वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गांवों के विकास के मद्देनजर आदर्श ग्राम योजना की घोषणा की थी। इस योजना के तहत सांसदों को अपने-अपने संसदीय क्षेत्र के गांवों को गोद लेकर उनमें विकास कार्य करवाना था। शुरुआती वर्ष में तो मप्र के सांसदों ने बड़े जोर और जोश के साथ काम शुरू किया था, लेकिन धीरे-धीरे मामला अधर में लटकता गया और आज आदर्श ग्राम योजना ठप पड़ी हुई है।
केंद्र सरकार ने गांवों के सर्वांगीण विकास के लिए आदर्श ग्राम विकसित करने की योजना बनाई थी। मकसद यही था कि आदर्श ग्राम में सभी तरह की सुविधाएं हों और अन्य ग्राम पंचायतें उन्हें देखकर प्रेरित हो सकें। जनभागीदारी सुनिश्चित करने के लिए इसकी जिम्मेदारी सांसदों को सौंपी गई थी। शुरुआती दौर में मप्र में बेहतर काम हुआ। अधिकांश सांसदों ने पंचायतों को चयन किया। ग्राम विकास योजना भी बनी और कार्य भी स्वीकृत हुए लेकिन कोरोनाकाल में योजना ठप सी हो गई। 2019 से 2021 के अंत तक एक हजार 394 प्रोजेक्ट ही स्वीकृत हुए। इनमें भी 287 ही पूरे हुए। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारियों का कहना है कि दो साल कार्य की गति प्रभावित हुई है।
सड़कों को रौंदते और मुरम (खनिज) की धूल उड़ाते डंपरों से हलाकान ग्रामीणों ने सोचा था कि आदर्श ग्राम होने के बाद उनके गांव को इस समस्या से निजात मिलेगी। कुछ बेहतर होगा, लेकिन डंपरों से मुक्ति मिलने के बजाय हाल ही में गांव में शराब की नई दुकान की अनचाही सौगात मिल गई। यह स्थिति दो साल पहले इंदौर के सांसद शंकर लालवानी द्वारा गोद लिए तिल्लौर खुर्द गांव की है। इंदौर शहर की तरह तिल्लौर खुर्द में भी स्वच्छता के लिए कचरा इकट्ठा किया जाने लगा है, लेकिन यह स्वच्छता केवल दिखावा भर है। कचरा इकट्ठा करके गांव के बाहर एक जगह डाला जा रहा है जो उड़कर खेतों में जा रहा है। गीले और सूखे कचरे को छांटने के लिए सेग्रिगेशन शेड बनाया गया है, लेकिन अब तक काम शुरू नहीं हो पाया है। गांव में पानी की टंकी बन गई है जिससे घरों में नल का पानी आने लगा है।
लालवानी का कहना है कि योजना के अनुसार ही विकास के कार्य हो रहे हैं। शराब दुकानें के मामले में अधिकारियों से चर्चा की जाएगी। वहीं, पूर्व सांसद सुमित्रा महाजन ने सांवेर क्षेत्र के पोटलोद गांव को जब गोद लिया था तो प्रशासनिक मशीनरी गांव के विकास में जुट गई थी। नए-नए प्रोजेक्ट तैयार किए गए। गांव की मुख्य सड़क बनाने का काम शुरू हुआ, लेकिन महाजन का कार्यकाल खत्म होते ही पोटलोद गांव को अफसर भूल गए। जलसंकट की समस्या अभी भी दूर नहीं हो पाई है। भोपाल में सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने योजना के तहत बंगरसिया गांव को गोद लिया था। वर्ष 2019 से 2022 तक ग्राम पंचायत में 27 लाख 49 हजार के कार्य करवाए जा चुके हैं। 34 लाख 80 हजार के स्वीकृत कार्य अभी प्रारंभ नहीं हुए हैं। पूर्व सांसद आलोक संजर ने तारासेवनियां गांव को गोद लिया था। यहां 57 लाख 47 हजार रुपए के नाली निर्माण से लेकर अन्य कार्य कराए गए लेकिन अब स्थिति फिर बिगड़ने लगी है।
राज्यसभा सदस्य कैलाश सोनी का कहना है कि करेली जनपद में स्कूल में पानी, बाउंड्रीवाल, श्मशान घाट का विस्तार सहित अन्य कार्य करवाए गए हैं। कोरोनाकाल में सांसद निधि नहीं मिली, इसका असर कामों पर पड़ा है लेकिन अब यह फिर प्रारंभ हो गई है। अब नया गांव गोद लेकर जल संरक्षण के लिए काम किया जाएगा। पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह सिसौदिया का कहना है कि यह सही है कि कोरोनाकाल में विकास और प्रगति धीमी हुई है किंतु प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के नेतृत्व में पुन: प्रदेश में विकास कार्य गति पकड़ चुके हैं। आत्मनिर्भर भारत के लिए मप्र को आत्मनिर्भर बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। सांसद आदर्श ग्राम योजना सहित केंद्र सरकार की प्रत्येक योजना को पूरी तरह से क्रियान्वित करके धरातल पर उतारा जाएगा। इसके लिए कार्ययोजना भी तैयार की जा रही है। सभी संसद सदस्यों से आग्रह करेंगे कि वे योजना में पंचायतों का चयन करें।
