कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण किए गए लॉकडाउन से मप्र में करीब 12 लाख प्रवासी मजदूर आए हैं। ये सभी मजदूर प्रदेश के 54,903 गांवों में गए हैं। इससे गांवों पर बोझ बढ़ गया है। लेकिन सरकार ने इन मजदूरों की रोजी-रोटी का जुगाड़ गांव में ही करने का इंतजाम करना शुरू कर दिया है। इसके लिए मनरेगा सहित अन्य ग्रामीण योजनाओं को आधार बनाया है। इसी कड़ी में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विगत दिनों श्रम सिद्धि योजना शुरू की है। जिसके तहत हर व्यक्ति को रोजगार दिया जाना है।
कोरोना वायरस ने देश के हर वर्ग को प्रभावित किया है। लेकिन पहले से बुरे दौर से गुजर रही ग्रामीण अर्थव्यवस्था इससे बुरी तरह चरमरा रही है। अगर मप्र की बात करें तो यहां 54,903 गांव हैं, लेकिन उनकी स्थिति इतनी सुदृढ़ नहीं है कि वे प्रवासी मजदूरों को रोजगार दे सकें। लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार ने दूसरे प्रदेशों से आए प्रवासी मजदूरों सहित प्रदेश में रह रहे लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने का अभियान शुरू किया है। इसके लिए प्रदेश की हर पंचायत में श्रम सिद्धि अभियान की शुरुआत की गई है। श्रम सिद्धि अभियान के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों के ऐसे मजदूर जिनके जॉब कार्ड नहीं है, उनके जॉब कार्ड बनवाकर, प्रत्येक मजदूर को काम दिलाया जाएगा।
श्रम सिद्धि अभियान के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्र में हर व्यक्ति को कार्य दिया जाएगा। इसके लिए घर-घर सर्वे किया जाएगा तथा जिनके पास जॉब कार्ड नहीं है उनके जॉब कार्ड बनाकर दिए जाएंगे। जो मजदूर अकुशल होंगे उन्हें मनरेगा में कार्य दिलाया जाएगा तथा कुशल मजदूरों को उनकी योग्यता के अनुसार काम दिलाया जाएगा। वहीं शासन ने संबल योजना को पुन: प्रारंभ किया है। अब प्रवासी मजदूरों को भी इस योजना से जोड़ रहे हैं। यह योजना गरीबों के लिए वरदान है। इसके अंतर्गत गरीबों के बच्चों की फीस, बच्चे के जन्म व उसके पश्चात मां को 16 हजार रुपए की राशि, बच्ची के विवाह की व्यवस्था, सामान्य मृत्यु पर 2 लाख, दुर्घटना में मृत्यु पर 4 लाख तथा अंतिम संस्कार के लिए 5 हजार रुपए प्रदाय किए जाते हैं।
श्रम सिद्धि अभियान के तहत अच्छा कार्य करने वाली ग्राम पंचायतों को 2 लाख रुपए का प्रथम, एक लाख रुपए का द्वितीय तथा 50 हजार रुपए का तृतीय पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। यह पुरस्कार सबसे ज्यादा जॉब कार्ड बनवाने, सबसे ज्यादा मजदूरों को काम पर लगवाने, सबसे ज्यादा कार्य प्रारंभ करवाने, सबसे ज्यादा स्थाई महत्व की संरचनाएं बनवाने तथा श्रेष्ठ गुणवत्ता के कार्यों के लिए दिए जाएंगे।
अपर मुख्य सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास मनोज श्रीवास्तव ने बताया कि वर्तमान में प्रदेश की 22 हजार 809 ग्राम पंचायतों में से 22 हजार 695 में मनरेगा के कार्य चल रहे हैं। इन कार्यों में अभी तक 21 लाख एक हजार 600 मजदूरों को रोजगार दिया गया है, जो कि गत वर्ष की तुलना में लगभग दोगुना है। गौरतलब है कि प्रदेश में प्रवासी मजदूरों के साथ ही अन्य बेरोजगारों को रोजगार मुहैया कराने के लिए केंद्र सरकार के 20 लाख करोड़ के पैकेज के क्रियान्वयन के लिए ब्लूप्रिंट तैयार करने वाला मप्र पहला राज्य बना है। अपर मुख्य सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास मनोज श्रीवास्तव का कहना है कि राज्य सरकार प्रवासी श्रमिकों तथा रोजगार की तलाश में बाहर गए श्रमिकों को वापस आने पर उनके गांव और ग्राम पंचायत क्षेत्र में ही रोजगार मुहैया कराने के लिए कृत संकल्पित है। इसके लिए मनरेगा योजना के तहत बड़े स्तर पर रोजगार मूलक कार्य प्रारंभ किए गए हैं। इन कार्यों में नए श्रमिकों को जोड़ा जाएगा। इसी कड़ी में 22 मई को मनरेगा रोजगार कार्ड वितरण महाअभियान श्रम सिद्धि अभियान का शुभारंभ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किया है। कोई नहीं रहेगा बेरोजगार सबको मिलेगा रोजगार अभियान के तहत प्रवासी मजदूरों के मनरेगा के तहत जॉब कार्ड बनाए जाएंगे। सरकार ने तय किया है कि मनरेगा में मंदिर सरोवर, मंदिर उद्यान और मंदिर गौशाला भी बनेगी। गौशाला का संचालन मंदिर द्वारा किया जाएगा।
