साइबर ठगी बनी नासूर
04-Apr-2022 12:00 AM 656

 

मप्र में अपराध लगातार बढ़ते जा रहे हैं, प्रदेश के कई जिलों से महिला अपराध को लेकर कई चौका देने वाले आंकड़े सामने आ रहे हैं। विधानसभा में पेश जवाब में सरकार ने कहा है कि 2018 से अब तक 55 करोड़ 48 लाख 93 हजार से ज्यादा राशि का आर्थिक अपराध साइबर क्राइम के माध्यम से हुआ। पुलिस ने अपराधियों से 6 करोड़ 80 लाख 22 हजार रुपए की राशि वसूली है। प्रदेश में साइबर क्राइम के बीते 5 साल में 3365 मामले दर्ज हुए हैं, इनमें से 1212 प्रकरण लंबित हैं।

इंटरनेट बैकिंग, डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड के जरिए धोखाधड़ी के मामले लगातार बढ़े हैं। मप्र में वर्ष 2021 में साइबर अपराधियों द्वारा किए गए बैंकिंग धोखाधड़ी के 576 मामले दर्ज हुए, जिनमें 2.37 करोड़ की धोखाधड़ी की गई। इस तरह की धोखाधड़ी के मामलों में मप्र देशभर में 12 स्थान पर है। सबसे अधिक 19,671 मामले महाराष्ट्र में दर्ज हुए, जबकि तमिलनाडु में ये आंकड़ा 5292 था। दिल्ली में बैंकिंग धोखाधड़ी में 5001 मामले दर्ज हुए। वर्ष 2021 में देशभर में दर्ज 50,242 मामलों में कुल 167.03 करोड़ की धोखाधड़ी की गई। यहां बता दें, कोरोनाकाल यानी वर्ष 2019 और 2020 में लगे लॉकडाउन में साइबर ठग सबसे अधिक सक्रिय रहे। मप्र में ही वर्ष 2019 में 865 लोगों से कुल 2.62 करोड़ और वर्ष 2020 में 979 लोगों से 3.48 करोड़ रुपए की ठगी की गई।

गौरतलब है कि साइबर क्राइम में संगठित गिरोह सक्रिय हैं। राजस्थान, पश्चिम बंगाल समेत बिहार और झारखंड से अपराधी साइबर अपराध को अंजाम दे रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2018 से 2021 तक मप्र में कुल 2632 लोग बैंकिंग धोखाधड़ी का शिकार हुए और इनसे 9.19 करोड़ रुपए की राशि ठगी गई। ये अपराध वे हैं, जो राज्य साइबर सेल और जिलों की साइबर सेल में दर्ज हुए हैं। राज्य साइबर सेल के मुताबिक वर्ष 2015 से 2021 तक दर्ज 81 फीसदी मामलों में चालान पेश किया गया है। वहीं वर्ष 2021 में सभी प्रकार के 163 साइबर अपराध दर्ज किए गए, जिनमें से 60 में चालान पेश किया गया है। राज्य साइबर सेल में दर्ज सभी प्रकार के साइबर अपराधों में से 81 फीसदी में चालान पेश करने की बात कही जा रही है। एसपी वैभव श्रीवास्तव के मुताबिक वर्ष 2020 से 2021 तक राज्य साइबर सेल में दर्ज मामलो में से 19 फीसदी की जांच जारी है। यहां बता दें, साइबर अपराधी अन्य राज्यों में बैठकर ठगी को अंजाम देते हैं। इसके लिए फर्जी नामों से ली गई मोबाइल सिम का उपयोग किया जाता है। इसी तरह ठगी गई रकम उन बैंक खातों में जमा की जाती है, जो ऐसे लोगों के नाम पर होते हैं, जिन्हें इसकी जानकारी तक नहीं होती। जानकारी के मुताबिक आर्थिक रूप से कमजोर लोगों से उनके दस्तावेज लेकर मोबाइल सिम लेने के अलावा बैंक खाते खोले जाते हैं।

