कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ने के कारण इन दिनों शासन, प्रशासन और पुलिस का पूरा ध्यान इस महामारी को रोकने पर है। ऐसे में प्रदेश के नक्सल प्रभावित जिले बालाघाट, मंडला, डिंडोरी और आसपास के इलाकों में नक्सली गतिविधियां एक बार फिर बढ़ने की जानकारी मिल रही है। पुलिस के खुफिया सूत्रों के मुताबिक प्रदेश में अपना नेटवर्क बढ़ाने और अपना वर्चस्व कायम करने के लिए नक्सली गांव-गांव जाकर बैठकें कर रहे हैंं। सोशल डिस्टेंसिंग की जरूरत के समय नक्सली गांववालों के साथ सोशल नजदीकियां बढ़ा रहे हैं।
सूत्रों का कहना है कि नक्सली कोरोना वायरस को एक मौके की तरह देख रहे हैं। ये लोग नक्सल प्रभावित जिलों के गांवों में महामारी का डर जगाकर अपनी पैठ जमा रहे हैं। गांववालों को शहरी इलाकों में जाने और बाहर से किसी को आने देने पर पाबंदी लगाने को कहा जा रहा है। नक्सलियों के कहने पर ग्रामीणों ने ज्यादातर गांवों को सील कर दिया है। न किसी को गांव में आने की इजाजत है और न ही किसी को गांव से बाहर जाने की। पुलिस भी यहां नहीं पहुंच रही, लेकिन नक्सली इन गांवों में लगातार बैठकें कर रहे हैं।
पुलिस के खुफिया विभाग के सूत्र बताते हैं कि कोरोना के पहले ही छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र के नक्सली मप्र में आ चुके थे। ये नक्सली गांव-गांव जाकर बैठकें ले रहे हैं। इन बैठकों में सोशल डिस्टेंसिंग पर कोई ध्यान नहीं रखा जा रहा, लोग झुंड बनाकर एक जगह बैठ रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि बड़े कैडर के नक्सलियों ने खुद को जंगल में ही आइसोलेट कर रखा है, जबकि निचले कैडर के नक्सलियों को वे इस महामारी के बारे में ज्यादा नहीं बता रहे। उन्हें डर है कि संक्रमण से फैलने वाली इस बीमारी के बारे में जानकर ये लोग अपने घर भाग सकते हैं।
लॉकडाउन के कारण नक्सलियों का राशन सप्लाई चेन काम नहीं कर रहा है। ये लोग राशन की कमी से जूझ रहे हैं। ये राशन के लिए गांववालों पर दबाव भी बना रहे हैं। दरअसल, दूरस्थ जंगलों में बसी आबादी तक जरूरत का सामान पहुंचाना प्रशासन के लिए मुसीबत भरा हो गया है। वहीं इस त्रासदी का संकट नक्सली भी झेल रहे हैं। ग्रामीणों की मदद लेकर जिले के जंगलों में रहने वाले नक्सलियों को दो वक्त की रोटी के लाले पड़ गए हैं। ऐसे में दूरस्थ गांवों में नक्सली अपनी जरूरत का सामान जुटाने ग्रामीणों को धमका रहे हैं। खास बात यह है कि जब ग्रामीणों को ही दो वक्त का राशन जुटा पाना मुश्किल हो रहा है तो ऐसे में वे नक्सलियों की मांग की पूर्ति कैसे करेंगे। बालाघाट जिले के जंगलों में बसे गांवों राशिमेटा, सोनगुड्डा, पितकोना, अडोरी, कोरका, बिठली, पाथरी से लगे इलाकों में नक्सली ग्रामीणों को धमका रहे हैं।
