भाजपा का मिशन 2023 तैयार
01-May-2022 12:00 AM 678

 

संघ और भाजपा की प्रयोग भूमि मप्र पार्टी के लिए कितना महत्वपूर्ण है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मिशन 2023 के लिए अभी से बिगुल फूंक दिया गया है। भाजपा की राजनीति के चाणक्य और देश के गृहमंत्री अमित शाह के जंबूरी मैदान से चुनावी शंखनाद के बाद संघ और केंद्रीय नेतृत्व ने मप्र की सत्ता और संगठन के साथ दिल्ली में बैठक कर मिशन 2023 की रणनीति पर मंथन किया। जिसमें प्रदेश संगठन और सरकार को निर्देश दिया कि हर वर्ग को साधने के लिए अब पूरी तरह सक्रिय हो जाएं।

मप्र भाजपा ने अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए मिशन 2023 की प्लानिंग कर ली है। यह चुनाव उप्र मॉडल पर लड़े जाएंगे। मप्र भाजपा के कोर ग्रुप की केंद्रीय नेताओं के साथ हुई बैठक में कई मुद्दों पर चर्चा हुई। इसमें मंत्रिमंडल में विस्तार बेहद अहम है। कुछ मंत्रियों के पास अतिरिक्त विभाग हैं, जिन्हें वापस लिया जा सकता है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के भोपाल दौरे के बाद भाजपा की दिल्ली में बैठक को विधानसभा चुनाव 2023 की तैयारी की रणनीति की नजर से महत्वपूर्ण बताया जा रहा है। अमित शाह ने अपने दौरे में मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा की थी। कुछ मंत्रियों की रिपोर्ट संतोषजनक नहीं थी। प्रदेश में अभी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत 31 मंत्री हैं, जबकि प्रदेश में 35 मंत्री बन सकते हैं। इसके अलावा कुछ मंत्रियों के पास अतिरिक्त विभाग हैं। गोविंद सिंह राजपूत को ही लो तो उनके पास राजस्व और परिवहन जैसे दो बड़े विभाग है। वहीं, महिला एवं बाल विकास जैसे विभाग का कोई स्वतंत्र मंत्री नहीं है, बल्कि यह विभाग भी मुख्यमंत्री ही संभाल रहे हैं। ऐसे में साफ है कि मंत्रियों की संख्या बढ़ाने की पर्याप्त गुंजाइश शिवराज सिंह चौहान के पास है।

बैठक में सत्ता और संगठन के नेताओं ने आदिवासी और ओबीसी वोटरों को साधने को लेकर भी चर्चा की। नए सिरे से रणनीति बनाने पर जोर दिया गया है। ऐसे में चर्चा है कि सरकार जोबट में कांग्रेस से भाजपा में आई विधायक सुलोचना रावत और गौरीशंकर बिसेन को मंत्रिमंडल में शामिल कर सकती है। सुलोचना ने जोबट विधानसभा क्षेत्र से उपचुनाव जीता था। प्रदेश के 22 प्रतिशत आदिवासी वोटरों को साधने के लिए जनजागरण अभियान चलाने पर भी सहमति बनी है।

दिल्ली की बैठक में तय हुआ कि मप्र में विधानसभा चुनाव 2023 को हिंदुत्व के मुद्दे पर लड़ा जाएगा। उप्र विधानसभा चुनावों की तर्ज पर मप्र में भी हिंदुत्व एक प्रमुख मुद्दा होगा। संघ के पदाधिकारियों ने दंगाइयों से सख्ती से निपटने को कहा है, जिस तरह उप्र में निपटा गया है। उप्र की तरह मप्र में भी लाउडस्पीकर को लेकर नए नियम बनाने पर विचार किया गया है। बैठक में कुछ पदाधिकारियों ने अधिकारियों की मनमानी का भी मुद्दा उठाया। इसे लेकर बेलगाम अधिकारियों को हटाने पर सहमति बनी है। भाजपा नेताओं की शिकायत पर बेलगाम अधिकारियों की सूची तैयार होगी। ऐसे में साफ है कि अब अफसरों पर सख्ती हो सकती है। 

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के सानिध्य में आज मप्र भाजपा का सबसे मजबूत गढ़ बना हुआ है। सत्ता और संगठन के समन्वय से विपक्ष पूरी तरह पस्त नजर आ रहा है। इसके बावजूद केंद्रीय नेतृत्व और संघ दोनों इस कोशिश में जुटे हुए हैं कि 2023 में भाजपा 230 में से 200 सीटें जीतकर इतिहास रचे। इसके लिए जहां संघ मैदानी तैयारी में जुटा हुआ है, वहीं 22 अप्रैल को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भोपाल का दौरा कर सत्ता और संगठन को जीत का मंत्र दिया। शाह के इस दौरे के बाद भाजपा नेताओं, पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं का उत्साह सातवें आसमान पर दिख रहा है।

