बुंदेलखंड के लिए विकास की रीढ़ बनने जा रहे बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे के निर्माण ने रफ्तार पकड़ ली है। मिट्टी भराई का काम ज्यादातर जिलों में 45 से 60 फीसदी तक पूरा हो गया है, जबकि चित्रकूट में ये स्थिति 100 फीसदी है। छोटे-बड़े पुलों के निर्माण का काम भी अंतिम चरण पर है। अफसरों के मुताबिक, वर्ष 2021 के अंत तक वाहन फर्राटा भरने लगेंगे। 296 किलोमीटर लंबे बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे में 61 किलोमीटर का हिस्सा बांदा में हैं। 28 गांवों से होकर गुजरे एक्सप्रेस-वे के लिए 741.314 हैक्टेयर जमीन अधिग्रहीत हो चुकी है। तीन तहसीलों में 29 हैक्टेयर जमीन को लेकर फंसा पेंच भी सुलझ गया है। जिला प्रशासन और कार्यदायी संस्था यूपीडा की कोशिशों से एक्सप्रेस-वे का काम तेज है। दो फ्लाईओवर, दो बड़े और 22 छोटे पुल, 14 पंप और 82 बॉक्स कलवर्ट का काम अंतिम चरण में है।
मार्च में कोरोना की दस्तक से बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे का काम बंद हुआ था, लेकिन अब फिर काम प्रगति पर है। चित्रकूट में परियोजना के नोडल अधिकारी और एडीएम जीपी सिंह ने बताया कि जिले में 10.24 किलोमीटर में मिट्टी और गिट्टी का काम पूरा हो चुका है। पेंटिंग का काम बाकी है। पूरे निर्माण में प्रगति 50 फीसदी के आसपास है। वहीं, महोबा में 10 किलोमीटर हिस्से में मिट्टी भराई का काम तेज है। पुल और बाकी निर्माण के काम भी गति पकड़ चुके हैं। जिले की सीमा में करीब 59 किमी लंबे बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे में मिट्टी का काम दिसंबर तक पूरा होने की उम्मीद है। 13.1356 हैक्टेयर भूमि के लिए किसानों से बातचीत कर हल निकालने की दिशा में काम अंतिम चरण पर है। ठेकेदारों के मुताबिक वे समय से काम पूरा कर लेंगे।
इटावा जिले में अब तक मिट्टी का 45 फीसदी, जबकि गिट्टी का 24 फीसदी काम पूरा हो चुका है। 45 किलोमीटर के दायरे में एक्सप्रेस-वे पर 135 छोटे-बड़े पुलों का काम 85 फीसदी पूरा हो चुका है। साथ ही सर्विस रोड भी बन रही है। 850 मीटर इटावा और 6 किलोमीटर औरैया की जमीन का मामला भी जल्द सुलझ जाएगा। एक्सप्रेस-वे निर्माण से इटावा, मैनपुरी, फिरोजाबाद, औरैया, कन्नौज और फर्रुखाबाद के लोगों को चित्रकूट पहुंचने में आसानी होगी।
यूपीडा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी अवनीश कुमार अवस्थी ने बताया है कि भारत सरकार द्वारा बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे परियोजना के निर्माण के लिए 77.278 हैक्टेयर वन भूमि का उपयोग करने के लिए अंतिम स्वीकृति प्रदान कर दी है। इसी के साथ बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे के काम में तेजी लाने का रास्ता खुल गया है। अवस्थी ने बताया कि एक्सप्रेस-वे में झांसी-इलाहाबाद राष्ट्रीय मार्ग संख्या 35 भरतकूप के पास जनपद चित्रकूट से प्रारंभ होकर आगरा लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर ग्राम कुदरेल के पास जनपद इटावा में समाप्त होगा। इस परियोजना से जनपद चित्रकूट बांदा महोबा हमीरपुर जालौन एवं इटावा लाभान्वित होंगे। बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र को देश की राजधानी दिल्ली से आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे एवं यमुना एक्सप्रेस-वे के माध्यम से जोड़ेंगे तथा बुंदेलखंड क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे परियोजना का निर्माण तीव्र गति से हो रहा है और 13 अक्टूबर तक कुल 18.30 प्रतिशत भौतिक कार्य पूर्ण कर लिया गया है।
