मप्र विधानसभा का 5 दिवसीय मानसून सत्र 20 जुलाई से शुरू होगा। इस सत्र के दौरान मप्र सरकार अपना बजट पेश करेगी। बजट में कोरोना का इफेक्ट दिखेगा। सरकार इस बार कई योजनाओं पर कैंची चला सकती है। वहीं संबल, सामाजिक पेंशन, कन्यादान सहित कई योजनाओं के लिए पर्याप्त बजट की व्यवस्था करनी होगी। इसके लिए अधिकारी खाका तैयार करने में जुट गए हैं।
मानसून सत्र में मप्र सरकार बजट पेश करेगी। इस बार करीब 2.25 लाख करोड़ रुपए का बजट पेश किया जाएगा। इसके साथ ही पांच दिवसीय सत्र में महत्वपूर्ण विधि विषयक और वित्तीय कार्य संपादित होंगे। विधानसभा के प्रमुख सचिव एपी सिंह ने बताया कि कोरोना वैश्विक महामारी की विशेष परिस्थितियों की वजह से सत्र संक्षिप्त अवधि का रखा गया है। मानसून सत्र के पहले दिन श्रद्धांजलि के बाद विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव के बाद सदन की कार्यवाही औपचारिक रूप से शुरू होगी।
प्रदेश में शिवराज सरकार के पहले बजट की तैयारियां जोरों पर हैं। जुलाई के पहले हफ्ते में शिवराज सरकार का पहला बजट पास किया जाएगा। सरकार सवा दो लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का बजट लाने की तैयारी में है। बताया जा रहा है कि संसदीय कार्य विभाग ने मानसून सत्र बुलाने की फाइल मुख्यमंत्री को भेज दी है। अब इसके बाद सत्र कब बुलाया जाएगा इसका अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री राज्यसभा चुनाव के बाद लेंगे। बताया जा रहा है कि इस बजट में प्रदेश के एसजीडीपी का 5 प्रतिशत तक कर्ज लेने का प्रस्ताव भी मंजूर कराया जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक कोरोना संकट के कारण विभागों को मिलने वाले बजट में कटौती तो होगी ही कुछ योजनाएं भी बंद की जाएंगी।
बता दें कि प्रदेश में सियासी उठापटक के चलते तत्कालीन कमलनाथ सरकार बजट पेश नहीं कर पाई थी। कांग्रेस सरकार गिरने के बाद 23 मार्च को शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। मंत्रिमंडल का गठन न होने के कारण 31 मार्च से पहले शिवराज सरकार भी बजट सत्र नहीं बुला पाई। वेतन-भत्ते सहित जरूरी खर्चों के लिए राज्यपाल लालजी टंडन की अनुमति से 28 मार्च को एक लाख 66 करोड़ 74 लाख 81 हजार रुपए का लेखानुदान अध्यादेश लाया गया। बता दें कि मध्यप्रदेश के इतिहास में यह सर्वाधिक राशि का लेखानुदान है।
बजट भाषण में गेहूं खरीद का रिकॉर्ड, सार्वजनिक वितरण प्रणाली में बांटे गए राशन, संबल योजना की वापसी, प्रवासी श्रमिकों के जॉबकार्ड बनाने के लिए चलाई गई श्रम सिद्धी योजना, प्रवासी श्रमिकों को रोजगार दिलाने के लिए शुरू किए गए रोजगार सेतु पोर्टल, बिजली उपभोक्ताओं को दी गई रियायत, श्रम कानूनों में किए गए संशोधन, मंडी अधिनियम में किए गए बदलाव, निजी मंडी की व्यवस्था, रियल एस्टेट क्षेत्र को बढ़ावा देने कलेक्टर गाइडलाइन और निर्माण दर में छूट देने जैसे फैसलों का प्रमुखता से जिक्र किया जाएगा।
20 जुलाई से शुरू होने वाले विधानसभा के मानसून सत्र में सरकार वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए बजट प्रस्तुत करेगी। यह दो लाख करोड़ रुपए से अधिक का रहेगा। सत्र की कम अवधि को देखते हुए बजट पर सामान्य और विभागों की अनुदान मांगों पर विस्तृत चर्चा नहीं होगी। बिना चर्चा ही विभागों का बजट पारित होगा। विपक्ष कटौती प्रस्ताव रखेगा तो भी इस पर चर्चा होने की संभावना नहीं है। दरअसल, सत्र में बजट के अलावा आधा दर्जन से ज्यादा अन्य संशोधन विधेयक भी प्रस्तुत किए जाएंगे, जिनका पारित होना जरूरी है। मानसून सत्र के दौरान सरकार का सबसे महत्वपूर्ण काम वर्ष 2020-21 के लिए बजट पारित कराना होगा। कोरोना की वजह से बजट सत्र पूरा नहीं हो पाया था, इसलिए सरकार को एक लाख 66 करोड़ रुपए से ज्यादा का लेखानुदान अध्यादेश लाना पड़ा था। इसकी अवधि 31 जुलाई तक है। इसके पहले विनियोग और वित्त विधेयक सदन से पारित करवाकर राज्यपाल की अनुमति लेकर अधिसूचना राजपत्र में प्रकाशित करनी होगी। वित्त विभाग इसी हिसाब से तैयारी कर रहा है।
