अवैध खनन अनलॉक
04-Jun-2020 12:00 AM 855

 

कोरोना वायरस कोविड-19 वैश्विक महामारी के चलते प्रदेश में लॉकडाउन चल रहा है। लेकिन अवैध खनन लॉक नहीं है। लॉकडाउन के बाद भी अवैध रेत के उत्खनन और परिवहन करने वाले रेत माफियाओं के हौंसले बुलंद हैं। बैतूल, होशंगाबाद, सीहोर, जबलपुर सहित प्रदेशभर में अवैध खनन के मामले लगातार सामने आ रहे हैं और पुलिस अवैध खनन करने वालों पर कार्रवाई भी कर रही है। उसके बावजूद अवैध खनन का कारोबार जोरों पर है। 

उधर, प्रदेशभर में रेत खदानें बंद होने से रेत के दाम आसमान छू रहे हैं। खदानों से चोरी-छिपे निकल रही रेत के व्यापारी मनमाने दाम वसूल रहे हैं। इस सीजन में 25 से 27 रुपए फीट बिकने वाली रेत वर्तमान में 52 से 60 रुपए फीट बिक रही है। यह लॉकडाउन नहीं, सिस्टम की नाकामी का असर है। दिसंबर 2019 में खदानें नीलाम करने के बाद भी सरकार समय से खनन शुरू नहीं करा पाई है। जिसका फायदा बिचौलिए उठा रहे हैं। राजधानी सहित प्रदेशभर में रेत महंगी हो गई है और यह स्थिति अगले छह माह रहने वाली है। क्योंकि बारिश के चलते 15 जून से खदानों से रेत का उत्खनन बंद हो जाएगा। ऐसे में बिचौलिए भंडारित रेत को मनमाने दाम पर बेचेंगे। वर्तमान में नर्मदा सहित अन्य नदियों से चोरी-छिपे रेत निकाली जा रही है।

यह रेत भंडारित भी हो रही है और बेची भी जा रही इसलिए व्यापारियों ने मनमाने दाम वसूलना शुरू कर दिया है। मार्च से 15 जून तक आमतौर पर सभी घाट खुले रहते हैं। ऐसे में रेत के दाम 25 रुपए फीट या उससे भी नीचे पहुंच जाते हैं। रास्ते में चैकिंग ज्यादा हो या घुमावदार रास्ते से लाना पड़े, तो दाम 27 रुपए फीट होते हैं, पर इस बार 700 फीट भरती का ट्रक 17,500 से 19 हजार की बजाय 32 और 34 हजार रुपए में आ रहा है। वहीं खुली रेत (ट्राली या आटो से) 52 से 60 रुपए फीट तक बिक रही है। 34 जिलों के ठेकेदारों ने अनुबंध तक नहीं किया। खनिज विभाग ने अगस्त 2019 से प्रदेश के 1450 रेत खदानों की नीलामी शुरू की थी। दिसंबर 2019 में 40 जिलों की खदानें नीलाम भी कर दी गईं, पर इनमें से एक भी खदान सरकार शुरू नहीं करा सकी। ठेकेदार अभी तक पर्यावरण और उत्खनन की अनुमति ही नहीं ले पाए हैं।

हद तो यह है कि पांच महीनों में 34 जिलों में ठेकेदारों ने खनिज निगम से अनुबंध तक नहीं किया इसीलिए विभाग ने 30 मई तक अनुबंध करने वाले ठेकेदारों से उत्खनन के लिए छह माह अतिरिक्त देने का वादा किया था। पंचायत की खदानें भी बंद, सरकार नई खदानें शुरू नहीं कर पाई। ठेकेदारों को पर्यावरण व उत्खनन अनुमति नहीं दे पाई और ग्राम पंचायतों की 450 खदानें मार्च से बंद कर दीं। कमलनाथ सरकार की खनिज नीति में यह प्रावधान था। इस निर्णय ने समस्या को और विकराल बना दिया है।

