भूखे न रह जाएं बच्चे?
03-Apr-2020 12:00 AM 349

मप्र में नोवेल कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए 14 मार्च से सभी आंगनबाड़ी केंद्रों को बंद कर दिया गया है। बच्चों को पोषण देने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग ने 17 मार्च को एक आदेश में बच्चों को टेक होम राशन जारी रखने के आदेश दिए, लेकिन जमीन पर इस आदेश का अमल होता नहीं दिख रहा है। इससे पहले सत्ता को लेकर चले खेल की वजह से इस पर निर्णय नहीं लिया जा सका था।

शिवपुरी जिले के सामाजिक कार्यकर्ता अजय सिंह यादव बताते हैं कि उनके इलाके में दिसंबर 2019 से टेक होम राशन की आपूर्ति नहीं हुई जिससे बच्चों तक पोषण आहार नहीं पहुंचाया जा रहा है। इस जिले का पोहरी सहरिया आदिवासी बाहुल्य विकासखंड है, जहां लंबे समय तक कुपोषण के कारण बच्चों की मृत्यु के मामले दर्ज होते रहे हैं। पन्ना जिले के सामाजिक कार्यकर्ता युसूफ बेग ने बताया कि कुछ आंगनबाडी केंद्रों में पिछले दिनों टेक होम राशन बंटा, किंतु दो हफ्तों से गरम पका हुआ पोषण आहार बंद कर दिया गया है। 3 से 6 साल के बच्चों को टेक होम राशन नहीं दिया जा रहा है। निवाड़ी जिले के सामाजिक कार्यकर्ता मस्तराम सिंह घोष ने बताया कि शासन के निर्देशानुसार सभी हितग्राहियों को टेक होम राशन दिए जाने की व्यवस्था नहीं बन पाई है। इसी तरह की स्थिति उमरिया, सतना और रीवा जिले में भी है जहां टेक होम राशन नहीं बांटा जा सका है। ये सभी सामाजिक कार्यकर्ता भोजन के अधिकार अभियान से जुड़े हैं और अपने इलाकों में पोषण को लेकर काम करते हैं।

मध्यप्रदेश में काम कर रही संस्था भोजन के अधिकार अभियान ने पोषण आहार बांटने की जमीनी हकीकत को सरकार के साथ साझा किया है। भोजन के अधिकार अभियान के सचिन कुमार जैन ने कहा है कि संक्रमण से लड़ने के लिए खाद्य सुरक्षा को मजबूत करना भी सबसे बड़ी जरूरत है, इसमें स्थानीय लोगों, स्वसहायता समूहों को शामिल नहीं किया गया है। जबकि इस वक्त वह भी अपनी सामाजिक भूमिका निभा सकते हैं। मध्यप्रदेश में 42.8 प्रतिशत बच्चे कम वजन के हैं और 42 प्रतिशत बच्चे स्टंटिंग कुपोषण से प्रभावित हैं। सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि 9 प्रतिशत से ज्यादा बच्चे अति गंभीर कुपोषण के शिकार हैं और 56 प्रतिशत महिलाएं खून की कमी की शिकार हैं। प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने से संक्रमण का बहुत गहरा असर पड़ता है। कोरोना कोविड-19 से निपटने की नीति बनाते समय बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष प्रावधान किए जाने की जरूरत है। मध्यप्रदेश में 97,135 आंगनबाडी और मिनी आंगनबाड़ी केंद्र हैं जिनमें शामिल 89,70,403 हितग्राहियों को पोषण आहार दिया जाना है। पोषण आहार पाने वाले बच्चों में 6 माह से 3 वर्ष तक के 34,37,973 बच्चे और 3 वर्ष से 6 वर्ष तक के 38,54,035 बच्चे शामिल हैं। आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में इस वक्त 7,49,815 गर्भवती महिलाएं हैं।

