केंद्र सरकार ने मप्र सहित अन्य राज्यों को अपने कैडर के ब्यूरोक्रेड्स की सेवाओं का 15:25:50 के फॉर्मूले पर आंकलन करने और इसकी रिपोर्ट कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) को भेजने का निर्देश दिया है। साथ ही डीओपीटी ने ब्यूरोक्रेड्स की कमाई का आंकलन भी शुरू कर दिया है। इसके पीछे असली वजह यह है कि केंद्र सरकार भ्रष्ट, नाकारा और कामचोर अफसरों को सेवामुक्त करना चाहती है। नए साल के दूसरे या तीसरे महीने में भ्रष्टों की कुंडली सार्वजनिक करने की तैयारी की जा रही है।
2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता संभालते ही सबसे पहले नौकरशाही की कार्यप्रणाली को बदलने की कवायद शुरू की थी। इन 7 साल के दौरान दर्जनभर आईएएस, आईपीएस और आईएफएस को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी गई है। एक बार फिर से बड़े स्तर पर अफसरों की सेवाओं और संपत्तियों का आंकलन करने की तैयारी चल रही है। अधिकारिक सूत्रों के अनुसार अनुपातहीन संपत्ति के मामले में मप्र के 104 आईएएस, 82 आईपीएस और 18 आईएफएस कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के संदेह के दायरे में हैं। इसलिए डीओपीटी ने नौकरशाहों की कार्यप्रणाली पर नजर रखनी शुरू कर दी है।
गौरतलब है कि मप्र के कई ब्यूरोक्रेड्स के साथ ही देश के अन्य राज्यों के सैकड़ों ब्यूरोक्रेड्स भ्रष्टाचार की जद में हैं। प्रदेश में कई आईएएस, आईपीएस और आईएफएस के खिलाफ लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू में मामले दर्ज हैं। अब इन अफसरों के साथ ही अन्य कई अफसरों की सेवाओं और संपत्ति का आंकलन किया जा रहा है। डीओपीटी जहां अपने स्तर पर आंकलन करा रहा है, वहीं प्रदेश सरकार से भी रिपोर्ट मांगी है।
नौकरशाहों सहित सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों की संपत्ति पर सरकार की पैनी नजर है। कौन सा अधिकारी कहां से प्रॉपर्टी खरीद रहा है, उसके लिए पैसे कहां से जुटाए हैं, इसकी रिपोर्ट तैयार की जा रही है। डीओपीटी ने जहां राज्यों के मुख्य सचिवों को निर्देश दिया है कि वे अधिकारियों-कर्मचारियों से अपनी प्रापर्टी की जानकारी अपने विभाग को देने के लिए कहें। वहीं डीओपीटी अपने स्तर से भी जानकारी जुटा रहा है। गौरतलब है कि अधिकारी-कर्मचारी को अपने विभाग में अपनी अचल संपत्ति की जानकारी देने का प्रावधान है, लेकिन कई विभागों में देखने को मिल रहा है कि कर्मचारी यह सूचना देने से बच रहे हैं। वे न तो लेनदेन करने से पहले और न ही उसके बाद अपने विभाग को कुछ बताते हैं। जो कर्मचारी लेनदेन की पूर्व सूचना देते हैं, वह आधी-अधूरी होती है। केंद्र सरकार अब सभी विभागों में इस बात को लेकर सख्ती बरत रही है। सभी अधिकारी-कर्मचारी सीसीएस (कंडक्ट) रुल्स 1964 के अनुसार उक्त जानकारी देना सुनिश्चित करें। आचरण नियमों का उल्लंघन करने पर उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की अनुशंसा की जा सकती है।
कार्यालय रक्षा लेखा प्रधान नियंत्रक द्वारा 25 नवंबर को इसे लेकर एक पत्र जारी किया गया। इसमें कहा गया है कि सभी शासकीय अधिकारी-कर्मचारियों को चल-अचल संपत्ति से संबंधित लेन-देन की सूचना अपने कार्यालय में देनी होगी। यह सूचना देना एवं उसके पूर्व मंजूरी लेना अनिवार्य है। इस संदर्भ में मुख्य कार्यालय द्वारा जब जांच पड़ताल की गई, तो पाया गया कि सभी अधिकारियों-कर्मचारियों द्वारा नियमों का ठीक से पालन नहीं किया जा रहा। कई मामलों में लेनदेन के पूर्व में न कोई सूचना दी जाती है, और न उसके लिए विभाग की मंजूरी ली जाती है, जो सूचना मिलती