दागी नहीं मप्र के ब्यूरोक्रेट्स
05-Apr-2021 12:00 AM 1347

 

मप्र में पिछले 5 साल में लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू ने भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ जो कार्रवाई की है, उसमें एक भी आईएएस और आईपीएस नहीं हैं। अगर प्रदेश की दोनों जांच एजेंसियों की मानें तो मप्र के ब्यूरोक्रेट्स दागी नहीं हैं।

पिछले 5 साल के दौरान केंद्र सरकार के कार्मिक लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय को आईएएस अधिकारियों की 3,474 शिकायतें मिली हैं। वहीं सीबीआई ने 5 वर्ष में 44 आईएएस और 12 आईपीएस के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर कार्रवाई की है। लेकिन मप्र सरकार की जांच एजेंसियों लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू को पिछले 5 साल में ऐसा एक भी आईएएस, आईपीएस नहीं मिला जिसके खिलाफ कार्रवाई की जाए। राज्य सरकार ने विधानसभा में जो आंकड़े दिए हैं उसमें कोई आईएएस, आईपीएस नहीं मिला जिसके खिलाफ 4 साल में लोकायुक्त, ईओडब्ल्यू ने कार्रवाई की हो।

विधानसभा के बजट सत्र के दौरान कांग्रेस विधायक और पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने सरकार से सवाल पूछा था कि वर्ष 2017 से मार्च 2021 तक प्रदेश में लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू ने राज्य में शासकीय और अर्द्ध शासकीय विभागों में किस-किस स्तर के अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों सहित राज्य के किस-किस स्तर के अधिकारियों और कर्मचारियों के यहां छापामार कार्रवाई की। किसकी कितनी चल-अचल संपत्ति जब्त की गई। किन अधिकारियों के विरुद्ध न्यायालय में चालान पेश किए गए और किनमें खात्मा लगाया गया।

सवाल के जवाब में सरकार की ओर से बताया गया है कि आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ की ओर से 24 अधिकारियों, कर्मचारियों के खिलाफ छापामार कार्रवाई की गई। लेकिन इनमें एक भी आईएएस-आईपीएस शामिल नहीं है। वहीं लोकायुक्त पुलिस द्वारा जो छापामार कार्रवाई की गई उसमें 81 लोगों पर कार्रवाई की गई उसमें भी कोई आईएएस, आईपीएस शामिल नहीं है। ईओडब्ल्यू ने 10 मामले दर्ज किए और इनमें शामिल 24 लोगों के खिलाफ छापामार कार्यवाही की। जिनके खिलाफ कार्रवाई की गई उनमें बसंत पटेल शाखा प्रबंधक किजला सहकारी बैंक कृषि शाखा नरसिंहपुर,  शोभा पटेल धनारे कॉलोनी नरसिंहपुर, जलसंसाधन विभाग से सेवानिवृत्त कार्यपालन यंत्री कोदूप्रसाद तिवारी और उनके परिजनों में पत्नी गिरिजा देवी, पुत्र राकेश तिवारी और पुत्रवधु प्रीति तिवारी, नगर निगम इंदौर में सहायक यंत्री अभय सिंह राठौर, टाईमकीपर संतोष सिंह राठौर,  माया सिंह तोमर, अमित सिंह तोमर, पूनम सिंह, राकेश कुमार जिला सहकारी बैंक सीधी के तत्कालीन लीड प्रबंधक गंगाप्रसाद शाह, ग्राम पंचायत हीरापुर के सचिव भागचंद्र कौरव, सरपंच मालतीबाई कौरव, दुर्गा बाई और संदीप कुमार कौरव, जबलपुर में सेवानिवृत्त अनुविभागीय अधिकारी लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग सुरेश उपाध्याय, अनुराधा उपाध्याय और सचिन उपाध्याय, रीवा जिले के ग्राम गनिगवां के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के सहायक ग्रेड तीन महेन्द्र प्रताप सिंह, उमरिया  की आदिम जाति सेवा सहकारी समिति सिंगुडी के प्रभारी समिति प्रबबंधक रामसुवन गुप्ता, सतना की अमरपाटन तहसील की सेवा सहकारी समिति ताला के प्रबंधक राजेश त्रिपाठी और नगर निगम ग्वालियर के सिटी प्लानर प्रदीप वर्मा शामिल आदि हैं।

वहीं लोकायुक्त संगठन ने 4 वर्षों में 81 अधिकारियों, कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की है। इनमें होशंगाबाद के सहकारी बैंक बानापुरा के शाखा प्रबंधक सतीश सिटोके, वाणिज्य कर विभाग होशंगाबाद में कराधान सहायक राजेश मालवीय, सिरोंज विदिशा में तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी जलसंसाधन एमएल व्यास, संचालनालय नगर एवं ग्राम निवेश के सहायक दुदीश कुमार राय, गंजबासौदा में जलसंसाधन विभाग के उपयंत्री संतोष परिहार, पुष्पा परिहार, नितिन परिहार, इंदौर में सहायक आयुक्त आबकारी आलोक खरे,  मीनाक्षी खरे मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी होशंगाबाद के डिवीजनल इंजीनियर समीर कुमार शर्मा  उज्जैन नगर निगम के अपर आयुक्त रविन्द्र जैन, नीमच में डिप्टी रेंजर जगदीश चंद्र चौधरी, सहकारी संस्था ग्राम डिगोद के सेल्समेन बलवान सिंह, कृषि उपज मंडी शुजालपुर के लेखापाल परमानंद, सेवानिवृत्त सचिव आनंद मोहन व्यास बड़नगर नगर पालिका के प्रभारी मुख्य कार्यपालन अधिकारी  कुलदीप किशुक, मनरेगा में सहायक यंत्री जनपद पंचायत सागर बृजेश साहू, मंडला में सहायक आयुक्त आदिवासी विकास संतोष शुक्ला, सहायक समिति प्रबंधक हेतराम पटेल, सेल्समेन आशीष देव पटेल सहित कुल 81 लोगों के खिलाफ कार्यवाही कर करोड़ों रुपए की चल-अचल संपत्ति जब्त की गई है। ये आंकड़े यह बताते हैं कि प्रदेश में निचले स्तर पर भ्रष्टाचार जोरों पर है। गौरतलब है कि कुछ साल पहले तक मप्र की नौकरशाही को देश की भ्रष्ट नौकरशाहों की श्रेणी में रखा जाता था।

मप्र के 105 अधिकारियों कर्मचारियों पर छापा

मप्र में पिछले 4 साल के दौरान लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू ने 105 अधिकारियों, कर्मचारियों पर छापामार कार्रवाई की है। आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ की ओर से 24 अधिकारियों, कर्मचारियों के खिलाफ छापामार कार्रवाई की गई। वहीं लोकायुक्त पुलिस द्वारा जो छापामार कार्रवाई की गई उसमें 81 लोगों पर कार्रवाई की गई है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार की जांच एजेंसियों के अनुसार मप्र में घूसखोरी चरम पर है। लोकायुक्त ने प्रदेश में जितने लोगों को पकड़ा है, उनमें से अधिकांश वे लोग हैं जो घूस लेते पकड़ाए हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि दोनों जांच एजेंसियों ने जिन अधिकारियों, कर्मचारियों के ऊपर छापामार कार्रवाई की है, उनके खिलाफ या तो विवेचना जारी है या फिर मामला अभियोजन स्वीकृति के लिए सरकार के पास लंबित है।

- रजनीकांत पारे

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