मप्र में नक्सली गतिविधियां बढ़ने लगी हैं। इसको देखते हुए पुलिस ने सतर्कता बढ़ा दी है। पुलिस की सतर्कता से नक्सली आक्रामक होने लगे हैं। विगत दिनों बालाघाट जिले में पुलिस और नक्सलियों से बीच मुठभेड़ में 2 महिला नक्सली ढेर हो गईं। किरनापुर थाना क्षेत्र के कितनी पुलिस चौकी के अंतर्गत आने वाले बोरवन के जंगल में पुलिस और नक्सलियों में भिड़ंत हुई है। मुठभेड़ के बाद नक्सलियों के पास से रसद और 12 बोर का राइफल बरामद हुआ है। दोनों महिला नक्सलियों पर 3-3 लाख रुपए का इनाम घोषित था। पुलिस को बड़ी संख्या में नक्सलियों के मौजूद होने की सूचना मिली थी। पुलिस अधीक्षक अभिषेक तिवारी ने बताया कि रात में हुई मुठभेड़ में मलाजखंड आलम से जुड़ी महिला नक्सली शोभा मारी गई। वहीं, सुबह सर्चिंग के दौरान एक और मुठभेड़ हुई, जिसमें दररेक्सा दलम की महिला नक्सली सावित्री मारी गई। इससे पहले 7 नवंबर को भी बालाघाट में कान्हा नेशनल पार्क के पास मालखेड़ी के जंगल में जवानों ने मुठभेड़ में एक महिला नक्सली को ढेर किया था। ये महिला नक्सली खटिया मोचा दलम दो की बताई गई थी। पुलिस को उस दौरान भी सूचना मिली थी कि 25 से 30 नक्सली दो अलग-अलग जगहों पर हैं। टीम मौके पर पहुंची तो नक्सलियों ने फायरिंग शुरू कर दी, जवानों ने भी जवाबी कार्रवाई की थी।
दरअसल, छत्तीसगढ़ के बस्तर और महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में एजेंसियों के दबाव के बाद मप्र के विस्तार इलाके में नक्सली मूवमेंट बढ़ गया है। खासतौर पर कान्हा-किसली टाइगर रिजर्व में पिछले दो-तीन माह में इन्हें देखा गया है। मुकी क्षेत्र व मंडला में इनकी गतिविधियां हैं। इसी को देखते हुए जनवरी-फरवरी में सीआरपीएफ की छह कंपनियां मंडला-बालाघाट में तैनात की जाएंगी। इनमें 75 फीसदी लड़ाकू जवान होंगे। नवंबर में कान्हा के बफर क्षेत्र में एक नक्सली ऑपरेशन को भी अंजाम दिया जा चुका है। नक्सली गतिविधि बढ़ने के कारण हॉकफोर्स का मुख्यालय बालाघाट शिफ्ट कर दिया गया है, जिसमें 5 दिसंबर को ही आईपीएस नागेंद्र सिंह और सहायक पुलिस निरीक्षक घनश्याम मालवीय की पोस्टिंग की गई है।
दो साल बाद यह स्थिति बनी है कि मप्र के छग के सीमावर्ती इलाके में नक्सली देखे गए हैं। पुलिस सूत्रों का कहना है कि एक दिन पहले हुए ऑपरेशन में मारी गईं मप्र, छग और महाराष्ट्र की इनामी नक्सली शोभा और सावित्री का मूवमेंट कान्हा में ही देखा गया था। वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि नक्सलियों के कारण मंडला के वन क्षेत्र में कटाई कुछ दिन प्रभावित रही। बहरहाल, अब गृह विभाग ने मंडला और बालाघाट में सर्विलांस बढ़ा दिया है। कान्हा रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर एसके सिंह को मूवमेंट की जानकारी नहीं है। अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (संरक्षण) असीम श्रीवास्तव ने भी कहा कि उन्हें कुछ नहीं पता।
