अनाज खरीदी में खेल
26-Dec-2020 12:00 AM 335

 

न्यूनतम समर्थन मूल्य पर होने वाली अनाज खरीदी में पड़ोसी राज्यों से आने वाला अनाज मप्र के लिए मुसीबत बन रहा है। मुरैना में बाजरा की रिकॉर्ड आवक हो रही है। इससे आशंका बढ़ रही है कि राजस्थान के धौलपुर से तो व्यापारी किसानों के नाम पर बाजरा नहीं बुला रहे हैं। इसी तरह रीवा के त्योंथर और बालाघाट के धानेगांव में उप्र से धान बुलवाया गया है। सीमावर्ती जिलों में यह समस्या अधिक है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की समीक्षा में भी यह बात सामने आई है। इसके मद्देनजर अब कलेक्टरों ने सीमाओं पर नाके लगाने के साथ खरीदी केंद्रों की जांच भी शुरू करा दी है। मप्र में अब तक 97 हजार मीट्रिक टन बाजरा समर्थन मूल्य पर खरीदा जा चुका है। 30 नवंबर को बाजरा उपार्जन केंद्रों में 900-900 गठान बारदाने, 1 और 2 दिसंबर को 500-500 गठान बारदाने उपलब्ध कराए जाएंगे। अभी 9 हजार 638 किसानों से बाजरा खरीदना बाकी है। करीब 38 हजार 400 किसानों ने इस मौसम में समर्थन मूल्य पर बाजरा बेचने के लिए अपना रजिस्ट्रेशन कराया था।

सूत्रों के मुताबिक मुरैना में इस बार बाजरा की बंपर आवक हो रही है। अभी तक 30 हजार टन की आवक होती थी। पहले लक्ष्य बढ़ाकर 75 हजार टन किया लेकिन यह भी कम पड़ने लगा तो इसे फिर बढ़ाकर एक लाख और अब सवा लाख टन किया है। बताया जा रहा है कि मुरैना से राजस्थान का धौलपुर लगा है और वहां बाजरा की खेती होती है। न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,150 रुपए प्रति क्विंटल की दर से बाजरा मप्र में खरीदा जा रहा है। जबकि, बाजार में यह 1,500 रुपए प्रति क्विंटल में बिक रहा है। इस वजह से अनुमान लगाया जा रहा है कि सीमावर्ती गांवों के किसानों के माध्यम से राजस्थान के व्यापारी बाजरा बिकवा सकते हैं। यही कारण है कि मुरैना कलेक्टर अनुराग वर्मा ने नाके लगवाकर जांच बढ़वा दी है।

दतिया, रीवा और बालाघाट में उप्र से धान लाने की बात सामने आई है। रीवा के त्योंथर में 500 क्विंटल तो बालाघाट के धानेगांव में 270 क्विंटल धान पकड़ी गई है। दतिया में भी उप्र से धान आने की सूचनाएं मिल रही हैं। इसके मद्देनजर कलेक्टर संजय कुमार ने नाकेबंदी करा दी है। उन्होंने बताया कि इस समस्या की रोकथाम के लिए कड़े कदम उठाए जा रहे हैं। सीमावर्ती स्थानों पर जांच का दायरा बढ़ाया गया है। खाद्य, नागरिक आपूर्ति विभाग के संचालक तरुण कुमार पिथौड़े का कहना है कि सभी कलेक्टरों को सीमावर्ती क्षेत्रों में निगरानी बढ़ाने के लिए कहा गया है ताकि पड़ोसी राज्यों से फसलें न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बिकने के लिए न आ सकें। उधर, नागरिक आपूर्ति निगम के प्रबंध संचालक अभिजीत अग्रवाल का कहना है कि मुरैना में खरीदी एकदम से बढ़ी है। बारदाने की कमी को दूर कर लिया है। अन्य राज्यों से फसल न आए, इसके प्रबंध कलेक्टरों ने किए हैं। जहां भी शिकायतें आ रही हैं, वहां जिला प्रशासन कार्रवाई कर रहा है।

