कोरोना ने मध्य प्रदेश में पुलिस को बदल दिया है। पुलिस बदली तो बहुत कुछ बदल गया। जनता अब उसे नए रूप में देख रही है। एफआईआर अब घर बैठे दर्ज कराई जा रही है और गाड़ियों की चैकिंग सोशल डिस्टेंसिंग से की जा रही है। आरोपी को लॉकअप में डालने से पहले उसका कोरोना टेस्ट किया जा रहा है। कोरोना के कारण मध्यप्रदेश पुलिस की वर्किंग स्टाइल में बदलाव हुआ है। फील्ड का मामला हो या फिर ऑफिस का, सभी जगह कामकाज में बदलाव हुआ है। इस बदलाव से जनता को भी फायदा मिला है। क्योंकि जिस तरह से पुलिस पहले काम करती थी उसने अपने कामकाज के अंदाज को बदला है। थाना स्तर पर और पुलिस के अधिकारी स्तर पर कई बदलाव हुए हैं। इसी बदलाव से पुलिस का प्रारूप भी बदला है। हालांकि कानून में कोई संशोधन नहीं हुआ, पुलिस पहले की तरह ही कार्रवाई कर रही है। लेकिन वर्किंग स्टाइल बदलने से बहुत कुछ बदल गया है।
मध्यप्रदेश पुलिस सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क और पुलिस मुख्यालय की गाइडलाइन का पालन तो कर रही है, लेकिन इसके साथ कुछ बदलाव ऐसे भी किए गए हैं जिससे उसकी वर्किंग स्टाइल बदल गई है। यानी कोरोना ने पुलिस को बदल दिया है। एडिशनल एसपी संजय साहू ने बताया कि कोरोना का असर पुलिस विभाग पर बहुत गहरा पड़ा है। पुलिस सोशल डिस्टेंसिंग से लेकर तमाम गाइडलाइन का पालन कर रही है। कोरोना से कई पुलिस अधिकारी-कर्मचारियों की मौत भी हो चुकी है। ऐसे में पुलिस ने कई जगह अपने काम करने के तरीके को बदला है।
थाना स्तर पर पुलिस ने शिकायत और एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया में बदलाव किया है। इसके साथ भी सुपरविजन करने वाले अधिकारियों और उनके ऑफिस में भी कई बदलाव हुए हैं। इस बदलाव का फायदा जमीनी स्तर पर भी दिखाई दे रहा है। क्योंकि यह बदलाव जनता की सुविधा के लिए किए गए हैं। उन्होंने बताया कि जनता को किसी तरीके की दिक्कत ना हो। उनकी शिकायतों को सुना जाए, उस पर कार्रवाई हो इसका पूरा ध्यान रखा गया है। थाना स्तर से लेकर चैकिंग में भी बदलाव किया गया है। ऑनलाइन प्लेटफार्म का पुलिस ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल कर रही है। बेवजह थानों में किसी को नहीं बैठाया जाता है। हवालात की व्यवस्था को भी बदला गया है। इन सभी बदलाव से आम जनता को भी फायदा होगा।
पुलिस ने इस कोरोना संक्रमण के दौर में 6 बदलाव किए हैं। पहला बदलाव यह कि फील्ड पर लगाए गए चैकिंग पॉइंट पर पुलिस इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का इस्तेमाल कर रही है। चैकिंग व्यवस्था भी बदली गई है। चैकिंग पॉइंट पर सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखा गया है। उसी हिसाब से बैरिकेट्स भी लगाए गए हैं। पुलिस ने ऑनलाइन पेमेंट की व्यवस्था भी की है। चैकिंग पॉइंट पर अब ज्यादा समय भी नहीं लगता। दूसरा बदलाव थानों में विंडो सिस्टम से शिकायत सुनी जा रही है। थाने में बाहरी व्यक्ति के आने-जाने पर रोक है। थाने के बाहर बैरिकेट्स लगाए गए हैं, लेकिन आम जनता को किसी तरह की दिक्कत ना हो इसके लिए ड्यूटी ऑफिसर विंडो सिस्टम की सहायता से लोगों की शिकायतों को सुनता है और उन पर एफआईआर भी करता है।
