मप्र में अब सड़क हादसों की केस स्टडी होगी। इसके लिए केंद्र सरकार ने 6 राज्यों में मप्र को चुना है। यह सब सड़क हादसों को रोकने के लिए सुरक्षित उपायों को खोजने के लिए किया जा रहा है। शासन के चार विभाग मिलकर केस स्टडी करेंगे। इस केस स्टडी के लिए आईआईटी मद्रास ने इंटीग्रेटेड रोड एक्सीडेंट डाटाबेस सॉफ्टवेयर तैयार किया है। सॉफ्टवेयर के जरिए सड़क दुर्घटनाओं का रियल टाइम डाटा अपडेट होगा। चार विभागों की संयुक्त डाटा की समीक्षा के मंथन से सड़क सुरक्षा उपायों को लेकर हल निकाला जाएगा।
मप्र के 11 जिलों में पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया जा रहा है। इसको लेकर तमाम स्तर की बैठकें हो चुकी हैं। इस पायलट प्रोजेक्ट में 4 विभागों को रखा गया है, जिसमें पुलिस, परिवहन, स्वास्थ्य और पीडब्ल्यूडी शामिल हैं। इनके हर जिले में नोडल अधिकारी बनाए गए हैं। केंद्र ने अप्रैल 2021 तक का टारगेट तय किया है। इस दौरान सड़क हादसों का सॉफ्टवेयर पर डाटा अपडेट करने के लिए अधिकारी कर्मचारी और जांचकर्ता को टेबलेट दिए जाएंगे। इस टेबलेट पर डाटा तमाम एजेंसियों से जुटाकर एक प्लेटफार्म पर उपलब्ध रहेगा। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-मद्रास ने सड़क दुर्घटनाओं का एकीकृत डाटाबेस नामक एक सूचना प्रौद्योगिकी आधारित डाटाबेस तैयार किया है। इसको राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र द्वारा क्रियान्वित किया जा रहा है। विश्व बैंक द्वारा समर्थित इस परियोजना की लागत 258 करोड़ रुपए है।
सिस्टम का मकसद है कि एकीकृत डेटा बेस न केवल सड़क सुरक्षा के तहत अंतर्राष्ट्रीय उदाहरणों पर आधारित विश्लेषणात्मक क्षमताओं को बढ़ाएगा, बल्कि संबंधित राजमार्ग प्राधिकरणों के माध्यम से दुर्घटना संभावित क्षेत्रों में सुधारात्मक उपाय करने में भी सहायता करेगा। इससे राज्य और केंद्र, सड़क दुर्घटनाओं से संबंधित जानकारियों को समझने, सड़क दुर्घटनाओं के मूल कारणों का विश्लेषण करने और दुर्घटनाओं को कम करने के लिए डाटा-आधारित सड़क सुरक्षा उपायों को विकसित एवं लागू करने में सक्षम होने की उम्मीद है। यह डाटाबेस 'वैज्ञानिक सड़क सुरक्षा प्रबंधन’ की दिशा में पहला कदम है।
एकीकृत डाटाबेस एक व्यापक वेब-आधारित आईटी समाधान होगा जो पुलिस, लोक निर्माण विभाग, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण जैसी विभिन्न एजेंसियों को जांच संबंधी, सड़क इंजीनियरिंग, वाहन स्थिति और सड़क दुर्घटनाओं के विवरण को साझा करने में सक्षम बनाएगा। इस प्रकार एकीकृत डाटाबेस पर प्राप्त विवरणों के माध्यम से विभिन्न प्राधिकारी भारत में सड़क दुर्घटनाओं की गतिशीलता को समझकर प्रवर्तन, इंजीनियरिंग, शिक्षा और आकरिुमकता के क्षेत्र में लक्षित उपायों को लागू कर सकेंगे ताकि देश में सड़क सुरक्षा स्थिति में सुधार लाया जा सके। इस सिस्टम के लिए 6 राज्यों में मप्र को भी केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने चुना है। यह प्रोजेक्ट कर्नाटक, मप्र, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु और उप्र में प्रारंभ किया जाएगा, क्योंकि इन राज्यों में सड़क दुर्घटना से होने वाली मौतों की संख्या सर्वाधिक है। एकीकृत डाटाबेस के परीक्षण के आधार पर इसमें सुधार किया जाएगा और इसके बाद इसे देशभर में लागू किया जाएगा।
सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़े एकत्र करने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस विभाग को 30 हजार से ज्यादा टैबलेट उपलब्ध कराए जाएंगे। एकीकृत डाटाबेस मोबाइल एप्लिकेशन पुलिस कर्मियों को फोटो और वीडियो के साथ सड़क दुर्घटना के विवरण को दर्ज करने में सक्षम बनाएगा, जिसके बाद उस घटना के लिए एक यूनिक आईडी बनाई जाएगी। इसके बाद लोक निर्माण विभाग या स्थानीय निकाय के इंजीनियर को अपने मोबाइल डिवाइस पर अलर्ट प्राप्त होगा। वह व्यक्ति दुर्घटनास्थल पर जाएगा तथा उसकी जांच करके आवश्यक विवरण जैसे- सड़क का डिजाइन आदि जानकारियां एकत्रित करेगा।
गौरतलब है कि मप्र में सड़क हादसों की रफ्तार को कोरोना ने रोक दिया है। इस बात की जानकारी पुलिस प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान की राज्य सड़क सुरक्षा सेल की ताजा रिपोर्ट में सामने आई है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि कोरोनाकाल में सड़क हादसों की संख्या और उससे होने वाली मौत और घायलों की संख्या में कमी आई है। पुलिस प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान की राज्य सड़क सुरक्षा सेल की प्रभारी प्रज्ञा जोशी ने बताया कि सड़क हादसों और उनमें होने वाली मौत और घायलों की संख्या में कोरोना के कारण कमी आई है। कोरोना के कारण प्रदेशभर में लॉकडाउन लगाया गया था। समय-समय पर रियायत जरूर दी गई, लेकिन पुलिस ने मुस्तैदी से सड़क पर तैनात होकर काम किया।
मौत का आंकड़ा हुआ है कम
राज्य सड़क सुरक्षा सेल की प्रभारी प्रज्ञा जोशी ने कहा कि यह अच्छी बात है कि सड़क हादसों में पिछले साल की तुलना में इस साल 6 महीनों के अंदर भारी कमी आई है। हादसे में होने वाली मौत का आंकड़ा भी कम हुआ है और हादसों की संख्या में भी भारी कमी आई है। जोशी ने बताया कि पुलिस की प्लानिंग आगे भी इसी तरीके से जारी रहेगी। हादसों को कम करने और सुरक्षा के उपायों को जारी रखने की दिशा में काम किया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि प्रदेश के करीब 4 जिले ऐसे हैं, जहां पर कोरोना वायरस के दौर में भी हादसों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। उन जिलों को वरिष्ठ अधिकारियों के द्वारा हादसों को कम करने और उस पर कंट्रोल करने के निर्देश भी दिए गए हैं। राज्य सड़क सुरक्षा सेल की ताजा रिपोर्ट के अनुसार 1 जनवरी से 30 जून 2019 और 2020 की तुलनात्मक अध्ययन में कई खुलासे हुए हैं। रिपोर्ट के अनुसार 2019 के शुरुआती छह महीनों में सड़क हादसों की संख्या 27,578 थी, जबकि 2020 में यह संख्या 19,724 हो गई। यानी 28.48 प्रतिशत हादसों में कमी आई है।
- लोकेश शर्मा