सूत्रों का कहना है कि बाजरा की कीमत बाजार में 1,500 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास है। जबकि समर्थन मूल्य 2,150 रुपए है। इसलिए व्यापारी किसानों के नाम पर दूसरी जगह से उपज लाकर समर्थन मूल्य पर बेचते हैं। इसमें किसान के साथ-साथ खरीदी केंद्र के कर्मचारी और पटवारी की भी भूमिका रहती है। दरअसल, ई-उपार्जन व्यवस्था में किसान का पंजीयन होता है। इसमें उन किसानों के नाम भी दर्ज हो जाते हैं, जिन्होंने संबंधित फसल की खेती ही नहीं की होती है।

ग्वालियर-चंबल अंचल में किसान और प्रशासन इन दिनों एक और नई समस्या से जूझ रहा है। इसकी वजह उपज की तुलना में खरीदी केंद्रों पर खरीदी के बावजूद हजारों किसान ऐसे हैं, जिनका बाजरा प्रशासन खरीद नहीं पाया है। इसका कारण मप्र में बाजरे का समर्थन मूल्य (2,150 रुपए) बाजार मूल्य करीब 1,500 रुपए से अधिक है। उप्र और राजस्थान से सटे होने के कारण भिंड-मुरैना, दतिया और शिवपुरी में बिचौलिए सक्रिय हो गए हैं, जो खरीदी केंद्रों पर बाजरा लेकर पहुंच रहे हैं। इन जिलों में हजारों क्विंटल बाजरा पकड़ा भी गया है। इसके बावजूद खरीद केंद्रों पर बाजरे से भरे वाहनों की कतार लगी हुई है।

मुरैना में बोरियों में अंकुरित हो चुके बाजरे को गोदामों में रखवा रहीं सोसायटी

बारिश से भीगे बाजरे को सोसायटियों ने खरीद लिया और बोरों में भर दिया। अब यह बाजरा बोरों के अंदर ही अंकुरित हो गया है और जब इन बोरों को गोदामों में भेजा जा रहा है तो यह गड़बड़ पकड़ में भी आ रही है। नजीता गोदामों के बाहर भीगे व अंकुरित हो चुके बाजरे के बोरों के ढेर लगवाए जा रहे हैं। गौरतलब है कि 14-15 नवंबर की रात मुरैना जिले में बारिश और कहीं-कहीं बारिश के साथ ओलावृष्टि हुई थी। इस कारण मुरैना, जौरा, कैलारस और सबलगढ़ के खरीदी केंद्रों पर हजारों बोरे बाजरा भीग गया। मुरैना व कैलारस की सोसायटियों पर तो भीगकर गीला हुआ बाजरा तीन दिन बाद अंकुरित भी हुआ। इसके अलावा किसानों का भी हजारों क्विंटल बाजरा भीग गया। इस गीले और अंकुरित बाजरे को सोसायटियों ने खरीद डाला जबकि समर्थन मूल्य खरीदी के लिए तय एफएक्यू (फाइन एवरेज क्वालिटी) मानक जरूरी है। इसमें अनाज की नमी, उसका आकार, मिलावट व चमक तक देखी जाती है। अब सोसायटियों से जो बाजरा बोरों में भरकर गोदामों में रखने पहुंच रहा है तो तब गोदामों पर हो रही जांच में बाजरा गीला व अंकुरित पाया जा रहा है। सेंट्रल वेयर हाउस मुरैना के गोदामों पर भैंसरोली सोसायटी से बोरे पहुंचे हैं उनके अंदर अंकुरित हुआ बाजरा बोरों से बाहर निकल आया है। इसी तरह धनेला सोसायटी, उधर कैलारस की मामचौन, पचोखरा व कैलारस मार्केटिंग सोसायटी ने भी गीले बाजरे को खरीदकर बोरों में भर दिया है।

- नवीन रघुवंशी

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