कहीं सांसदों की शिथिलता तो कहीं लचर स्थानीय प्रशासन के कारण 2015 में घोषित सांसद आदर्श ग्राम योजना तो खैर अपेक्षित रूप से परवान नहीं चढ़ सकी, लेकिन आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में अब तक पिछड़े एससी (अनुसूचित जाति) बाहुल्य गांवों को विकसित करने का एक बड़ा सपना पूरा होता दिख रहा है। प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम का सोच तो 2009 में ही बन गया था, लेकिन काम 2014-15 में शुरू हो पाया। अगले 6 महीनों के भीतर देश के 8 हजार से ज्यादा ऐसे गांव अब आदर्श ग्राम बन जाएंगे जहां लोगों की आम जरूरत से जुड़ी लगभग हर सुविधा मौजूद होगी। साथ ही आम लोगों के विकास से जुड़ी केंद्र सरकार की योजनाओं का अमल भी दिखेगा।
आदर्श ग्राम घोषित करने का काम इसी महीने शुरू हो जाएगा। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना के तहत यह बड़ा काम हाथ में लिया है। इसमें वर्ष 2025 तक देशभर के सभी एससी बाहुल्य गांवों को आदर्श ग्राम बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इनकी संख्या मौजूदा समय में करीब 27 हजार है। पहले चरण में 11 राज्यों के 8,370 एससी बाहुल्य गांवों को आदर्श ग्राम के मानकों के अनुरूप तैयार करने का काम लगभग पूरा हो गया है। ऐसे में राज्यों की हरी झंडी मिलते ही इसकी घोषणा भी कर दी जाएगी। मंत्रालय ने हालांकि आजादी के अमृत महोत्सव में इसे घोषित करने की योजना तैयार की है, जिसमें जनवरी से शुरुआत होगी और जुलाई तक बारी-बारी से सभी राज्यों के आदर्श ग्रामों की घोषणा की जाएगी। इसकी शुरुआत आंध्र प्रदेश से होगी, जिसके करीब 800 दलित बाहुल्य गांवों को आदर्श ग्राम के रूप में घोषित किया जाएगा। इस योजना के तहत उप्र के भी करीब 2,500 गांवों को आदर्श ग्राम के रूप में विकसित किया गया है जिनकी घोषणा जुलाई में होगी।
आदर्श ग्रामों में पंजाब के 550 गांव, मप्र के 1,000 गांव, राजस्थान के 950 गांव, कर्नाटक के 750 गांव, हरियाणा के 215 गांव, झारखंड के 200, हिमाचल प्रदेश के 275 गांव, ओडिशा के 600 गांव और छत्तीसगढ़ के 530 गांव शामिल हैं। इस योजना के तहत देश के दलित बाहुल्य ऐसे गांवों का चयन किया जाता है, जिनकी कुल आबादी कम से कम 500 लोगों की होती है। साथ ही जिनमें कुल आबादी में से करीब आधी आबादी अनुसूचित जाति की होती है।
इस योजना के तहत चयनित गांवों में तय सुविधाओं और योजनाओं को जुटाया जाता है। सुविधाएं पूरी होने के साथ ही गांवों को एक स्कोर दिया जाता है। फिलहाल आदर्श ग्रामों की घोषणा 50 बिंदुओं की परख के बाद ही जाती है। इनमें प्रत्येक बिंदु या काम पूरा होने पर उस गांव को दो अंक मिलते हैं। जैसे ही कोई गांव 70 प्रतिशत से ज्यादा अंक हासिल कर लेता है तो उसे आदर्श ग्राम घोषित कर दिया जाता है।
गौरतलब है कि मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी 'सांसद आदर्श ग्राम योजनाÓ के शुरू होने के 7 वर्ष बाद भी एक चौथाई से अधिक परियोजनाओं पर काम शुरू नहीं हुआ है। सांसद आदर्श ग्राम योजना की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, 9 अक्टूबर 2021 तक योजना के तहत 2314 ग्राम पंचायतों का चयन किया गया है और ग्राम विकास की योजनाबद्ध 82,918 परियोजनाओं में से 53,352 परियोजनाएं एवं गतिविधियां पूरी हुई हैं जबकि 6,416 ग्राम विकास परियोजनाओं पर काम चल रहा है। इस प्रकार से, योजना के तहत ग्राम विकास की 23,110 परियोजनाओं एवं गतिविधियों पर काम शुरू नहीं हुआ है जो कुल कार्यों का एक चौथाई से कुछ अधिक (28 प्रतिशत) होता है। सांसद आदर्श ग्राम योजना के आंकड़ों के अनुसार, योजना के लिए चयनित 2314 ग्राम पंचायतों में से 1,717 ग्राम पंचायतों ने पोर्टल पर ग्राम विकास परियोजना का ब्यौरा अपलोड किया है।
