कोरोना संक्रमण की वजह से स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 को दो महीने आगे बढ़ा दिया गया है। इस बार यह सर्वे जनवरी की बजाय मार्च में होगा। केंद्रीय आवास एवं शहरी मंत्रालय ने इसके लिए 1 से 28 मार्च तक का समय निर्धारित किया है। अब नगर निगम को सर्वे के लिए दो महीने का समय अतिरिक्त मिलेगा। इसका फायदा रैंकिंग में मिलने की उम्मीद की जा रही है। जो काम लॉकडाउन के दौरान नगर निगम नहीं कर पाया था, वह पूरे किए जा सकेंगे। संभावना है कि सर्वे की तिथि में बदलाव होने के कारण अब प्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव भी जल्द कराए जा सकते हैं।
अब 2021 के लिए स्वच्छता सर्वेक्षण नए बदलाव के साथ होगा। सर्विस लेवल प्रोग्रेस 2400 अंक का होगा। इसके तहत जुलाई से अगस्त की पहली तिमाही के 600, सितंबर से नवंबर की दूसरी तिमाही के 600 और दिसंबर से फरवरी तक की तीसरी तिमाही के 1200 अंक होंगे। सर्टिफिकेशन 800 अंक का होगा। इसके तहत गार्बेज फ्री सिटी के 1100, ओडीएफ व वाटर प्लस के 700 अंक रहेंगे। पहली बार वॉटर प्लस सर्वे भी होगा, इसमें गंदे पानी को साफ करने के प्रयास देखे जाएंगे। सिटीजन वाइस भी 1800 अंक का है। इसके तहत लोगों से बात कर फीडबैक लिया जाएगा।
इस बार रैंकिंग का मुख्य आधार सिटीजन फीडबैक होगा। यह प्रक्रिया 4 जनवरी से शुरू होकर 28 मार्च तक 84 दिन चलेगी। इसमें नागरिकों से 7 सवाल पूछकर फीडबैक लिया जाएगा। सरकारी एजेंसी भी अपने स्तर पर सीधे या फोन व अन्य माध्यम से फीडबैक लेगी। सर्वेक्षण में दो माह का अतिरिक्त समय मिलने से नगर पालिका रैंकिंग सुधारने के लिए इसमें कई नए प्रयोग कर सकती है। आयुक्त नगरीय आवास एवं विकास निकुंज श्रीवास्तव कहते हैं कि स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 जनवरी में प्रस्तावित था। किन्हीं कारण से सर्वे की तारीख और महीने में बदलाव किया गया है। अब सर्वे का काम 1 से 28 मार्च तक होगा।
स्वच्छता सर्वे के तहत अब वॉटर प्लस सर्टिफिकेट और सेवन स्टार रेटिंग पाने के लिए नगरीय निकाय 20 फरवरी तक दावा पेश कर सकेंगे। पहले यह तारीख 30 नवंबर थी। केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने स्वच्छता सर्वे के साथ इन दोनों सर्वे के लिए आवेदन देने संबंधी नई तारीखें घोषित की हैं। माना जा रहा है कि नगरीय निकायों के आग्रह पर यह समयसीमा बढ़ाई गई है। कोरोना संक्रमण के कारण ज्यादातर नगरीय निकाय दूसरी व्यवस्थाओं में जुटे रहे और स्वच्छता सर्वे की गाइडलाइन के अनुरूप ज्यादा काम नहीं कर सके। इसी कारण कई शहरों के निकायों ने मंत्रालय के वॉटर प्लस और सेवन स्टार रेटिंग के लिए दावा पेश करने और स्वच्छता सर्वे के लिए अतिरिक्त समय देने का आग्रह किया था, जिसे मंत्रालय ने मान लिया है। स्वच्छता सर्वे अब मार्च में होगा, जबकि बाकी दोनों सर्वे 20 फरवरी बाद शुरू होंगे।
उधर, केंद्रीय आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा जारी सफाई मित्र सुरक्षा चैलेंज 2021 में भले ही भोपाल नगर निगम भाग लेने जा रहा हो, लेकिन इस सर्वेक्षण में स्थान बना पाना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है। दरअसल, इस चैलेंज में ऐसे मानक दिए गए हैं जिसमें नगर निगम द्वारा अब तक काम शुरू नहीं किया गया है। इसमें सीवेज के पानी का दोबारा उपयोग करना, जल स्त्रोतों में मल-मूत्रों को जाने से रोकना और शत-प्रतिशत मशीनों से सीवेज संबंधित काम करने पर अंकों का निर्धारण किया गया है।
दरअसल, शहर के तीन दर्जन से अधिक बड़े नालों के लिए काम शुरू नहीं हो सका है। इसमें अन्ना नगर, आनंद नगर, अवधपुरी समेत अन्य नालों से खुले में बहता हुआ सीवेज सालों से लोगों के लिए समस्या बना हुआ है। इसके अलावा केंद्र सरकार की अमृत योजना के तहत बिछाई जा रही सीवेज पाइपलाइन प्रोजेक्ट भी पूरा नहीं हो सका है। बीते दिनों निगमायुक्त ने टाटा कंपनी पर जुर्माना भी लगाया था। वहीं बड़े तालाब, छोटे तालाब, हताईखेड़ा डेम, मोतिया तालाब समेत अन्य जल स्त्रोंतो में नालों की गंदा पानी मिल रहा है। चैलेंज की गाइडलाइन के मुताबिक सीवेज के ट्रीट वाटर का अन्य प्रोजेक्टों में उपयोग के लिए अंकों का निर्धारण किया गया है। मामले में इंदौर नगर निगम ने सीवेज ट्रीट वाटर का उपयोग निर्माणों में शुरू भी किया है। साथ इंदौर नगर निगम ने इसे आय का जरिया भी बनाया है। उधर, भोपाल में अब तक सीवेज ट्रीट वाटर को लेकर कोई प्लानिंग नहीं की गई है। बता दें कि गाइडलाइन के मुताबिक सीवेज ट्रीट वाटर से उद्यानों में सिंचाई, निर्माण में उपयोग, धुलाई आदि जैसे कामों में उपयोग करने का प्रावधान है।
ऐसे होगा सफाई मित्र सुरक्षा चैलेंज
सफाई मित्र सुरक्षा चैलेंज की घोषणा केंद्र सरकार ने की है। चैलेंज के तहत आगामी 31 मार्च तक गाइडलाइन के तहत तैयारियां पूरी करनी होगी। अप्रैल 2021 में दस्तावेज जमा करने होंगे। फिर मई से जून के बीच चैलेंज के तहत स्वच्छता सर्वेक्षण की तर्ज पर सर्वे होगा। 15 अगस्त 2021 को इस परिणामों की घोषणा की जाएगी। केंद्रीय आवासन मंत्रालय ने इस प्रतिस्पर्धा में 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों के लिए 12 करोड़ रुपए का प्रथम पुरस्कार रखा है। जबकि द्वितीय एवं तृतीय पुरस्कार के रूप में क्रमश: 6 करोड़ रुपए एवं 3 करोड़ रुपए की राशि संबंधित निकाय को दी जाएगी। नगर निगम द्वारा सीवेज संबंधित कार्यों के लिए 39 मशीनों से काम लिया जाता है। निगम के सात सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट हैं। इसके अलावा तीन अन्य एसटीपी प्रोजेक्ट का सिविल वर्क जारी है। निगम के पास ओडीएफ डबल प्लस का भी तमगा है। दावा किया जाता है कि सीवेज के लिए मैनुअल काम नहीं किया जाता।
- जितेन्द्र तिवारी