चार दिन की चांदनी
04-May-2020 12:00 AM 327

चला-चली की बेला में तत्कालीन कांग्रेस सरकार के मुखिया कमलनाथ ने अपने चहेते नेताओं को निगम-मंडलों और आयोगों में ताबड़तोड़ कुर्सी बांट दी, लेकिन सत्ता बदलते ही भाजपा ने इन सबकी विदाई कर दी। चार दिन की चांदनी देखने वाले इन नेताओं की स्थिति ऐसी हो गई है कि ये ठीक से खुशी भी नहीं मना पाए। दरअसल, करीब डेढ़ साल तक कमलनाथ सरकार निगम-मंडलों और आयोगों में अपने नेताओं की नियुक्ति नहीं कर पाई थी। पार्टी में कई बार यह मांग उठती रही कि अधिक से अधिक नेताओं को कुर्सी पर बैठा दिया जाए ताकि गुटबाजी थामी जा सके, लेकिन कमलनाथ ने किसी की एक नहीं सुनी। लेकिन जैसे ही उन्हें लगा कि अब सत्ता जाने वाली है तो उन्होंने अपने कुछ चहेतों को निगम-मंडलों और आयोगों में कुर्सियों पर बैठा दिया।

आलम यह रहा कि कमलनाथ ने राजनीतिक नियुक्तियों की झड़ी लगा दी। पूर्व सांसद आनंद अहिरवार  अनुसूचित जाति आयोग, मीडिया विभाग की अध्यक्ष शोभा ओझा को राज्य महिला आयोग का अध्यक्ष, आईटी सेल के अभय तिवारी को युवा कल्याण आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। वहीं जेपी धनोपिया को मप्र पिछड़ा वर्ग आयोग का अध्यक्ष और गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी को मप्र अनुसूचित जाति जनजाति आयोग का अध्यक्ष बनाया गया। सागर संसदीय क्षेत्र के पूर्व सांसद डॉ. आनंद अहिरवार को राज्य अनुसूचित जाति आयोग में चेयरमैन नियुक्त किया गया है। इसके साथ ही जबलपुर के हवाबाग महाविद्यालय में अंग्रेजी के प्राध्यापक डॉ. आलोक चंसोरिया को निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग के पूर्णकालिक चेयरमैन पद पर नियुक्त किया गया। रामू टेकाम और राशिद साहिल सिद्दीकी मप्र लोक सेवा आयोग के सदस्य बने और महिला आयोग में सदस्यों की नियुक्तियां कर दी गईं। ये सभी संवैधानिक पद हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी सरकारी वकीलों को हटाकर नए वकील नियुक्त कर दिए गए। युकां नेता मनोज शुक्ला के पिता व कांग्रेस के सहकारी नेता सुभाष शुक्ला जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के प्रशासक बना दिए गए। इन नेताओं ने भी मौके की नजाकत को देखते हुए ताबड़तोड़ पदभार भी संभाल लिया।  लेकिन इनकी खुशी अधिक दिन कायम नहीं रह पाई। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हो गया और मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही शिवराज सिंह चौहान ने कमलनाथ शासनकाल में की गई नियुक्तियों को रद्द कर दिया। गौरतलब है कि डेढ़ साल तक एक भी नियुक्ति नहीं करने वाले कमलनाथ ने जब अचानक राजनीतिक नियुक्तियां शुरू की थी तो उस पर सवाल उठे थे। कमलनाथ सरकार चला-चली की बेला में जो कर रही थी, इसका इंतजार जनता और कांग्रेस के नेता लंबे समय से कर रहे थे। मंत्रिमंडल विस्तार न हो पाने के कारण विधायकों में असंतोष बढ़ रहा था। राजनीतिक नियुक्तियों में देरी के कारण पार्टी के नेता नाराज थे। लेकिन सरकार सिर्फ गाइडलाइन बनाने में व्यस्त दिख रही थी। यदि सरकार ने पहले इस ओर ध्यान दिया होता तो शायद ये हालात निर्मित न होते। तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ सहित पूरी पार्टी को मालूम था कि मंत्रिमंडल विस्तार न होने के कारण समर्थन दे रहे निर्दलीय, सपा, बसपा के विधायकों के सब्र का बांध टूट रहा था। कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक खुद को दरकिनार करने के कारण नाराज थे। ज्योतिरादित्य सिंधिया को जवाबदारी न दिए जाने के कारण उनके समर्थक मंत्री एवं विधायक लामबंद हो रहे थे। बावजूद इसके सब हाथ पर हाथ धरे बैठे थे। लेकिन जब सब हाथ से छूटता दिखने लगा तब ताबड़तोड़ नियुक्तियां की गईं।