जानकारों का कहना है कि पिछले कुछ महीनों से नक्सली मध्यप्रदेश में किसी बड़ी घटना को अंजाम देने की फिराक में है, जिसके चलते वह पुलिस को चकमा दे रहे हैं। इसी प्लानिंग के साथ नक्सली बालाघाट के सरहदी इलाके से होते हुए मंडला-डिंडोरी के जंगलों को अपना ठिकाना बना चुके हैं। इसमें यह बात भी है कि अगर उन पर प्रशासन और पुलिस सख्त रवैय्या नहीं अपनाती तो एमपी के मंडला-डिंडोरी से सिंगरौली-सीधी के रास्ते नक्सली गतिविधियों के लिए एक बार फिर संवेदनशील हो जाएंगे। सेंट्रल कमेटी ने बालाघाट और सिंगरौली जिलों में अपनी नजर मुस्तैद की है, क्योंकि इन इलाकों में नक्सली गतिविधियां दिखने लगी हैं, माना जा रहा है कि वह यहां अपना ठिकाना बनाने की फिराक में हैं।
सूत्रों का कहना है कि नक्सली नया ठिकाना तलाश रहे हैं। जिसके लिए सेंट्रल कमेटी ने नई प्लाटून के लिए नए इलाके पर फोकस किया है। नेटवर्क बढ़ाने के लिए एक तरफ जहां बार्डर एरिया में पुलिस आउट सोर्स बढ़ा रही है। वहीं दूसरी तरफ कवर्धा के रास्ते नक्सली बालाघाट से गुजरकर मंडला-डिंडोरी के जंगलों में सुरक्षित स्थान तलाश अपनी ताकत मध्य प्रदेश के अन्य जिलों में भी बढ़ा रहे हैं। बालाघाट एसपी अभिषेक तिवारी का कहना है कि लॉकडाउन से ग्रामीणों तक जरूरत का सामान जुटाना मुश्किल हो गया है। उन्हें खुद के लिए राशन नहीं मिल पा रहा है। जिसके चलते वे नक्सलियों को राशन नहीं दे पा रहे हैं। इसी वजह से नक्सली ग्रामीणों को धमका रहे हैं। राशिमेटा, सोनगुड्डा व पितकोना से इस तरह की सूचनाएं मिली हैं। पुलिस ने सर्चिंग बढ़ा दी है। हालांकि, नक्सलियों ने साल 2012 में हुई पचामा-दादर में पुलिस-नक्सली मुठभेड़ के बाद से मंडला-डिंडोरी के अलावा आसपास के इलाके भी छोड़ दिए थे। लेकिन, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र पुलिस द्वारा राज्य के सरहदी इलाकों और जंगलों में बढ़ी सर्चिंग के बाद एक बार नक्सली इन इलाकों में सक्रिय होने लगे हैं।
सुरक्षा बलों पर हमला नहीं करेंगे
उधर छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती राज्यों में सक्रिय नक्सलियों की कमेटी ने पर्चा जारी करके युद्ध विराम की घोषणा की है। नक्सलियों की ओर से मलकानगिरी, कोरापुट, विशाखापट्नम बॉर्डर डिवीजनल कमेटी के सचिव कैलाशम ने तेलुगू में यह पर्चा जारी किया है। हाथ से लिखे इस पर्चे में लिखा है कि कोरोना के खतरे से पूरी दुनिया लड़ रही है। ऐसे में अभी नक्सलियों की ओर से सुरक्षाबलों पर कोई हमला नहीं किया जाएगा। लेकिन, यदि सुरक्षाबलों की ओर से उन पर हमले होते हैं तो इसका जवाब दिया जाएगा। बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने बताया है कि जो पर्चे मिले हैं, वह आंध्र-ओडिशा बॉर्डर इलाके के हैं। पर्चे को जारी करने वाला कैलाशम इलाके के बड़े नक्सली लीडरों में से एक है। माना जा रहा है कि नक्सलियों की इस कमेटी के फैसले का असर देशभर के नक्सल प्रभावित इलाकों में भी देखने को मिलेगा। बस्तर समेत अन्य इलाकों में जहां नक्सलवाद हावी है, वहां भी युद्ध विराम की घोषणा हो सकती है। बस्तर में दंडकारण्य जोनल कमेटी नाम का नक्सल संगठन सक्रिय है। इसकी ओर से इस तरह की बातें नहीं कही गई हैं। जानकारों का मानना है नक्सलियों में कोरोना फैलने का डर है, ऐसे में इलाज के लिए वह बाहर आएंगे। लिहाजा युद्ध विराम के संदेश भेज रहे हैं।
- कुमार राजेन्द्र