अवैध अब वैध
21-Mar-2020 12:00 AM 321

राजधानी के सुनियोजित विकास की योजना से जुड़ा भोपाल मास्टर प्लान 2031 जारी किया गया है। इस मास्टर प्लान को लगभग 35 लाख की आबादी मानकर तैयार किया गया है और इसमें ग्रीन बेल्ट को संरक्षित करने पर विशेष जोर दिया गया है। नगरीय विकास मंत्री जयवर्धन सिंह ने बताया कि वर्तमान में शहर की आबादी 20 लाख के आसपास है। माना जा रहा है कि वर्ष 2031 तक शहर की आबादी पैंतीस लाख के आसपास हो जाएगी। इस स्थिति में शहर में कौन सी सुविधाएं होनी चाहिए और शहर का विकास कैसा हो, यह सब योजना इस मास्टर प्लान में दर्शायी गई हैं। राजधानी के लालघाटी क्षेत्र में बड़े तालाब से सटी हलालपुर की ओर जाने वाली सडक़ का लैंडयूज बदल गया है। इसे अब रेसीडेंशियल माना जाएगा। गत दिनों जारी हुए भोपाल के मास्टर प्लान-2031 में इस सडक़ और खानूगांव को रेसीडेंशियल क्षेत्र दिखाया गया है। यानी अब यहां मकान निर्माण की अनुमति मिल सकेगी।

उल्लेखनीय है कि इन मैरिज गार्डन्स को अब तक बड़े तालाब में अतिक्रमण मानते हुए नगर निगम कई नोटिस जारी करता रहा है। जो मास्टर प्लान अभी लागू है, उसमें इन गार्डन्स को लेक फ्रंट पीएसपी (सार्वजनिक-अर्ध सार्वजनिक) लैंडयूज में दिखाया गया है। इसलिए इन्हें अब तक वैध नहीं किया गया। जिला प्रशासन भी हर साल इन्हें नोटिस जारी कर बंद करने के आदेश भी जारी कर देता है, लेकिन इन पर अब तक ऐसी कोई कार्रवाई नहीं हुई। दूसरी तरफ नीलबड़ और रातीबड़ को अभी भी कृषि क्षेत्र ही बताया गया है। यानी यहां बनी अवैध कॉलोनियों के वैध होने का रास्ता नहीं खुला है।

जिला योजना समिति में मिले सुझाव के आधार पर तालाब की हदबंदी के लिए चारों तरफ सडक़ प्रस्तावित की जा रही है। कहा जा रहा है कि तालाब के बड़े हिस्से में एप्रोच नहीं होने से अवैध कब्जे हो रहे हैं। सीहोर रोड पर तालाब के भीतर कच्चे-पक्के मकान बन गए हैं। सडक़ बन जाने से इस पर रोक लगने का दावा किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि वीआईपी रोड बन जाने से इस क्षेत्र में तालाब पर अतिक्रमण नहीं हो रहे हैं। विवादित रिटेनिंग वॉल बन जाने के बाद वॉल के भीतर के हिस्से में भी कोई नया निर्माण नहीं हुआ है। मैरिज गार्डन संचालकों ने मास्टर प्लान तैयार होते समय ही सुझाव दिया था कि मैरिज गार्डन शहर की जरूरत है और जब रेसीडेंशियल में अनुमति दी जा रही है तो पीएसपी में भी अनुमति दी जाना चाहिए। जीआईएस बेस्ड नक्शे में भी यहां मैरिज गार्डन दर्शाए गए हैं। इसी नक्शे के आधार पर खानूगांव को भी रेसीडेंशियल कर दिया गया है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार इन मैरिज गार्डनों को दोबारा अनुमति लेनी होगी।

