करे कोई और भरे कोई की तर्ज पर मप्र के 4 अफसर जांच के घेरे में पड़ गए हैं। मप्र सरकार ने 4 अफसरों के खिलाफ जांच के लिए आर्थिक अपराध शाखा को पत्र लिखा है। सरकार की चिट्ठी के बाद सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या कैश कांड में मप्र के 4 बड़े पुलिस अफसर नपेंगे? बता दें कि सीबीडीटी की रिपोर्ट के आधार पर केंद्रीय चुनाव आयोग ने कैश कांड की जांच के बाद इन अफसरों पर कार्रवाई के लिए मप्र के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को पत्र लिखा था। इसके बाद 17 दिसंबर को मप्र के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने मुख्य सचिव को पत्र लिखा, जिस पर जवाब देते हुए सामान्य प्रशासन विभाग ने ईओडब्ल्यू के महानिदेशक को पत्र लिख मामले की जांच करने को कहा है। पत्र में जिन चार अधिकारियों के नाम हैं उनमें आईपीएस सुशोभन बनर्जी, संजय माने, वी मधुकुमार और राज्य पुलिस सेवा के अरुण मिश्रा हैं।
दरअसल, साल 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान कमलनाथ सरकार के समय मप्र में पड़े आयकर विभाग के छापों के दौरान चारों अफसरों और नेताओं के बीच पैसों के कथित लेनदेन का जिक्र मिला था। इन छापों ने मप्र के साथ-साथ देश की सियासत को भी गरमा दिया था जिसने काफी तूल पकड़ा था। बता दें कि 5 जनवरी को सरकार की तरफ से मुख्य सचिव को चुनाव आयोग में जवाब देना है कि सीबीडीटी की रिपोर्ट पर सरकार ने अब तक क्या कार्रवाई की है। माना जा रहा है कि उससे ठीक पहले ईओडब्ल्यू को मामले की जांच सौंपी गई है।
गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने मप्र के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को भारतीय पुलिस सेवा के मप्र कैडर में पदस्थ तीन अधिकारियों के समेत उन सभी अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए हैं जिन पर 2019 के आम चुनाव के दौरान कालाधन ले जाने के आरोप लगे थे। आयकर विभाग ने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के परिजनों और उनके सहयोगियों के यहां मारे गए छापों के बाद आरोप लगाए गए थे। आयोग ने केंद्रीय मुख्य सचिव से भी इन अधिकारियों के खिलाफ उपयुक्त विभागीय कार्रवाई करने को कहा है। मप्र के मुख्य सचिव से भी इसी तरह की कार्रवाई करने को कहा गया है। आयकर विभाग ने छापों में पाया था कि 2019 के आम चुनाव में भारी मात्रा में नकदी का इस्तेमाल किया गया था। इसकी रिपोर्ट आयकर विभाग की शीर्ष संस्था केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने चुनाव आयोग को भेजी थी। आयोग ने कहा कि उसने इस रिपोर्ट के सभी पहलुओं पर विचार-विमर्श के बाद ही यह निर्देश दिए हैं।
चुनाव आयोग से जारी बयान के मुताबिक सीबीडीटी की रिपोर्ट में कहा गया था कि इन अधिकारियों की एक राष्ट्रीय पार्टी की ओर से कुछ लोगों तक पहुंचाने में भूमिका रही है। आयोग ने अपने बयान में किसी पार्टी का नाम नहीं लिया है। लेकिन यह बिलकुल स्पष्ट है कि यह बोर्ड का इशारा कांग्रेस पार्टी की ओर है। चुनाव आयोग ने मप्र के सीईओ को 28 अक्टूबर 2020 को ही यह रिपोर्ट भेज दी थी। इसमें सीईओ को निर्देश दिए गए थे कि वह तीन अधिकारियों के खिलाफ ईओडब्ल्यू में शिकायत दर्ज कराए।
