देश के हर व्यक्ति का बीमा करवाने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैंक के माध्यम से प्रधानमंत्री बीमा योजना शुरू की थी। कम राशि के प्रीमियम पर लाभ उठाने के लिए बड़ी संख्या में लागों ने बीमा करवाया था। लेकिन जब जरूरत पड़ी तो योजना का क्लेम बैंक और बीमा कंपनी के बीच इस कदर फंस गया कि 6 माह बाद भी क्लेम नहीं मिल पा रहा है। प्रधानमंत्री बीमा योजना के तहत नियम है कि क्लेम मात्र 15 दिन में क्लीयर होकर आश्रित के बैंक खाते में आ जाना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है। कई मामलों में तो क्लेम 6 माह बाद भी नहीं आ पा रहा है। बैंक अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़कर इसकी जिम्मेदारी संबंधित बीमा कंपनी पर डाल दे रहे हैं और बीमा कंपनी की कोई भी जानकारी आश्रित के पास होती नहीं, क्योंकि बीमा और क्लेम भेजने की जिम्मेदारी बैंक की होती है।
जिन लोगों ने प्रधानमंत्री बीमा योजना के तहत बीमा करवाया था उनके आश्रित बैंकों के चक्कर काटने को मजबूर हैं। ऐसे ही कई मामले भोपाल के बैंकों में पेंडिंग हैं और कस्टमर 6 माह से ज्यादा की अवधि से बैंकों के चक्कर काटने को मजबूर हैं तथा मानसिक रूप से प्रताड़ित हो रहे हैं। कोई भी बीमा पॉलिसी लेते समय ज्यादा समय नहीं लगता, मुश्किल से 5 से 10 मिनट का समय लगता है, लेकिन उसी योजना पर जब क्लेम लेने का समय आता है, तो बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। आम पॉलिसी में तो यह दिक्कतें आती ही हैं, लेकिन अब प्रधानमंत्री बीमा योजना को भी बैंक और संबंधित बीमा कंपनी अपनी कार्यप्रणाली से पलीता लगाते जा रहे हैं।
हैरानी की बात यह है कि प्रधानमंत्री बीमा योजना के तहत बीमा बैंक द्वारा किया जाता है। प्रीमियम भी बैंक काटती है। क्लेम भी बैंक के माध्यम से जाता है और क्लेम नंबर भी बैंक को ही दिया जाता है। इसके बावजूद बैंक कर्मी क्लेम की देरी पर संबंधित बीमा कंपनी से संपर्क करने के बजाय कस्टमर को संपर्क करने को कह रहे हैं, जबकि कस्टमर के पास बीमा कंपनी की कोई जानकारी नहीं होती है। प्रधानमंत्री बीमा योजना के ऐसे ही कई मामले इस समय आईडीबीआई बैंक सहित कई बैंकों में हैं, जहां लोग क्लेम के लिए काफी परेशान हो रहे हैं। 84 वर्षीय गायत्री ने बताया कि उनके बड़े बेटे की मृत्यु अप्रैल 2021 में कैंसर से हुई। आईडीबीआई बैंक टीटी नगर के माध्यम से प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना दी गई थी। मेरे दूसरे बेटे ने 21 अक्टूबर 2021 को क्लेम किया। क्लेम के लिए 6 माह तक बैंक के चक्कर लगाने पड़े। आईडीबीआई कस्टमर केयर में कम्पलेंट दर्ज कराई, लेकिन आश्चर्य की बात यह थी कि कस्टमर केयर को प्रधानमंत्री बीमा योजना के बारे में जानकारी ही नहीं है और उन्होंने प्रॉब्लम को सॉल्व करने से मना कर दिया। उन्होंने ब्रांच से ही संपर्क करने के लिए कहा, जहां से हम 6 माह से चक्कर लगा रहे थे। संबंधित बीमा कंपनी हमें कोई जवाब देने को तैयार नहीं थी, क्योंकि क्लेम बैंक के माध्यम से गया था।
प्रधानमंत्री बीमा योजना के तहत प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना का बीमा बैंकों द्वारा किया जाता है। प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना के अतंर्गत 330 रुपए निवेश करने पर 2 लाख रुपए का कवर मिलता है। पॉलिसी की शुरुआत 1 जून से होती है और इसकी वैधता 31 मई तक रहती है वहीं, पॉलिसी का प्रीमियम अमाउंट भी कस्टमर के बैंक अकाउंट से हर साल तय तारीख पर खुद ही कट जाता है। वहीं प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना में 12 रुपए के सालाना प्रीमियम पर पॉलिसी होल्डर को 2 लाख रुपए का एक्सीडेंटल इंश्योरेंस कवर मिलता है। 12 रुपए का प्रीमियम आपके बैंक अकाउंट से ऑटो डिडक्ट हो जाता है। इसे रिन्यू भी कराया जा सकता है। एक मामले में आईडीबीआई और एलआईसी कस्टमर केयर में भी सुनवाई नहीं होने पर एलआईसी के चेयरमेन और एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर को जब 6 माह तक क्लेम का रुपया नहीं देने के संबंध में मेल किया गया, तब एलआईसी चेयरमेन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए मेल को सभी संबंधित अधिकारियों को फारवर्ड करते हुए टॉप प्रायोरिटी में सुलझाने के निर्देश दिए। मेल करने के दूसरे दिन ही एलआईसी मुंबई ने आईडीबीआई बैंक से पूरी जानकारी ली और तीन दिन के अंदर क्लेम की राशि खाते में ट्रांसफर हो गई, लेकिन सवाल यह है कि हर किसी की पहुंच एलआईसी के चेयरमेन या मेल आदि की जानकारी नहीं होती है और वे इसी तरह से अभी भी बैंक का चक्कर लगा रहे हैं।
15 दिन में क्लेम मिलने का प्रावधान
प्रधानमंत्री बीमा योजना के अंतर्गत पॉलिसी धारक के नॉमिनी द्वारा क्लेम करने के 7 दिन के अंदर बैंक को संबंधित बीमा कंपनी के पास आवेदन भेजना होता है। इतना ही समय संबंधित बीमा कंपनी को भी दिया जाता है कि बैंक से क्लेम का दावा मिलने के 7 दिन के अंदर उन्हें क्लेम का भुगतान करना होता है, यदि डॉक्यूमेंट में कोई कमी नहीं हो। लेकिन बैंक और संबंधित बीमा कंपनी दोनों ही इस नियम का पालन न करते हुए दावेदार को 6-6 माह तक बैंक के चक्कर लगवाकर मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहे हैं। इससे परेशान उपभोक्ता के पास फिर बैंकिंग ओम्बुड्समेन के पास आवेदन करने के सिवाय कोई चारा नहीं बचता। वहीं आईडीबीआई बैंक भोपाल के रीजनल हेड श्रीकांत त्रिपुरे का कहना है कि हमारे बैंक के जरिए जो प्रधानमंत्री बीमा किया जाता है, अगर ग्राहक की मृत्यु हो जाती है तो उसके आश्रित द्वारा हमें क्लेम दाखिल किया जाता है। हम उस क्लेम को संबंधित बीमा कंपनी के पास भेज देते हैं। अगर क्लेम देने में बीमा कंपनी लेट होती है तो उसे हम रिमाइंडर भेजते हैं। हमें ग्राहकों की शिकायतें आ रही हैं जिसे हम दिखवा रहे हैं कि क्लेम लेट क्यों मिल रहा है।
- जितेंद्र तिवारी