कोरोना संक्रमणकाल में मनरेगा प्रवासी श्रमिकों के लिए वरदान साबित हुआ है। प्रदेश में गत वर्षों की अपेक्षा इन पांच माह में रिकार्ड काम हुआ है और लोगों को काम मिला है। इस दौरान लगभग सभी जिलों में मनरेगा के तहत खूब काम हुए हैं। लेकिन प्रदेश का डिंडौरी जिला ऐसा रहा है जिसमें पिछले एक साल में सबसे अधिक काम हुआ है। डिंडौरी ने प्रदेश के सभी बड़े-छोटे जिलों को पछाड़कर
ए-ग्रेड का दर्जा पाया है। दरअसल, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने जिलों की एक साल की ग्रेडिंग जारी की है। ग्रेडिंग जारी करते हुए डिंडौरी जिले को ए-ग्रेड में रखा है। जबकि भोपाल, इंदौर, जबलपुर सहित तमाम बड़े जिलों को बी, सी ग्रेड से संतोष करना पड़ा है। यानी आदिवासी जिला डिंडौरी ने मनरेगा में सबसे बेहतर काम किया है। मालूम हो कि पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग हर साल मनरेगा में बेहतर काम करने पर जिलों की ग्रेडिंग जारी करता है। इसके तहत मजदूरों को काम और मजदूरी देने में डिंडौरी, बालाघाट, अशोकनगर, बुरहानपुर सहित अन्य छोटे जिलों ने अच्छा काम किया है।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा जारी गे्रडिंग में ए ग्रेड में एक मात्र डिंडौरी जिले को शामिल किया गया है। यह इस बात का संकेत है कि इस आदिवासी जिले में मनरेगा के तहत खूब काम हुआ है। डिंडौरी जिले ने एक साल में 70 लाख मानव दिवस सृजित किए और 3 हजार 159 परिवारों को 100 दिन तक रोजगार दिया है। मनरेगा के तहत इंदौर सहित 12 जिलों को बी ग्रेड में रखा गया है। इस श्रेणी में उन्हीं जिलों को रखा गया है, जहां मनरेगा के तहत अच्छा काम हुआ है। अशोकनगर, बालाघाट, बुरहानपुर, दमोह, ग्वालियर, हरदा, इंदौर, कटनी, मंडला, मुरैना, शाजापुर और विदिशा जिले में मनरेगा के तहत काम तो हुए पर बेहतर नहीं। इसलिए इन जिलों को बी ग्रेड में रखा गया है।
भोपाल, जबलपुर सहित 28 जिले ऐसे हैं जहां मनरेगा के तहत संतोषजनक काम नहीं हुआ है। इस श्रेणी में कई बड़े जिलें हैं, लेकिन वहां मनरेगा में अधिक काम नहीं हुए हैं। जबलपुर, आगर-मालवा, अलीराजपुर, बड़वानी, बैतूल, भिंड, भोपाल, छिंदवाड़ा, दतिया, धार, गुना, झाबुआ, खंडवा, मंदसौर, नरसिंहपुर, नीमच, पन्ना, राजगढ़, रतलाम, सतना, सिवनी, श्योपुर, शिवपुरी, सीधी, सिंगरौली, टीकमगढ़, उज्जैन और उमारिया जिले में मजदूरों को काम और मजदूरी सही समय पर नहीं मिली है इसलिए सभी जिले सी ग्रेड में है। वहीं प्रदेश के रीवा, सागर सहित 9 जिले ऐसे हैं जहां मनरेगा के तहत सबसे कम काम हुए हैं। छतरपुर, देवास, होशंगाबाद, खरगौन, रायसेन, रीवा, सागर, सीहोर, शहडोल जिले के अधिकारी मनरेगा को लेकर लापरवाह साबित हुए हैं। इन जिलों में मनरेगा के तहत काम ही नहीं हुए इसलिए इन्हें डी ग्रेड दिया गया है। इन जिलों के अधिकारियों को 3 माह में ग्रेडिंग सुधारने के आदेश दिए गए हैं।