गौरतलब है कि गांवों के विकास के लिए सांसद आदर्श ग्राम योजना का उल्लेख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में लाल किले की प्राचीर से स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अपने संबोधन में किया था। 11 अक्टूबर 2014 को यह योजना शुरू की गई थी। इसके तहत सांसदों को अपने क्षेत्र में एक 'आदर्श ग्रामÓ का चयन करके उसका विकास करना था। योजना के तहत 2014 से 2019 के बीच चरणबद्ध तरीके से सांसदों को 3 गांव गोद लेने थे और 2019 से 2024 के बीच 5 गांव गोद लेने की बात कही गई है। योजना के तहत मुख्य रूप से 4 वर्गों (वैयक्तिक विकास, मानव विकास, आर्थिक विकास और सामाजिक विकास) को बढ़ावा देकर ग्राम विकास करने की बात कही गई है। इसके तहत स्वच्छता, शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, कौशल विकास, बुनियादी सुविधाएं, सामाजिक न्याय व सुशासन आदि कार्यों को शामिल किया गया है।
'सांसद आदर्श ग्राम योजनाÓ के लिए अलग से कोई आवंटन नहीं किया जाता है और सांसदों को सांसद निधि (एमपीलैड) के कोष से ही इसका विकास करना होता है। योजना की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, इस योजना के तहत तमिलनाडु (94.3 प्रतिशत), उप्र (89.8 प्रतिशत), गुजरात (84.2 प्रतिशत), छत्तीसगढ़ (79.67 प्रतिशत), कर्नाटक (76.68 प्रतिशत), उत्तराखंड (76.66 प्रतिशत), केरल (69.78 प्रतिशत), मप्र (68.4 प्रतिशत), मणिपुर (67.57 प्रतिशत), मिजोरम (66.32 प्रतिशत), हिमाचल प्रदेश (65.25 प्रतिशत), हरियाणा (61.16 प्रतिशत) में आदर्श ग्राम योजना के कार्यों का क्रियान्वयन अच्छा पाया गया है। इन राज्यों में ग्राम विकास की परियोजनों का 60 प्रतिशत से अधिक कार्य पूरा हो गया है।
इन राज्यों में विकास कार्य पूरा हुआ
इस योजना के तहत राजस्थान, झारखंड, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, ओडिशा, महाराष्ट्र, बिहार, पंजाब, असम में 60 प्रतिशत से कम कार्य पूरा हुआ है। योजना के तहत राजस्थान में 55.06 प्रतिशत, झारखंड में 52.63 प्रतिशत, तेलंगाना में 50.38 प्रतिशत, आंध्रप्रदेश में 45.46 प्रतिशत, ओडिशा में 43.7 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 42.11 प्रतिशत, बिहार में 38.68 प्रतिशत, पंजाब में 36.97 प्रतिशत ग्राम विकास का कार्य पूरा हुआ है।
आदर्श ग्राम में जुटाई जाती है ये सुविधाएं
आदर्श ग्रामों के विकास में जिन पहलुओं पर काम किया जाता है, उनमें पेयजल और स्वच्छता, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं पोषण, सामाजिक सुरक्षा, ग्रामीण मार्ग एवं विकास, बिजली एवं साफ-सुथरा ईंधन, कृषि-खेती से किसानों में सुधार, लोगों को बैंकिंग व्यवस्था से जोड़ना, फोन-इंटरनेट की सुविधाएं प्रदान करना और आजीविका व कौशल विकास शामिल हैं। इसके साथ ही गांवों के जिन व्यक्तियों के पास आयुष्मान भारत योजना के तहत स्वास्थ्य कार्ड नहीं होते हैं, उन्हें वह दिया जाता है। पात्र परिवारों को प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत गैस कनेक्शन, पात्र व्यक्तियों को पेंशन स्कीम का लाभ, गांवों में साफ-सफाई, सड़क, नाली और शौचालय की व्यवस्था रहती है। योजना के तहत ऐसे प्रत्येक गांव को मंत्रालय की ओर से 21 लाख रुपए की मदद भी दी जाती है जो योजनाओं के अतिरिक्त होती है। यानी योजनाओं से जो काम नहीं हो पाए, उसे इस फंड से कराया जाता है।
- सुनील सिंह