पिछले दो महीनों में अकेले शहरों में साइबर अपराध के 600 से अधिक मामले सामने आए हैं। यह संख्या हर दिन बढ़ती जा रही है। वहीं, चौंकाने वाली बात यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों के लोग तो इस तरह के मामले दर्ज भी नहीं करवाते हैं। वहीं, मप्र में साल 2021 में साइबर अपराध के कुल 3600 मामले दर्ज हुए थे। इस साल दो महीने में ही यह आंकड़ा 600 के पार पहुंच गया है। पिछले साल जो मामले दर्ज हुए थे, इसमें साइबर अपराध, सेक्सटॉर्शन, सोशल मीडिया पर मॉर्फ्ड तस्वीरें शेयर करना, अश्लील टिप्पणियां और फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट शामिल हैं। वहीं, पिछले दो महीनों के दौरान ऐसे मामलों में 7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 2021 में दर्ज कुल साइबर अपराधों की शिकायत में 25 फीसदी मामले महिलाओं के खिलाफ थे। इस साल बढ़त का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2022 के पहले 2 महीनों में ही संख्या बढ़कर 32 फीसदी हो गई है। 3 फीसदी मामले अलग-अलग क्षेत्रों के हैं। सबसे ज्यादा मामले वित्तीय धोखाधड़ी से संबंधित हैं। 2 महीने में जो मामले दर्ज हुए हैं। उनमें 65 फीसदी शिकायतें ऑनलाइन धोखाधड़ी की है।

मप्र पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि यह केवल आधिकारिक पुलिस डेटा है, जिसमें पीड़ितों ने पुलिस से संपर्क करने का साहस दिखाया है। उन्होंने कहा कि कई मामलों में वित्तीय धोखाधड़ी की राशि कम होती है, रिपोर्ट भी नहीं की जाती है। ऐसे में राज्य की वास्तविक स्थिति बहुत गंभीर है। पुलिस के अनुसार पिछले साल साइबर सेल ने मप्र निवासियों को ऑनलाइन ठगने के आरोप में 3 विदेशी नागरिकों सहित 170 साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया था। 2021 के दौरान साइबर धोखाधड़ी पीड़ितों को लगभग एक करोड़ रुपए वापस किए गए, जबकि 25 लाख रुपए जालसाजों के बैंक खातों में जमा कर दिए गए।

मप्र की साइबर पुलिस है देश में नंबर वन

मप्र पुलिस ने प्रदेश को गर्व करने का मौका दिया है। दरअसल साइबर क्राइम इन्वेस्टिगेशन में मप्र पुलिस को पूरे देश में नंबर वन माना गया है। गृह मंत्रालय के इंडियन साइबर क्राइम कोर्डिनेशन सेंटर ने बेस्ट इन्वेस्टिगेशन के लिए मप्र को पहला नंबर दिया है। इंटरनेशनल क्रिप्टो करेंसी रैकेट के खुलासे के लिए मप्र साइबर पुलिस को सबसे बेहतरीन माना गया है। बता दें कि देशभर में साइबर क्राइम को कंट्रोल करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इंडियन साइबर क्राइम कोर्डिनेशन सेंटर का गठन किया था। इसी सेंटर ने बीते दिनों एक दिवसीय ऑनलाइन समिट में सभी राज्यों से दो-दो केस स्टडी साझा करने का निर्देश दिया था। जिसके बाद सभी केस स्टडी को देखने के बाद साइबर क्राइम कोर्डिनेशन सेंटर ने मप्र की साइबर पुलिस को इंटरनेशनल क्रिप्टो करेंसी रैकेट का खुलासा करने के लिए देश में सबसे बेहतरीन माना है। कर्नाटक को दूसरा और तेलंगाना को तीसरा स्थान मिला है। उल्लेखनीय है कि साइबर क्राइम जिस तेजी से बढ़ रहे हैं, उसे देखते हुए मप्र की साइबर क्राइम पुलिस भी तैयारियों में जुटी है। बता दें कि मप्र साइबर क्राइम पुलिस साइबर ठगों से जुड़ी हर जानकारी का डाटाबेस तैयार कर रही है। इसमें आरोपितों द्वारा की गई वारदात का तरीका और उनकी व्यक्तिगत जानकारी का ब्यौरा शामिल किया जा रहा है।

बृजेश साहू

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