श्रम सिद्धि अभियान के तहत श्रमिकों का विभिन्न श्रेणियों में पंजीयन किया जाएगा और उन्हें उसके अनुरूप रोजगार मुहैया कराया जाएगा। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि कोरोना के कारण आर्थिक गतिविधियां लगभग ठप होने से सरकार के पास भी पैसे की तंगी है, लेकिन गरीबों और श्रमिकों के लिए धन की कमी नहीं आने दी जाएगी। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार भी मनरेगा के तहत रोजगार मुहैया कराने पैसा दे रही है। सभी श्रमिक इसका लाभ उठाएं और गांवों में बेहतर गुणवत्ता के साथ ऐसे कार्य किए जाएं, जो गांवों के लिए उपयोगी हों।
मप्र के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा कहते हैं कि प्रदेश में हर जरूरतमंद को काम मिलेगा। प्रदेश में इस समय जरूरतमंद श्रमिकों को काम की आवश्यकता है, जिससे उनकी रोजी-रोटी का ठीक से प्रबंध हो सके। इस उद्देश्य को देखते हुए सरकार मनरेगा के तहत हर जरूरतमंद को रोजगार की व्यवस्था कर रही है। प्रदेश में गौशाला निर्माण, मंदिर सरोवर, मंदिर उद्यान के अधिकाधिक कार्य मनरेगा के अंतर्गत किए जाएंगे। मंदिर गौशाला के कार्यों को प्राथमिकता दी जाएगी। इसके लिए ग्रामीण विकास और पशुपालन विभाग संयुक्त रूप से कार्यवाही करेंगे। मिश्रा कहते हैं कि मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए हैं कि मनरेगा के अंतर्गत ऐसी संरचनाएं निर्मित की जाएं जिनमें बारिश में भी कार्य संभव हो सकें। इन कार्यों में मशीनों का प्रयोग न किया जाए। इसके साथ ही स्थायी प्रभाव वाले कार्य संपन्न हों। स्टाप डेम, चेक डेम, सरोवर निर्माण, खेत तालाब, मेड़ बंधान, नंदन फलोद्यान जैसे कार्य करवाए जाएं।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज श्रीवास्तव ने बताया कि प्रदेश में श्रमिकों को मनरेगा कार्यों से रोजगार का बड़ा सहारा मिल रहा है। वर्तमान में प्रदेश की 22 हजार 809 ग्राम पंचायतों में से 22 हजार 695 में मनरेगा के कार्य चल रहे हैं। इन कार्यों में अभी तक 21 लाख एक हजार 600 मजदूरों को रोजगार दिया गया है, जो कि गत वर्ष की तुलना में लगभग दोगुना है। यहां तक कि साढ़े सत्रह हजार दिव्यांग भी कार्यों से जुड़े हैं। प्रति ग्राम पंचायत औसतन 90 श्रमिक काम कर रहे हैं। कोरोना संकट के समय एक अप्रैल से लेकर अभी तक 35 लाख 45 हजार 242 मजदूरों को मनरेगा अंतर्गत रोजगार प्रदान किया गया है। इसमें 42.2 प्रतिशत महिलाओं को रोजगार दिया गया है।
कोरोना संक्रमण के कारण हो रही मजदूरों की घर वापसी से पंचायतों में काम की डिमांड बढ़ गई है। प्रदेश में हर दिन करीब 60 से 70 हजार मजदूर मनरेगा में काम मांग रहे हैं। वहीं, मजदूरों के काम की डिमांड के चलते निर्माण कार्य और विकास की गति बढ़ा दी गई है। क्योंकि, इन मजदूरों को काम देने की जिम्मेदारी पंचायत एवं ग्राम सहायकों को दी गई है। प्रदेश में करीब 68 लाख जॉब कार्डधारी परिवार हैं। इसमें से 30 अप्रैल तक 10 लाख परिवार मजदूरों ने ही काम मांगा था। पंचायत विभाग ने इन मजदूरों को उनके घर के पास काम उपलब्ध भी करा दिया था। 30 अप्रैल के बाद से काम की डिमांड एकदम बढ़ने लगी है।