आयकर विभाग की जांच में यह सामने आया था कि कांग्रेस पार्टी के दिल्ली स्थित मुख्यालय को 20 करोड़ नहीं, बल्कि 106 करोड़ रुपए भेजे गए थे। इसके अतिरिक्त विकास ढींगरा नामक व्यक्ति के खाते में 72 करोड़ रुपए भेजे गए। आयकर विभाग की यह जांच विकास ढींगरा नामक व्यक्ति पर भी केंद्रित रही। जिसमें पाया गया है कि ढींगरा अप्रैल 2019 को ही विदेश चला गया था। इसके बाद अब तक नहीं लौटा। हालांकि विभाग का दावा है कि वह इस रकम के लेनदेन का सीधे लाभार्थी नहीं है। वह केवल रकम एक जगह से दूसरी जगह भेजने का माध्यम भर है।
सूत्रों के मुताबिक 7 अप्रैल 2019 को आयकर ने छापे मारे थे, उनमें मप्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ के करीबी 5 लोग शामिल थे। जिसमें बड़े पैमाने पर पैसों के लेनदेन के सबूत मिले थे। इसके बाद इकट्ठा किए गए सबूत और रिपोर्ट सीबीआई को भेज दिए गए थे। आयकर विभाग ने चुनाव आयोग को जो साक्ष्य और जांच रिपोर्ट सौंपी, उसमें लोकसभा चुनाव के दौरान 11 उम्मीदवारों को कथित तौर पर भारी रकम ट्रांसफर किए जाने का आरोप है। यह जानकारी दिल्ली के एक शख्स ललित कुमार चेलानी के कम्प्यूटर से मिली थी। चेलानी एक अकाउंटेंट हैं, जो कमलनाथ के करीबी आरके मिगलानी के साथ काम कर चुके हैं। चेलानी के खाते से ही ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी को रकम का भुगतान करने के सबूत आयकर को मिले थे।
सूत्रों के मुताबिक 11 लोकसभा उम्मीदवारों को चेलानी के माध्यम से रकम मिली थी। हालांकि भुगतान से जुड़ी रसीदें सिर्फ दो उम्मीदवारों सतना से राजाराम प्रजापति और बालाघाट से मधु भगत के मामले में मिली थी। अन्य जिन उम्मीदवारों को फंड मिलने का आरोप है, वे हैं- मंदसौर से मीनाक्षी नटराजन, मंडला से कमल मांडवी, शहडोल से प्रमिला सिंह, सीधी से अजय सिंह, भिंड से देवाशीष जरारिया, होशंगाबाद से शैलेंद्र सिंह दीवान, खजुराहो से कविता सिंह, भोपाल से दिग्विजय सिंह और दमोह से प्रताप सिंह लोधी।
4 अफसरों पर है आरोप
जिन 4 अफसरों पर आरोप लगे हैं, उनमें सुशोभन बैनर्जी, संजय माने और वी मधु कुमार आईपीएस अधिकारी हैं जबकि अरुण मिश्रा मप्र राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी हैं। आयकर विभाग दिल्ली की इंवेस्टिगेशन विंग ने 2019 में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के ओएसडी प्रवीण कक्कड़, सलाहकार राजेंद्र मिगलानी, मोजेर बियर कंपनी के मालिक भांजे रतुल पुरी और एक अन्य कारोबारी अश्विन शर्मा के 52 ठिकानों पर एक साथ छापे मारे थे। 8 अप्रैल को आयकर विभाग ने 14.6 करोड़ रुपए की बेहिसाब नकदी बरामद की थी। इसके साथ बड़े पैमाने पर डायरियां और कम्प्यूटर फाइल जब्त की थीं। इनमें सैकड़ों करोड़ रुपए के लेनदेन के हिसाब थे। बाद में आयकर विभाग ने बताया था कि दस्तावेजों में यह प्रमाण मिले हैं कि 20 करोड़ रुपए की राशि एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल के दिल्ली स्थित मुख्यालय भेजी गई। इन छापों में कुल 281 करोड़ रुपए के लेनदेन के पुख्ता प्रमाण मिले थे। यह पैसा विभिन्न कारोबारियों, राजनीतिज्ञों और नौकरशाहों से एकत्र किया गया था। यह 20 करोड़ रुपए की नकदी हवाला के माध्यम से तुगलक रोड स्थित एक राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टी के मुख्यालय को भेजी गई थी।
- सुनील सिंह