नक्सलियों के अभियान को कमजोर करने के लिए मंडला में ही तीन एकलव्य स्कूल खोलने का निर्णय लिया गया है। ताकि युवाओं व किशोरों को उनके संपर्क में आने से रोका जा सके। एडीजी, नक्सल ऑपरेशन जीपी सिंह कहते हैं कि कान्हा टाइगर रिजर्व में मूवमेंट छत्तीसगढ़ बॉर्डर की तरफ बढ़ा है। नवंबर में रिजर्व के बफर क्षेत्र में एक ऑपरेशन किया जा चुका है। सर्विलांस तेज है। एक्सट्रा फोर्स बुलवाई जा रही है। बस्तर और गढ़चिरौली में कार्रवाई जारी है, इसीलिए कुछ ने रुख मप्र की तरफ किया है।
कान्हा टाइगर रिजर्व से सटे छत्तीसगढ़ बार्डर में 10 किमी के करीब मप्र का छत्तीसगढ़ के साथ ज्वाइंट ऑपरेशन चल रहा है। इसके साथ ही गढ़चिरौली में भी मप्र की टीम गई है। नक्सलियों में छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के लोगों की संख्या ज्यादा है। मप्र के फिलहाल पांच नक्सलियों की ही सूचना मिल रही है। सूत्र बता रहे हैं कि मप्र में नक्सली लोगों को यह कहकर भड़का रहे हैं कि कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने में सरकार ने गलत ढंग अपनाया। इसी वजह से लोगों के रोजगार चले गए। हालांकि अभी तक पुलिस के पास ऐसी कोई सूचना नहीं है कि लोगों पर इसका असर हुआ।
डकैतों को खोजने के लिए बने थाने अब ढूंढ़ रहे चोरी हुए मवेशी
डकैतों के लिए बदनाम ग्वालियर-चंबल अंचल में अब कोई गिरोह सक्रिय नहीं है। 1980-90 में दस्युओं का भय बस्तियों से लेकर बीहड़ और जंगलों तक ऐसा था कि राज्य सरकार को इस क्षेत्र में 20 से ज्यादा एंटी डकैत (एडी) थाने व पुलिस चौकियां बनानी पड़ीं। इनका एकमात्र काम डकैतों पर अंकुश लगाना था। बीते एक दशक से चंबल में कोई डकैत गिरोह सक्रिय नहीं है, फिर भी एडी थाने, चौकियों से लेकर हर जिले में एडी टीम तैनात है। हाल यह है कि अब यह टीम चोरी गए भैंस, बकरियों को ढूंढती है। यही नहीं, एंटी डकैत टीमों को आधुनिक हथियार व अलग से सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। हाल ही में ऐसा ही एक रोचक मामला सामने आया। मुरैना जिले की पहाड़गढ़ जनपद के कहारपुरा गांव निवासी बलराम पुत्र छीतरिया बाथम को 23 नवंबर को कुछ बदमाशों ने बांध दिया और उसकी 28 बकरियों को हांक ले गए। पहाड़गढ़ व निरार एंटी डकैत थाना के अलावा एसपी अनुराग सुजानिया ने एडी की 14 सदस्यीय टीम को बकरियां ढूंढने के काम में लगाया। टीम ने दस दिन बाद इन बकरियों को ग्वालियर जिले में तिघरा के पास ढूंढ निकाला। यह एक बानगी मात्र है। मुरैना जिले में एडी थाने पहाड़गढ़, निरार, चिन्नौनी, बागचीनी, देवगढ़ और कन्हार चौकी का स्टाफ सबसे ज्यादा भागदौड़ चोरी हुए मवेशियों के लिए करता है। ग्वालियर-चंबल संभाग के भिंड, श्योपुर, दतिया व ग्वालियर जिलों की एडी टीम व अधिकांश एडी थाने इसी तरह के छोटे-मोटे अपराधों को सुलझाने में व्यस्त हैं।
- प्रवीण कुमार