महिला एवं बाल विकास विभाग के आयुक्त नरेश पाल से टेक होम राशन की आपूर्ति को लेकर जानकारी लेनी चाही लेकिन वो जानकारी देने के लिए उपलब्ध नहीं थे। इसके अलावा, मध्यप्रदेश के स्कूल में भी पिछले 10 दिनों से मिड-डे मील नहीं दिया जा रहा है। हालांकि, प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की कि कुल 65 लाख 91 हजार विद्यार्थियों के खाते में मध्यान्ह भोजन के लिए 156 करोड़ 15 लाख रुपए की राशि भेजी जाएगी।

नोवेल कोरोना वायरस की महामारी को फैलने से रोकने के लिए मध्यप्रदेश में भी देशभर की तरह लॉकडाउन का आव्हान किया गया है। यहां कई प्रमुख शहरों में कर्फ्यू लगा हुआ है। ऐसे में आम लोगों को खाने-पीने से लेकर चिकित्सकों को इलाज के उपकरणों की समस्या भी सामने आ रही है। ग्रामीण इलाकों तक सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों के पास सुरक्षा के पर्याप्त उपकरण नहीं हैं। इन बातों को ध्यान में रखते हुए मध्यप्रदेश के 40 से अधिक संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने एक अभियान 'आम इंसान की सुरक्षा में सरकार की जिम्मेदारी तय करने की एक मुहिम’ चलाई है। इन कार्यकर्ताओं में मेधा पाटकर, सचिन कुमार जैन, अनिल सद्गोपाल, राकेश दीवान जैसे कई नाम शामिल हैं। संगठनों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को इस आपदा से प्रभावी रूप से निपटने के लिए कुछ सलाह दी है। पत्र में लिखा है कि नोवेल कोरोना वायरस का प्रकोप आने वाले चार से 8 हफ्तों में और भी विकराल हो जाएगा। हमारे देश के ज्यादातर लोगों की सामाजिक-आर्थिक हालत और सार्वजनिक व्यवस्थाओं की मौजूदा स्थिति को देखते हुए यह जरूरी है कि सरकार द्वारा हर स्तर पर कुछ बुनियादी फैसले लेकर सामाजिक-आर्थिक असुरक्षाओं से बचाया जाए।

पत्र में खाद्य सुरक्षा की भी मांग

इस पत्र में सार्वजनिक स्थानों की साफ-सफाई के साथ निजी साफ-सफाई के लिए वंचित वर्गों के लिए साबुन, पानी, सेनिटाइजर के पर्याप्त उपलब्धता की मांग की गई है। पत्र में लिखा है कि निम्न आय वर्ग की बस्तियों या ग्रामीण टोलों के दलित, आदिवासी, विमुक्त जनजातियों, अल्पसंख्यकों, किसानों, खेतिहर मजदूरों, दिहाड़ी मजदूरों, वृद्धाश्रमों, ट्रांसजेंडर समुदाय और दूसरे ऐसे वंचित समुदायों को जरूरी राशन (चावल, दाल, आटा, तेल, नमक, मसाले, आलू, प्याज, दूध व अन्य सामग्री), प्रतिरोध क्षमता बढ़ाने वाली दवाइयां (विटामिन सी, मल्टीविटामिन आदि) और सफाई की सामग्री (साबुन आदि) का वितरण किया जाए। छह साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं, किशोरियों, बुजुर्गों और अन्य प्रकार के संवेदनशील श्रेणी में आने वाले व्यक्तियों के पोषण, स्वास्थ्य और सुरक्षा पर खास ध्यान रखा जाए। पत्र में आशंका जताई गई है कि कोरोना वायरस की आपदा अभी लंबे समय तक रह सकती है, इसे देखते हुए गरीबी रेखा से ऊपर रह रहे परिवारों को भी जरूरी राशन आदि मुहैया कराने के इंतजाम किए जाएं।

-  विशाल गर्ग

 

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