गांवों में सभी विभागों से जुड़े अधोसंरचना के काम तैयार किए जाएंगे, इससे जहां गांव का विकास होगा। वहीं, जॉब कार्डधारी परिवारों को काम भी मिलेगा। इसके अलावा पंचायतें खुद मजदूरों को काम देने के लिए गांव के विकास कार्यों को प्रारंभ करेंगे। इसके साथ ही केंद्र और राज्य के हितग्राही मूलक योजनाओं जैसे शौचालय, सड़क, नाली निर्माण, पुल-पुलिया, प्रधानमंत्री आवास, सामुदायिक, पंचायत भवन सहित अन्य कार्य भी प्रारंभ किए जाएंगे, जिससे 100 फीसदी मजदूरों को पर्याप्त काम मिल सके।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने पंचायतों के विकास और मजदूरी के लिए 20 हजार करोड़ का बजट रखा है। अधिकारियों का मानना है कि करीब 30 से 40 लाख मजदूर काम की डिमांड करेंगे। इसके लिए पंचायत स्तर पर विकास कार्यों के साथ मजदूरों को काम उपलब्ध कराने की रूपरेखा तैयार की है। बाहरी राज्यों से मध्यप्रदेश में वापस लौटे करीब 12 लाख से ज्यादा मैनपॉवर अब सरकार के सामने बड़ी चुनौती है। अभी तक इन मजदूरों को काम देने को लेकर सरकार मनरेगा के अलावा दूसरे विकल्पों पर विचार नहीं कर पाई है, लेकिन यदि इस मैनपॉवर को मध्यप्रदेश सरकार रोक लेती है तो यह प्रदेश के विकास में बड़ी भूमिका अदा कर सकते हैं। दूसरी ओर यदि इस मैनपॉवर को काम नहीं मिल पाता तो यह उतनी ही ज्यादा समस्या भी साबित होंगे। सरकार का दावा है कि वर्तमान में 20 लाख मजदूर मनरेगा के तहत काम कर रहे हैं, लेकिन इनमें ज्यादातर पूर्व से मध्यप्रदेश में ही रहने वाले मजदूर हैं।
मजदूरों, किसानों और गरीबों की सहायता की
मुख्यमंत्री ने बताया कि कोरोना संकट के दौरान शासन द्वारा निरंतर प्रदेश के मजदूरों, किसानों, गरीबों आदि की निरंतर सहायता की गई। मजदूरों को उनके खातों में राशि भिजवाई गई, बच्चों को छात्रवृत्ति की राशि, सामाजिक सुरक्षा पेंशन हितग्राहियों को दो माह की अग्रिम पेंशन, सहरिया, बैगा, भारिया जनजाति की बहनों को राशि, प्रधानमंत्री आवास योजना के हितग्राहियों, मध्यान्ह भोजन के रसोईयों आदि को राशि उनके खातों में अंतरित की गई। किसानों को फसल बीमा की राशि, शून्य प्रतिशत ब्याज पर ऋण तथा गेहूं उपार्जन की राशि उनके खातों में भिजवाई गई। मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे मजदूरों, गरीबों, किसानों में भगवान दिखाई देते हैं। इनकी सेवा मेरे लिए भगवान की सेवा है। हमने विभिन्न प्रदेशों में फंसे हुए हमारे मजदूरों को प्रदेश लाने के साथ ही अन्य प्रदेशों के मध्यप्रदेश में आए तथा यहां से गुजरने वाले मजदूरों की भी पूरी सहायता की। मुख्यमंत्री ने सरपंचों को बताया कि शासन द्वारा प्रत्येक गांव में पहले तीन माह का उचित मूल्य राशन प्रदाय किया गया था। अब दो माह का नि:शुल्क राशन प्रदान किया गया है। यह राशन, राशन कार्डधारियों के अलावा उन्हें भी दिया जा रहा है जिनके पास राशन कार्ड नहीं है। सरपंच यह सुनिश्चित करें कि पात्र व्यक्तियों तक राशन पहुंच जाए।
मनरेगा में हर प्रवासी मजदूर को मिलेगा काम
उधर, कृषि, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का दावा है कि इस संक्रमण काल में मनरेगा प्रवासी मजदूरों के लिए संजीवनी बनेगी। मजदूरों के अपने गांव लौटने के बाद ग्रामीण अर्थव्यवस्था और सरकार के समक्ष चुनौतियोंं से संबंधित सवाल का जबाव देते हुए उन्होंने कहा कि इसके लिए केंद्र सरकार ने मनरेगा बजट में 40 हजार करोड़ रुपए की राशि दी है। जिनके पास कार्ड नहीं है, ऐसे मजदूरों को जॉब कार्ड मुहैया कराने के लिए राज्य की सरकारों को निर्देश भी दे दिए गए हैं। तोमर ने बताया कि पहली बार किसी वित्त वर्ष में मनरेगा अंतर्गत 1 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा राशि व्यय की जाएगी। क्योंकि कोविड-19 की स्थिति नियंत्रित होने पर गांव लौटे लोग अपने पुराने रोजगार पर भी वापस लौट जाएंगे, लेकिन संभावना है कि कुछ गांवों में ही रहने का फैसला कर सकते हैं। चूंकि, इनमें से ज्यादातर कुशल मजदूर है, इसलिए सरकार को भरोसा है कि इनसे हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। इसको देखते हुए ही भारत सरकार ने इनके लिए पर्याप्त रोजगार उपलब्ध कराने की योजना पर काम शुरू कर दिया है।
- कुमार राजेन्द्र