है, उसमें कई खामियां व त्रुटियां पाई जाती हैं। इससे अनावश्यक पत्र-व्यवहार को बढ़ावा मिलता है। विभागों से कहा गया है कि लेनदेन से संबंधित जो फार्म संख्या-1 और 2 जारी किए गए हैं, उन्हें ठीक तरह से भरकर विभाग के पास जमा कराया जाए। वे फार्म निर्धारित प्रारूप में होने चाहिए। इनमें अचल संपत्ति व चल संपत्ति के लिए अलग-अलग फार्म हैं। भूखंड, फ्लैट आदि की बुकिंग करना भी लेनदेन माना जाता है, इसलिए यह जानकारी भी विभाग को देनी होगी। चल संपत्ति के संबंध में ट्रांजेक्शन पूर्ण होने की तिथि के एक माह के भीतर ही अधिकारी, कर्मचारी द्वारा उसकी सूचना दी जानी है। अगर ऐसा ट्रांजेक्शन किसी आधिकारिक संबंध रखने वाले व्यक्ति से हो रहा है, तब उसकी कार्यालय में पूर्व सूचना देना, मंजूरी लेना अनिवार्य है।
अधिकारी-कर्मचारी के लिए ट्रांजेक्शन में लगने वाली धनराशि के स्रोत का स्पष्ट ब्यौरा देना जरूरी है। धन स्रोतों के समर्थन में कई तरह के दस्तावेजों को प्रस्तुत किया जा सकता है। इनमें बैंक ऋण की फोटो कॉपी, जिसमें लोन की राशि एवं उसे वापस चुकाने के निबंधन स्पष्टतया प्रकाशित हों। रिश्तेदार से ऋण के संबंध में अलग प्रावधान किया गया है। रिश्तेदार द्वारा लोन के संबंध में प्राप्त सहमति पत्र, जिसमें यह स्पष्ट हो कि ऋण ब्याज सहित है या ब्याज मुक्त है। उसमें ऋण को चुकाने के निबंधन एवं रिश्तेदार (जिस से ऋण लिया गया है) की कमाई का स्रोत भी स्पष्ट होना चाहिए। जीवन साथी के परिवार के सदस्यों के योगदान को लेकर कई सूचनाएं देनी होंगी। जैसे रोजगार का स्रोत आदि। स्रोत से जुड़े दस्तावेज जमा कराने होंगे।
किसी भी स्थिति में गृह निर्माण के लिए दूसरी बार पैसा निकालना सही नहीं है। इसी क्रम में आवेदक (कर्मचारी-अधिकारी) द्वारा एक प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया जाना आवश्यक है, जिसमें धन का एक स्रोत दर्शाया गया हो। यह भी स्पष्ट किया गया हो कि उन्होंने पूर्व में कभी भी मकान-निर्माण (प्लॉट या बने-बनाए फ्लैट की खरीद आदि) के लिए जीपीएफ से पैसा नहीं निकलवाया है। आवेदक के द्वारा प्रमाण पत्र में दिए गए कथन को संबंधित अधिकारी द्वारा उनके रिकॉर्ड जांच के उपरांत ही सत्यापित कर अनुमोदित करना है। यह बिंदु अधिकारियों द्वारा किसी भी आवेदन को अग्रसारित करते समय ध्यान में रखा जाना है। यदि किसी अधिकारी-कर्मचारी के जीवन साथी या घर के किसी अन्य सदस्य द्वारा उनकी निजी राशि (जिसमें स्त्रीधन, उपहार, विरासत आदि शामिल हैं) में से कोई लेनदेन किया जाता है जिसपर खुद अधिकारी-कर्मचारी का कोई अधिकार न हो और न ही जो अधिकारी-कर्मचारी की निधि से किया गया हो, तो ऐसे लेनदेन की सूचना देने की जरूरत नहीं है। अगर कोई अधिकारी-कर्मचारी अपनी किसी अचल या चल संपत्ति (जो कि निर्धारित मौद्रिक सीमा से अधिक हो) को अपने घर के किसी अन्य सदस्य के नाम पर स्थानांतरित करता है, तो उनके द्वारा रूल 18 (2)&(3) के प्रावधानों के अनुसार सक्षम अधिकारी को ऐसे लेनदेन की सूचना देना या उनसे इसकी पूर्व में मंजूरी लेना अनिवार्य है।
मप्र के 104 आईएएस, 82 आईपीएस और 18 आईएफएस अफसरों सहित देशभर के 2200 अधिकारी एक बार फिर पीएमओ और डीओपीटी के निशाने पर हैं। सूत्रों के अनुसार जांच एजेंसियों से बचने के लिए धन कुबेर नौकरशाहों के पैतृक गांवों में करोड़ों रुपए के निवेश के संकेत मिले हैं। पीएमओ के एक अधिकारी के मुताबिक, प्रधानमंत्री ने कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) से सभी राज्यों और केंद्र सरकार के मंत्रालयों में काम कर रहे अफसरों के कामकाज की समीक्षा कर रिपोर्ट देने को कहा है। पीएमओ ने सीबीआई से ऐसे अफसरों को रडार पर लेने को कहा है जिनके कामकाज का प्रदर्शन संतोषप्रद न होने के साथ संदिग्ध भी नजर आ रहा है।