अवस्थी ने कहा कि बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे परियोजना का निर्माण तीव्र गति से कराया जा रहा है। प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे के निर्माण के लिए जनपद चित्रकूट में 3.2275 हैक्टेयर, जनपद बांदा में 7.8758 हैक्टेयर, जनपद हमीरपुर में 8.65 हैक्टेयर जमीन की स्वीकृति स्टेज 2 के लिए दी गई है। इसके अलावा जनपद महोबा में 2.4868 हैक्टेयर, जनपद जालौन में 11.913 हैक्टेयर, जनपद औरैया में 22.9393 हैक्टेयर तथा जनपद इटावा में 7.2940 अर्थात् कुल 77.278 हैक्टेयर वन भूमि के उपयोग की स्टेज-2 की विधिवत स्वीकृति भारत सरकार के पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा प्रदान कर दी गई है। गौरतलब है कि फरवरी 2020 में भारत सरकार के वन मंत्रालय द्वारा बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे परियोजना हेतु 77.278 हैक्टेयर वन भूमि का गैर वानिकी प्रयोग करने के लिए स्टेज वन की सैद्धांतिक स्वीकृति यूपीडा को प्रदान की जा चुकी है। स्टेज-1 की सभी शर्तों के अनुसार वन भूमि के स्थान पर यूपीडा ने उप्र वन विभाग को गैर वन भूमि उपलब्ध कराई है जिस पर यूपीडा द्वारा वन विभाग को दिए गए धन से पौधरोपण कार्य कराया जाएगा जिसकी देखभाल 10 वर्षों तक वन विभाग द्वारा की जाएगी ताकि पर्यावरण को सुदृढ़ बनाया जा सके।
बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे निर्माण की बड़ी कीमत हरियाली को चुकानी पड़ी है। एक्सप्रेस-वे वाले सभी सात जिलों में एक लाख 90 हजार से ज्यादा पौधों और पेड़ों का सफाया हुआ है। फिलहाल इनके स्थान पर पौधरोपण नहीं हुआ है। एक्सप्रेस-वे की भेंट सबसे ज्यादा पेड़ बांदा जिले में चढ़े हैं। पौधों का नुकसान सर्वाधिक औरैया जिले का हुआ है। करीब 14 हजार 849 करोड़ रुपए की लागत से बनाए जा रहे 296 किलोमीटर लंबे बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे का पिछले वर्ष से युद्धस्तर पर काम चल रहा है। भूमि अधिग्रहण का काम पूरा होने के बाद मिट्टी का काम भी काफी हद तक पूरा हो चुका है। कुछ स्थानों पर पक्का निर्माण शुरू हो गया है। एक्सप्रेस-वे में शामिल सातों जिलों में बड़ी संख्या में पौधे और भारी-भरकम पेड़ थे। इन सभी को मशीनों से धराशायी कर दिया गया है।
लक्ष्य से तेज है बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य
यूपीडा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी अपर मुख्य सचिव अवनीश कुमार अवस्थी ने बैठक में बताया कि पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का निर्माण तेजी से चल रहा है तथा मेन कैरियेज-वे जनवरी 2021 तक चालू हो जाएगा। 22 फ्लाईओवर्स का निर्माण प्रगति पर है। पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के निर्माण कार्यों का नियमित निरीक्षण एवं क्वालिटी कंट्रोल चेक किया जा रहा है। बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे के निर्माण की प्रगति करीब 24 प्रतिशत है, लक्ष्य के सापेक्ष प्रगति अधिक है। 13 पुल बनाने हैं, जिनमें 12 का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। गोरखपुर-आजमगढ़ लिंक एक्सप्रेस-वे में घाघरा सेतु का निर्माण प्रारंभ हो गया है। 91 किमी लंबाई की सड़क के मुख्य मार्ग को मार्च, 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित है।
- सिद्धार्थ पांडे