कोरोना महामारी से बदहाल हुई अर्थव्यवस्था और प्रदेश पर करीब 3 लाख करोड़ रुपए के कर्ज के बावजूद माननीय अपने बंगलों की साज-सज्जा में करोड़ों खर्च करने के लिए तत्पर हैं। प्रदेश सरकार के कई मंत्रियों, विधायकों और अफसरों ने अपने सरकारी बंगलों की साज-सज्जा और मरम्मत के लिए प्रस्ताव भेजा है। हालांकि वित्त विभाग ने फिलहाल माननीयों की मंशा पर पानी फेर दिया है।
गौरतलब है कि प्रदेश में सरकार बदलने के बाद बंगले बदलने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। इसका परिणाम यह होता है कि पूर्व में जिन बंगलों पर लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं दोबारा फिर से उन बंगलों पर लाखों रुपए साज-सज्जा के नाम पर स्वाहा होने लगते हैं। 23 मार्च 2020 के बाद जब प्रदेश में वर्तमान सरकार शुरू हुई, तबसे एक बार फिर सरकारी बंगलों पर पानी की तरह पैसा बहाया जाने लगा। जैसे-जैसे मंत्री बनते गए, वैसे-वैसे बंगले आवंटित होते गए और उन बंगलों के साज-सज्जा पर लाखों रुपए खर्च होने लगे। जबकि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के 15 माह के कार्यकाल में मंत्रियों के बंगलों पर करोड़ों रुपए खर्च किए गए थे।
वर्तमान सरकार में अभी जितने मंत्री हैं, उनके बंगलों पर पिछले दो साल से लगातार साज-सज्जा के काम हो रहे हैं और लाखों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। उसके बावजूद मंत्री संतुष्ट नहीं हैं और लोक निर्माण विभाग के माध्यम से अपने बंगले को न्यारा बनाने के लिए लाखों रुपए के प्रस्ताव वित्त विभाग को भिजवा रहे हैं। 74 बंगला स्थित सी-2 में निवासरस प्रदेश के परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के बंगले में सिविल एवं विद्युतीय निर्माण कार्य के लिए 36.67 लाख रुपए का प्रस्ताव भेजा गया है। जबकि पूर्व में इनके बंगले पर 18,75,175 रुपए खर्च किए गए हैं। यहां यह बता दें कि यह वही बंगला है जिसमें कांग्रेस शासनकाल के दौरान लोक निर्माण मंत्री सज्जन सिंह वर्मा रहते थे। उन्होंने इस बंगले पर सबसे अधिक खर्च भी किया था। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर अब इस बंगले में ऐसा कौनसा काम बाकी है, जिस पर 36 लाख रुपए से अधिक खर्च करने की तैयारी हो रही है।
वहीं प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग के शासकीय आवास 74 बंगला स्थित सी-12 में सिविल एवं विद्युतीय लघुमूल कार्य के लिए 97.55 लाख का प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा गया है। गौरतलब है कि सारंग लगभग एक दशक से इस बंगले में रह रहे हैं और पूर्व में भी इस बंगले पर लाखों रुपए खर्च किए गए हैं। ऐसे ही अन्य कई मंत्री और विधायक हैं जिनके बंगलों पर निर्माण के नाम पर लाखों रुपए खर्च करने का प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा गया है। हालांकि वित्त विभाग ने फिलहाल इन प्रस्तावों को होल्ड कर रखा है। उल्लेखनीय है कि भवन कार्य हेतु 381.61 लाख रुपए का प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा गया है, जिसमें सबसे अधिक 97.55 लाख रुपए का प्रस्ताव विश्वास सारंग के बंगले का है।
गौरतलब है कि 2021 में विधानसभा के बजट सत्र के दौरान एक सवाल के जवाब में सरकार ने बताया था कि शिवराज सरकार के 10 महीने के कार्यकाल में मंत्रियों के बंगले सजाने में 4.58 करोड़ से ज्यादा खर्च किए गए थे। सबसे ज्यादा 1 करोड़ रुपए मुख्यमंत्री निवास पर खर्च हुए थे, तो 56 लाख रुपए पीडब्ल्यूडी मंत्री गोपाल भार्गव के बंगले की साज-सज्जा में लगे थे।
गौरतलब है कि एक साल पहले विधानसभा में विधायक पांचीलाल मेड़ा के प्रश्न के जवाब में पीडब्ल्यूडी मंत्री भार्गव ने जो जानकारी दी थी उसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित मंत्रिमंडल के अन्य सदस्यों के बंगलों की साज-सज्जा में 1 अप्रैल 2020 से 31 जनवरी 2021 तक हुए खर्च का ब्यौरा दिया था। मुख्यमंत्री निवास में बिजली के काम में 81 लाख से ज्यादा खर्च किए गए, साथ ही 18.52 लाख का सिविल वर्क हुआ था। मुख्यमंत्री के 74 बंगला स्थित एक अन्य घर में बी-8 में 13.41 लाख का काम हुआ था। वहीं सिविल वर्क में मुख्यमंत्री के बंगले से ज्यादा गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के आवास पर 44 लाख से ज्यादा का खर्चा हुआ था। नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह 31 लाख, कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए स्वास्थ्य मंत्री का जिम्मा संभाल रहे प्रभुराम चौधरी के आवास पर 27 लाख से ज्यादा, सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया 19 लाख और सिंधिया समर्थक परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के आवास पर 18 लाख खर्च हुए थे। इस लिस्ट के हिसाब से सबसे कम सिविल वर्क का काम खेल एवं युवा कल्याण मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया और इमरती देवी के आवास पर हुआ था। इसके बाद भी कई मंत्रियों के बंगलों पर लाखों रुपए के काम हुए हैं। लेकिन इससे अभी मंत्रियों का मन नहीं भरा है। जनता से मिलने वाले टैक्स को मंत्री अपने आराम के लिए पानी की तरह बहा रहे हैं। यह स्थिति तब है जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंत्रियों को साफ-साफ शब्दों में निर्देशित किया है कि फिजूल के खर्चे न किए जाएं।
वित्तमंत्री के प्रस्ताव को उनके ही विभाग ने लौटाया
प्रदेश के वित्तमंत्री जगदीश देवड़ा भलीभांति जानते हैं कि प्रदेश की आर्थिक स्थिति कितनी कमजोर है। प्रदेश में राजस्व संग्रहण सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है। इसके बावजूद सादा जीवन और उच्च विचार की बात कहने वाले मंत्रीजी ने अपने बंगले की साज-सज्जा के लिए लाखों रुपए का प्रस्ताव लोक निर्माण विभाग से बनवाकर वित्त विभाग को भिजवाया है। लेकिन मंत्रीजी के प्रस्ताव को उनके ही विभाग ने वापस लौटाकर उन्हें आईना दिखाया है।
अरविंद नारद