दुनिया के साथ-साथ अपने देश को भी कोरोनावायरस से फैली महामारी ने हिला कर रख दिया है। इस समय देश में सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल की स्थिति है, ऐसी चुनौती देश के सामने शायद ही कभी आई होगी। जब इस तरह की चुनौती आती है तो उससे मुकाबला करने के लिए अलग-अलग स्तर पर नए-नए मापदंड भी तय करना पड़ते हैं। एक तरफ इस महामारी से निपटने की जिम्मेदारी डॉक्टर, नर्स और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों ने बखूबी संभाल रखी है तो दूसरी ओर आपदा की इस घड़ी में कानून और शांति व्यवस्था बनाए रखना पुलिस की अहम जिम्मेदारी है। इस आपदा के समय पुलिस अपने कर्तव्य का तो निर्वहन कर ही रही है, साथ ही अभिभावक की तरह लोगों का ख्याल भी रख रही है।
मप्र में पुलिस का एक अनोखा रूप देखने को मिल रहा है। जहां हजारों पुलिस के जवान और अफसर घर नहीं जा रहे हैं, वहीं महिला पुलिसकर्मियों ने उनके खाने की पूरी व्यवस्था संभाल ली है। उधर, पुलिसकर्मियों का परिवार मास्क बनाने में जुटा हुआ है ताकि हर व्यक्ति को कोरोना से बचने के लिए मास्क मिल सके। पुलिस की इस दरियादिली की हर जगह सराहना हो रही है। पुलिस महकमे की यह जिम्मेदारी इस लिए और बढ़ जाती है क्योंकि उसे मालूम है कि पुलिस प्रशिक्षण के दौरान ऐसे आपातकाल से कैसे निपटा जाए इसके बारे में उन्हें कोई दिशा-निर्देश ही नहीं दिए गए थे। इसी प्रकार लॉकडाउन का प्रयोग भी नया है, जिससे निपटने की भी चुनौती से पुलिस को दो-चार होना पड़ रहा है। इस विषम परिस्थिति में पुलिस नेतृत्व से यह अपेक्षा करना गलत नहीं होगा कि वह उपलब्ध सीमित संसाधनों से अधिक व्यापक सोच से कोरोना महामारी के समय आने वाली समस्याओं को मात देने में सफल रहेगी। पुलिस, किसी भी शासन-प्रशासन का एक ऐसा महत्वपूर्ण अंग है जो कि इस समय लॉकडाउन, धारा-144, किसी इलाके को सील करने आदि की कवायद को मूर्त रूप दे रही है, इसके साथ-साथ कोरोनावायरस महामारी से देश को बचाने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग को महत्वपूर्ण बताया जा रहा है, जिसे लागू कराने की बड़ी जिम्मेदारी पुलिस विभाग की है। वह इसे बखूबी निभा भी रहा है लेकिन काम के बोझ के दबाव के चलते पुलिसकर्मी तनाव में तो आ ही रहे हैं, इसके अलावा तमाम पुलिसकर्मी कोरोना पॉजिटिव भी होते जा रहे हैं, जो अलग से चिंता का कारण बना हुआ है।
यहां एक और घटना का जिक्र जरूरी है जब 22 मार्च को प्रधानमंत्री के आव्हान पर पूरे देश में जनता कर्फ्यू लगाया गया था जो काफी सफल भी रहा, परंतु प्रधानमंत्री के आव्हान पर कोरोना की लड़ाई लड़ रहे योद्धाओं के समर्थन में लोग शंखनाद, घंटे-घड़ियाल और थाली बजाते हुए कई जगह जुलूस के रूप में सड़क पर निकल आए तो स्थिति काफी खराब हो गई। जिस कारण से उपरोक्त कर्फ्यू लगाया गया था, उसका उद्देश्य ही खत्म कर दिया। इसके बाद 24 मार्च से 21 दिन का लॉकडाउन घोषित किया गया है जो फिर से बढ़ गया है। इसके दौरान भी कानून व्यवस्था अपरिचित कारणों से प्रभावित हो रही है, जो पुलिस के सामने एकदम नई चुनौती थी।
फिर भी कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ फाइट में मध्य प्रदेश पुलिस के जवान और अफसर दिन-रात एक किए हुए हैं। ऐसे में उनका परिवार भी अब उनके साथ आ गया है। इन कोरोना वॉरियर्स के साथ इस लड़ाई में अब उनके घर की महिलाएं भी शामिल हो गई हैं। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए वो युद्ध स्तर पर मास्क और दस्ताना बना रही हैं। वो अब तक हजारों मास्क और दस्ताने बना चुकी हैं। पुलिस वाले 24 घंटे कोरोना योद्धा के रूप मुस्तैद रहकर कोविड-19 वैश्विक महामारी से सीधा लोहा ले रहे हैं, तो वहीं उनके परिवार की महिलाओं ने भी मोर्चा संभाल लिया है।
महिला पुलिस कर्मियों ने बनाई रसोई ब्रिगेड
देशव्यापी महामारी कोरोना वायरस के कारण पूरे देश में लॉकडाउन है। कई लोग ऐसी जगहों में फंस गए हैं जहां उन्हें खाने की सामग्री जुटाने में काफी दिक्कत हो रही है। ऐसे में राजधानी भोपाल में महिला पुलिस कर्मियों ने लोगों की मदद के लिए रसोई ब्रिगेड बनाई है, तो उमरिया की एक महिला एडीशनल एसपी ने खुद रसोई की कमान संभाल ली है। अपनी ड्यूटी के साथ यह सभी महिला पुलिस अधिकारी-कर्मचारी अपने हाथों से रसोई चला रही हैं। निशातपुरा थाने में पदस्थ सब इंस्पेक्टर उर्मिला यादव, आरक्षक दीपमाला और सारिका साहू ने मिलकर रसोई ब्रिगेड तैयार की है। थाना निशातपुरा परिसर में रसोई ब्रिगेड सुबह-शाम भोजन तैयार कर रही हैं। इस रसोई में महिला पुलिस कर्मी थाना स्टाफ की मदद से ड्यूटी पर तैनात 115 पुलिसकर्मियों के लिए रोज दोनों वक्त का खाना तैयार करती हैं। उमरिया जिले में पदस्थ एडिशनल एसपी रेखा सिंह किसी जनसहयोग से नहीं और न ही अपने स्टाफ से खाना बनवा रही हैं। उन्होंने एक मां की तरह रसोई की जिम्मेदारी खुद संभाली और खुद ही खाना बनाकर मजदूरों की मदद कर रही हैं। रेखा सिंह सब्जी में तड़के से लेकर चावल को पकाने तक किचन में खड़ी रहती हैं। पूरी भी उनकी हाथों से होकर गुजरती है। किचन का हर एक समान उनकी निगरानी में आता है और खाने में वह कोई कंप्रोमाइज नहीं करती हैं।
- नवीन रघुवंशी