दो साल बाद बहाल हुई सांसद निधि
16-Jun-2022 12:00 AM 669

 

कोरोना संक्रमण के कारण सांसद निधि सस्पेंड होने के कारण सांसद अपनी संसदीय क्षेत्र में विकास कार्य नहीं करवा पाए हैं। ऐसे में क्षेत्र में समस्याओं का अंबार लगा हुआ है। अब केंद्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए सांसद निधि बहाल कर दी है। ऐसे में सांसदों के पास चुनौती है कि पहले वे कौनसा काम करवाएं। प्रदेश के अधिकांश सांसदों ने प्राथमिकता के आधार पर क्षेत्र के विकास का प्रस्ताव तैयार करवाना शुरू कर दिया है। वहीं कई सांसदों ने प्रस्ताव भेज दिया है अब उन्हें निधि का इंतजार है।

जानकारी के अनुसार सांसद निधि बहाल होने के बाद प्रदेश के 29 में 16 लोकसभा सांसदों को पहली किस्त के तौर पर कुल 40 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं। राज्यसभा के पांच सांसदों को राशि मिलना केंद्र सरकार के एमपी लैड पोर्टल में बताया जा रहा है। जिन सांसदों को अभी तक पहली किस्त नहीं मिली है उनकी चिंताएं बढ़ गई हैं। इन सांसदों के करोड़ों रुपए लागत के प्रपोजल तैयार हैं। एमपी लैड नई दिल्ली के अधिकारी कहते हैं कि जो सांसद एमपीआर यानि मंथली प्रोग्रेस रिपोर्ट देगा उसे प्राथमिकता पर निधि दी जाएगी। देखने में आया है कि कई सांसदों ने अपने कामों का उपयोगिता प्रमाण पत्र भी नहीं भेजा है। एमपीलैड्स नई दिल्ली के उप सचिव सुनील जस्सल का कहना है कि वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए सांसद निधि जारी की जा रही है। पहले उन्हें किस्त भेज रहे हैं जिन्होंने पिछले कामों के उपयोगिता प्रमाण पत्र उपलब्ध करा दिए हैं। हम सांसदों के कामों को भी देखते हैं।

सांसद निधि मिलने के बाद सांसदों में विकास कार्यों की प्राथमिकता तय कर ली है। कोई किसानों पर तो कोई महिलाओं पर राशि खर्च करेगा। सतना सांसद गणेश सिंह को पहली किस्त के तौर पर 2.5 करोड़ रुपए मिले हैं। उन्होंने कहा वे पूरी राशि किसानों के नाम पर खर्च करेंगे। कोरोनाकाल में किसानों के फसल उत्पादन में असर पड़ा है। गांव-गांव में विद्युत ट्रांसफार्मर खराब हो गए। कई गांवों में बिजली की लाइनें डलने की जरूरत है। इसलिए सभी प्रपोजल किसानों के नाम पर बनाकर दिए हैं। वहीं भिंड की सांसद संध्या राय को पहली किस्त नहीं मिली है। वे कहती हैं लोकसभा चुनाव आगे है। इसलिए महिलाओं और युवाओं के नाम पर ज्यादा राशि खर्च करेंगे। हमारे पास बड़ी संख्या में प्रपोजल आए हैं। कोरोना के कारण सांसद निधि स्थगित कर दी गई थी। इन दो सालों में ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में विकास कार्य कराने हैं।

संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास निधि (एमपीलैड) योजना के तहत पूर्ववर्ती सांसदों की 1,723 करोड़ रुपए की राशि खर्च नहीं की जा सकी है। सरकार ने संसद की एक समिति को यह जानकारी दी है। सरकार ने बताया है कि बची हुई राशि का इस्तेमाल तभी किया जा सकता है, जब पूर्ववर्ती सांसदों के सभी अनुमोदित कार्य पूरे हो जाएं और उनका बैंक खाता बंद कर दिया जाए। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने संसद की प्राक्कलन समिति को बताया है कि सांसद निधि योजना के तहत पूर्ववर्ती सांसद की धनराशि का बाद के सांसद द्वारा सीधे उपयोग नहीं किया जा सकता है। अप्रैल में 'एमपीलैड कोष योजना के तहत निधि के आवंटन एवं उपयोग की समीक्षाÓ विषय पर लोकसभा में पेश प्राक्कलन समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि पूर्ववर्ती सांसदों की 1,723 करोड़ रुपए की धनराशि खर्च नहीं की जा सकी है।