उधर, नर्मदा सहित अन्य नदियों में धड़ल्ले से अवैध खनन चल रहा है। बैतूल में तवा नदी पर रेत का अवैध तरीके से उत्खनन लंबे समय से किया जा रहा है। नदी से करीब आधा एकड़ क्षेत्र में अवैध उत्खनन माफियाओं द्वारा किया जाना सामने आया है। यहां अवैध रूप से खनन स्वीकृत रेत खदान से कुछ दूरी पर किया जा रहा था। विगत दिनों करीब 50 ट्रकों से रेत का अवैध खनन तथा परिवहन की जानकारी मिलने पर तहसीलदार, शाहपुर टीआई सहित पुलिस और राजस्व की टीम कार्रवाई करने निकली थी। इस दौरान रेत माफियाओं के इशारे पर ट्रकों के ड्राइवर, ग्रामीण तथा रेत भरने वाले मजदूरों ने टीम पर पथराव कर दिया। पुलिस ने इस घटना में 14 आरोपियों को पकड़कर न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया है। शेष 21 आरोपियों की तलाश की जा रही है। इधर सैनिक फूड कार्पोरेशन को स्वीकृत खदान के अलावा पास ही 2300 वर्गफीट में अवैध खनन के निशान मिले हैं, जिसकी जांच जिला खनिज अधिकारी शशांक शुक्ला द्वारा की जा रही है।

कंप्यूटर बाबा से तो अच्छा काम रहे मंत्री कमल पटेल

उधर, प्रदेश के किसान कल्याण और कृषि विकास मंत्री कमल पटेल ने जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि जो लोग अवैध तरीके से मशीनों के माध्यम से नर्मदा नदी में रेत उत्खनन कर रहे हैं, उन पर इस नदी की हत्या के प्रयास के तहत मामला दर्ज किया जाए। सरकार द्वारा प्रदेश की जीवनदायिनी नदी नर्मदा को जीवित इकाई माने जाने के बाद उन्होंने यह बात कही है। पटेल ने बताया कि मां नर्मदा हमारी जीवनदायिनी नदी है। प्रदेश सरकार द्वारा मां नर्मदा को एक जीवित इकाई माना गया है और यह हमारी श्रद्धा का केंद्र है। इसलिए मां नर्मदा का प्रत्येक कंकड़ शंकर है। इसलिए कहा जाता है कि नर्मदे हर-जिंदगी भर। उन्होंने कहा, नर्मदा से जेसीबी जैसी किसी भी प्रकार की मशीन से उत्खनन किया जाना पूर्णत: प्रतिबंधित किया गया है तथा समय-समय पर सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट, राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) एवं अन्य न्यायालयों ने भी सभी नदियों में मशीनों से उत्खनन करने पर रोक संबंधी आदेश दिए हैं। पटेल ने कहा, मैंने नर्मदापुरम एवं जबलपुर संभागों के 11 जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि जो लोग अवैध तरीके से मशीनों के माध्यम से नर्मदा की छाती छलनी कर रेत उत्खनन कर रहे हैं, उन पर मां नर्मदा की हत्या के प्रयास का मामला दर्ज कर उसी प्रकार कार्रवाई की जाए, जिस प्रकार से किसी व्यक्ति की हत्या का प्रयास करने में होती है। पटेल नर्मदापुरम एवं जबलपुर संभाग के प्रभारी मंत्री भी हैं। उन्होंने कहा, मैं प्रदेश के उन जिलों के अधिकारियों को भी शीघ्र पत्र लिखूंगा, जिन जिलों से होकर यह नदी गुजरती है और उनको भी निर्देश दूंगा कि जो लोग अवैध तरीके से मशीनों के माध्यम से नर्मदा में रेत उत्खनन कर रहे हैं, उन पर मां नर्मदा की हत्या के प्रयास के तहत मामला दर्ज किया जाए।

- अक्स ब्यूरो

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