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि बजट की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। विभागों से वित्त मंत्री के भाषण में शामिल किए जाने वाले बिंदु मंगाए जा चुके हैं। मौजूदा वित्तीय स्थिति को देखते हुए नए प्रस्ताव भी सीमित संख्या में ही शामिल किए जाएंगे। उधर, विधानसभा सत्र की अवधि (20 से 24 जुलाई) को देखते हुए बजट पर तीन दिन की सामान्य चर्चा नहीं होगी। सूत्रों का कहना है कि कुछ घंटे में सामान्य चर्चा को पूरा करवाकर विभागों की अनुदान मांगों को एक साथ प्रस्तुत कर दिया जाएगा। इससे ज्यादातर मांगों पर चर्चा ही नहीं हो पाएगी। सत्र के दौरान कृषि उपज मंडी अधिनियम, श्रम कानून, नगर पालिक और पंचायतराज अधिनियम में संशोधन के प्रस्ताव रखे जाएंगे। केंद्रीय सहायता पर निर्भर करेगा बजट का आकार बताया जा रहा है कि राज्य के करों में आई कमी की पूर्ति वित्तीय वर्ष की बाकी अवधि में पूरी होने की संभावना नहीं है।
सत्र में बजट के अलावा आधा दर्जन से ज्यादा अन्य संशोधन विधेयक भी प्रस्तुत किए जाएंगे, जिनका पारित होना जरूरी है। मानसून सत्र के दौरान सरकार का सबसे महत्वपूर्ण काम वर्ष 2020-21 के लिए बजट पारित कराना होगा। कोरोना की वजह से बजट सत्र पूरा नहीं हो पाया था, इसलिए सरकार को एक लाख 66 करोड़ रुपए से ज्यादा का लेखानुदान अध्यादेश लाना पड़ा था। इसकी अवधि 31 जुलाई तक है। इसके पहले विनियोग और वित्त विधेयक सदन से पारित करवाकर राज्यपाल की अनुमति लेकर अधिसूचना राजपत्र में प्रकाशित करनी होगी। वित्त विभाग इसी हिसाब से तैयारी कर रहा है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि बजट की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। विभागों से वित्त मंत्री के भाषण में शामिल किए जाने वाले बिंदु मंगाए जा चुके हैं। मौजूदा वित्तीय स्थिति को देखते हुए नए प्रस्ताव भी सीमित संख्या में ही शामिल किए जाएंगे। सूत्रों का कहना है कि कुछ घंटे में सामान्य चर्चा को पूरा करवाकर विभागों की अनुदान मांगों को एक साथ प्रस्तुत कर दिया जाएगा। इससे ज्यादातर मांगों पर चर्चा ही नहीं हो पाएगी। सत्र के दौरान कृषि उपज मंडी अधिनियम, श्रम कानून, नगर पालिक और पंचायतराज अधिनियम में संशोधन के प्रस्ताव रखे जाएंगे। केंद्रीय सहायता पर निर्भर करेगा बजट का आकार बताया जा रहा है कि राज्य के करों में आई कमी की पूर्ति वित्तीय वर्ष की बाकी अवधि में पूरी होने की संभावना नहीं है।
सूत्रों के मुताबिक लॉकडाउन के कारण करीब 26 हजार करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान सरकार को हो चुका है। पेट्रोल और डीजल पर एक-एक रुपए प्रति लीटर अतिरिक्त कर लगाकर कुछ नुकसान की भरपाई की कोशिश की गई है, लेकिन इससे भी सालभर में करीब 570 करोड़ रुपए की आय ही होगी। वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बजट का आकार केंद्रीय सहायता पर निर्भर करेगा। राज्यों की आर्थिक स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार ने विभिन्न योजनाओं में सहायता की राशि बढ़ाई है। नई योजनाएं भी शुरू हुई हैं। राज्य सरकार की कोशिश भी है कि अधिक से अधिक केंद्रीय योजनाओं का उपयोग कर राज्य के बजट पर भार कम किया जाए। 45 हजार करोड़ रुपए तक कर्ज लेने की सीमा से मिली राहत कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से बने हालात को देखते हुए केंद्र सरकार प्रदेश को राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (एसजीडीपी) का दो प्रतिशत अतिरिक्त कर्ज लेने की छूट दी है। इससे सालभर में 18 हजार 983 करोड़ रुपए जुटाए जा सकेंगे। इसमें चार हजार 746 करोड़ रुपए का कर्ज बिना शर्त लिया जा सकेगा। वहीं, 14 हजार 237 करोड़ रुपए हासिल करने के लिए कुछ सुधारात्मक कदम उठाने होंगे। प्रदेश सरकार ने इसकी शुरुआत भी कर दी है। कर्ज लेने की अतिरिक्त छूट मिलने से प्रदेश सरकार अब सालभर में लगभग 45 हजार करोड़ रुपए का कर्ज ले सकेगी।