जिन नेताओं को निगम-मंडलों और आयोगों में पद मिले थे उन्हें भी मालूम था कि अगर सत्ता बदली तो उनकी कुर्सी खतरे में पड़ सकती है। लेकिन कुर्सी का लालच ऐसा होता है कि सबकुछ जानते हुए भी लोग उसके मोह में पड़ जाते हैं। पद की घोषणा होते ही नेताओं ने आव देखा न ताव जाकर पदभार संभाल लिया, लेकिन कोई भी उस कुर्सी पर सुकून से बैठता उससे पहले ही उनकी कुर्सी छिन गई। अब ये नेता कुर्सी जाते ही राजनीतिक पटल से भी गायब हो गए हैं।

अकादमियों में की गई नियुक्तियां भी हो गई निरस्त

कमलनाथ सरकार द्वारा निगम-मंडलों, अकादमी, आयोग, परिषदों में की गई राजनीतिक नियुक्तियों को शिवराज सरकार ने निरस्त कर दिया। इस संबंध में आदेश जारी कर दिए गए हैं। 20 अप्रैल को काम-काज शुरू होते ही मुख्यमंत्री सचिवालय ने राजनीतिक नियुक्तियों को निरस्त करने के आदेश दिए। सामान्य प्रशासन विभाग ने नोटशीट पहुंचते ही तत्काल आदेश जारी कर दिए। इसी आधार पर संबंधित विभागों ने कमलनाथ सरकार के दौरान हुई राजनीतिक नियुक्तियों के मनोनयन निरस्त कर दिए। इनमें आदिवासी लोककला एवं बोली विकास अकादमी के निर्देशक राजेश प्रसाद मिश्र, उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत एवं कला अकादमी के निदेशक अखिलेश वर्मा, साहित्य अकादमी भोपाल के निदेशक नवल शुक्ल, सिंधि साहित्य अकादमी के निदेशक नरेश कुमार गिदवानी, मराठी साहित्य अकादमी की निदेशक पूर्णिमा प्रदीप का मनोनय निरस्त करने के आदेश संस्कृति परिषद ने जारी कर दिए। इसी प्रकार स्वराज संस्थान संचालनालय के अंतर्गत स्थापित धर्मपाल शोधपीठ के निदेशक ध्रुव शुक्ला और महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ के निदेशक डॉ. प्रकाश माथुर के पद पर किया गया मनोनयन भी निरस्त कर दिया गया है। इनकी नियुक्ति भी कमलनाथ सरकार में की गई थी। साथ ही उर्दू अकादमी के अध्यक्ष अजीज कुरैशी और हिसमउद्दीन फारूखी का सचिव पद पर किया गया मनोनयन भी निरस्त कर दिया गया है। इनकी नियुक्ति वर्ष 2019 में हुई थी।

- कुमार विनोद

FIRST NAME LAST NAME MOBILE with Country Code EMAIL
SUBJECT/QUESTION/MESSAGE
© 2025 - All Rights Reserved - Akshnews | Hosted by SysNano Infotech | Version Yellow Loop 24.12.01 | Structured Data Test | ^