मप्र को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रदेश में अधिक से अधिक औद्योगिक निवेश कराना चाहते हैं। इसके लिए शासन और प्रशासन स्तर पर कार्य किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया जा रहा है। इंदौर में 4 से 6 नवंबर तक इन्वेस्टर्स समिट रखी गई है। सरकार की कोशिश है कि इस समिट में निवेश का नया इतिहास बनाया जाए। इसके लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अमेरिका सहित कई देशों का दौरा कर उद्योगपतियों को निवेश के लिए न्यौता देंगे।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने चौथे कार्यकाल की पहली विदेश यात्रा पर जाएंगे। वे मई के दूसरे हफ्ते में अमेरिकी की यात्रा करेंगे। इस दौरान इंदौर में नवंबर में होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर समिट के लिए अमेरिकी उद्योगपतियों को मप्र आने का न्यौता देंगे। प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। इससे पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए खासी मेहनत कर रहे हैं। पचमढ़ी में चिंतन शिविर के बाद अब उनका फोकस उद्योगों पर होगा। दरअसल, पिछली बार के विधानसभा चुनाव में बेरोजगारी के मुद्दे पर भाजपा को काफी नुकसान हुआ था। इस पर भी विपक्ष बेरोजगारी पर मुखर है। लिहाजा, इससे उबरने के लिए इंदौर में 4 से 6 नवंबर तक इन्वेस्टर्स समिट रखी गई है। मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्रों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अमेरिकी यात्रा के शेड्यूल की जानकारी दी। उनके मुताबिक मुख्यमंत्री अमेरिका में करीब 10 दिन रहेंगे। उनकी यात्रा में उद्योगपतियों के साथ मीटिंग और अन्य कार्यक्रमों की तैयारी की जा रही है। इस यात्रा का मकसद प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा निवेश हासिल करना है।
कोरोना की वजह से इन्वेस्टर्स समिट टल रही थी। अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने के लिए मप्र सरकार 4-6 नवंबर 2022 को इसका आयोजन करेगी। इन्वेस्टर्स समिट के पहले होने वाले रोड शो में दिल्ली और मुंबई में मुख्यमंत्री स्वयं शामिल हो सकते हैं। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय रोड शो दावोस और जर्मनी में करने पर विचार किया जा रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने अक्टूबर 2017 में भी अमेरिकी यात्रा की थी। बतौर मुख्यमंत्री यह उनकी आखिरी यात्रा थी। तब उन्होंने मप्र की सड़कों को अमेरिका से भी अच्छा बता दिया। इस पर काफी विवाद भी हुआ था। हालांकि, निवेश के लिहाज से अमेरिकी उद्योगपतियों को मप्र ज्यादा रास नहीं आया था। कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अब तक के मुख्यमंत्रियों में सबसे अधिक 12 विदेश यात्रा की और लौटकर कहा यह देश इतने हजार करोड़ का निवेश करेगा लेकिन निवेश नहीं आया।