तीसरा बदलाव पुलिस सारा पत्राचार अब ऑनलाइन कर रही है। इसके जरिए पुलिस के मेल आईडी पर ऑनलाइन शिकायत भी दर्ज की जा सकती है। उसके पोर्टल पर ऑनलाइन शिकायत की जा सकती है। इसके अलावा वीडियो कॉलिंग के जरिए भी अपनी समस्या पुलिस को बताई जा सकती है। कुल मिलाकर पुलिस अधिकांश काम अपने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए कर रही है। चौथा बदलाव हवालात में आरोपियों की व्यवस्था बदली है। पहले थानों के लॉकअप में कई लोगों को एक साथ बैठाया जाता था। लेकिन अब आरोपी से सख्ती से पूछताछ और पूरा संदेह होने पर ही थाने में बैठाया जाता है। इससे थाने में बेवजह की भीड़ इकट्ठी नहीं होती। साथ ही आरोपी का कोरोना टेस्ट कराया जाता है।
पांचवे बदलाव में घर में एफआईआर की व्यवस्था भी की गई है। पुलिस के बड़े थानों में कुछ मामलों के तहत घर बैठे एफआईआर दर्ज करने का प्रावधान भी है। पुलिस घर पर आती है और तमाम जानकारी जुटाने के बाद एफआईआर दर्ज करती है। छठवां बदलाव कोरोना काल ने डायल 100 सिस्टम को बदला है। अब यह सिस्टम मेडिकल इमरजेंसी को प्राथमिकता देता है। कोरोना में क्राइम रेट कम होने की वजह से अब आम जनता से जुड़ी मेडिकल इमरजेंसी में 100 डायल की गाड़ियां सूचना मिलने पर तत्काल मदद करती हैं। इन बदलावों के साथ मप्र पुलिस कोरोना के इस संक्रमणकाल में लोगों को सुरक्षा के साथ हर तरह की सुविधाएं उपलब्ध करा रही है। पुलिस के बदले इस रूप को देखकर लोग भी हर्षित हैं। लोगों का कहना है कि पुलिस का यह रूप हमेशा बरकरार रहना चाहिए।
सर्विस रिकार्ड अपडेट करने में फिसड्डी
मध्यप्रदेश में पुलिस का सर्विस रिकॉर्ड मेंटेन नहीं है। ये गड़बड़ी प्रशासन शाखा की ओर से नहीं की गई है बल्कि पुलिस स्टाफ लापरवाह बना हुआ है। वो सर्विस रिकॉर्ड में अपनी और अपने परिवार की जरूरी जानकारी अपडेट नहीं कर रहा है। प्रशासन शाखा की पड़ताल में जब पता चला कि कई पुलिस अधिकारी कर्मचारियों का सर्विस रिकॉर्ड अधूरा है, तब सभी पुलिस इकाइयों को मेल भेजकर दस्तावेज मांगे गए हैं। पुलिस मुख्यालय की प्रशासन शाखा के एडीजी अन्वेष मंगलम ने प्रदेश की सभी पुलिस इकाइयों को सर्विस रिकॉर्ड के संबंध में पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि अनहोनी घटना में पुलिस स्टाफ के कुछ लोगों की मौत के बाद यह जानकारी में आया है कि सर्विस रिकॉर्ड का पहला पेज लेमिनेशन, शादीशुदा कर्मचारी का सपत्नी फोटो, नॉमिनेशन फॉर्म, जन्मतिथि, वर्तमान पता, स्थाई गृह जिला आदि महत्वपूर्ण जानकारी नहीं भरी गई है।
-राजेश बोरकर