घोटालों व साठगांठ के आरोपों से घिरा रहने वाला आबकारी विभाग भी ऑनलाइन होने जा रहा है। जल्द ही ई-आबकारी पोर्टल लांच होने वाला है। इससे ठेकेदार ई-वॉलेट से भुगतान कर सकेंगे। अफसर इसकी निगरानी कर सकेंगे। विभाग विशेष अवसरों पर शराब पिलाने के लिए एक दिन का लाइसेंस देता है। पोर्टल पर ही आवेदन कर राशि जमा की जा सकेगी। शराब दुकान व ब्रांड के आधार पर रेट लिस्ट उपलब्ध रहेगी। कहीं ज्यादा वसूली हो रही है तो ऑनलाइन शिकायत की जा सकेगी। कलेक्टर व अन्य प्रशासनिक अफसर भी निगरानी कर सकेंगे। किसी इलाके में अवैध शराब बिक्री की शिकायत की जा सकेगी। हर जोन के अधिकारियों के नाम व नंबर रहेंगे।
प्रदेशभर में अब अवैध, जहरीली या किसी अन्य प्रदेश से चोरी-छुपे आई शराब नहीं बिक पाएगी। आबकारी विभाग शराब की हर बोतल पर बार कोड लागू कर रहा है। इससे कोड स्कैन करते ही पता चल जाएगा कि यह शराब कहां से आई है और कहां के लिए, किस कंपनी से बनी है। अभी बोतल पर सिर्फ होलोग्राम होता है। विभाग का दावा है कि इससे पता चल जाएगा कि शराब असली है या नकली। साथ ही ड्यूटी चुकाई हुई है या नहीं? अभी यह प्रयोग तेलंगाना, दिल्ली, चंडीगढ़ सहित कुछ राज्यों में हो रहा है।
आबकारी के सूत्रों के मुताबिक शराब की हर बोतल का यूनिक नंबर होगा। शराब फैक्टरी से बोतल निकलने से पहले राज्य सरकार उसे एक नंबर जारी करेगी। बार कोडिंग नंबर को ऑनलाइन ट्रैकिंग सिस्टम पर डालकर कहीं भी असली-नकली की पहचान हो सकेगी। विभाग बार कोडिंग की शुरुआत कर रहा है, जिसमें शराब के ब्रांड के साथ बोतल का नंबर, स्थान समेत सभी जानकारी होगी। सरकार का तर्क है कि बार कोडिंग से न सिर्फ असली शराब मिलेगी, बल्कि पड़ोसी राज्यों से तस्करी होकर बिकने वाली शराब भी बंद होगी।
विभाग के अधिकारियों ने बताया कई बार ऐसी जानकारी भी मिलती है कि कंपनियां ड्यूटी फ्री शराब बेच रही हैं। कुछ लोग भी इस तरह का धंधा करते हैं। अब यदि कोई ठेकेदार ऐसा करेगा तो चेकिंग में उसकी पूरी डिटेल सामने आ जाएगी। एक अहम बदलाव यह भी हो रहा है कि अब तक ठेकेदारों को माल मंगवाने के लिए पहले बैंक से चालान भरना पड़ता था। अब आबकारी पोर्टल के माध्यम से इन्हें ई-वॉलेट की सुविधा मिलेगी, जिससे ऑनलाइन पेमेंट हो सके।
दरअसल, घोटालों व साठगांठ के आरोपों से घिरा रहने वाला आबकारी विभाग भी ऑनलाइन होने जा रहा है। जल्द ही ई-आबकारी पोर्टल लांच होने वाला है। ठेकेदार को राशि बैंक अथवा ट्रेजरी में जमा कर विभाग को रसीद देनी होती थी। इन रसीदों के कारण ही इंदौर में 42 करोड़ का घोटाला हो चुका है। इससे बचने के लिए पुरानी व्यवस्था बंद कर ठेकेदारों को ई-आबकारी पर ई-वॉलेट की सुविधा दी जाएगी। जहां से वे सीधे राशि जमा कर सकेंगे। किसी को एक दिन की पार्टी के लिए लाइसेंस चाहिए तो वह ऑनलाइन आवेदन कर राशि जमा कर लाइसेंस ले सकेगा। इससे उसे विभाग के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।
आबकारी विभाग के अधिकारियों पर ठेकेदारों से साठगांठ के आरोप लगते रहे हैं। यह भी आरोप हैं कि वे अवैध शराब की बिक्री को अनदेखा करते हैं। व्यवस्था में सुधार के लिए ई-आबकारी पोर्टल कुछ दिनों में लांच होने वाला है। इस पोर्टल में जिलेवार हर ठेकेदार का अकाउंट व ई-वॉलेट रहेगा। ई-वॉलेट से सारे शुल्क ऑनलाइन जमा किए जा सकेंगे। स्थानीय अफसरों के साथ भोपाल व ग्वालियर मुख्यालय के अफसर भी सीधे जानकारी लेते रहेंगे। अधिकारी ने बताया कि ई-आबकारी पोर्टल लांच होने वाला है। इससे विभाग की सारी सेवाएं ऑनलाइन उपलब्ध होंगी। 2017 में हुए आबकारी घोटाले में विभाग के 7 वरिष्ठ अफसर अब तक जांच में फंसे हैं। करीब 20 करोड़ की राशि तो डूब भी चुकी है। ठेकेदार ने विभाग को फर्जी रसीदें दी और अधिकारियों द्वारा इसे चेक नहीं करने पर घोटाला हुआ था। ऑनलाइन सुविधा से ऐसे घोटालों की आशंका खत्म होने का दावा है।
इधर ठेकेदार आबकारी विभाग के चक्कर काट रहे हैं। अप्रैल में पहली बार खुली दुकानों में स्टॉक हो रहा है, वहीं कई ग्रुप ने इंदौर के साथ अन्य जिलों में भी दुकानें ले ली हैं। इनका कहना है कि चालान भरने के बाद भी डिमांड पूरी नहीं हो पा रही है। डिपो में माल ही नहीं है। इस मामले में अधिकारियों का कहना है कि नई दुकानें खुलती हैं तो थोड़े दिन सेटलमेंट में लगते हैं। गरमी और शादियों की वजह से भी डिमांड बढ़ी है। मालूम हो, इंदौर में हर महीने 225 करोड़ से ज्यादा की शराब बिक्री होती है।
बोतलों पर लगाए जाएंगे नवीन एक्साईज एडहेसिव लेबल
प्रदेश में अवैध और जहरीली शराब पर अंकुश लगाने के लिए आबकारी विभाग ने मदिरा की बोतलों पर नवीन एक्साईज एडहेसिव लेबल लगाने के निर्देश जारी किए हैं। इस निर्देश के अनुसार विदेशी मदिरा निर्माण इकाईयों, बीयर निर्माण इकाइयों, देशी मदिरा निर्माण इकाईयों को आबकारी विभाग मप्र एवं प्रतिभूति मुद्रणालय, हैदराबाद के मध्य निष्पादित अनुबंध के अनुक्रम में विभाग को नवीन एक्साईज एडहेसिव लेबल का उपयोग किया जा रहा है। ई-आबकारी पोर्टल पर समस्त इकाईयों के लाइसेंसियों, प्रभारी अधिकारियों की यूजर आईडी एवं उपयोग में सहायता हेतु यूजर मैन्युअल संलग्न किया गया है। शराब की बोतलों पर इस नवीन एक्साईज एडहेसिव लेबल लगाने से जहां अवैध शराब के कारोबार पर नकेल कसेगी, वहीं सरकार की आय भी बढ़ेगी।
- सुनील सिंह