गौरतलब है कि मप्र में मनरेगा के तहत पिछले पांच माह में उल्लेखनीय कार्य हुए हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश बनाने के लिए ग्रामों का आत्मनिर्भर होना आवश्यक है। ग्रामों को आत्मनिर्भर बनाने में मनरेगा योजना अत्यंत सहायक सिद्ध हो सकती है। योजना में इस वर्ष 20.50 करोड़ मानव दिवस का लेबर बजट केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृत किए जाने के साथ ही आत्मनिर्भर भारत योजना के अंतर्गत 40 हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त प्रावधान है। ग्रामों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए योजना बनाकर एवं समयबद्ध रूप से कार्य किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश में मनरेगा के अंतर्गत प्रति दिवस मजदूरी दर 190 रुपए है, जबकि दूसरे राज्यों महाराष्ट्र में 238 रुपए, गुजरात में 224, राजस्थान में 220 तथा हरियाणा में सर्वाधिक 290 रुपए है। यह दर केंद्र द्वारा निर्धारित की जाती है। प्रदेश की मनरेगा मजदूरी दर बढ़वाने के लिए आवश्यक 'टाइम एंड मोशन स्टडीजÓ शीघ्र करवाई जाए। मनरेगा के कार्यों में इस बात का विशेष ध्यान रखा जाए कि कार्य गुणवत्तापूर्ण हों, समय से पूर्ण हो जाएं तथा पूर्ण हुए कार्य उपयोग में आने लगें। मनरेगा कार्यों का सही मूल्यांकन भी सुनिश्चित किया जाए। 79 प्रतिशत जॉब कार्डधारी कार्य कर रहे हैं मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में मनरेगा के अंतर्गत 79 प्रतिशत जॉब कार्डधारी कार्य कर रहे हैं। यह अच्छा प्रतिशत है। अन्य राज्यों उत्तरप्रदेश में 57 प्रतिशत, पश्चिम बंगाल में 72 प्रतिशत, राजस्थान में 73 प्रतिशत तथा बिहार में 36 प्रतिशत सक्रिय जॉब कार्डधारी हैं। हर गांव में शांति धाम पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह सिसौदिया ने बताया कि मनरेगा से प्रदेश के छोटे-बड़े प्रत्येक गांव में शांतिधाम बनवाए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने इस कार्य की सराहना की। समय पर हुआ मजदूरी का भुगतान प्रदेश में वर्तमान वित्तीय वर्ष में मनरेगा के अंतर्गत समय पर मजदूरी भुगतान का प्रतिशत भी गत 5 वर्षों की तुलना में सर्वाधिक रहा है। वर्ष 2020-21 में यह 93 प्रतिशत रहा। जबकि वर्ष 2019-20 में समय पर मजदूरी भुगतान का प्रतिशत 84.19 प्रतिशत मात्र था। अब तक हुए 2 लाख 87 हजार कार्य पूर्ण मनरेगा के तहत प्रदेश में अब तक 2 लाख 87 हजार कार्य पूर्ण हो चुके हैं। गत वर्ष इस अवधि तक पूर्ण हुए कार्यों की संख्या एक लाख 64 हजार तक ही सीमित रही।
एमआईएस पर आधारित है ग्रेडिंग
मानीटरिंग की यह व्यवस्था मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम (एमआईएस) पर आधारित है। जिसमें प्रत्येक माह की अंतिम तिथि को पूर्व माह तक की प्रगति मानते हुए गणना की जाती है। अर्थात् 31 अगस्त की एमआईएस स्थिति के आधार पर जुलाई माह की रैंकिंग की जाती है। अर्जित लक्ष्यों के हिसाब से अलग-अलग अंक निर्धारित होते हैं। कुल प्राप्तांक 100 के आधार पर जिला पंचायत समिति की ग्रेडिंग रैंकिंग की जाएगी।
- लोकेश शर्मा