अधर में ग्राम युवा शक्ति समिति
02-Jul-2020 12:00 AM 483

 

मप्र में सत्ता परिवर्तन के साथ ही पूर्ववर्ती कमलनाथ सरकार की कई योजनाओं को बंद करने की कवायद भाजपा सरकार ने शुरू कर दी है। दरअसल, प्रदेश सरकार का मानना है कि पूर्ववर्ती सरकार ने जो योजनाएं शुरू की थीं उनसे जनता को कोई अधिक लाभ नहीं पहुंचने वाला है। इसलिए कई योजनाएं बंद करने की कवायद चल रही है।

पं चायतों में अब ग्राम युवा शक्ति समिति नहीं बनेंगी। कांग्रेस सरकार ने प्रत्येक पंचायत में 11 सदस्यीय समिति बनाने का फैसला किया था। इसे गांव में नशामुक्ति को बढ़ावा देने से लेकर विभिन्न योजनाओं का ग्रामीणों को लाभ दिलाने का जिम्मा सौंपा जाना था। लेकिन प्रदेश की शिवराज सरकार ने कमलनाथ सरकार की इस योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया है।

कमलनाथ सरकार ने गांव-गांव में युवाओं को जोड़ने के लिए ग्राम युवा शक्ति समिति बनाने का फैसला किया था। इसके पीछे मंशा यह थी कि दो लाख 67 हजार 142 स्थानीय युवाओं का ऐसा तंत्र बनाया जाए, जो सरकार के आंख और कान हों। यही वजह थी कि प्रभारी मंत्रियों को यह जिम्मा सौंपा गया था कि वे स्थानीय विधायकों से समन्वय बनाकर समिति का गठन कराएं, लेकिन यह काम पूरा ही नहीं हो सका। कुछ जगहों पर समितियां बनीं भी पर वे क्रियाशील नहीं हो पाईं। इस बीच प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हो गया और पूरा मामला ठंडे बस्ते में चला गया। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारियों का कहना है कि योजना में ग्राम युवा शक्ति समिति के सदस्यों का कार्यकाल पांच साल तय किया गया था। सदस्यों को प्रति बैठक 300 रुपए मानदेय के हिसाब से चार बैठकों के लिए सालाना 1200 रुपए मानदेय मिलता। बेहतर काम करने वाली समिति को दो लाख रुपए का पुरस्कार देने की व्यवस्था भी रखी गई थी। वहीं कमलनाथ सरकार ने जिन 22 नगर परिषदों को फिर से पंचायत बनाने का फैसला किया था, उसे शिवराज सरकार पलटेगी। इसके लिए सैद्धांतिक सहमति हो चुकी है। नगरीय विकास एवं आवास विभाग फिर से नगर परिषदों के गठन की अधिसूचना एक-दो दिन में जारी करेगा। वहीं, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने अधिसूचना निरस्त होने के बाद पंचायतों के परिसीमन का जो कार्यक्रम जारी किया था, उसे स्थगित कर दिया है।

शिवराज सरकार ने पिछले कार्यकाल में चुनाव से पहले वर्ष 2018 में 30 नई नगर परिषद के गठन का निर्णय लिया था। इसकी अधिसूचना भी जारी हो गई थी, लेकिन कमलनाथ सरकार ने इस फैसले को पलटते हुए 22 नगर परिषदों को पंचायत क्षेत्र में शामिल करने का निर्णय लिया था। 8 परिषदों के गठन को निरस्त करने पर कांग्रेस विधायक सहमत नहीं थे, इसलिए इन्हें छोड़ दिया था।

सत्ता परिवर्तन होने के बाद जब पिछले सरकार के नीतिगत फैसलों की फाइलें बुलाई गईं तो उसमें नगर परिषदों के गठन को निरस्त करने की फाइल भी थी। इस पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कमलनाथ सरकार के निर्णय को निरस्त करते हुए नगर परिषदों के गठन की अधिसूचना जारी करने के निर्देश दिए। बताया जा रहा है कि नगरीय विकास एवं आवास विभाग एक-दो दिन में अधिसूचना जारी करेगा।

उधर, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने नगर परिषद क्षेत्र में शामिल की गई पंचायतों को फिर से पंचायत क्षेत्रों में लेने के लिए परिसीमन की जो प्रक्रिया शुरू की थी, उसे स्थगित कर दिया गया है। संचालक पंचायतराज बीएस जामोद ने हरदा, बैतूल, मंदसौर, शिवपुरी, भिंड, रीवा, शहडोल, अनूपपुर, उमरिया, सागर, सिवनी, खरगोन, बड़वानी और धार कलेक्टरों को पत्र लिखकर परिसीमन की कार्रवाई को स्थगित रखने का निर्देश दिए हैं।

कमलनाथ सरकार ने जिन नगर परिषदों का गठन निरस्त किया था उनमें हरदा की सिराली, बैतूल की घोड़ाडोंगरी व शाहपुर, मंदसौर की भैंसोदा मंडी, शिवपुरी की रन्नौद, भिंड की रौन व मालनपुर, रीवा की डभौरा, शहडोल की बकहो, अनूपपुर की डोलर व डूमरकछार, उमरिया की मानपुर, सागर की बिलहरा, सुरखी, मालथौन, बांदरी, सिवनी की छपारा, खरगोन की बिस्टान, बड़वानी की ठीकरी और धार की बाग व गंधवानी।

समितियों के गठन की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई

पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के सूत्रों का कहना हैं कि ज्यादातर जिलों में समितियों के गठन की प्रक्रिया ही पूरी नहीं हुई थी। प्रभारी मंत्री के माध्यम से समिति में मनोनयन के लिए नाम आने थे पर वे नहीं आए। सत्ता परिवर्तन के बाद इस योजना को लेकर अभी तक सरकार के स्तर पर कोई विचार-विमर्श नहीं हुआ है। माना जा रहा है कि अब योजना आगे नहीं बढ़ाई जाएगी। हालांकि, इसके औपचारिक आदेश होने अभी बाकी हैं। उधर, पूर्व पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री कमलेश्वर पटेल का कहना है कि सरकार ने योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। कहीं भी समिति के गठन का काम नहीं हो रहा है, जबकि समिति के माध्यम से ग्रामीण विकास में युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित करना हमारा उद्देश्य था। इसमें स्थानीय अनुसूचित जाति-जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और महिलाओं को सदस्य बनाया जाना था।

- विकास दुबे

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