प्रदेश में आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश का रोडमैप 1 सितंबर से लागू हो जाएगा। इसे पूरा करने के लिए तीन साल का लक्ष्य तय किया गया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया की आत्मनिर्भर भारत को साकार करने के लिए आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश का रोडमैप तैयार किया जा रहा है। इसके लिए आयोजित की गई 4 दिवसीय वेबिनार में महत्वपूर्ण सुझाव प्राप्त हुए हैं। इन सुझावों को शामिल कर रोडमैप को अंतिम रूप देने के लिए प्रदेश के मंत्रियों के समूह गठित किए जा रहे हैं। मंत्री समूह अपना ड्राफ्ट 25 अगस्त तक प्रस्तुत कर देंगे। इस ड्राफ्ट पर नीति आयोग के सदस्यों के साथ विचार-विमर्श उपरांत 31 अगस्त तक आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के रोडमैप को अंतिम रूप दे दिया जाएगा तथा एक सितंबर से इसे आगामी 3 वर्ष के लक्ष्य के साथ प्रदेश में लागू कर दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने बताया कि आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के तहत देशी चिकित्सा पद्धति, आयुष, आदिवासी चिकित्सा पद्धति, योग आदि को बढ़ावा दिया जाएगा। वहीं हमारी शिक्षा, संस्कार और रोजगार देने वाली होगी। हमें पश्चिम का अंधानुकरण नहीं करना है। 6वीं कक्षा से ही व्यावसायिक शिक्षा को लागू किया जाएगा। परंपरागत ज्ञान को अभिलेखित किया जाएगा, सर्वसुविधायुक्त स्कूलों को प्रोत्साहित करेंगे। प्रतिभा निखारने के लिए प्रखर योजना चालू की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश बम्पर कृषि उत्पादन करता है, परंतु हमारा कृषि निर्यात केवल 0.8 प्रतिशत है। निर्यात बढ़ाने के लिए प्रयास किए जाएंगे। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, कोल्ड स्टोरेज तथा अन्य कृषि उत्पाद प्रसंस्करणों को बढ़ावा दिया जाएगा। पशुपालन एवं डेयरी क्षेत्र का भी विकास किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस पर प्रभावी अमल किया जाएगा। उद्योगों को स्थापित करने की प्रक्रिया को इतना सरल बना दिया जाएगा कि हम किसी भी उद्यमी से कह सकेंगे कि स्टार्ट योर बिजनेस इन 30 डेज। एमएसएमई को इंटीग्रेट किया जाएगा। मुख्यमंत्री दक्षता सवंर्धन योजना पर कार्य किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के लिए आउट ऑफ बजट फंड जनरेट करने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों की एक टीम बनाई जाएगी, जो इस संबंध में कार्य करेगी। मुख्यमंत्री ने वेबिनार में शामिल होने के लिए सभी मंत्रियों, विभिन्न विषय-विशेषज्ञों, नीति आयोग के सदस्यों आदि का धन्यवाद ज्ञापित किया।
प्रदेश में पर्यटन की अपार संभावनाओं को देखते हुए पर्यटन को बढ़ावा दिया जाएगा। बफर में सफर बहुत अच्छा सुझाव है। धार्मिक पर्यटन के लिए महाकालेश्वर, रामराजा मंदिर, दतिया, मैहर, सलकनपुर आदि का पर्यटन की दृष्टि से विकास किया जाएगा। नर्मदा पथ एवं रामवन गमन पथ को विकसित किया जाएगा। प्रदेश के प्रत्येक जिले की सर्वश्रेष्ठ पहचान को उजागर करने के लिए कार्य किया जाएगा। लोकल को वोकल बनाया जाएगा। हर ग्राम-हर नगर आत्मनिर्भर हों, ऐसे प्रयास किए जाएंगे। लघु-कुटीर उद्योगों को बढ़ावा दिया जाएगा।
किसानों को उनकी उपज का अधिकाधिक मूल्य दिलाने के लिए वन नेशन वन मार्केट की अवधारणा पर काम किया जाएगा। मंडी अधिनियम में किए गए संशोधनों का प्रभावी क्रियान्वयन किया जाएगा। कृषि उत्पादक संघों को सुदृढ़ किया जाएगा। जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। मध्यप्रदेश में क्षमता है कि वह पूरे देश की खाद्य तेल की आवश्यकता को पूरा कर सकता है। इसके लिए खाद्य तेल एवं दालों के उत्पादन को बढ़ावा दिया जाएगा।
एमएसएमई को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में ग्लोबल पार्क की स्थापना की जाएगी तथा इनसे छोटे शिल्पियों एवं व्यवसायियों को जोड़ा जाएगा। प्रदेश में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के साथ ईज ऑफ लिविंग पर भी पूरा ध्यान दिया जाएगा। आम आदमी का जीवन सुविधापूर्ण होना चाहिए। नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि मध्यप्रदेश की एसजीडीपी में कृषि का 42 प्रतिशत हिस्सा है, परंतु यहां कृषि उत्पादों पर आधारित उद्योगों की बहुत कमी है। प्रदेश में कृषि उत्पाद प्रसंस्करण को बढ़ावा दिया जाए। इसके साथ ही प्रदेश में पर्यटन उद्योग एवं ई-कॉमर्स को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। प्रदेश में स्वास्थ्य के क्षेत्र में संस्थागत प्रसव, टीकाकरण आदि में बहुत अच्छा कार्य हुआ है। प्रदेश में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर कम करने का कार्य बेहतर करने की आवश्यकता है। हर जिले में मेडिकल कॉलेज खोले जाने की आवश्यकता पर बल दिया जाएगा। ये पीपीपी मोड में खोले जा सकते हैं।
रोडमैप तैयार करने के लिए 4 ग्रुप बनाए
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के रोडमैप के संदर्भ में कहा कि आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश का रोडमैप बनाने चार ग्रुप बनाए गए हैं। हर ग्रुप के लिए एक समन्वयक बना दिया गया है। इसमें समन्वयक मुख्य रूप से बैठक में शामिल होंगे और यह बैठक वीडियो कॉन्फे्रंसिंग के माध्यम से ही होगी। 16 अगस्त से इसे शुरू किया जाएगा। इसमें मंत्रियों की जिम्मेदारी है कि वह जनता से जुड़े मुद्दों को शामिल करें और 25 अगस्त तक अपनी सिफारिशें दे दें। यह पूरी जिम्मेदारी मंत्रियों की होगी। अधिकारी इसके लिए जिम्मेदार नहीं होंगे। सिफारिश मिलने के बाद इसे नीति आयोग को दिया जाएगा और उसके बाद प्रधानमंत्री को। इसमें 1 महीने से लेकर 3 महीने, 6 महीने, 1 साल, 2 साल और 3 साल की पूरी योजनाएं होंगी। किस समय हम क्या-क्या करेंगे, किस तरह से इसे जुटाया जाएगा और कैसे आम लोगों तक पहुंचाया जाएगा, इसकी पूरी रूपरेखा बनाई जाएगी, ताकि 3 साल बाद जब हम जनता के पास जाएं, तो हमें बताने के लिए कुछ हो। लोकार्पण और शिलान्यास की भी सूची बनाई जाए, जहां जैसे संभव होगा वैसे जनता के हित में कार्य किए जाएंगे।
- विकास दुबे