मंत्रालय के मुताबिक, बची हुई राशि का उपयोग उसी सूरत में किया जा सकता है, जब पूर्ववर्ती सांसदों के सभी अनुमोदित कार्य पूरे हो जाएं तथा उनका बैंक खाता बंद कर दिया जाए और शेष राशि बाद के सांसद के बैंक खाते में हस्तांतरित की जाए। समिति ने सरकार से कहा, 'उसे उम्मीद है कि मंत्रालय इतनी बड़ी राशि के बेकार पड़े रहने से जुड़ी समस्याओं की पहचान करेगा और इस संबंध में हुई प्रगति से अवगत कराएगा।Ó रिपोर्ट के अनुसार, 16वीं लोकसभा में एमपीलैड योजना के अधीन सांसदों की 470 किस्तों के तहत 1,175 करोड़ रुपए की राशि लंबित है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2015-16 में दो किस्तों के तहत 5 करोड़ रुपए, 2016-17 में 22 किस्तों के तहत 55 करोड़ रुपए, 2017-18 में 91 किस्तों के तहत 227 करोड़ रुपए और 2018-19 में 355 किस्तों के तहत 887 करोड़ रुपए की राशि लंबित है। मंत्रालय ने यह भी बताया कि 17वीं लोकसभा के संबंध में वित्त वर्ष 2019-20 में 102 किस्तें लंबित हैं। मालूम हो कि एमपीलैड योजना कोविड महामारी के दौरान दो वर्षों (2020-21 और 2021-22) के लिए निलंबित कर दी गई थी। बहरहाल, प्रत्येक सांसद को दो करोड़ रुपए की एक किस्त जारी कर इसे 2021-22 की बाकी अवधि के लिए बहाल कर दिया गया है।

राशि से अधिक का प्रस्ताव

दो साल तक सांसद निधि सस्पेंड रहने के कारण विकास कार्यों की पेंडेंसी लंबी हो गई है। ऐसे में राशि से अधिक का प्रस्ताव बनाया गया है। बैतूल के सांसद दुगार्दास उइके के अनुसार राशि 2.5 करोड़ आई है और प्रस्ताव 5-6 करोड़ के आ चुके हैं।  हमने गांवों में शवदाह गृह, हैंडपंप और यात्री प्रतीक्षालयों के निर्माण पर विशेष फोकस किया है। कोरोना के कारण विकास कार्य की पहली किस्त मिलते ही महिलाओं से संबंधित काम समय पर नहीं करा सके।  वहीं बालाघाट के सांसद ढाल सिंह बिसेन कहते हैं- पहली किस्त अभी नहीं मिली है। क्षेत्र में पेयजल का गंभीर संकट है। राशि मिलते ही गांव-गांव टैंकर भेजेंगे। सिंचाई, स्वास्थ्य, स्कूल भवन, यात्री प्रतीक्षालय, आंगनबाड़ी भवन और सड़कों के निर्माण पर फोकस है। जहां समर्थक ज्यादा हैं, वहां विकास कार्य कराएंगे। उधर, इंदौर के सासंद शंकर लालवानी कहते हैं- ढाई करोड़ की पहली किस्त मिल गई है। हमने तय किया है कि पानी के टैंकर, सामुदायिक भवन, गांवों में सड़कों का निर्माण और बोरिंग पर राशि खर्च करेंगे। 2 करोड़ के प्रपोजल दे भी दिए हैं। कोरोना के समय भी हमने क्षेत्र में विकास पर पूरा फोकस किया है।

- जय सिंह

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