भ्रष्टाचार और आय से अधिक संपत्ति के मामलों में सीबीआई व आयकर विभाग की चपेट में आए मप्र के आला अफसरों की लंबी फेहरिश्त है। कई अफसरों के खिलाफ तो केंद्र एवं राज्य सरकार की जांच एजेंसियों के अलावा प्रवर्तन निदेशालय में भी छानबीन चल रही है।
ये आईएएस और आईपीएस होंगे पदोन्नत
इधर, अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा के 9 अफसरों को पदोन्नत कर दिया जाएगा। इस दौरान आईएएस अफसर निकुंज कुमार श्रीवास्तव, आकाश त्रिपाठी, मुकेश गुप्ता और शोभित जैन को सचिव से प्रमुख सचिव, जबकि कमिश्नर जनसंपर्क सुदाम खाड़े, अपर सचिव पंचायत व ग्रामीण विकास धनंजय सिंह भदौरिया, सचिव राज्य निर्वाचन आयोग बाबू सिंह जामोद, कमिश्नर रीवा अनिल सुचारी और कमिश्नर होशंगाबाद संभाग माल सिंह को सचिव के वेतनमान में पदोन्नत किया जाएगा। वहीं भोपाल के नए पुलिस कमिश्नर मकरंद देउस्कर समेत तीन अफसरों को एडीजी बनाया जाना है। उनकी पदोन्नति के लिए डीपीसी की बैठक 21 दिसंबर को प्रस्तावित है। इसमें 1997 बैच के आईपीएस अफसरों को आईजी से एडीजी के पद पर पदोन्नत किया जाएगा। इनमें भोपाल के पुलिस कमिश्नर बनाए गए मकरंद देउस्कर, गृह सचिव डी. श्रीनिवास वर्मा और जबलपुर आईजी उमेश जोगा के नाम शामिल हैं। अभी एडीजी के स्वीकृत पद भरे होने की वजह से नए चार पद बढ़ाने की तैयारी की जा रही है। इसके अलावा वर्ष 2004 बैच के आईपीएस अफसर डीआईजी से आईजी बनाए जाएंगे। इनमें भोपाल के एडिशनल कमिश्नर इरशाद वली, डीआईजी सीआईडी गौरव राजपूत और डीआईजी भोपाल देहात संजय तिवारी का नाम है। वर्ष 2008 बैच के आईपीएस अफसर ललित शाक्यवार एसपी से डीआईजी बनेंगे। जबकि 2009 बैच के अफसरों को सिलेक्शन ग्रेड में पदोन्नत किया जाएगा।
मप्र को मिलेंगे 29 आईएएस-आईपीएस
प्रदेश को इस साल 29 आईएएस-आईपीएस अधिकारी मिल जाएंगे। इसके लिए 20 दिसंबर को राज्य प्रशासनिक सेवा से आईएएस और राज्य पुलिस सेवा से आईपीएस संवर्ग आवंटन के लिए विभागीय पदोन्नति समिति (डीपीसी) की बैठक होगी। इसकी अध्यक्षता संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष प्रदीप जोशी करेंगे। बैठक भोपाल में प्रस्तावित की गई है। इसमें 18 राज्य प्रशासनिक सेवा और 11 राज्य पुलिस सेवा के अधिकारियों को आईएएस और आईपीएस संवर्ग आवंटन होगा। आईएएस के लिए 1994 बैच के विनय निगम, विवेक सिंह और 1995 बैच के पंकज शर्मा के नाम भी विचार के लिए बैठक में रखे जाएंगे। दोनों को पिछले साल जांच चलने के कारण मौका नहीं मिल पाया था। वरिष्ठता के अनुसार सुधीर कोचर, रानी बाटड, चंद्रशेखर शुक्ला, त्रिभुवन नारायण सिंह, नारायण प्रसाद नामदेव, दिलीप कुमार कापसे, बुद्धेश कुमार वैद्य, जयेंद्र कुमार विजयवत, डॉ. अभय अरविंद बेडेकर, अजय देव, नियाज अहमद खान, मनोज मालवीय, नीतू माथुर, अंजू पवन भदौरिया और जमना भिडे को आईएएस संवर्ग मिलना तय माना जा रहा है। इसी तरह राज्य पुलिस सेवा से आईपीएस संवर्ग में पदोन्नति के लिए 11 पद उपलब्ध हैं। गृह विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सेवा अभिलेखों के आधार पर 1995-96 बैच के अधिकारी प्रकाश चंद्र परिहार, निश्चल झारिया, रसना ठाकुर, संतोष कोरी, जगदीश डाबर, मनोहर सिंह मंडलोई, रामजी श्रीवास्तव, जितेंद्र सिंह पवार, सुनील तिवारी, संजीव कुमार सिन्हा और संजीव कुमार कंचन को आईपीएस संवर्ग आवंटित हो सकता है। अब देखना है किन अफसरों की लॉटरी लगती है।
- सुनील सिंह