02-Jul-2020 12:00 AM
1004
महाराष्ट्र में गठबंधन की सरकार में गांठ दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। एक तरफ गठबंधन में शामिल तीनों पार्टियां एकता का राग अलापती हैं, तो दूसरी तरफ एक दूसरे पर वार करने से भी नहीं चूकती हैं। अभी हाल ही में शिवसेना के मुखपत्र सामना में कांग्रेस पर निशाना साधा गया है। संपादकीय में सामना ने कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण और बाला साहेब थोरात को निशाने पर लिया है। संपादकीय में लिखा गया है कि 'कांग्रेस पार्टी अच्छा काम कर रही है, लेकिन समय-समय पर पुरानी खटिया रह-रह कर कुरकुर की आवाज करती है।’ सामना ने अपने संपादकीय में लिखा, 'खटिया (कांग्रेस की) पुरानी है लेकिन इसकी ऐतिहासिक विरासत है। इस पुरानी खाट पर करवट बदलने वाले लोग भी बहुत हैं। इसलिए यह कुरकुर महसूस होने लगी है।’
सरकार को नसीहत देते हुए संपादकीय में लिखा गया है, 'मुख्यमंत्री ठाकरे को आघाड़ी सरकार में ऐसी कुरकुराहट को सहन करने की तैयारी रखनी चाहिए। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बालासाहेब थोरात का कुरकुराना संयमित होता है। घर में भाई-भाई में झगड़ा होता है। यहां तो तीन दलों की सरकार है। थोड़ी बहुत तो कुरकुर होगी ही। मुख्यमंत्री से मिलकर बात करेंगे, थोरात ने ऐसा कहा।’ संपादकीय में लिखा गया है, 'उसी खाट पर बैठे अशोक चव्हाण ने भी एक अखबार को साक्षात्कार दिया और उसी संयम से कुरकुराए, सरकार को कोई खतरा नहीं है लेकिन सरकार में हमारी बात सुनी जाए। प्रशासन के अधिकारी नौकरशाही विवाद पैदा कर रहे हैं। हम मुख्यमंत्री से ही बात करेंगे।’ अब ऐसा तय हुआ कि कुरकुर की आवाज वाली खाट के दोनों मंत्री महोदय मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी बात कहने वाले हैं।
संपादकीय में आगे लिखा गया है, मुख्यमंत्री उनकी बात सुनेंगे और निर्णय लेंगे। लेकिन कांग्रेस क्या कहना चाहती है। राजनीति की यह पुरानी खटिया क्यों कुरकुर की आवाज कर रही है? हमारी बात सुनो का मतलब क्या है? यह भी सामने आ गया है। थोरात और चव्हाण दिग्गज नेता हैं, जिन्हें सरकार चलाने का बहुत बड़ा अनुभव है। हालांकि उन्हें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि इस तरह का दीर्घ अनुभव शरद पवार और उनकी पार्टी के लोगों को भी है। हालांकि वहां कुरकुर या कोई आहट नहीं दिख रही।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता शरद पवार ने कहा कि महाराष्ट्र में कोविड-19 के खिलाफ सत्तारूढ़ महाविकास आघाडी (एमवीए) सरकार एकजुट होकर लड़ रही है और कांग्रेस और राकांपा मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व का पूर्ण समर्थन करती हैं। पवार ने एक टीवी चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा कि पिछले साल नवंबर में बनी शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस गठबंधन सरकार यकीनन पांच साल पूरे करेगी। उन्होंने भरोसा जताया कि अगर राज्य में तीनों दल एक साथ विधानसभा चुनाव लड़ते हैं तो वे एक बार फिर सरकार भी बनाएंगे।
वरिष्ठ नेता ने महाविकास अघाडी (एमवीए) को नियंत्रित करने की खबरों को खारिज कर दिया। गठबंधन सरकार में उनकी पार्टी के पास दूसरे नंबर पर सबसे अधिक सीटें हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि मुंबई सहित राज्य के कई हिस्सों में कोविड-19 की स्थिति गंभीर थी, लेकिन अब इसमें काफी सुधार आया है। पवार ने चैनल से कहा कि उनमें (पार्टियों में) कोई मतभेद नहीं है। सभी दल उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में काम कर रहे हैं। कांग्रेस और राकांपा उद्धव ठाकरे के नेतृत्व का पूरा समर्थन कर रहे हैं और जो भी काम किया जाए उसमें आपसी समझ होती है। एमवीए शासन को नियंत्रित करने के आरोपों को खारिज करते हुए पवार ने कहा कि सरकार पूरी तरह ठाकरे और उनकी टीम द्वारा चलाई जा रही है। एनसीपी प्रमुख ने कहा कि तीनों दल एक इकाई की तरह काम कर रहे हैं और वह निर्णय लेने की प्रक्रिया का हिस्सा नहीं होते।
गठबंधन की राजनीति महाराष्ट्र और देश के लिए कोई अजूबा नहीं है। वर्ष 1967 में देश के अनेक हिस्सों में बनी संयुक्त विधायक दल (संविद) सरकार, 1978 में शरद पवार द्वारा महाराष्ट्र में बनाई गई पुरोगामी लोकशाही दल (पुलोद) सरकार, जनता पार्टी, जनता दल, बसपा-सपा गठबंधन, भाजपा-शिवसेना गठबंधन, महागठबंधन आदि गठबंधनों की राजनीति भारत लंबे समय से देखता आ रहा है। किसी मजबूत सत्तारूढ़ दल को हटाने के लिए ऐसे गठबंधनों का बनना स्वाभाविक भी है। केंद्र में गठबंधन सरकारों के कई सफल दौर भी देश ने देखे हैं। माया, ममता और जयललिता के अनेक झंझटों के बीच कभी गठबंधन सरकारें चली हैं, तो कभी गिरी हैं। ये राजनीतिक गठबंधन कभी चुनाव पूर्व होते रहे हैं, तो कभी चुनाव बाद।
दो साल पहले राकांपा से होने वाला था गठबंधन
भाजपा नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दावा किया है कि राकांपा दो साल पहले भाजपा से हाथ मिलना चाहती थी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यह समय महाराष्ट्र में सरकार गिराने या बदलने का नहीं है क्योंकि राज्य कोरोना वायरस की महामारी से लड़ रहा है। पुणे में एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष ने दावा किया कि दो साल पहले शरद पवार नीत राकांपा, भाजपा नीत महाराष्ट्र सरकार का हिस्सा बनना चाहती थी। उन्होंने कहा, 'यह समय सरकार का मूल्यांकन करने का नहीं है। यह समय सवाल खड़े (कोविड-19 महामारी के दौरान प्रबंधन के संदर्भ में) करने का है, यह समय खामियों को बताने का है।’ फडणवीस ने कहा, 'यह समय कमियों के आधार पर सरकार का मूल्यांकन करने का नहीं है। यह समय यह कहने का नहीं है कि मुख्यमंत्री बदलो या इस सरकार की जरूरत नहीं है।’ उन्होंने कहा कि मुख्य विपक्षी पार्टी के नाते भाजपा शिवसेना-कांग्रेस-राकांपा सरकार की कमियों को रेखांकित कर रही है।
- मुंबई से बिन्दु माथुर