गौरतलब है कि अपनी एक दिनी यात्रा के दौरान जहां शाह ने मप्र को कई सौगातें दीं, वहीं आदिवासी समुदाय को कई सहूलियतें। इसके साथ ही भाजपा कार्यालय में पार्टी के रणनीतिकारों के साथ करीब दो घंटे तक चुनावी रणनीति पर मंथन किया। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस का बड़ा वोट बैंक रहे दलित, आदिवासियों में भाजपा की पैठ लगातार मजबूत करने के लिए शिवराज और वीडी शर्मा की सराहना की। इस दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, कैलाश विजयवर्गीय समेत राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर के कई पदाधिकारियों को अपनी साख के अनुसार काम करने का मंत्र दिया। उन्होंने सत्ता-संगठन के तालमेल की महत्ता बताई। उन्होंने कहा कि आज मप्र देश के अन्य राज्यों के लिए मॉडल बनकर उभरा है। इसे बरकरार रखना सत्ता और संगठन दोनों की जिम्मेदारी है। इसलिए इस पर और अधिक गौर करने की जरूरत है।

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने केंद्रीय मंत्रियों, पार्टी के राष्ट्रीय पदाधिकारियों, वरिष्ठ नेताओं, प्रदेश पदाधिकारियों एवं प्रदेश के मंत्रियों से कहा कि कांग्रेस की स्थापना किसी विचारधारा के आधार पर नहीं बल्कि एक अंग्रेज अफसर ने एक क्लब के रूप में की थी। जबकि भाजपा 50 के दशक से ही एक विचारधारा पर काम कर रही है। इतने साल बीतने के बाद भी हमारे मूल सिद्धांत, हमारी कार्यपद्धति और संस्कृति वही है, जिन्हें डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी और पं. दीनदयाल उपाध्याय जैसे नेताओं ने रेखांकित किया है। हमारी केंद्र और राज्य सरकारें गरीब कल्याण के विचार को जमीन पर उतारने का काम कर रही हैं और हमारा नेतृत्व बेदाग है, जिस पर हमें गर्व है। पार्टी कार्यकर्ताओं को भाजपा और अन्य दलों के बीच के इस फर्क को समझना जरूरी है। शाह ने कहा कि देश के स्वतंत्र होते ही कांग्रेस सत्ता में बैठ गई थी। इस वजह से कांग्रेस का आंदोलनों से नाता नहीं रहा। दूसरी तरफ भाजपा राष्ट्र और राष्ट्रवादी विचारधारा को लेकर किए गए आंदोलनों की आंच से तपकर निखरी है। सबसे पहले गोवा की स्वतंत्रता, गौहत्या पर प्रतिबंध के लिए आंदोलन किया। 1975 में हम आपातकाल के विरुद्ध आंदोलन में शामिल हुए। इसके बाद राम जन्मभूमि आंदोलन, तिरंगा यात्रा और ऐसे ही अनेक आंदोलन पार्टी ने किए हैं, जो हमारी विचारधारा से प्रेरित और उसी पर आधारित हैं। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि इन आंदोलनों का उद्देश्य पार्टी का विस्तार नहीं था बल्कि इन मुद्दों के प्रति जनता में चेतना लाना और कार्यकर्ताओं को इनसे जोड़ना ही पार्टी का लक्ष्य रहा है।

भाजपा कार्यालय में बैठक के दौरान शाह ने पार्टी नेताओं को उदाहरणों के साथ पार्टी की रीति, नीति और आगामी चुनाव की रणनीति समझाई। शाह ने कहा कि प्रत्येक पार्टी का चरित्र उसकी विचारधारा, कार्यक्रम और नेतृत्व से तय होता है। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और गरीब कल्याण हमारी विचारधारा के मूल हैं। हमारे जैसे नेता किसी पार्टी में नहीं हैं। यह बात हम गर्व के साथ कह सकते हैं कि हमारे नेतृत्व पर कभी आरोप नहीं लगे और इसलिए हम एक अलग तरह की पार्टी हैं। शाह ने कहा कि हमारे नेता स्व. कुशाभाऊ ठाकरे ने संगठन की नींव रखी थी। उन्होंने मप्र में पार्टी संगठन द्वारा चलाई जा रही बूथ विस्तारक योजना की तारीफ करते हुए कहा कि स्व. ठाकरे के जन्म शताब्दी वर्ष पर मप्र में पार्टी संगठन ने बूथ सशक्तिकरण का जो काम हाथ में लिया है वह पूरी तरह सफल रहा है। प्रदेश नेतृत्व ने कार्यक्रमों की जो रूपरेखा बनाई है वह भी बहुत अच्छी है। उन्होंने कहा कि बूथ सशक्तिकरण के लिए यह जरूरी है कि पार्टी कार्यकर्ता बूथ पर विचारपूर्वक काम करें। किस बूथ पर हम अपेक्षाकृत कमजोर स्थिति में हैं और वहां मजबूती के लिए क्या किया जाना चाहिए, कौन-से समीकरण उस बूथ को प्रभावित करते हैं, किस नेता या कार्यकर्ता को वहां भेजा जाना उचित होगा, इन सभी बातों पर विचार करते हुए योजना बनाएं। शाह ने कहा कि पार्टी को बूथ पर मजबूत बनाने के लिए हमें मजदूरी नहीं बल्कि योजनाबद्ध तरीके से परिश्रम करना है। उन्होंने पार्टी पदाधिकारियों और नेताओं से आव्हान किया कि सभी 10-10 बूथों की जिम्मेदारी अपने ऊपर लें।