भोपाल मास्टर प्लान के लिए तय 1016 वर्ग किमी के प्लानिंग एरिया में पांच जगहों पर रसूखदारों का कब्जा है। टीएंडसीपी आने वाले दिनों में प्लान का ड्राफ्ट जारी करने जा रहा है, लेकिन जिस तरह से इसके प्रावधान बाहर आ रहे हैं, उससे ये रसूख के दबाव में तैयार प्लान लग रहा है। यदि इस दबाव को दरकिनार करते हुए प्लान बने तो फिर शहर का हित सधेगा, नहीं तो जिस तरह अब तक रसूखदारों को लाभ पहुंचाने प्लान बनते आए हैं, ये भी उसी श्रेणी में शामिल होगा। बड़े तालाब के कैचमेंट एरिया में 230 हेक्टेयर जमीन बड़े अफसरों और राजनेताओं ने खरीदी हुई है। सस्ती दर में ये जमीनें खरीदकर उम्मीद की जा रही है कि मास्टर प्लान में कैचमेंट में गतिविधियों को अनुमति दी जाए, ताकि यहां पर व्यवसायिक व कॉलोनी विकसित करने के काम शुरू किए जा सकें। हालांकि फिलहाल कैचमेंट को लो-डेंसिटी एरिया रखने की बात हो रही है। फिलहाल कैचमेंट नीलबड़, रातीबड़, प्रेमपुरा, कोलूखेड़ी, बरखेड़ी खुर्द, गोल, बिशनखेड़ी में बड़े रसूखदारों के बड़े प्लॉट हैं और मनोरंजन केंद्र के तौर पर अनुमतियां ली हुई हैं। इन क्षेत्रों में सस्तीदर में प्लॉट उपलब्ध होने के जगह-जगह लगे बोर्ड आसानी से देखे जा सकते हैं। मास्टर प्लान से उम्मीद की जा रही थी कि खानूगांव में अवैध निर्माण और रिटेनिंग वॉल जैसे निर्माणों को हटाने का प्रावधान होगा, लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा। इसके उलट, खानूगांव में आवासीय क्षेत्र बढ़ाने की कवायद है। यहां तालाब के एफटीएल में बने मैरिज गार्डन, कॉलेज व अन्य निर्माण में रसूखदारों की बड़ी भूमिका है, इसलिए ही यहां आवासीय के साथ पीएसपी बढ़ाने की कवायद हो रहा है, ताकि ये वैध की जा सके।

मंत्री जयवर्धन सिंह ने बताया कि शहर में स्मार्ट सिटी क्षेत्र में निर्माण कार्य के कारण कई पेड़ काटे गए हैं। इस प्लान में सिर्फ स्मार्ट सिटी क्षेत्र में ही 50 हजार पेड़ लगाने का प्रावधान किया गया है। मास्टर प्लान का प्रारूप आम लोगों के लिए विभाग की वेबसाइट पर भी उपलब्ध कराया गया है। अब इस पर आम लोगों ने दावे और आपत्तियां दर्ज कराई हैं। एक निर्धारित प्रक्रिया को पूर्ण करने के बाद इसे आवश्यक संशोधनों के साथ लागू करने पर विचार किया जाएगा। लेकिन मास्टर प्लान के अनुमोदन के दिन जिस तरह मंत्री आरिफ अकील और विधायक आरिफ मसूद ने चेतावनी दी कि सरकार मास्टर प्लान को लागू करके दिखाए उसी दिन से यह माना जा रहा है कि इस बार भी मास्टर प्लान अधर में लटक सकता है।

रोड किनारे फ्री पार्किंग देने का सुझाव

पार्किंग की समस्या से निपटने के लिए विस्तृत प्लान बनाने का सुझाव दिया गया है। भोपाल में 1971 से अब तक आबादी 4.5 गुना बढ़ी, जबकि वाहनों की संख्या 87 गुना बढ़ गई है। वाहनों की इस बढ़ती संख्या से बिगड़ते ट्रैफिक की एक बड़ी वजह पिछले मास्टर प्लान में प्रस्तावित ज्यादातर सडक़ों का निर्माण नहीं होना थी। इसके साथ ही शहर में पार्किंग स्थल भी डेवलप नहीं हो पाए। नतीजा ये हुआ कि 10 नंबर जैसे बाजारों में आने वाले 96 फीसदी वाहनों को पार्किंग के लिए जगह नहीं मिलती। इस समस्या से निपटने के लिए नए ड्राफ्ट में 795.61 किमी सडक़ें प्रस्तावित की गईं हैं। कहा जा रहा है कि इन सडक़ों के निर्माण के लिए जहां एक तरफ टीडीआर (ट्रांसफरेबल डेवलपमेंट राइट्स) का उपयोग किया जाएगा। वहीं प्रीमियम एफएआर से मिलने वाली राशि से ये सडक़ें बनाई जाएंगी। मास्टर प्लान के ड्राफ्ट में अनुमान लगाया गया है कि प्रीमियम एफएआर से सरकार को 8572 करोड़ रुपए मिलेंगे। टीडीआर से 1057.80 करोड़ की बचत होगी। इस तरह से 9629.80 करोड़ रुपए विकास कार्य के लिए लगाए जा सकेंगे। तर्क दिया जा रहा है कि पिछला प्लान फिजिकल सर्वे के आधार पर बना था इसलिए नक्शे पर ले आउट और मौके की स्थिति में अंतर आ गया। जबकि इस बार जीआईएस बेस्ड मैप का इस्तेमाल किया गया है, इसलिए बेहतर ले आउट बने हैं।

- अरविंद नारद

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