उद्योग नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग भी सक्रिय हो गया है। विभाग प्रदेश में 21,640 एकड़ जमीन पर विभिन्न औद्योगिक पार्क प्रस्तावित करने की तैयारी कर रहा है। यही नहीं, इंदौर-भोपाल के बीच करीब 25 हजार एकड़ जमीन पर इंडस्ट्रियल टाउनशिप विकसित किए जाने की योजना है। इसमें दोनों शहरों के बीच सबसे बड़ा एयरपोर्ट भी बनेगा। उधर देवास में बड़ा इंडस्ट्रियल इन्वेस्टमेंट क्षेत्र बनेगा। पीथमपुर और रतलाम के बाद यह मप्र का तीसरा इंडस्ट्रियल इन्वेस्टमेंट क्षेत्र होगा। इसके लिए देवास के आसपास करीब 12 हजार एकड़ जमीन लेने की तैयारी की जा रही है। एमपीआईडीसी ने सरकार को प्रस्ताव बनाकर भी भेज दिया है। दरअसल, देवास में औद्योगिक क्षेत्र है और यहां कई नामी कंपनियों के प्लांट भी हैं। शुरुआत में देवास ही मप्र का बड़ा औद्योगिक नगर था लेकिन बाद में पीथमपुर के विकसित हो जाने के बाद कंपनियों ने पीथमपुर को तरजीह दी। इसके चलते देवास में आने के बजाय कंपनियां पीथमपुर में चली गई। कुछ साल पहले जलसंकट ने भी देवास के औद्योगिक क्षेत्र पर बुरा असर डाला और कई कंपनियां बंद भी हुईं। अब फिर से देवास के लिए अच्छी खबर है। इंडस्ट्री को जमीन देने के साथ ही पीथमपुर में जिस तरह से सेक्टर डेवलपमेंट हुए हैं, उसी तरह से देवास को भी विकसित किया जाएगा। इससे करोड़ों रुपए का निवेश तो होगा ही रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। यदि ऐसा होता है तो मेट्रोपॉलिटन अथॉरिटी के रूप में इंदौर का इंडस्ट्रियल एरिया 400 वर्ग किमी क्षेत्र का हो जाएगा। पीथमपुर, सांवेर रोड, पालदा, बेटमा के साथ अब देवास की सीमा भी औद्योगिक दृष्टि से इंदौर को उन्नत करेगी। इंदौर-भोपाल इंडस्ट्रियल कॉरिडोर की दिशा में यह बड़ा कदम होगा। इसमें उद्योग नगरी देवास, मेडिकल डिवाइस पार्क की नरवल स्थित जमीन शामिल नहीं है। यदि इसे भी शामिल करें तो मालवा में इंदौर इंडस्ट्री का सेंट्रल जोन होगा। इसके आसपास देवास, उज्जैन, पीथमपुर अलग-अलग विंग होंगे, जिन्हें एमपीआईडीसी ही विकसित करेगा।
घोषित किया जाएगा निवेश क्षेत्र
बता दें कि इंदौर-भोपाल के बीच इंटरनेशनल एयरपोर्ट भी प्रस्तावित है। इस लिहाज से भी यह प्रोजेक्ट अहम रहेगा। कहा जा रहा है कि एमपीआईडीसी के कार्यकारी संचालक रोहन सक्सेना ने बताया कि सरकार के निर्देश पर ही देवास को निवेश क्षेत्र घोषित किया जा रहा है। कोशिश यह है कि इंदौर से देवास, सोनकच्छ, आष्टा, सीहोर और भोपाल को एक इंडस्ट्रियल कॉरिडोर बनाया जाए। यहां उद्योग विभाग इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रियल पार्क, कमर्शियल, रेसीडेंशियल, लॉजिस्टिक इंडस्ट्री के प्रोजेक्ट लाएगा। हालांकि क्षेत्र के हिसाब से यह पीथमपुर से एक चौथाई होगा। पीथमपुर का इंडस्ट्रियल एरिया करीब 50 हजार एकड़ में फैला है। यह देश का सबसे बड़ा इंडस्ट्रियल एरिया है। यहां पर अलग-अलग क्षेत्र की 1500 से ज्यादा कंपनियां हैं। यह स्पेशल इकोनॉमिक जोन है। इधर प्रदेश में 5 नवीन औद्योगिक क्षेत्रों को 714.56 करोड़ रुपए की लागत से विकसित किए जाने का प्रशासकीय अनुमोदन दिया। बैरसिया जिला भोपाल परियोजना लागत 25.88 करोड़, आष्टा (झिलेला) जिला सीहोर 99.43 करोड़, धार (तिलगारा) जिला धार 79.43 करोड़ मेगा औद्योगिक पार्क रतलाम फेस-1 जिला रतलाम 462 करोड़ और नरसिंहपुर जिला नरसिंहपुर 47.82 करोड़ की परियोजना शामिल है। इन 5 नवीन औद्योगिक क्षेत्रों के विकास से प्रदेश में लगभग 32 हजार करोड़ रुपए से अधिक का निवेश होना संभावित है। साथ ही 38 हजार 450 व्यक्तियों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार उपलब्ध हो सकेगा।
- विकास दुबे