारियों ने बताया कि 80 फीसदी से अधिक पौधे जीवित हैं। बाद में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने यह दावा किया कि उन्होंने पदयात्रा के दौरान खुद यह देखा है कि नर्मदा के किनारे रोपे गए पौधे सूख गए हैं। कई जगह सिर्फ गड्ढे खोदे गए थे, पौधे नहीं लगाए गए। भाजपा सरकार ने पौधरोपण के फर्जी आंकड़े पेश किए हैं। फिर वनमंत्री उमंग सिंघार ने खुद जांच कराई। जिसमें यह बात सामने आई कि करीब 75 फीसदी से अधिक पौधे जीवित हैं। इसके बाद उन्होंने खुद बैतूल सहित अन्य जिलों में औचक निरीक्षण कर देखा तो पाया मात्र 20 फीसदी ही पौधे जीवित पाए गए, जितने गड्ढ़े खोदे गए थे, उसमें से मात्र 15 फीसदी ही रोपे गए। इसके चलते उन्होंने पूरी रिपोर्ट को खरिज कर दिया। उसके बाद मंत्री ने फिर जांच कराई। इसमें एक क्षेत्र के अधिकारी को दूसरे क्षेत्र में पौधरोपण के जांच की जिम्मेदारी दी गई, इसमें जांच में कुछ निजी एजेंसियों को भी शामिल किया गया था।
- विशाल गर्ग