वर्ष 2020-21 का बजट 31 जुलाई के पहले विधानसभा से पारित कराया जाएगा। लेखानुदान अध्यादेश जुलाई तक के लिए ही है। इसके बाद सरकार को जरूरी खर्च के लिए विधानसभा की अनुमति की जरूरत होगी। उधर, वित्त विभाग ने बजट प्रस्तावों को तैयार करने की प्रक्रिया तेज कर दी है। हालांकि इसमें राज्य नीति एवं योजना आयोग की कोई भूमिका नहीं होगी। कमलनाथ सरकार ने आयोग को मजबूत बनाने के लिए कई शक्तियां दी थीं। इसमें बजट प्रक्रिया में सुझाव देना भी शामिल था। सूत्रों के मुताबिक वित्त विभाग ने बजट तैयार करने का जो कार्यक्रम तय किया है, उसमें राज्य नीति एवं योजना आयोग की कोई भूमिका नहीं रखी गई है।
संबल, कन्यादान, सामाजिक पेंशन के लिए पर्याप्त बजट
सूत्रों का कहना है कि शिवराज सरकार मुख्यमंत्री जनकल्याण योजना 'संबल’ के लिए पर्याप्त बजट रखेगी। कमलनाथ सरकार ने योजना को हाशिए पर डाल दिया था। इसके कई प्रावधानों को समाप्त करने के साथ जांच के नाम पर हितग्राहियों को लाभांवित करना भी रोक दिया था। कांग्रेस सरकार में तीर्थदर्शन योजना का बजट भी नाममात्र हो गया था। काफी विरोध होने के बाद योजना के तहत कुछ ट्रेन तीर्थ स्थानों के लिए भेजी गई थीं। कोरोना संक्रमण की स्थिति को देखते हुए इस वर्ष योजना में ज्यादा राशि नहीं रखी जाएगी पर स्थिति सामान्य होते ही प्राथमिकता के साथ बजट आवंटन होगा। कन्यादान, सामाजिक सुरक्षा पेंशन, पंच परमेश्वर, छोटे कारोबारियों के लिए ब्याज अनुदान, मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के लिए ब्याज अनुदान, शून्य प्रतिशत ब्याज योजना के लिए ब्याज अनुदान, फसल बीमा योजना के लिए अंशदान, कौशल विकास के लिए प्रशिक्षण, मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना, वन नेशन-वन राशन कार्ड, बिजली बिलों में राहत के लिए अनुदान सहित अन्य योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए बजट प्रावधान किए जाएंगे।
अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के लिए जोर-आजमाइश
विधानसभा का मानसून सत्र हंगामेदार होने के आसार हैं। इसमें कांग्रेस शक्ति प्रदर्शन करेगी। इसका असर सदन में विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के चुनाव में दिखाई देगा। दरअसल, राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग से भाजपा विधायक का मत लेने में कामयाब होने के कारण कांग्रेस काफी उत्साहित है। लिहाजा, आंकड़ेबाजी में पीछे रहने के बाद भी विधानसभा अध्यक्ष व उपाध्यक्ष चुनाव में विधायकों को उतार सकती है।
विधानसभा अध्यक्ष के लिए कांग्रेस के विधायकों डॉ. गोविंद सिंह, केपी सिंह, कांतिलाल भूरिया और सज्जन सिंह वर्मा जैसे वरिष्ठ नेताओं के नाम हैं। सूत्र बताते हैं कि चुनाव में डॉ. गोविंद सिंह और केपी सिंह को कांग्रेस उतारने से बचेगी, क्योंकि इसमें हार सुनिश्चित है। आदिवासी और अनुसूचित जाति के कार्ड के रूप में कांतिलाल भूरिया या सज्जन सिंह वर्मा को इसके लिए आगे किया जा सकता है। इसी तरह विधानसभा उपाध्यक्ष में तीन या इससे ज्यादा बार जीते विधायकों हुकुमसिंह कराड़ा, बाला बच्चन, सुखदेव पांसे जैसे नेता के नाम को आगे बढ़ाया जा सकता है। वहीं भाजपा की तरफ से पूर्व विधानसभा अध्यक्ष व विधायक सीतासरन शर्मा, विधायक केदारनाथ शुक्ल, विधायक जगदीश देवड़ा व गिरीश गौतम और विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया के नाम पर विचार किया है। इन्हीं में दोनों पदों के लिए उम्मीदवार तय होंगे। कांग्रेस सरकार के समय हिना कांवरे के मुकाबले भाजपा ने उपाध्यक्ष पद के लिए पूर्व मंत्री विजय शाह को उम्मीदवार बनाया था, लेकिन सूत्रों की मानें तो शाह अब विधानसभा अध्यक्ष या उपाध्यक्ष पद के उम्मीदवार नहीं बनना चाहते।
- सुनील सिंह