केंद्र सरकार देश में कॉमन सिविल कोड (समान नागरिक संहिता) लागू करने की तैयारी में है। भोपाल में भाजपा के प्रदेश कार्यालय में पार्टी के नेताओं को संबोधित करते हुए गृहमंत्री अमित शाह के बयान ने इस पर सुगबुगाहट शुरू कर दी है। शाह ने कहा कि हमारी पार्टी की केंद्र सरकार ने धारा 370, राम जन्मभूमि, तीन तलाक और नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) जैसे अधिकांश मुद्दों को हल कर दिया है। कॉमन सिविल कोड जैसे जो कुछ बचे हैं, उन्हें भी आने वाले वर्षों में हल कर दिया जाएगा। गृहमंत्री ने मप्र से जुड़े केंद्रीय मंत्रियों, राष्ट्रीय पदाधिकारियों और अन्य नेताओं की मौजूदगी में कहा कि कॉमन सिविल कोड का प्रयोग उत्तराखंड में किया जाएगा। वहां, इसे अमल में लाने के बाद हालात का जायजा लेंगे और फिर पूरे देश में इसे लागू किया जाएगा।

भाजपा नेतृत्व शिवराज सरकार से खुश!

अमित शाह ने भोपाल दौरे के दौरान जहां पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कामों की तारीफ की। वहीं संगठन और पार्टी के नेताओं के साथ बैठक भी की। इस दौरान अमित शाह ने संगठन को आने वाले चुनाव के लिए पूरी तरह से तैयार रहने के लिए कहा। शाह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की प्रशंसा की और कहा कि जिस तरह से सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण को लागू कर रही है, वह काबिले तारीफ है। अमित शाह ने जंबूरी मैदान में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज जी आदिवासियों को समृद्ध बना रहे हैं। जब तक जनजातीय भाइयों-बहनों का कल्याण नहीं होता तब तक प्रदेश का कल्याण नहीं होता। पहली बार देश में कोई राज्य सरकार जंगलों के मालिक जनजातीय भाइयों को बनाने का काम कर रही है। पहली बार जंगल से जो भी कमाई होती है, इसका 20 प्रतिशत हिस्सा वन समिति के हाथ में सौंपकर आपको इसका सीधा मालिक बनाने का काम किया है।

22 फीसदी वोट बैंक को साधा

अपनी यात्रा के दौरान अमित शाह शिवराज सिंह चौहान के साथ मिलकर 22 फीसदी वोट बैंक को साध गए। शाह ने जंबूरी मैदान में वन समितियों के सम्मेलन में आदिवासियों को बड़ी सौगात दी। शाह ने वन समिति को लाभांश की राशि वितरित की। हरदा की वन समिति को 5 करोड़ दिए गए। वन ग्रामों को राजस्व ग्राम बनाने का शुभारंभ किया। प्रदेश के 26 जिलों के 827 गांव अब राजस्व ग्राम होंगे। केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कहा कि 2014 में जब सरकार बनी थी तब मोदी जी ने कहा था ये गरीबों की सरकार है। भाजपा की तमाम राज्य सरकार गरीबों के लिए काम कर रही हैं। वहीं 68 करोड़ रुपए तेंदूपत्ता संग्राहक को सीधे खाते में भेजा गया है। हर गरीब को घर देने का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संकल्प लिया है। हर घर में नल से जल पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में आज बहुत बड़ा बदलाव आया है। कोरोना की वैक्सीन देकर लोगों को सुरक्षित करने का काम भाजपा की सरकार ने किया है। आयुष्मान योजना ने हर बीमारी से लड़ने की शक्ति दी है। 19.7 फीसदी विकास दर हमने हासिल की है। सकल घरेलू उत्पाद में मप्र ने 200 फीसदी वृद्धि की है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्य में तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिए 250 रुपए प्रति 100 गड्डी के बजाय 300 रुपए प्रति 100 गड्डी दिए जाने की घोषणा भी की।

- कुमार राजेन्द्र

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